करेंसी से लाभ

जैसा कि वर्ष 2020 में आंतरिक कार्य समूह द्वारा सुझाव दिया गया था, आरबीआई होलसेल सेगमेंट में खाता-आधारित सीबीडीसी और रिटेल सेगमेंट में टोकन-आधारित सीबीडीसी लागू करने का विकल्प तलाश रही है। रिटेल सीबीडीसी निजी क्षेत्र, गैर-वित्तीय उपभोक्ताओं और व्यवसायों में सभी के इस्तेमाल के लिए उपलब्ध होगी, जबकि होलसेल सीबीडीसी को खास वित्तीय संस्थानों तक पहुंच को ध्यान में रखकर करेंसी से लाभ तैयार किया गया है।
ई-रुपये की प्रायोगिक शुरुआत जल्द
भारतीय रिजर्व बैंक वित्तीय व्यवस्था में कोई उलटफेर किए बगैर अपनी स्वयं की डिजिटल मुद्रा या डिजिटल रुपया (ई-रुपया) को पेश करने की संभावना तलाश रहा है। केंद्रीय बैंक निर्णायक पेशकश से पहले परीक्षण के कई चरण के जरिये सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) के चरणबद्ध क्रियान्वयन पर काम कर रहा है।
आरबीआई ने शुक्रवार को करेंसी से लाभ सीबीडीसी पर जारी एक कॉन्सेप्ट नोट में कहा, ‘आरबीआई ने कुछ समय से सीबीडीसी पेशकश के फायदे एवं नुकसान का पता लगाने पर जोर दिया है और वह मौजूदा समय में चरणबद्ध तरीके से क्रियान्वयन की रणनीति पर काम कर रहा है तथा इसे निर्णायक तौर पर पेश करने से पहले प्रायोगिक तौर पर शुरू किया जाएगा।’
आरबीआई ने कहा कि ई-रुपया पूंजी के मौजूदा सय में उपलब्ध स्वरूपों के लिए अतिरिक्त विकल्प मुहैया कराएगा। यह मुद्रा बैंक नोटों से ज्यादा अलग नहीं है, लेकिन डिजिटल होने की वजह से इसके आसान, तेज इस्तेमाल और सस्ता होने की संभावना है। इसके डिजिटल रकम के अन्य स्वरूपों के सभी लेनदेन संबंधित लाभ हैं।
RBI Digital Currency: कल आ रही है आरबीआई की 'बिटकॉइन', अब कैश लेकर घूमने की जरूरत नहीं!
- आरबीआई एक नवंबर को डिजिटल रुपी लॉन्च करेगा
- होलसेल ट्रांजैक्शन के लिए परीक्षण के लिए होगी शुरुआत
- गवर्नमेंट सिक्योरिटीज में लेनदेन के करेंसी से लाभ लिए होगा इस्तेमाल
- पायलट परीक्षण में हिस्सा लेने के लिए नौ बैंक चुने गए
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जानिए क्या है e-RUPI
e-RUPI एक कैश और कॉन्टैक्ट लैस पेमेंट मोड होगा। यह क्यू-आर कोड और SMS स्ट्रिंग पर आधारित है जो ई-वाउचर के रूप में काम करता है। इस सर्विस के तहत यूजर को पेमेंट करने के लिए न तो कार्ड, डिजिटल पेमेंट ऐप और न ही इंटरनेट बैंकिंग एक्सेस की करेंसी से लाभ जरूरत होगी। इससे ज़्यादा से ज़्यादा लोग डिजिटल रुपये का इस्तेमाल कर सकेंगे। यह पेपर करेंसी के समान है, जिसकी सॉवरेन वैल्यू होती है। डिजिटल करेंसी की वैल्यू भी मौजूदा करेंसी के बराबर ही होगी और यह उसी तरह स्वीकार्य भी होगी। सीबीडीसी केंद्रीय बैंक की बैलेंस शीट में लाइबिलिटी करेंसी से लाभ के तौर पर दिखाई देगी।
Crypto Currency: क्रिप्टो करेंसी क्या है, इसे कहां से खरीदें?
Crypto Currency पर ज्यादा रिटर्न मिलने के कारण स्कैम भी बढ़ गए है, ऐसे में निवेशकों को थोड़ा सावधान रहने की जरूरत है
- क्रिप्टो करेंसी नेटवर्क पर आधारित डिजिटल मुद्रा है, जिसका डिस्ट्रीब्यूशन कंप्यूटरों के एक विशाल नेटवर्क के माध्यम से किया जाता है.
- कंप्यूटर नेटवर्क और ब्लॉकचेन पर आधारित यह विकेंद्रीकृत संरचना क्रिप्टो करेंसी को सरकारों और किसी भी वित्तीय नियंत्रण से बाहर रखती है.
- क्रिप्टो करेंसी के बारे वित्तीय विशेषज्ञों का कहना है कि ब्लॉकचेन पर आधारित इस तकनीक के कारण दुनिया भर में फाइनेंशियल और कानूनी पेचीदगियां पैदा होंगी.
- क्रिप्टो करेंसी का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह अन्य परंपरागत मुद्राओं के मुकाबले में बेहद सस्ता और तेज मनी ट्रांसफर है.
- क्रिप्टो करेंसी का सिस्टम डिसेंट्रलाइज होने का सबसे बड़ा लाभ यह है कि किसी एक जगह से करेंसी से लाभ इस मुद्रा पर नेगेटिव असर नहीं होगा.
- क्रिप्टो करेंसी की कुछ मुश्किलें भी हैं, जिनमें कीमत में होने वाला उतार-चढ़ाव, माइनिंग के लिए ऊर्जा की ज्यादा खपत और इसका आपराधिक गतिविधियों में इस्तेमाल है.
डिजिटल करेंसी के फायदे और नुकसान पर विचार जारी: आरबीआई
मुंबईः भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को कहा कि वह देश में एक डिजिटल मुद्रा की शुरुआत के ‘फायदे और नुकसान' पर विचार कर रहा है। आरबीआई ने कहा कि वह डिजिटल मुद्रा की शुरुआत के लिए क्रमिक नजरिया अपनाएगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2022-23 का बजट पेश करते हुए कहा था कि केंद्रीय बैंक एक भारतीय डिजिटल मुद्रा की शुरुआत करेगा।
आरबीआई ने शुक्रवार को जारी 2021-22 की अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा कि आम बजट 2022-23 में सीबीडीसी (केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा) की शुरुआत की घोषणा की गई थी। इसके तहत आरबीआई अधिनियम, 1934 में एक उपयुक्त संशोधन को वित्त विधेयक, 2022 में शामिल किया गया है वित्त विधेयक, 2022 को अधिनियमित किया गया है, जो सीबीडीसी की शुरुआत के लिए एक कानूनी ढांचा मुहैया कराता है।
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Updated: February 3, 2022 10:31 AM IST
Crypto Currency: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने इस साल का बजट (Budget 2022-23) पेश करते हुए बड़ा ऐलान किया था. वित्त मंत्री ने भारत में भी डिजिटल करेंसी को मान्यता देने की बात कही और कहा कि केवल भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी डिजिटल मुद्रा को मुद्रा के रूप में मान्यता दी जाएगी. इसके साथ उन्होंने ये भी कहा था कि सभी क्रिप्टोकरेंसी से होने वाली आय पर 30 प्रतिशत का TAX लगेगा. यह म्युचुअल फंड या यहां तक कि शेयरों से होने वाली आय पर आप जितना भुगतान करते हैं, उससे कहीं अधिक है.अब क्रिप्टो करेंसी (Cryptocurrency) में निवेश करने वाले लोगों के मन में इसे लेकर कई तरह के सवाल पैदा हो गए हैं.
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राजस्व सचिव तरुण बजाज ने कहा कि सरकार डिजिटल करेंसी को स्पेकुलेटिव असेट मानती है. यही कारण है कि अन्य स्पेकुलेटिव असेट जैसे हॉर्स रेसिंग की तरह ही क्रिप्टो से होने वाली कमाई पर 30 प्रतिशत टैक्स लगाया जाएगा. साथ ही टोटल अमाउंट पर 1 प्रतिशत टीडीएस काटने का प्रावधान है.
इसके साथ ही राजस्व सचिव तरुण बजाज ने बड़ी बात कही है कि अगर क्रिप्टो करेंसी से किसी तरह का कोई नुकसान होता है तो भरपाई की कोई व्यवस्था नहीं है. उन्होंने साफ किया कि अगर किसी वित्त वर्ष में आपको क्रिप्टो में निवेश से घाटा होता है तो आप इसे कैरी फॉरवर्ड नहीं कर सकते.
वहीं, टीवी सोमनाथन ने कहा कि क्रिप्टो की वास्तविक वैल्यू कोई नहीं जानता. इनके रेट्स में बदलाव होते रहता है. सरकार की नई नीति है कि क्रिप्टो पर होने वाली कमाई पर अब 30 प्रतिशत टैक्स देना होगा.
Crypto Currency से होने वाली आय पर 30 प्रतिशत कर लगाया जाएगा. उदाहरण के लिए, यदि आप अपने बिटकॉइन बेचकर 100 रुपये कमाते हैं, तो आपको सरकार को क्रिप्टो टैक्स के रूप में 30 करेंसी से लाभ रुपये का भुगतान करना होगा. आपको केवल अपनी आय या क्रिप्टोकरेंसी से लाभ पर ही टैक्स का भुगतान करना होगा. उदाहरण के लिए, यदि आपने 5,000 रुपये की क्रिप्टोकरेंसी खरीदी है और बेचते हैं तो 5,500 रुपये में केवल 500 रुपये पर 30 प्रतिशत कर लगेगा, न करेंसी से लाभ करेंसी से लाभ कि पूरे निवेश पर.
मौजूदा आयकर कानून करदाताओं को लंबी अवधि के पूंजीगत लाभ के खिलाफ अपने दीर्घकालिक नुकसान को समायोजित करने की अनुमति देते हैं. यह करदाताओं को उनके दीर्घकालिक लाभ पर कर का भुगतान करने से छूट देता है. हालाँकि, क्रिप्टो आय के मामले में यह संभव नहीं होगा.
भारत में अभी भी कोई क्रिप्टो कानून नहीं है. नया कराधान बस क्रिप्टो लेनदेन को वैधता देता है और सरकार को सभी लेनदेन की करेंसी से लाभ करेंसी से लाभ निगरानी करने की अनुमति देता है. इसे सरल शब्दों में समझें तो, यह भारत में क्रिप्टोकरेंसी को कानूनी बनाता है. हालांकि, वे अभी भी अनियंत्रित हैं.