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फिक्स्ड डिपॉजिट बनाम इक्विटी

फिक्स्ड डिपॉजिट बनाम इक्विटी
टैक्स सेविंग, टैक्सपेयर के वित्तीय लक्ष्यों के साथ बहुत करीब से जुड़ा होना चाहिए; इसलिए व्यक्ति को अपनी उम्र, जोखिम उठाने की चाहत, और अपने लक्ष्यों के आधार पर, सही टैक्स सेविंग प्रोडक्ट का चुनाव करना चाहिए। उदाहरण के लिए, एक टैक्स सेविंग प्रोडक्ट जो एक नौजवान टैक्सपेयर के लिए सूटेबल है वह एक रिटायर्ड टैक्सपेयर के लिए सूटेबल नहीं भी हो सकता है, और इसके विपरीत भी हो सकता है।

चाहते हैं पैसे बचाना, इन विकल्पों का करें इस्तेमाल टैक्स की भी होगी बचत

टाइम्स नाउ डिजिटल

PPF, NPS, ULIP, ELSS, NSC, FD

PPF, NPS, ULIP, ELSS, NSC, FD: इन विकल्पों में निवेश कर बचा सकते हैं टैक्स  |  तस्वीर साभार:फिक्स्ड डिपॉजिट बनाम इक्विटी  Getty Images

एक असरदार टैक्स सेविंग स्ट्रेटेजी अपनाने से आपको सिर्फ अपने टैक्स के बोझ को कम करने में ही नहीं बल्कि अपने इन्वेस्टमेंट रिटर्न को अनुकूल बनाने, लिक्विडिटी को मैनेज करने, और जोखिम को कम करने में भी मदद मिलती है। मार्केट में कई तरह के टैक्स सेविंग प्रोडक्ट्स मिलते हैं लेकिन हर तरह का प्रोडक्ट हर टैक्सपेयर के लिए सही नहीं भी हो सकता है।

1. यूलिप बनाम ईएलएसएस

कई लोग अक्सर यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान्स (ULIP) और इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम्स (ELSS) को लेकर उलझन में पड़ जाते हैं क्योंकि इन दोनों प्रोडक्ट्स पर इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80C के तहत 1.5 लाख रुपये तक का टैक्स बेनिफिट मिलता है। लेकिन इनकी समानता यहीं खत्म हो जाती है। यूलिप एक इंश्योरेंस-सह-इन्वेस्टमेंट प्रोडक्ट है जबकि ईएलएसएस एक शुद्ध इन्वेस्टमेंट प्रोडक्ट है।

यूलिप के चार्ज आम तौर पर ईएलएसएस से अधिक होते हैं। यूलिप और ईएलएसएस का मिनिमम लॉक-इन पीरियड क्रमशः 5 फिक्स्ड डिपॉजिट बनाम इक्विटी साल और 3 साल होता है। यूलिप के लिए एक लॉन्ग टर्म कमिटमेंट करना पड़ता है, यानी, इसमें इन्वेस्ट करना शुरू करने के बाद, आपको इसमें हर साल निवेश करना पड़ता है; दूसरी तरफ, आप ईएलएसएस में अपनी मनचाही अवधि के लिए एक मंथली सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) शुरू कर सकते हैं या एक बार में एक लम्प सम अमाउंट निवेश कर सकते हैं।

2. एनपीएस बनाम पीपीएफ

नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) और पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) दोनों लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट प्रोडक्ट्स हैं लेकिन ये अपने इन्वेस्टरों को अलग-अलग प्रकार के बेनिफिट्स देते हैं। एनपीएस एक ऐसा प्रोडक्ट है जो रिटायरमेंट प्लानिंग पर फोकस करता है। एनपीएस फंड तब मैच्योर होता है जब इन्वेस्टर, रिटायर होने की उम्र तक पहुंच जाता है, और रिटायरमेंट के समय, मिलने वाले फंड का 60% अमाउंट टैक्स फ्री होता है जबकि बाकी का 40% अमाउंट एक एन्युटी प्लान खरीदने के लिए निवेश करना पड़ता है।

बाद में एन्युटी इनकम पर उस इनकम के मिलने वाले साल में लाभार्थी पर लागू होने वाले टैक्स स्लैब रेट के हिसाब से टैक्स लिया जाता है। इस तरह देखा जा सकता है कि एनपीएस से होने वाला इनकम पूरी तरह टैक्स फ्री नहीं होता है। दूसरी तरफ, पीपीएफ आपको ईईई बेनिफिट देता है, कहने का मतलब है कि सेक्शन 80C के तहत 1.5 लाख रुपये तक का इन्वेस्टमेंट, मैच्योरिटी अमाउंट और ऐसे इन्वेस्टमेंट पर मिलने वाला इंटरेस्ट तीनों टैक्स फ्री होता है। पीपीएफ इन्वेस्टमेंट पर मिलने वाले इंटरेस्ट की दर हर तीन महीने में बदलती रहती है और इसमें 15 साल का लॉक-इन पीरियड भी होता है।

Yes Bank Market Cap at 8000 Crore: यस बैंक का मार्केट कैप 8,000 करोड़ रुपये से भी नीचे, अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंचा

Yes Bank Market Cap at 8000 Crore

यस बैंक का मार्केट कैप 8,000 करोड़ रुपये से भी नीचे, अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंचा (Pgoto- Social Media)

नई दिल्ली. यस बैंक के शेयरों ने सर्वकालिक निचले स्तर को छूते हुए 30 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की जिसके बाद बाजार में ये केवल 29.05 रुपये के रह गए. फर्म का समग्र बाजार पूंजीकरण 1 अक्टूबर को बीएसई पर 8,000 करोड़ रुपये से नीचे गिर गया. निजी ऋणदाता के शेयरों में भी गिरावट आ रही है हालांकि इसे अधिक पूंजी जुटाने के लिए आरबीआई की मंजूरी मिल गई है. हालांकि, बैंक के वित्तीय स्वास्थ्य ठीक होना नामुमकिन फिक्स्ड डिपॉजिट बनाम इक्विटी सा हो गया है. हाल की एक रिपोर्ट में, आईडीएफसी सिक्योरिटीज ने बैंक के लक्ष्य मूल्य को 35 रुपये तक घटा दिया, जिसमें कहा गया है कि यह खराब ऋण, धीमे संकल्पों और शेयर की कीमत में तेजी से सुधार ना देखते हुए इक्विटी में अनिश्चितता बढ़ गई है.

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