बाजार का आकार

संक्षेप में, बाजार मुनाफे का पीछा करता है. अगर मुनाफे का हिस्सा बढ़ता है, तो चाहे अर्थव्यवस्था बढ़ रही हो या सिकुड़ रही हो, शेयर बाजार बढ़ता है.
बाजार अनुसंधान - market research
• जबकि बाजार अनुसंधान में, अनुसंधानकर्ता की दृष्टि उपभोक्ता पर केन्द्रित होती है, अर्थात उपभोक्ता किसी वस्तु को क्यों खरीदता है? क्रय के पीछे क्या उपभोक्ता समस्याओं एवं अवसरों की पहचान करना एवं उन समस्याओं को हल करने के लिए उचित विधियों की खोज करना है। अतः 'उपभोक्ता समस्याएं ही इसमें अनुसंधानकर्ता के लिए अनुसंधान का केंद्र बिंदु होती है।
प्रयोजन तथा प्रेरणाएं हैं? आदि ।
बाजार अनुसंधान उपभोक्ता मांगों ( क्रय व्यवहार, प्रवृत्ति, प्राथमिकता, प्रतिस्पर्धा, बाजार मांग आदि) के अध्ययन एवं विश्लेषण में सहायता करता है तथा क्रय व्यवहार एवं प्रवृत्तियों में हो रहे परिवर्तनों को बतलाता है।
उपभोक्ता प्रबंधकों के लिए बाजार अनुसंधान की अपेक्षा उपभोक्ता अनुसंधान को अधिक उपयोगिता है, क्योंकि उपभोक्ता अनुसंधान प्रबंधकीय कार्यों का आधार होता है। सम्पूर्ण उपभोक्ता कार्यक्रम की रचना उपभोक्ता अनुसंधान द्वारा प्राप्त परिणामों के आधार पर की जाती हैं। इस प्रकार, बाजार अनुसंधान उपभोक्ता अनुसंधान का एक अंग मात्र है, जबकि उपभोक्ता अनुसंधान का क्षेत्र काफी व्यापक है जिसमें बाजार अनुसंधान उत्पाद अनुसंधान, विज्ञापन अनुसंधान अभिप्रेरणा अनुसंधान, भौतिक वितरण अनुसंधान आदि का शामिल किया जाता है। अग्र प्रदर्शित रेखाचित्र द्वारा इसे आसानी से समझा जा सकता है।
इकनॉमी और कामगार को होगा जितना नुकसान, शेयर बाजार उतना चढ़ेगा!
भारत की अर्थव्यवस्था अभी भी तीन साल पहले की स्थिति में नहीं पहुंची है. ऐसे में सेंसेक्स के लिए नई ऊंचाई पर पहुंचना कैसे संभव है? मेनस्ट्रीम अर्थशास्त्री आपको बताएंगे कि यह एक संकेत है कि शेयर बाजार वास्तविक अर्थव्यवस्था से अलग हो गए हैं. वे कहेंगे कि सिस्टम में एक खतरनाक 'बबल' बन रहा है जो जल्द ही फटने वाला है.
यह विचार कि बाजार एक 'तर्कहीन उत्साह' प्रदर्शित कर रहा हैं, न केवल शेयर बाजार कैसे काम करता है, बल्कि यह भी कि वे पूरी तरीके से अर्थव्यवस्था से कैसे संबंधित हैं, की गलत समझ पर आधारित है.
मार्केट मुनाफे के पीछे भागता है
कोई भी व्यक्ति किसी कंपनी के शेयर को खरीदकर उस कंपनी के पूंजी का मालिक हो सकता है, भले ही वह बहुत छोटे हिस्से का हकदार ही क्यों न हो. ऐसा इसलिए क्योंकि किसी कंपनी के शेयर में शेयरधारकों का उसके मुनाफे पर अधिकार होता है. तो, एक अर्थव्यवस्था में उत्पन्न कुल आय में मुनाफे के हिस्से के आधार पर शेयर बाजार ऊपर या नीचे जाता है. अगर वह शेयर बढ़ता है, तो बाजार ऊपर जाता है. यदि यह गिरता है, तो बाजार या तो गिर जाता है या ज्यादातर समय 'साइडवेज' में चला जाता बाजार का आकार है.
आइए इसे समझने के लिए एक काल्पनिक उदाहरण लेते हैं. कल्पना कीजिए कि एक अर्थव्यवस्था में उत्पन्न कुल आय पहले वर्ष में ₹100 है. इसमें से ₹50 उन लोगों के पास जाते हैं जिनके पास मुनाफे के रूप में पूंजी होती है, और शेष ₹50 उनके लिए जो काम करते हैं, मजदूरी और वेतन के रूप में दिया जाता है. दूसरे वर्ष में, अर्थव्यवस्था ₹110 तक फैल जाती है. इस बार, हालांकि, मुनाफे का हिस्सा घटकर ₹45 रह गया और मजदूरी का हिस्सा बढ़कर ₹65 हो गया. देश की जीडीपी में 10 फीसदी की बढ़ोतरी के बावजूद शेयर बाजार में गिरावट आएगी.
पूंजीपतियों का नेट प्रॉफिट बढ़ा
भारत में इस समय ठीक यही हो रहा है. हमारे पास तिमाही सकल घरेलू उत्पाद (GDP) और जून 2021 को समाप्त हुए तिमाही के कॉर्पोरेट रिजल्ट है. चूंकि तिमाही रिजल्ट की संख्या में बहुत अधिक उतार-चढ़ाव होता है और इसपर सीजन का भी असर पड़ता है. इसलिए एक साथ चार तिमाहियों की साथ तुलना करेंगे. आइये देखते हैं जुलाई से जून के बीच 12 महीने की अवधि को. मैं जुलाई 2019 से जून 2020 के लिए जीडीपी और बीएसई 100 की कमाई (Earnings) की तुलना जुलाई 2020 से जून 2021 के आंकड़ों से करूंगा. और चूंकि कमाई के आंकड़े उस समय बाजार कीमतों पर रिपोर्ट किए जाते हैं, इसलिए मैं उनकी तुलना मौजूदा बाजार भाव पर 'नॉमिनल' जीडीपी से करूंगा.
इन दो अवधियों के बीच, जिनका हमने ऊपर उल्लेख किया है, भारत की नॉमिनल जीडीपी में 9% की वृद्धि हुई. साथ ही, BSE 100 कंपनियों की नेट सेल्स में 6% की वृद्धि हुई, जोकि मोटे तौर पर GDP वृद्धि दर के करीब थी.
भारतीय अर्थव्यवस्था
भारत जीडीपी के संदर्भ में विश्व की नवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है । यह अपने भौगोलिक आकार के संदर्भ में विश्व में सातवां सबसे बड़ा देश है और जनसंख्या की दृष्टि से दूसरा सबसे बड़ा देश है । हाल के वर्षों में भारत गरीबी और बेरोजगारी से संबंधित मुद्दों के बावजूद विश्व में सबसे तेजी से उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं में से एक के रूप में उभरा है । महत्वपूर्ण समावेशी विकास प्राप्त करने की दृष्टि से भारत सरकार द्वारा कई गरीबी उन्मूलन और रोजगार बाजार का आकार उत्पन्न करने वाले कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं ।
इतिहास
ऐतिहासिक रूप से भारत एक बहुत विकसित आर्थिक व्यवस्था थी जिसके विश्व के अन्य भागों के साथ मजबूत व्यापारिक संबंध थे । औपनिवेशिक युग ( 1773-1947 ) के दौरान ब्रिटिश भारत से सस्ती दरों पर कच्ची सामग्री खरीदा करते थे और तैयार माल भारतीय बाजारों में सामान्य मूल्य से कहीं अधिक उच्चतर कीमत पर बेचा जाता था जिसके परिणामस्वरूप स्रोतों का द्धिमार्गी ह्रास होता था । इस अवधि के दौरान विश्व की आय में भारत का हिस्सा 1700 ए डी के 22.3 प्रतिशत से गिरकर 1952 में 3.8 प्रतिशत रह गया । 1947 में भारत के स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात अर्थव्यवस्था की पुननिर्माण प्रक्रिया प्रारंभ हुई । इस उद्देश्य से विभिन्न नीतियॉं और योजनाऍं बनाई गयीं और पंचवर्षीय योजनाओं के माध्यम से कार्यान्वित की गयी ।
बाजार की रोकथाम के रूप में काम करने के लिए बुनियादी ढांचा अपर्याप्त है
प्रक्षेपण अवधि के दौरान, बाजार की सीमाओं में बुनियादी ढांचे की कमी और एक महत्वपूर्ण सीखने का माहौल शामिल हो सकता है।
पूर्वानुमान अवधि में, बाजार की चुनौतियों में ऑनलाइन सीखने में आमने-सामने बातचीत की कमी, उच्च आत्म-प्रेरणा की आवश्यकता, सैद्धांतिक ज्ञान की आत्मसात, व्यावहारिक ज्ञान की कमी, गूंगा के लिए ऑनलाइन शिक्षा सेवाओं की कमी शामिल हो सकती है। बधिर, शैक्षिक गुणवत्ता के मुद्दे, और छात्रों पर कम शिक्षक नियंत्रण।
अध्ययन में शामिल बाजार विभाजन:
दुनिया भर में ऑनलाइन शिक्षा बाजार को विभाजित करने के लिए लंबवत, सीखने का प्रकार, उत्पाद प्रकार और घटक प्रकार सभी का उपयोग किया गया है।
ऑनलाइन शिक्षा बाजार दो प्रकार के घटकों में विभाजित है: सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर।
ऑनलाइन शिक्षा बाजार दो प्रकार के उत्पादों में विभाजित है: सेवाएं और सामग्री।
ऑनलाइन शिक्षा बाजार दो प्रकार के शिक्षण में विभाजित है: अतुल्यकालिक और तुल्यकालिक।
ऑनलाइन शिक्षा बाजार पेशेवरों, उद्योग, उच्च शिक्षा, के -12, और अन्य जैसे कार्यक्षेत्रों में विभाजित है।
क्षेत्र द्वारा विश्लेषण:
उत्तरी अमेरिका ऑनलाइन शिक्षा बाजार पर हावी होने की ओर अग्रसर है
पूर्वानुमान अवधि के दौरान, उत्तरी अमेरिका ऑनलाइन शिक्षा बाजार पर हावी रहेगा। अत्यधिक परिष्कृत इंटरनेट अवसंरचना की उपलब्धता, अच्छी तरह से स्थापित बुनियादी ढांचे की उपस्थिति, बाजार का आकार एक उच्च कुशल कार्यबल की उपस्थिति, कॉर्पोरेट उद्यमों के बीच BYOD नीतियों की बढ़ती मांग और अपनाने, प्रमुख खिलाड़ियों की उपस्थिति, शीर्ष विश्वविद्यालयों की उपस्थिति, अत्यधिक परिष्कृत इंटरनेट अवसंरचना की उपलब्धता, सेवा प्रदाताओं के बीच बढ़ती प्रतिस्पर्धा, अधिक पहुंच और त्वरित पहुंच सुनिश्चित करने के माध्यम से डेटा के लिए अधिक सुरक्षा की पेशकश करने वाले प्रमुख खिलाड़ी, तकनीकी विकास, कॉर्पोरेट उद्यमों के बीच BYOD नीतियों का बढ़ा हुआ उपयोग, प्रमुख खिलाड़ियों की उपस्थिति, कुंजी की उपस्थिति विश्वविद्यालयों, अत्यधिक की उपलब्धता
वैश्विक ऑनलाइन शिक्षा बाजार पर COVID-19 का प्रभाव
COVID-19 के बाजार का आकार प्रसार का ऑनलाइन शिक्षा व्यवसाय पर अनुकूल प्रभाव पड़ा। वायरस के प्रसार के परिणामस्वरूप, स्कूलों, कॉलेजों और अन्य संस्थानों को बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ा, जिसके परिणामस्वरूप ऑनलाइन पाठों की मांग में वृद्धि हुई।
मिसिसिपी स्टेट यूनिवर्सिटी के एक्सेस प्रोग्राम ने हाल ही में ऑनलाइन संवर्धन पाठ्यक्रम पेश करके अपनी पहुंच बढ़ाई है। पाठ्यक्रम 14 वर्ष और उससे अधिक आयु के सभी छात्रों के लिए खुला है, विकलांगता या शैक्षणिक स्थिति की परवाह किए बिना।
यह कार्यक्रम छात्रों को आत्म-वकालत कौशल बनाने, कार्यात्मक जीवन कौशल बढ़ाने, स्वतंत्रता को बढ़ावा देने, कॉलेज और करियर की तैयारी का विस्तार करने और कार्यात्मक जीवन कौशल में सुधार करने में सहायता करेगा।
IPO News: Diwali बाद मोटा पैसा कमाने का शानदार मौका, शेयर बाजार में आ रहा है इस कंपनी का IPO
Edited By: Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Published on: October 21, 2022 14:01 IST
Photo:FILE IPO
IPO News: शेयर बाजार से पैसा कमाना चाहते हैं तो आपके लिए दिवाली बाद एक बेहतरीन मौका बन रहा है। देश में केबल और वायर की निर्माता कंपनी डीसीएक्स सिस्टम्स अपना आईपीओ लेकर बाजार में आ रही है। कंपनी ने कहा कि आरंभिक शेयर-बिक्री 31 अक्टूबर से शुरू होकर दो नवंबर तक चलेगी। डीसीएक्स सिस्टम्स का यह आईपीओ 500 करोड़ रुपये का था, जिसे घटाकर अब 400 करोड़ कर दिया गया है। इसके लिए कंपनी ने मूल्य दायरा 197 रुपये से 207 रुपये प्रति शेयर तय किया है।
छोटा हुआ IPO का आकार
डीसीएक्स सिस्टम्स ने नए निर्गम का आकार पहले के 500 करोड़ रुपये से घटाकर 400 करोड़ रुपये कर दिया है। नए निर्गम के अलावा आईपीओ में 100 करोड़ रुपये की बिक्री पेशकश (ओएफएस) भी होगी जिसमें इसके प्रवर्तक एनसीबीजी होल्डिंग्स इंक और वीएनजी टेक्नोलॉजी हिस्सा लेंगे। कंपनी आईपीओ से होने वाली आय का उपयोग कर्ज भुगतान, कार्यशील पूंजी की आवश्यकताओं को पूरा करने, पूंजीगत व्यय और सामान्य कॉरपोरेट उद्देश्यों के लिए करेगी।
एलईडी लाइटिंग समाधान प्रदाता आईकेआईओ लाइटिंग (IKIO Lighting) लिमिटेड ने आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के जरिये पूंजी जुटाने के लिए भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के पास शुरुआती कागजात जमा कराये हैं। दस्तावेजों के मसौदे के मुताबिक, आईपीओ में 350 करोड़ रुपये तक के नये शेयर जारी किये जायेंगे। इसके अलावा कंपनी के प्रवर्तक हरदीप सिंह और सुरमीत कौर 75 लाख शेयरों की बिक्री पेशकश (ओएफएस) लायेंगे।
डेल्टाटेक गेमिंग, प्रिस्टीन लॉजिस्टिक्स को आईपीओ के लिए हरी झंडी
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने डेल्टाटेक गेमिंग लिमिटेड और प्रिस्टीन लॉजिस्टिक्स एंड इन्फ्राप्रोजेक्ट्स लिमिटेड को आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) के माध्यम से पूंजी जुटाने की मंजूरी दे दी है। सोमवार को बाजार नियामक सेबी की वेबसाइट पर उपलब्ध सूचना के अनुसार, 30 सितंबर को कंपनियों को निर्गम के लिये सेबी का ‘निष्कर्ष’ जारी किया गया था। दोनों कंपनियों ने इस साल मई और जून के दौरान सेबी के पास आईपीओ दस्तावेज जमा कराये थे। किसी भी कंपनी को आईपीओ लाने के लिए सेबी का ‘निष्कर्ष’ जरूरी होता है। दस्तावेजों के अनुसार, डेल्टाटेक गेमिंग के 550 करोड़ रुपये के आईपीओ में 300 करोड़ रुपये तक के नये शेयर जारी किये जायेंगे। इसकी प्रवर्तक डेल्टा कॉर्प लिमिटेड 250 करोड़ रुपये का बिक्री पेशकश (ओएफएस) लाएगी। वहीं दस्तावेजों के अनुसार, प्रिस्टीन लॉजिस्टिक्स एंड इन्फ्राप्रोजेक्ट्स की शुरुआती शेयर-बिक्री में 250 करोड़ रुपये के इक्विटी शेयर जारी किए जाएंगे और प्रवर्तक तथा मौजूदा शेयरधारकों द्वारा 2,00,66,269 शेयरों की बिक्री पेशकश (ओएफएस) शामिल है। नए निर्गम से प्राप्त राशि का उपयोग कर्ज चुकाने और सामान्य कंपनी कामकाज उद्देश्यों के लिए किया जाएगा। दोनों कंपनियों के शेयर बीएसई और एनएसई पर सूचीबद्ध होंगे।