खरीदारी की मुद्रा

India Forex Reserves: लगातार तीसरे हफ्ते विदेशी मुद्रा भंडार में आया उछाल, 2.89 अरब डॉलर के इजाफे के साथ 550.14 अरब डॉलर पर पहुंचा
India Forex Reserves: विदेशी मुद्रा भंडार में लगातार तीसरे हफ्ते उछाल आया है लेकिन ये अभी भी रिकॉर्ड ऊंचाई से 92 अरब डॉलर कम है.
By: ABP Live | Updated at : 02 Dec 2022 06:48 PM (IST)
प्रतिकात्मक फोटो ( Image Source : Getty )
India Forex Reserves: लगातार तीसरे हफ्ते विदेशी मुद्रा भंडार में बढ़ोतरी आई है. भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) की तरफ से देश के विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves) के आंकड़े जारी कर दिए है. जिसके मुताबिक 25 नवंबर , 2022 को खत्म हफ्ते में विदेशी मुद्रा भंडार में 2.89 अरब डॉलर की उछाल के साथ 550.14 अरब डॉलर पर जा पहुंचा है. जबकि बीते हफ्ते विदेशी मुद्रा भंडार 547.25 अरब डॉलर रहा था.
RBI ने जारी किये आंकड़े
आरबीआई (RBI) ने शुक्रवार को इसकी जानकारी दी है. जिसमें 25 नवंबर को खत्म हफ्ते में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 2.89 अरब डॉलर बढ़कर 550.14 अरब डॉलर हो खरीदारी की मुद्रा गया है. विदेशी करेंसी एसेट्स भी 25 नवंबर को खत्म हफ्ते में 3 अरब डॉलर का उछाल आया है और ये 487.29 अरब डॉलर पर जा पहुंचा है. हालांकि गोल्ड रिजर्व 73 मिलियन डॉलर घटकर 39.94 अरब डॉलर पर आ गया है. 25 नवंबर को रुपये में मामूली बदलाव देखने को मिला है. डॉलर के मुकाबले रुपया 81.3175 रुपये पर जा पहुंचा है. बहरहाल डॉलर इंडेक्स निचले स्तर पर जा पहुंचा है.
भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में बड़े इजाफे खरीदारी की मुद्रा की वजहों पर नजर डालें तो माना जा रहा है कि हाल के दिनों में आरबीआई ने डॉलर की जबरदस्त खरीदारी की है. तो अमेरिकी डॉलर में मजबूती पर ब्रेक लगा है ऐसे में रिवैल्यूशन गेन के चलते भी विदेशी मुद्रा भंडार में इजाफा हुआ है.
3 सितंबर 2021 के 642.45 अरब डॉलर विदेशी मुद्रा भंडार हुआ करता था. 21 अक्टूबर को खत्म हुए हफ्ते में 117.93 अरब डॉलर की गिरावट आ चुकी थी जब विदेशी मुद्रा भंडार घटकर 524.52 अरब डॉलर पर जा पहुंचा था. और उन लेवल से रिजर्व में सुधार देखा जा रहा है. बीते 15 हफ्ते में से 11 हफ्ते में विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट दर्ज की गई है. महंगे आयात और रूस यूक्रेन युद्ध के बाद से लगातार विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट देखने को मिली थी.
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Published at : 02 Dec 2022 06:48 PM (IST) Tags: RBI India Forex Reserves हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi
आभासी मुद्रा का मायाजाल, हो रहे कंगाल; जानिए क्या है क्रिप्टो करेंसी
भारत में क्रिप्टो करेंसी को अब तक अधिकृत नहीं किया गया है। बावजूद इसके लाखों की संख्या में लोग इस करेंसी के मायाजाल में फंसकर कंगाल हो रहे हैं। उत्तराखंड एसटीएफ ने साइबर ठगी के जिस मामले का पर्दाफाश किया है वह भी इस आभासी मुद्रा से जुड़ा हुआ है।
अंकुर अग्रवाल, देहरादून। क्रिप्टो करेंसी यानी आभासी मुद्रा या वर्चुअल मुद्रा। आम मुद्रा की तरह इसे न देख सकते हैं, और न ही छू सकते। क्रिप्टो करेंसी के लिए न कोई बैंक है, न एटीएम। यह पूरी तरह आनलाइन है। यह दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ रही है। वहीं, धोखाधड़ी के मामलों को देखते हुए भारत खरीदारी की मुद्रा में इसे अब तक अधिकृत नहीं किया गया है। बावजूद इसके लाखों की संख्या में लोग इस करेंसी के मायाजाल में फंसकर कंगाल हो रहे हैं। उत्तराखंड एसटीएफ ने मंगलवार को साइबर ठगी के जिस मामले का पर्दाफाश किया है, वह भी इस आभासी मुद्रा से जुड़ा हुआ है। धोखाधड़ी के बाद भारतीयों की मुद्रा क्रिप्टो करेंसी में बदलकर चीन और थाईलैंड भेजी जा रही थी। फिर वहां इसे स्थानीय मुद्रा में बदलकर चलन में लाया जा रहा था।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) खरीदारी की मुद्रा एसटीएफ अजय सिंह ने बताया कि क्रिप्टो करेंसी इस वक्त कई देश में चल रही है। इसमें एक देश से दूसरे देश में कोई भी रकम भेजने के लिए उस देश की करेंसी में बदलने की जरूरत नहीं पड़ती। एक बैंक अकाउंट से दूसरे अकाउंट में रकम ट्रांसफर होने में दस मिनट से भी कम समय लगता है। बैंक अकाउंट किसी भी देश में क्यों न हो। यदि आप क्रिप्टो करेंसी को किसी बैंक या फिर एटीएम से प्रचलित मुद्रा के समान निकालना चाहें तो यह संभव ही नहीं। यह आनलाइन मुद्रा है। आज के जमाने में बड़ी संख्या में लोग अपनी रकम को डिजिटल वालेट में रखते हैं। क्रिप्टो करेंसी उसी तरह डिजिटल वालेट में होती है और कई देशों में आनलाइन खरीदारी में यह इस्तेमाल हो रही है। एसएसपी एसटीएफ अजय सिंह के मुताबिक, बैंक के जो नियम-कायदे अवैध लेनदेन में आड़े आते हैं, उसे अपराधी क्रिप्टो करेंसी के जरिये अंजाम देते हैं।
2009 में हुई थी शुरुआत
साइबर एक्सपर्ट अंकुर चंद्रकांत के मुताबिक, क्रिप्टो करेंसी की शुरुआत 2009 में हुई थी। उस समय इसे ‘बिटक्वाइन’ के नाम से जाना गया था। जापान के इंजीनियर सतोषी नाकमोतो ने इसे बनाया था।
यह हैं आभासी मुद्रा के नुकसान
- क्रिप्टो करेंसी का लेन-देन एक कोड और पासवर्ड के जरिये किया जाता है। यदि कोई कोड या पासवर्ड भूल जाए तो उसकी पूरी रकम डूब जाती है।
- इसका इस्तेमाल अवैध तरीके से रकम एक जगह से दूसरी जगह भेजने में किया जा रहा है।
- इस पर नियंत्रण के लिए कोई संस्था नहीं है। ऐसे में इसकी कीमत पर भी कोई नियंत्रण नहीं है। यह कभी काफी बढ़ जाती है तो कभी निचले स्तर पर आ जाती है।
- क्रिप्टो करेंसी को क्रिप्टो एक्सचेंज से या सीधे किसी व्यक्ति से आनलाइन भी खरीद सकते हैं। इसमें धोखाधड़ी का पूरा अंदेशा रहता है।
एक बिटक्वाइन 42 लाख का
साइबर एक्सपर्ट्स के मुताबिक मौजूदा समय में एक बिटक्वाइन की कीमत भारत की मुद्रा में 42 लाख के करीब है। करीब डेढ़ साल पहले तक इसकी कीमत करीब साढ़े चार लाख रुपये थी, लेकिन लगातार इसका चलन बढ़ने से इसमें दस गुना तक उछाल आया है। बड़ी संख्या में लोग मोटी रकम के निवेश के लिए खरीद रहे हैं। यह ब्लाकचेन टेक्नोलाजी पर आधारित है। इसे हैक करना बेहद मुश्किल है। एक डिजिटल बही-खाता है, जिसमें सभी लेनदेन का पूरा रिकार्ड रहता है। एक बार किसी का लेनदेन इसमें दर्ज हो जाए तो उसे हटाना नामुमकिन होता है।
शुरुआत में मुनाफा भी दिया
पावर बैंक एप फरवरी में शुरू हुआ और 12 मई को बंद हो गया। इस दौरान इस एप के जरिये करोड़ों का कारोबार हुआ। उत्तराखंड पुलिस के अनुसार, यह एप इतनी खरीदारी की मुद्रा कम अवधि में करीब 50 लाख लोग डाउनलोड कर चुके थे। जिन्होंने एप के जरिये निवेश किया। इस एप ने शुरुआत में निवेशकों को अच्छा खासा मुनाफा भी दिया। जिसके चलते इसमें निवेश की रकम बढ़ती गई, लेकिन आखिर में इस एप में निवेश की गई रकम की निकासी नहीं हो पा रही थी। इंटरनेट के माध्यम से कई निवेशकों ने यह सवाल उठाया था कि वे अपनी रकम नहीं निकाल पा रहे हैं। पुलिस का कहना है कि भारत के निवेशकों की रकम को विदेश में निकाला जा रहा था। भारत के बैंकों ने इस एप की रकम की निकासी पर रोक लगा दी थी। यही कारण है कि इससे कोई अपना पैसा वापस नहीं निकाल पाया।
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आभासी मुद्रा का मायाजाल, हो रहे कंगाल; जानिए क्या है क्रिप्टो करेंसी
भारत में क्रिप्टो करेंसी को अब तक अधिकृत नहीं किया गया है। बावजूद इसके लाखों की संख्या में लोग इस करेंसी के मायाजाल में फंसकर कंगाल हो रहे हैं। उत्तराखंड एसटीएफ ने साइबर ठगी के जिस मामले का पर्दाफाश किया है वह भी इस आभासी मुद्रा से जुड़ा हुआ है।
अंकुर अग्रवाल, देहरादून। क्रिप्टो करेंसी यानी आभासी मुद्रा या वर्चुअल मुद्रा। आम मुद्रा की तरह इसे न देख सकते हैं, और न ही छू सकते। क्रिप्टो करेंसी के लिए न कोई बैंक है, न एटीएम। यह पूरी तरह आनलाइन है। यह दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ रही है। वहीं, खरीदारी की मुद्रा धोखाधड़ी के मामलों को देखते हुए भारत में इसे अब तक अधिकृत नहीं किया गया है। बावजूद इसके लाखों की संख्या में लोग इस करेंसी के मायाजाल में फंसकर कंगाल हो रहे हैं। उत्तराखंड एसटीएफ ने मंगलवार को साइबर ठगी के जिस मामले का पर्दाफाश किया है, वह भी इस आभासी मुद्रा से जुड़ा हुआ है। धोखाधड़ी के बाद भारतीयों की मुद्रा क्रिप्टो करेंसी में बदलकर चीन और थाईलैंड भेजी जा रही थी। फिर वहां इसे स्थानीय मुद्रा में बदलकर चलन में लाया जा रहा था।
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) एसटीएफ अजय सिंह ने बताया कि क्रिप्टो करेंसी इस वक्त कई देश में चल रही है। इसमें एक देश से दूसरे देश में कोई भी रकम भेजने के लिए उस देश की करेंसी में बदलने की जरूरत नहीं पड़ती। एक बैंक अकाउंट से दूसरे अकाउंट में रकम ट्रांसफर होने में दस मिनट से भी कम समय लगता है। बैंक अकाउंट किसी भी देश में क्यों न हो। यदि आप क्रिप्टो करेंसी को किसी बैंक या फिर एटीएम से प्रचलित मुद्रा के समान निकालना चाहें तो यह संभव ही नहीं। यह आनलाइन मुद्रा है। आज के जमाने में बड़ी संख्या में लोग अपनी रकम को डिजिटल वालेट में रखते हैं। क्रिप्टो करेंसी उसी तरह डिजिटल वालेट में होती है और कई देशों में आनलाइन खरीदारी में यह इस्तेमाल हो रही है। एसएसपी एसटीएफ अजय सिंह के मुताबिक, बैंक के जो नियम-कायदे अवैध लेनदेन में आड़े आते हैं, उसे अपराधी क्रिप्टो करेंसी के जरिये अंजाम देते हैं।
2009 में हुई थी शुरुआत
साइबर एक्सपर्ट अंकुर चंद्रकांत के मुताबिक, क्रिप्टो करेंसी की शुरुआत 2009 में हुई थी। उस समय इसे ‘बिटक्वाइन’ के नाम से जाना गया था। जापान के इंजीनियर सतोषी नाकमोतो ने इसे बनाया था।
यह हैं आभासी मुद्रा के नुकसान
- क्रिप्टो करेंसी का लेन-देन एक कोड और पासवर्ड के जरिये किया जाता है। यदि कोई कोड या पासवर्ड भूल जाए तो उसकी पूरी रकम डूब जाती है।
- इसका इस्तेमाल अवैध तरीके से रकम एक जगह से दूसरी जगह भेजने में किया जा रहा है।
- इस पर नियंत्रण के लिए कोई संस्था नहीं है। ऐसे में इसकी कीमत पर भी कोई नियंत्रण नहीं है। यह कभी काफी बढ़ जाती है तो कभी निचले स्तर पर आ जाती है।
- क्रिप्टो करेंसी को क्रिप्टो एक्सचेंज से या सीधे किसी व्यक्ति से आनलाइन भी खरीद सकते हैं। इसमें धोखाधड़ी का पूरा अंदेशा रहता है।
एक बिटक्वाइन 42 लाख का
साइबर एक्सपर्ट्स के मुताबिक मौजूदा समय में एक बिटक्वाइन की कीमत भारत की मुद्रा में 42 लाख के करीब है। करीब डेढ़ साल पहले तक इसकी कीमत करीब साढ़े चार लाख रुपये थी, लेकिन लगातार इसका चलन बढ़ने से इसमें दस गुना तक उछाल आया है। बड़ी संख्या में लोग मोटी रकम के निवेश के लिए खरीद रहे हैं। यह ब्लाकचेन टेक्नोलाजी पर आधारित है। इसे हैक करना बेहद मुश्किल है। एक डिजिटल बही-खाता है, जिसमें सभी लेनदेन का पूरा रिकार्ड रहता है। एक बार किसी का लेनदेन इसमें दर्ज हो जाए तो उसे हटाना नामुमकिन होता है।
शुरुआत में मुनाफा भी दिया
पावर बैंक एप फरवरी में शुरू हुआ और 12 मई को बंद हो गया। इस दौरान इस एप के जरिये करोड़ों का कारोबार हुआ। उत्तराखंड पुलिस के अनुसार, यह एप इतनी कम अवधि में करीब 50 लाख लोग डाउनलोड कर चुके थे। जिन्होंने एप के जरिये निवेश किया। इस एप ने शुरुआत में निवेशकों को अच्छा खासा मुनाफा भी दिया। जिसके चलते इसमें निवेश की रकम बढ़ती गई, लेकिन आखिर में इस एप में निवेश की गई रकम की निकासी नहीं हो पा रही थी। इंटरनेट के माध्यम से कई निवेशकों ने यह सवाल उठाया था कि वे अपनी रकम नहीं निकाल पा रहे हैं। पुलिस का कहना है कि भारत के निवेशकों की रकम को विदेश में निकाला जा रहा था। भारत के बैंकों ने इस एप की रकम की निकासी पर रोक लगा दी थी। यही कारण है कि इससे कोई अपना पैसा वापस नहीं निकाल पाया।