निवेश के तरीके

ब्रोकर क्या है

ब्रोकर क्या है
जब आपको अनुभव हो जाता है और आप सीख जाते हैं कि कब कौन सा शेयर ऊपर जाने वाला है और कौन सा शेयर नीचे आने वाला है तो आप उनमें निवेश करके खुद भी मुनाफा कमा सकते हैं. इसमें कमाई की कोई सीमा नहीं है.

एजेंटों, दलालों और Realtors के बीच अंतर क्या है?

एक किराएदार या खरीदार के रूप में, आपने शायद एजेंटों, दलालों और रीयलटर्स को उसी व्यक्ति का वर्णन करने के लिए इस्तेमाल किया है जो आपको अपना घर या अपार्टमेंट खरीदने, किराए पर लेने या बेचने में मदद कर रहा है। यहां तक ​​​​कि एक मौका भी है कि आपने इन तीन शब्दों का परस्पर उपयोग किया है। जबकि एक एजेंट, एक दलाल, और एक रियाल्टार सभी आपको घर खरीदने या बेचने में मदद करेंगे, ये शब्द समानार्थी नहीं हैं और अलग-अलग चीजों का मतलब है। जब आप अपनी रियल एस्टेट ड्रीम टीम का निर्माण कर रहे हों, तो इन तीन पेशेवरों के बीच के अंतर को जानना महत्वपूर्ण है ताकि आप चुन सकें कि आपकी आवश्यकताओं के लिए कौन सा सबसे अच्छा है।

आइए दलाल के साथ शुरू करें: एक दलाल को आमतौर पर अपने काउंटी और राज्य में अचल संपत्ति कानून का अधिक व्यापक ज्ञान होता है, आम तौर पर अधिक शिक्षा होती है, और उसने अधिक अचल संपत्ति कक्षाएं पूरी की हैं। ब्रोकर लाइसेंस प्राप्त करने के लिए उन्हें एक कठिन परीक्षा उत्तीर्ण करनी होगी। एक बार ब्रोकर लाइसेंस प्राप्त हो जाने के बाद, वे स्वतंत्र रूप से काम कर सकते हैं, अपनी ब्रोकरेज खोल सकते हैं, और उनके तहत काम करने के लिए रियल एस्टेट एजेंटों को किराए पर ले सकते हैं।

स्टॉक ब्रोकर क्या होता है?(What is Stock Broker?)

स्टॉक ब्रोकर को समझने के लिए पहले आप ये समझिए कि भारत में आप स्टॉक कैसे खरीदते हैं?

कोई कंपनी जब अपना शेयर लाती है तो वो शेयर मार्केट में लिस्ट होता है. इस शेयर को खरीदने और बेचने का काम करती है ब्रोकरेज फर्म. इन ब्रोकरेज फर्म पर बल्क में कंपनियों के शेयर होते हैं.

इन ब्रोकरेज फर्म में ही काम करते हैं स्टॉक ब्रोकर. स्टॉक ब्रोकर का काम होता है आम लोगों के लिए शेयर को खरीदना और बेचना. मतलब आप कोई शेयर खरीदना चाहते हैं तो आपको स्टॉक ब्रोकर को ही कहना होगा और साथ ही बेचने के लिए भी आपको उसी को कहना होगा.

स्टॉक ब्रोकर इसके अलावा आपको दूसरे स्टॉक भी सजेस्ट करते हैं. स्टॉक ब्रोकर कमीशन और सैलरी दोनों के आधार पर कार्य करते हैं.

अतः स्टॉक ब्रोकर एक ऐसा व्यक्ति होता है जो शेयर की खरीद और बिक्री का कार्य करता है.

स्टॉक ब्रोकर के लिए योग्यता (Stock Broker Eligibility)

स्टॉक ब्रोकर बनने के लिए आपको शेयर मार्केट की बेसिक स्किल्स के बारे में अच्छी तरह पता होना चाहिए. क्योंकि आपको जिस जगह पर काम करना है उसके बारे में पहले से जानकारी होना चाहिए.

आपने फाइनेंस, कॉमर्स या अकाउंटेनसी में ग्रेजुएशन करना होता है. क्योंकि इनमें आपको अच्छे से शेयर मार्केट के बारे में समझाया जाता है.

आपकी कम्यूनिकेशन स्किल बहुत अच्छी होनी चाहिए. आपमें लोगों को कन्वेंस करने का गुण होना चाहिए.

आपकी गणित और रिजनिंग बहुत ही स्ट्रॉंग होनी चाहिए. क्योंकि शेयर मार्केट में सारा खेल आंकड़ों का है.

स्टॉक ब्रोकर कैसे बने? (How to become stock broker?)

स्टॉक ब्रोकर क्या है ब्रोकर बनने के लिए आपके अंदर जरूरी योग्यता है तो आप नीचे दिए गए सर्टिफिकेट कोर्स को करके स्टॉक ब्रोकर बनने की ओर अपना कदम बढ़ा सकते हैं.

NSE’s Certification In Financial Markets
NSE’s Certified Market Professional
Certificate Program On Capital Markets
A PG Diploma In Capital Market And Financial Services
Post Graduate Diploma In Fundamentals Of Capital Market Development

प्रॉपर्टी खरीदने पर 1% से ज्यादा नहीं होगा ब्रोकर कमीशन, इस राज्य में बना नियम

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क्यों लेना पड़ा फैसला

दरअसल, जब आप कोई प्रॉपर्टी खरीदने जाते हैं तो प्रॉपर्टी की कीमत, रजिस्ट्री चार्ज के अलावा ब्रोकर का कमीशन (broker commission) भी देना होता है. इस कमीशन के चलते प्रॉपर्टी काफी महंगी हो जाती है. कई बार तो इस कमीशन के चक्कर में प्रॉपर्टी खरीदने की प्लानिंग तक बिगड़ जाती है. ब्रोकर्स जितना कमीशन घर खरीदने वाले से लेते हैं उतना ही घर बेचने वाले से भी वसूलते हैं. हरियाणा में प्रॉपर्टी डीलर-ब्रोकर संपत्ति की खरीद-फरोख्त में विक्रेता और खरीदार, दोनों से मनमाना कमीशन वसूल रहे हैं. इस कमीशन को लेकर कई बार विवाद भी हुए हैं. मनमाने कमीशन को लेकर हरियाणा रेरा (HARERA) को लगातार शिकायतें भी मिल रही हैं.

क्या है हरियाणा RERA का फैसला ब्रोकर क्या है

प्रॉपर्टी डीलरों के कमिशन के बारे में हरियाणा की Real Estate Regulatory Agency (H-RERA) ने कई मानक तय कर दिए हैं और इन मानकों का सख्ती से पालन कराया जाएगा. अब बिल्डर हरियाणा प्रॉपर्टी डीलर्स एवं कंसल्टेंट्स विनियामक अधिनियम, 2008 के तहत बनाए गए हरियाणा प्रॉपर्टी डीलर्स एवं कंसल्टेंट्स विनियामक नियम, 2009 में निर्धारित राशि से अधिक कमीशन नहीं ले सकेंगे. जिसके तहत ब्रोकर्स 1 परसेंट से ज्यादा कमीशन नहीं ले सकते, इसमें आधा परसेंट प्रॉपर्टी बेचने वाला देगा और आधा परसेंट प्रॉपर्टी खरीदने वाला देगा.

Property Broker कभी नहीं देते ब्रोकर क्या है ये 5 जरूरी जानकारी, Flat बुक करने से पहले खुद से करें पता

Alok Kumar

Edited By: Alok Kumar @alocksone
Published on: August 03, 2022 16:48 IST

Property buying tips - India TV Hindi

Photo:INDIA TV Property buying tips

Property Broker से हम सभी फ्लैट, दुकान या ऑफिस स्पेस की खरीदारी में मदद लेते हैं। ऐसा इसलिए की प्रॉपर्टी की खरीदारी में जितनी जटिलता है उसको ब्रोकर के बिना पूरा करना संभव नहीं होता है। इसके चलते अधिकांश लोग ब्रोकर की मदद लेते ही हैं। लेकिन अक्‍सर ये ब्रोकर खरीदार को प्रॉपर्टी की पूरी या सही जानकारी नहीं देते। कई मामलों में तो ब्रोकर सही राह दिखाने के बजाय खरीदारों को गुमराह करने का काम करते हैं। इसलिए प्रॉपर्टी खरीदते वक्‍त खरीदार को ज्‍यादा समझदार और सतर्क होने की जरूरत ब्रोकर क्या है है। सही जानकारी नहीं मिलने के अभाव में कई बार खरीदार प्रॉपर्टी का सौदा करने के बाद ठगा महसूस करते हैं। आइए जानते हैं ऐसी बातें जो अक्‍सर ब्रोकर खरीदारों को छिपा जाते हैं ।

1. बिल्डर बायर एग्रीमेंट

बिल्डर- बायर एग्रीमेंट की बारीकियों की जानकारी आमतौर पर ब्रोकर खरीदार को नहीं देते हैं। इस एग्रीमेंट में बिल्डर ने कौन से नियम व शर्तें डाल दी हैं? खरीदार को क्‍या अधिकार हैं ऐसे बहुत सी बातों की जानकारी ब्रोकर खरीदारों से छिपा जाते हैं। इसलिए प्रॉपर्टी खरीदने से पहले सौदे के नियम व शर्तों को किसी वकील से मिलकर समझ लेना चाहिए।

घर खरीदने वाले के लिए सबसे अहम सवाल होता है कि वह जिस प्रोजेक्ट में फ्लैट बुक रहा हैए उसका पजेशन कब मिलेगा। समय पर निर्माण पूरा न होना और पजेशन में देरी रियलिटी मार्केट की बड़ी समस्‍या है। प्रॉपर्टी बेचते वक्‍त बिल्‍डर और ब्रोकर जल्‍द निर्माण पूरा होने और तमाम सुविधाएं मुहैया कराने के सब्‍जबाग दिखाते हैं जबकि असल में इन वादों पर बहुत कम लोग खरा उतरते हैं। समय पर पजेशन नहीं देने के लिए बिल्डर कई तरह के कारण गिनाते हैं। इसलिए निवेश से पहले बिल्डर का रिकॉर्ड देखना जरूरी है। उसके पुराने प्रोजेक्‍ट में रह रहे लोगों से इस बारे में जानकारी लेनी चाहिए।

3. सैंपल फ्लैट और असलियत ब्रोकर क्या है में फर्क

खरीदारों को आकर्षित करने के लिए बिल्‍डर आकर्षक सैंपल फ्लैट तैयार करते हैं। जबकि कई बार सैंपल फ्लैट और बेचे गए फ्लैट की कंस्‍ट्रक्‍शन क्‍वालिटी और इंटीरियल में काफी फर्क होता है। सैंपल फ्लैट को स्‍पेसियस दिखाने के लिए दीवार की मोटाई रियल फ्लैट की तुलना में पतली होती है। सैंपल फ्लैट को कांच से विभाजन किया गया हैए फर्नीचर का छोटा है इसके चलते स्‍पेसियस दिखता है। इसलिए सैंपल फ्लैट पर आंख.मूंदकर विश्‍वास न करें।

प्रॉपर्टी बाजार में कई बार असल मालिक कोई और होता है जबकि उसकी सौदे बाजी या मार्केटिंग कोई दूसरा व्‍यक्ति या कंपनी करती है। इस बारे में भी ब्रोकर क्या है ब्रोकर सही जानकारी छिपा जाते हैं। इसलिए प्रॉपर्टी की डील फाइनल करने से पहले असली ब्रोकर क्या है मालिक से मिलना जरूरी है। कई बार एक ही प्रॉपर्टी के लिए कई कमीशन एजेंट या ब्रोकर खरीदार तलाशते रहते हैं। इसलिए कीमत के मोलभाव के लिहाज से भी प्रॉपर्टी के असली मालिक से संपर्क करना उचित रहता है।

गोपी घांघर

  • अहमदाबाद ,
  • 31 मई 2019,
  • (अपडेटेड 31 मई 2019, 11:39 AM IST)

बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने गुरुवार को कैबिनेट मंत्री पद की शपथ ली. अमित शाह गुजरात में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाले बीजेपी सरकार के समय से ही साथ काम कर रहे हैं. उन्हें जय और वीरू की जोड़ी कही जाती है. एक छोटे से शेयर ब्रोकर से भारतीय राजनीति के शहंशाह बनने की अमित शाह की कहानी किसी चमत्कार से कम नहीं है.

अटल-आडवाणी ब्रोकर क्या है के बाद अब मोदी-शाह की जोड़ी

अटल-आडवाणी के बाद मोदी-शाह की जोड़ी ने भारतीय राजनीति में जादू किया है. साल 2014 और 2019 के आम चुनाव में अमित शाह को बीजेपी के चाणक्य के रूप में माना गया. वह रणनीति बनाने और उसे सक्रियता से ब्रोकर क्या है लागू करने में माहिर हैं. पीएम मोदी के शासनकाल में सिर्फ पीएम के अलावा और कोई भी राजनीतिज्ञ अमित शाह के कद से बड़ा नहीं हो पाया. इस बार के आम चुनाव में अमित शाह को गांधी नगर सीट से जबरदस्त 5.50 लाख वोट से जीत मिली. उन्होंने इस सीट से लालकृष्ण आडवाणी की जीत का भी रिकॉर्ड तोड़ दिया.

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