क्या होगा विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का असर?

रुपये में गिरावट होने से सबसे ज्यादा असर आम नागरिकों की जेब पर पड़ेगा. इसका असर आयात करने वाले क्षेत्रों पर खासकर पड़ेगा. कच्चे तेल को ही ले लें, भारत अपनी जरुरत का लगभग 80 प्रतिशत कच्चा तेल आयात करता है. ऐसी स्थिति में रुपया और गिर सकता है और विदेशी मुद्रा में और अधिक कमी आ सकती है. कुल मिलाकर ज्वेलरी, इलेक्ट्रॉनिक गुड्स जैसी चीजें महंगी (INFLATION) हो जाएंगी.
Forex Reserves: भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में 8.062 अरब डॉलर की गिरावट, 15 महीने के निचले स्तर पर
Foreign Exchange Reserves: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के आंकड़ों के अनुसार, 8 जुलाई को समाप्त हफ्ते में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार (forex Reserves) 8.062 अरब डॉलर से घटकर 15 महीनों में सबसे कम 580.252 अरब डॉलर हो गया है।
साप्ताहिक आंकड़ों से पता चलता है कि फॉरेन करेंसी असेट्स (FCA) में गिरावट के कारण भंडार में कमी आई है। FCA, गोल्ड रिजर्व और पूरे रिजर्व का प्रमुख हिस्सा है।
रिपोर्टिंग हफ्ते में FCA 6.656 अरब डॉलर घटकर 518.089 अरब डॉलर रह गया। डॉलर के संदर्भ में कहें तो, FCA में विदेशी मुद्रा भंडार में रखे गए यूरो, पाउंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी करेंसी का बढ़ना या गिरना, दोनों का असर शामिल है।
Highlights
- FII की बिकवाली और घरेलू शेयर बाजार में गिरावट के चलते रुपये में तेज गिरावट
- डॉलर के मुकाबले 19 पैसे लुढ़ककर 78.32 रुपये प्रति डॉलर के रिकॉर्ड निचले स्तर पर
- कीमतों में तेजी के बीच रुपये की कमजोरी आपकी जेब को और छलनी करेगी
भीषण महंगाई से यदि आपकी कमर झुकने लगी है तो मलहम लगाकर उसे मजबूत कर लीजिए, क्यों महंगाई का असल अटैक तो अब होने वाला है। विदेशी मुद्रा बाजार में रुपया थर थर कांप रहा है, और हर दिन गिरावट के नए रिकॉर्ड बना रहा है। FII की बिकवाली और घरेलू शेयर बाजार में गिरावट के चलते रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 19 पैसे लुढ़ककर 78.32 रुपये प्रति डॉलर के एक नये रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया है। वित्तीय बाजारों से लगातार विदेशी फंड का आउटफ्लो और कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी ने रुपए पर दबाव बढ़ाया है।
अब आप कहेंगे हम तो दुकान से रुपये में खरीदारी करते हैं तो रुपया हमारी जेब पर कैसे असर डालेगा। तो जनाब, यह जान लीजिए कि हम अपनी जरूरत के कई जरूरी सामान जैसे कच्चा तेल, मोबाइल, लैपटॉप जैसे गेजेट्स, रासायनिक खाद, सोना आदि को विदेेशाों से आयात करते हैं। जिनका पेमेंट डॉलर में होता है। रुपये के गिरने से हमें डॉलर खरीदने के लिए ज्यादा पैसे खर्चने होंगे, इससे नुकसान हमारा ही होगा।
क्यों आ रही है रुपये में गिरावट
रुपये में गिरावट में अर्थशास्त्र का मांग और आपूर्ति का नियम लागू होता है। हर देश के पास विदेशी मुद्रा का भंडार होता है, जिससे वह अंतरराष्ट्रीय लेन-देन करता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महंगाई बढ़ने से जब किसी देश को अपनी तिजोरी से ज्यादा डॉलर खर्च करने होते हैं, तो डॉलर की मांग आपूर्ति से अधिक हो जाती है। ऐसे में रुपया गिरने लगता है। मौजूदा दौर में भारत कच्चे तेल की डेढ़ गुनी कीमत चुका रहा है। उस पर जिन विदेशी संस्थागत निवेशक जिन्हें FII कहते हैं वे भारी मात्रा में पैसा भारतीय शेयर बाजार से निकाल रहे हैं। इससे एक ओर जहां शेयर बाजार ढह रहे हें वहीं रुपया भी धराशाई हो रहा है।
रेलिगेयर ब्रोकिंग के जिंस एवं करेंसी विभाग के उपाध्यक्ष, सुगंधा सचदेवा ने कहा, ‘‘घरेलू शेयरों से बेरोकटोक धन निकासी और डॉलर के मजबूत होने के बीच, कुछ समय के लिए 78 अंक के आसपास मंडराने के बाद, भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले एक नए रिकॉर्ड निचले स्तर तक चला गया। एलकेपी सिक्योरिटीज के रिसर्च एनालिस्ट डिपार्टमेंट के वाइस प्रेसिडेंट जतिन त्रिवेदी ने कहा, ‘‘फेडरज रिजर्व के आक्रामक रुख और भारतीय बाजारों में विदेशी संस्थागत निवेशकों की आक्रामक बिक्री के कारण रुपया कमजोर होकर 78.30 से नीचे चला गया।’’
आपकी जेब में एक और महंगाई का छेद
रुपये की कमजोरी से सीधा असर आपकी जेब पर होगा। आवश्यक सामानों की कीमतों में तेजी के बीच रुपये की कमजोरी आपकी जेब को और छलनी करेगी। भारत अपनी जरुरत का 80 फीसदी कच्चा तेल विदेशों से खरीदता है। अमेरिकी डॉलर के महंगा होने से रुपया ज्यादा खर्च होगा। इससे माल ढुलाई महंगी होगी। इसका सीधा असर हर जरूरत की चीज की महंगाई पर होगा।
डॉलर के क्या होगा विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का असर? मजबूत होने का सीधा असर हमारे आयात पर पड़ता है। भारत जिन वस्तुओं के आयात पर निर्भर है, वहां रुपये की गिरावट महंगाई ला सकती है। इसका असर कच्चे तेल के आयात पर भी पड़ेगा। दूसरी ओर भारत गैजेट्स और रत्नों का भी बड़ा आयातक है। ऐसे में रुपये में गिरावट का असर यहां पर भी देखने को मिल सकता है।
Rupee Vs Dollar: रुपया हुआ धराशायी, जानें क्या होगा आपकी जेब पर असर
डीएनए हिंदी: भारतीय रुपया (Indian Currency) आज यानी कि सोमवार को अमेरिकी डॉलर (USD) के मुकाबले अब तक के अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है. आज भारतीय रुपया 77.42 प्रति डॉलर के स्तर पर पहुंच गया. रॉयटर्स के मुताबिक शंघाई में कड़े लॉकडाउन से वैश्विक मार्केट बुरी तरह प्रभावित हुआ है. वहीं अमेरिका में फेडरल रिजर्व नीतियों में परिवर्तन करने से अमेरिकी शेयर वायदा में गिरावट देखने को मिली. इसका असर भारतीय बाजार में भी गिरावट देखने को मिली.
अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया और भी ज्यादा कमजोर हो गया है जिसके बाद यह अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है. सोमवार को रुपया 0.3% की गिरावट के साथ 77.1825 डॉलर प्रति डॉलर पर आ गया, जो मार्च में पिछले रिकॉर्ड निचले 76.9812 को छू गया था. इसके पहले शुक्रवार को रुपया 55 पैसे टूटकर 76.90 रुपये के स्तर पर बंद हुआ था.
विदेशी मुद्रा भंडार में आई 2 अरब डॉलर की कमी, जानें क्या है वजह
कोटक सिक्योरिटीज में डिप्टी वाइस प्रेसिडेंट (टेक्निकल रिसर्च) अनिंद्य बनर्जी ने कहा, "जहां डॉलर की कीमतों में तेज बढ़त दर्ज की गई. वहीं, अन्य मुद्राएं कमोबेश अपने पिछले स्तर पर यथावत रहीं. चूंकि क्या होगा विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का असर? विदेशी मुद्रा भंडार का अंतिम वैलुएशन डॉलर में होता है. लिहाजा, अन्य प्रमुख मुद्राओं की कीमत घटने से कुल एसेट में कमी आई."
इससे पिछले सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 1.36 अरब डॉलर बढ़कर 420.05 अरब डॉलर हो गया था. समीक्षाधीन सप्ताह में विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां (FCA) 2.क्या होगा विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का असर? 03 अरब डॉलर घटकर 390.19 अरब डॉलर रह गईं.
विदेशी मुद्रा भंडार में FCA का हिस्सा सबसे बड़ा होता है. FCA को डॉलर में व्यक्त किया जाता है. मुद्रा भंडार में यूरो, पौंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं की कीमत बढ़ने/घटने का इस पर असर पड़ता है.
आपकी बात: रुपए में गिरावट का अर्थव्यवस्था पर क्या असर हो रहा है?
बिगड़ेगा भुगतान संतुलन
रुपए में गिरावट से भारतीय निर्यात तो बढ़ेगा, परन्तु हमारे लिए विदेशों से आयात करना बहुत महंगा हो जाएगा। इससे भुगतान संतुलन बिगड़ जाएगा, जो हमारी अर्थव्यवस्था को निश्चित तौर पर नुकसान पहुंचाएगा।
-भूपेन्द्र माण्डैया, अलवर
.
आयात हो रहा है महंगा
देश के व्यापारियों के लिए आयात महंगा और विदेशियों के लिए आयात सस्ता हो रहा है। निर्यात पर विदेशी मुद्रा कम मिल रही है, जिससे देश का विदेशी मुद्रा भंडार कम गति से बढ़ेगा।
-मुकेश भटनागर, भिलाई
.
खराब संकेत
रुपए की गिरती साख क्या होगा विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का असर? क्या होगा विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट का असर? से जहां आयात महंगा हो जाएगा, वहीं निर्यात सस्ता हो जाएगा। आम भाषा में कहें तो भारत विदेशों से खरीदी गई चीजों के लिए अधिक पैसे चुकाएगा। वहीं विदेशों को सामान बेचने पर उन्हें हमें कम पैसे चुकाने होंगे। लिहाजा आयात और निर्यात के बीच का फासला बढ़ जाएगा, जो किसी भी अर्थव्यवस्था के लिए खराब संकेत होते हैं।
-राहुल मुदगल, फतेहाबाद, आगरा
.