भारत में क्रिप्टोकरेंसी व्यापार

Cryptocurrency: युवा निवेशक क्रिप्टो में जमकर लगा रहे है पैसा
आरबीआई ( Reserve bank of india ) बार-बार क्रिप्टो करेंसी ( crypto currency ) और इसके निवेशकों को आगाह कर रही हैं, लेकिन क्रिप्टों में पैसा लगाने वालों के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही, निवेशक ( bitcoin currency) हैं कि लगातार क्रिप्टों में अपना निवेश बढ़ाते ही जा रहे हैं।
Published: December 26, 2021 07:36:12 am
आरबीआई ( Reserve bank of india ) बार-बार क्रिप्टो करेंसी ( crypto currency ) और इसके निवेशकों को आगाह कर रही हैं, लेकिन क्रिप्टों में पैसा लगाने वालों के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही, निवेशक ( bitcoin currency) हैं कि लगातार क्रिप्टों में अपना निवेश बढ़ाते ही जा रहे हैं। जयपुर में बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी में इन्वेस्टमेंट को लेकर होड़ सी मची है। यहीं कारण है वर्तमान में अब तक जयपुर में करीब एक लाख लोगों क्रिप्टोकरेंसी में निवेश भारत में क्रिप्टोकरेंसी व्यापार कर चुके है और यह आंकड़ा प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। बात अगर पूरे भारत की करें तो करीब 2 करोड़ लोग भारत में क्रिप्टोकरेंसी में निवेश कर चुके है। जयपुर के एक लाख लोगों ने क्रिप्टोकरेंसी में करीब 150 करोड़ का निवेश कर रखा है।
युवाओं की पहली पसंद अब क्रिप्टो
करोड़पति युवाओं की पहली पसंद अब क्रिप्टो बन चुका है, अमेरिका में अधिकांश युवा करोड़पति अपना पैसा, क्रिप्टो करेंसी में ही लगा रहे हैं, दुनिया के कई और देशों में भी इसी तरह का चलन देखने को मिल रहा है, लेकिन कुछ देश इसे कानूनी मान्यता भी दे चुके हैं, जबकि भारत में अभी तक क्रिप्टो का भविष्य साफ नहीं है, बावजूद इसके, लोग इसमें बिना डर पैसा लगा रहे हैं।
क्रिप्टो के विरोध में आरबीआई हमेशा से
वैकल्पिक मुद्राओं को मान्यता देने के विरोध में आरबीआई हमेशा से अडिग रहा है। हालांकि केंद्रीय बैंक को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 2018 में क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध को वापस लेने के लिए मजबूर किया गया, लेकिन इसने क्रिप्टोकरेंसी पर अपनी राय नहीं बदली है।
क्यों बना हुआ डर.
इसको कोई सरकार या कोई विनियामक अथॉरिटी इसे जारी नहीं करती है। इसके अलावा टैक्स, मनी लॉन्ड्रिंग, इनसोल्वेंसिंग कोड, पेमेंट सिस्टम, निजता और डाटा प्रोटेक्शन भी बड़ी चुनौतियां होंगी।
घोटालों की संख्या बढ़कर 3300 हुई
साल 2021 में क्रिप्टोकरेंसी के बाजार में सक्रिय वित्तीय घोटालों की संख्या 2020 के 2052 के आंकड़े से बढ़कर 3300 हो गई है। दुनिया की लोकप्रिय क्रिप्टोकरेंसी इथेरियम और बिटकॉइन के मूल्य में वृद्धि के साथ इनमें निवेश करने वाले निवेशकों के साथ घोटाले होने की वारदातों में भी इजाफा हुआ है।
क्रिप्टो करेंसी क्या है?
क्रिप्टो करेंसी किसी मुद्रा का एक डिजिटल रूप है। यह किसी सिक्के या नोट की तरह ठोस रूप में आपकी जेब में नहीं होता है। यह पूरी तरह से ऑनलाइन होती है और व्यापार के रूप में बिना किसी नियमों के इसके जरिए व्यापार होता है।
क्रिप्टो करेंसी को नियंत्रित करने के लिए कुछ नियम बनाने होंगे। इनकी प्रतियोगिता की कोई जरूरत नहीं है। क्रिप्टो करेंसी के सार्वजनिक और केंद्रीय बैंक साथ-साथ चल सकते हैं। पूरी दूनिया में इसका चलन बढ़ रहा है। अगर भारत में इसपर बैन लगता है, तो हम एक बार फिर डिजिटल रूप में दूनिया से पीछड़ जाएंगे।
आयुष अग्रवाल, एडवाइजर, क्रिप्टो
क्रिप्टो एक्सचेंज पॉइंट नो यॉर कस्टमर (केवाईसी) इक_ा करके इसकी लेन-देन सिर्फ बैंक अकाउंट के जरिए कर सकते हैं। इस तरीके से कुछ बुरे तत्व इसका लाभ नहीं उठा पाएंगे, क्योंकि ब्लॉकचेन तकनीक में यह सार्वजनिक पारदर्शिता की व्यवस्था कर पाएगा।
अशोक जालान, विशेषज्ञ, इक्विटी बाजार
क्रिप्टोकरेंसी व्यापार पर नियंत्रण
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सभी वित्तीय संस्थानों को सीधे तौर पर अपने नियंत्रण में लाने के लिए अप्रैल में एक निर्देश जारी किया था। इसके तहत देश में आभासी मुद्रा कारोबार की भारत में क्रिप्टोकरेंसी व्यापार सुविधा मुहैया कराने वाली कंपनियों अथवा व्यक्तियों के साथ सहयोग खत्म करने की बात कही गई थी। हालांकि बैंकों द्वारा नियामक के निर्देशों का अनुपालन किए जाने के साथ ही क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंजों को पीयर-टु-पीयर प्लेटफॉर्मों में बदल दिया गया और निर्देशों को दरकिनार कर दिया गया। जाहिर तौर पर इस प्रतिबंध का कोई खास प्रभाव नहीं दिखा। लेकिन सवाल अब भी उठ रहे हैं कि आभासी मुद्रा कारोबार को नियंत्रित करने के लिए सरकार को ऐसे क्या कानूनी उपाय करने चाहिए जो कारगर साबित हों।
आरबीआई ने हाल में जारी अपनी वार्षिक रिपोर्ट में इन घटनाओं का उल्लेख किया है। बैंकिंग नियामक ने कहा है कि आभासी मुद्रओं में व्यापार अब पीयर-टु-पीयर का रास्ता अपना सकता है। इससे कराधान संबंधी समस्याओं के अलावा धनशोधनरोधी दिशानिर्देशों के लिए जटिलताएं पैदा हो सकती हैं। आईकिगाई लॉ से जुड़े पुशन द्विवेदी ने कहा, 'आरबीआई क्रिप्टोकरेंसी पर एक साथ न तो प्रतिबंध लगा सकता है और न ही यह उसके दायरे में है।' आईकिगाई लॉ उन 11 याचियों का प्रतिनिधित्व करती है जिन्होंने बैंकिंग नियामक के आदेश के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की है। इस मामले की अंतिम सुनवाई 11 सितंबर को होगी।
वास्तव में कॉइनएक्स और वजीरएक्स जैसे क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज बैंकिंग व्यवस्था से दूर हो चुके हैं। इन एक्सचेंजों द्वारा खरीद-फरोख्त के लिए एक-दूसरे से वसूले जाने वाले कमीशन में भारी गिरावट आई है, लेकिन व्यापार बंद नहीं हुआ है और खरीद-फरोख्त अब भी जारी है। वजीरएक्स के सह-संस्थापक एवं सीईओ निश्चल शेट्टïी ने अगस्त में बिजनेस स्टैंडर्ड से बातचीत में कहा था कि यह व्यापार का एक वैध तरीका था और निवेशकों द्वारा खरीदारों/विक्रेताओं को सीधे तौर पर रकम हस्तांतरित किए जाने और कमीशन का भुगतान नकदी के बजाय आभासी मुद्राओं में किए जाने से किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं होता है।
एक अन्य क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज के संस्थापक ने कहा, 'हम लोगों से रकम क्रिप्टो में वसूलते हैं न कि भारतीय रुपये में। इसलिए हम किसी नियम का उल्लंघन नहीं करते हैं।' सर्वोच्च न्यायालय द्वारा भारत में क्रिप्टोकरेंसी का भविष्य निर्धारित किए जाने के बावजूद विशेषज्ञों का मानना है कि यदि लेनदेन औपचारिक वित्तीय प्रणली से बाहर होता है तो अधिकारियों के लिए इस व्यापार को विनियमित करना काफी कठिन होगा। कुछ लोगों का यह तक दावा है कि आरबीआई का वह परिपत्र संवैधानिक दायरे से बाहर था।
विधि फर्म निश्ीाथ देसाई एसोसिएट्ïस के वकील (क्रिप्टोऐसेट्ïस एवं ब्लॉक चेन टीम) ने कहा, 'हमारे लिए 6 अप्रैल का परिपत्र अतिसंवेदनशील और संवैधानिक चिंताओं वाला है। इसके बदले ऐसा कानून होना चाहिए जो जोखिम कम करे लेकिन गतिविधियों पर रोक न लगाए।' सर्वोच्च भारत में क्रिप्टोकरेंसी व्यापार न्यायालय में दायर याचिका में यह विधि फर्म इंटरनेट ऐंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया का प्रतिनिधित्व करती है। कुल मिलाकर, उस विरोधाभास को लेकर चिंता जताई जा रही है जिसके तहत अधिकारी भारत में क्रिप्टोकरेंसी बाजार पर नजर रखना चाहते हैं। हालांकि आरबीआई को लगता है कि क्रिप्टोकरेंसी बाजार में बुलबुला उठने पर प्रणालीगत जोखिम पैदा हो सकता है जबकि आयकर विभाग ने इस साल के आरंभ में बिटकॉइन निवेशकों को नोटिस जारी कर उनसे अपने पूंजीगत लाभ पर करों का भुगतान करने के लिए कहा था।
द्विवेदी ने कहा कि आयकर विभाग द्वारा आभासी मुद्राओं को सोने जैसे परिसंपत्ति वर्ग में रखने से आरबीआई भारत में क्रिप्टोकरेंसी व्यापार की उस दलील के साथ विरोधाभास पैदा होता है जिसके तहत उसने कहा था कि निजी स्वामित्व वाली आभासी मुद्रा में काफी वित्तीय जोखिम होता है। उन्होंने कहा, 'सरकार की नीति साक्ष्यों पर आधारित होनी भारत में क्रिप्टोकरेंसी व्यापार भारत में क्रिप्टोकरेंसी व्यापार चाहिए और उसमें तालमेल होना चाहिए। लेकिन इस मामले में दोनों का अभाव दिख रहा है।' लेकिन सरकार अगर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के आधार पर आभासी मुद्रा पर प्रतिबंध लगाने अथवा उसे विनियमित करने का निर्णय लेती है तो कानूनी ताकत कहां से आएगी?
निशीथ देसाई एसोसिएट्ïस की क्रिप्टोकरेंसी एवं ब्लॉकचेन शाखा के वकीलों का मानना है कि आर्थिक मामलों के विभाग में सचिव सुभाष गर्ग की अध्यक्षता में गठित अनुशासन समिति को भारत के लिए 'फॉरवार्ड लुकिंग फ्रेमवर्क' यानी दूरदर्शी कार्ययोजना बनानी चाहिए। आरबीआई भी आभासी मुद्राओं पर प्रतिबंध लगाने के बजाय उन्हें विनियमित करने का विकल्प चुन सकता है क्योंकि ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, जापान और दक्षिण कोरिया जैसे तमाम अन्य देशों में ऐसा हो रहा है। इन देशों में क्रिप्टो-परिसंपत्ति संबंधी गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए बैंकों को काफी सख्त केवाईसी/एएमएल की जरूरत होती है।
इस बीच, द्विवेदी का कहना है कि क्रिप्टोकरेंसी में व्यापार के कारण धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के उल्लंघन के बारे में काफी बढ़ा चढ़ाकर कहा जा रहा है। उन्होंने कहा, 'यह सबको पता है कि सोने का इस्तेमाल कर चोरी एवं काले धन को सफेद करने में किया जाता है। लेकिन एक नियामक के तौर पर आरबीआई ने उसे प्रतिबंधित नहीं किया है। बल्कि वह औपचारिक बैंकिंग प्रणाली के जरिये उसे और बढ़ावा दे रहा है।' निशीथ देसाई एसोसिएट्ïस के वकीलों ने कहा है कि पीएमएलए में ऐसा कोई विशेष प्रावधान नहीं है जिसके तहत क्रिप्टोकरेंसी में व्यापार को अपराध माना जाए। एक वकील ने कहा, 'पीएमएलए की बात उस समय आएगी जब क्रिप्टोकरेंसी निवेशक अवैध माध्यमों के जरिये कमाई कर रहा हो अथवा उसके जरिये अर्जित रकम का इस्तेमाल गैरकानूनी गतिविधियों में हो रहा हो।' कानून विशेषज्ञों का कहना है कि पीएमएलए के तहत जांच सहित विभिन्न तरह की नियामकीय जांच के दौरान आयकर रिटर्न का इस्तेमाल उपयोगी सूचना के तौर पर किया जा सकता है। न्यूयॉर्क राज्य में प्रैक्टिस करने लेकिन भारत के प्रौद्योगिकी कानूनों से जुड़ी वकील मिशी चौधरी ने कहा, 'यदि आप इस व्यापार को अनुमति नहीं देना चाहते हैं तो आप उस पर कर कैसे लगा सकते हैं?' सरकार के भीतर और बाहर के अधिकारियों के बीच इस मुद्दे पर कमोबेश यही दुविधा दिख रही है।
2022 में बिटकॉइन और क्रिप्टोकरेंसी इन्वेस्टमेंट पर मिलेगा जोरदार रिटर्न अगर फॉलो करेंगे ये बुनयादी बातें
इक्विटी के साथ क्रिप्टो निवेशकों के लिए 2021 बहुत अच्छा साबित हुआ है। कुछ क्रिप्टोकरेंसी की कीमतों में तो 5,000 से 7,000% तक की वृद्धि हुई है जिससे निवेशकों को रिकॉर्ड तोड़ रिटर्न मिला। बिटकॉइन और.
इक्विटी के साथ क्रिप्टो निवेशकों के लिए 2021 बहुत अच्छा साबित हुआ है। कुछ क्रिप्टोकरेंसी की कीमतों में तो 5,000 से 7,000% तक की वृद्धि हुई है जिससे निवेशकों को रिकॉर्ड तोड़ रिटर्न मिला। बिटकॉइन और भारत में क्रिप्टोकरेंसी व्यापार एथेरियम जैसे ब्लूचिप क्रिप्टो में 2021 में 35-40% की वृद्धि हुई। बिटकॉइन की कीमतें अप्रैल में 51 लाख रुपये तक पहुंच गई थी लेकिन पर्यावरण पर प्रभाव को लेकर एलन मस्क के ट्वीट और चीन के क्रिप्टो ट्रेडिंग पर नियमों में सकती करने से इसमें तेजी से गिरावट आई थी। अभी बिटकॉइन की कीमत 39.91 लाख रुपए पर है, जो साल की शुरुआत की तुलना में लगभग 32% अधिक है।
2022 में क्या उम्मीद करें
क्रिप्टोकरेंसी को भविष्य बहुत कुछ सरकारी नीतियों पर निर्भर करेगा। क्रिप्टो के लिए दुनिया के सबसे बड़े बाजार चीन ने सितंबर में सभी लेनदेन पर प्रतिबंध लगा दिया था। विश्लेषकों का कहना है कि जैसे-जैसे ब्लॉकचेन तकनीक का उपयोग बढ़ेगा, चीन इसमें अलग-थलग पड़ेगा। भारत में, सरकार क्रिप्टोकरेंसी के उपयोग और व्यापार को रेगुलेट करने के लिए कानून पर काम कर रही है। बिल के तहत भारत में सभी निजी क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित करने का सुझाव है। यह अंतर्निहित प्रौद्योगिकी और इसके उपयोग को बढ़ावा देने के लिए कुछ चीज़ो को अनुमति देगा।
क्रिप्टो में निवेह से पहले जानने के बुनियादी नियम
कितना निवेश करें- पिछले कुछ महीनों में कई क्रिप्टोकरेंसी में 5,000-6,000% की वृद्धि हुई है। लेकिन आपको पता होना चाहिए निवेश उतना ही करना चाहिए जिसमे नुकसान होने पर भी आप परेशान न हों। आदर्शतौर पर कुल पोर्टफोलियो का 10-15% से अधिक क्रिप्टो में न रखें।
अस्थिरता को सहना सीखें- क्रिप्टो एक हाई रिस्क गेम है और निवेशकों को अस्थिरता को समझना चाहिए। इसमें रातों रात 70-80% की गिरावट की आशंका होती है। बिटकॉइन जैसा ब्लूचिप क्रिप्टो की भी कीमतें अस्थिर रहती हैं। इस बाजार में तभी प्रवेश करें जब आप अत्यधिक अस्थिरता को सहम कर सकते हों।
ट्रेड के लिए प्लेटफॉर्म सही चुनें- भारत में क्रिप्टो रेगुलेटेड नहीं है और हर दिन नए प्लेटफार्म आ जाते हैं ऐसे में भरोसेमंद प्लेटफॉर्म के माध्यम से निवेश करें ताकि कोई झटका लगने या प्रमोटर कंपनी के नीचे जाने पर आपका पैसा न फंसे।
अटकलों के आधार पर निवेश न करें- क्रिप्टो में विश्वनीय डाटा की कमी है। निवेशक काफी हद तक सोशल मीडिया पर असत्यापित जानकारी पर निर्भर हैं। यहाँ वह अक्सर किसी न किसी जाल में फंस जाते हैं।
बड़े क्रिप्टो करेंसी पर ध्यान दें- अस्पष्ट करेंसी केवल इसलिए खरीदने के प्रलोभन में न आएं क्योंकि उनकी कीमत बहुत कम है। बड़ी करेंसी महँगी हों सकती है लेकिन अधिक स्थिर होती है।
क्रिप्टोकरेंसी की बढ़ती घुसपैठ से जूझ रही दुनिया, भारत में जरूरी है इसका नियमन, सही दिशा में सरकार
जयंतीलाल भंडारी। केंद्र सरकार संसद के शीतकालीन सत्र में क्रिप्टोकरेंसी नियामक और डिजिटल करेंसी बिल 2021 पेश करने जा रही है। जहां पूरी दुनिया क्रिप्टोकरेंसी की बढ़ती घुसपैठ से जूझ रही है, वहीं भारत के लिए यह अच्छी बात है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस करेंसी के खतरों को समझा और इसके नियमन का मन बनाया। बीते दिनों प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा था कि अनियंत्रित क्रिप्टो बाजार को धनशोधन और आतंकी फंडिंग का जरिया नहीं बनने दिया जा सकता। सभी लोकतांत्रिक देशों भारत में क्रिप्टोकरेंसी व्यापार को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि क्रिप्टोकरेंसी गलत हाथों में न जाने दें, अन्यथा युवाओं का भविष्य बर्बाद हो सकता है। इस पर ध्यान देना ही होगा।
क्रिप्टोकरेंसी एक डिजिटल मुद्रा है, जो क्रिप्टोग्राफी द्वारा सुरक्षित है। क्रिप्टोकरेंसी सिर्फ डिजिटल रूप में आनलाइन रहती है। यह सिक्के या नोट की तरह ठोस रूप में जेब में नहीं रखी जाती। इस समय क्रिप्टोकरेंसी में बिटकाइन का वर्चस्व है। इथेरियम, टीथर, कार्डानो, भारत में क्रिप्टोकरेंसी व्यापार पोल्काडाट, रिपल और डोजकाइन सहित सैकड़ों अन्य क्रिप्टोकरेंसी भी मौजूद हैं। यह माना जाता है कि जापान के सातोशी नाकामोतो के द्वारा बिटकाइन को 2008 में लाया गया। इसका प्रचलन 2009 में शुरू हुआ। बिटकाइन दुनिया की सबसे महंगी वचरुअल करेंसी है। बिटकाइन की संख्या दो करोड़ दस लाख तक सीमित है। वैश्विक क्रिप्टोकरेंसी का मार्केट कैप लगभग 225 लाख करोड़ रुपये को पार कर गया है। एक बिटकाइन का मूल्य करीब 68,641 डालर है।
क्रिप्टोकरेंसी अत्यंत अस्थिर और खतरनाक उछाल भरने वाली जोखिम भरी परिसंपत्ति है। जहां क्रिप्टोकरेंसी के निर्गमन के पीछे स्वर्ण या बहुमूल्य धातु के कोष नहीं रखे जाते, वहीं इसके पीछे किसी वित्तीय नियामक संस्था की किसी मूल्य की वापसी संबंधी कोई गारंटी भी नहीं होती। ऐसे में क्रिप्टोकरेंसी का निर्गमन करके कई वित्तीय धोखेबाजों द्वारा डिजिटल निवेशकों से ठगी किए जाने की आशंका बनी रहती है। क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल वैश्विक सट्टेबाजी और साइबर अपराधों में भी हो सकता है। इतना ही नहीं क्रिप्टोकरेंसी की कीमत बढ़ना या घटना वित्तीय स्थिरता के लिए बड़ा खतरा साबित हो सकता है। इसके बावजूद क्रिप्टोकरेंसी की मौजूदगी नकारी नहीं जा सकती। पिछले 10-12 वर्षो के तमाम वैश्विक वित्तीय संकटों के बीच क्रिप्टोकरेंसी ने अपना अस्तित्व बचाए रखा है। चूंकि क्रिप्टोकरेंसी पर कोई वैश्विक नियमन नहीं है, अत: अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इससे भुगतान करना फायदेमंद माना जाता है। हालांकि इसके जोखिम भी कम नहीं हैं।
आभासी मुद्रा में निवेश को लेकर निवेशकों का आकर्षण इसलिए भी बना हुआ है, क्योंकि सरकारी तंत्र से बाहर दुनिया के किसी भी कोने में इन्हें भुनाने का विकल्प मौजूद है। खास बात यह है कि खरीदारी के सभी डिजिटल प्लेटफार्म चौबीसों घंटे खुले रहते हैं। शायद इन्हीं कारणों से अल सल्वाडोर ने बिटकाइन को मान्यता दी है। वह ऐसा करने वाला दुनिया का पहला देश है। इस समय क्रिप्टोकरेंसी को दुनिया के कई देशों में भरोसे के संकट का सामना करना पड़ रहा है। वे इसे पारंपरिक करेंसी के लिए खतरा मानते हैं। यही कारण है कि उन्होंने क्रिप्टोकरेंसी पर विभिन्न तरह के प्रतिबंध लगाए हैं।
चीन के केंद्रीय बैंक ने क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडिंग की अवैध गतिविधियों पर नकेल कसने के लिए सभी क्रिप्टो लेनदेन को अवैध घोषित कर दिया है। यद्यपि भारत में भी 2018 में रिजर्व बैंक ने बैंक और अन्य वित्तीय संस्थाओं पर क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े लेनदेन को लेकर रोक लगा दी थी, लेकिन मार्च 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश को पलट दिया। हालांकि देश में क्रिप्टोकरेंसी को कोई वैधानिक मान्यता नहीं मिली है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद क्रिप्टोकरेंसी का कारोबार बढ़ने लगा। बिटकाइन आदि को डिजिटल गोल्ड की तरह निवेश का एक आकर्षक विकल्प बताया जा रहा है। भारत में करीब 10.07 करोड़ लोगों के पास क्रिप्टोकरेंसी है, जो दुनिया के किसी भी देश से अधिक हैं।
भारत में क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज चलाने वालों पर अभी सरकार या दूसरे वित्तीय नियामकों का कोई नियंत्रण नहीं है। गत दिनों जयंत सिन्हा की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति ने विभिन्न हितधारकों के साथ क्रिप्टो वित्त और क्रिप्टोकरेंसी भारत में क्रिप्टोकरेंसी व्यापार के गुण-दोष पर चर्चा की। माना जाता है कि इस संसदीय समिति के कई सदस्य क्रिप्टोकरेंसी पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के बजाय इसके बाजार को विनियमित करने के पक्ष में हैं। वास्तव में अब बदली हुई डिजिटल दुनिया में क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाना उचित नहीं होगा। क्रिप्टोकरेंसी को बड़े पैमाने पर स्वीकृति और नए निवेशकों द्वारा प्रवेश करने से इसका महत्व बढ़ा है। कई देश अब खुद अपनी क्रिप्टोकरेंसी लाने पर विचार कर रहे हैं।
ऐसे में देश के भीतर क्रिप्टोकरेंसी के कारोबार में निवेशकों की बढ़ती रुचि को देखते हुए सरकार द्वारा प्राथमिकता के साथ इन आभासी परिसंपत्तियों के लिए नियामकीय ढांचा तैयार करने पर ध्यान देना चाहिए। इसके साथ ही नीति निर्माताओं द्वारा क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ी एक ऐसी व्यापक योजना प्रस्तुत की जानी चाहिए, जिससे एक ओर केंद्रीय बैंक को वित्तीय स्थिरता से जुड़े जोखिम से बचाव मिल सके। दूसरी ओर निवेशकों के हितों का बचाव करने में भी मदद मिल सके। हम यह भी उम्मीद करते हैं कि सरकार द्वारा क्रिप्टोकरेंसी में निवेश से होने वाली कमाई को टैक्स के दायरे में भारत में क्रिप्टोकरेंसी व्यापार लाने के लिए आयकर कानूनों में उपयुक्त बदलाव भी किया जाएगा। इससे क्रिप्टोकरेंसी को लेकर पारदर्शिता सुनिश्चित होने के साथ ही राजस्व की प्राप्ति भी हो सकेगी।
मद्रास हाईकोर्ट में क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडिंग के विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाली याचिका दायर
मद्रास हाईकोर्ट के समक्ष एक याचिका दायर की गई, जिसमें सभी मीडिया प्लेटफार्मों पर क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडिंग के विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है जब तक कि सरकार क्रिप्टो ट्रेडिंग के लिए उचित नियम और कानून नहीं बनाती।
याचिका में क्रिप्टो ट्रेडिंग के विज्ञापनों को रोकने के लिए वित्त सचिव, कैबिनेट सचिव और सूचना और प्रसारण मंत्रालय को प्रतिवादी बनाया गया है।
एडवोकेट अय्या की ओर से दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि क्रिप्टोकरेंसी में अवैध व्यापार ने मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकवादी वित्तपोषण और जबरन वसूली गतिविधियों को बढ़ा दिया है।
याचिका में कहा गया है,
"समाचार पत्रों के पहले पृष्ठ पर, हमारे देश के कई मीडिया ग्रुप असुरक्षित क्रिप्टो मुद्रा व्यापार कंपनियों के लिए विज्ञापन प्रकाशित कर रहे हैं।"
याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया गया है कि ये विज्ञापन जनता का शोषण करने के लिए गुमराह करने और झूठी जानकारी का प्रचार करने के रूप में हैं।
याचिकाकर्ता का कहना है कि क्रिप्टोकरेंसी पैसे के कार्यों को पर्याप्त रूप से पूरा नहीं कर सकती है और टैक्स चोरी और अन्य आपराधिक गतिविधियों के लिए नए रास्ते खोलती है। चूंकि क्रिप्टो ट्रेडिंग किसी भी केंद्रीकृत एजेंसी या प्राधिकरण द्वारा विनियमित नहीं है और पूरी तरह से इसके डेवलपर्स द्वारा जारी और नियंत्रित किया जाता है, इसलिए याचिकाकर्ता के अनुसार हैकिंग, पासवर्ड की हानि, एक्सेस क्रेडेंशियल से समझौता आदि से होने वाले नुकसान की संभावना होती है।
याचिकाकर्ता ने 2013 की क्रिप्टोकरेंसी में निवेशकों और व्यापारियों को आगाह करते हुए आरबीआई की प्रेस रिलीज पर भरोसा करते हुए कहा कि वर्चुअल करेंसी का निर्माण, व्यापार या उपयोग वित्तीय, परिचालन और व्यक्तिगत डेटा सुरक्षा जोखिमों से भरा है।
याचिकाकर्ता क्रिप्टो माइनिंग की प्रक्रिया को भी संदर्भित करता है और दावा करता है कि यह हमलावरों को उपयोगकर्ता की जानकारी को आसानी से एक्सेस करने के लिए प्रेरित करता है जिससे यूजर्स की निजी जानकारी की चोरी हो जाती है।
"ग्राहकों भारत में क्रिप्टोकरेंसी व्यापार की समस्याओं / विवादों के समाधान के लिए कोई स्थापित ढांचा नहीं है क्योंकि क्रिप्टोकरेंसी द्वारा भुगतान पीयर-टू-पीयर आधार पर एक अधिकृत केंद्रीय एजेंसी के बिना होता है जो इस तरह के भुगतान को नियंत्रित करता है।"
याचिकाकर्ता ने 2017 की सरकार की अंतर-अनुशासनात्मक समिति की रिपोर्ट का भी उल्लेख किया है, जिसमें एक्सचेंज के माध्यम के रूप में क्रिप्टोकरेंसी की कानूनी वैधता की कमी के बारे में सार्वजनिक मीडिया के माध्यम से चेतावनी जारी करने की सिफारिश की गई थी।
अंतर-अनुशासनात्मक समिति ने उन लोगों की भी सिफारिश की, जिन्होंने इसे ऑफलोड करने के लिए अच्छे विश्वास के साथ क्रिप्टोकारेंसी खरीदे हैं, जहां यह अवैध नहीं है। इसके अलावा, समिति ने इन सभी चेतावनियों के बाद भी क्रिप्टोकरेंसी ट्रेडिंग में लिप्त लोगों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की थी।
भारत सरकार ने 2019 के अंत में खरीदारों, निवेशकों और व्यापारियों को भी चेतावनी दी कि क्रिप्टोकरेंसी लीगल टेंडर नहीं है।
"यह प्रस्तुत किया गया है कि बैंक फॉर इंटरनेशनल सेटलमेंट्स (बीआईएस) ने हाल ही में चेतावनी दी है कि क्रिप्टोकरेंसी का उद्भव एक बुलबुले, एक पोंजी योजना और एक पर्यावरणीय आपदा का संयोजन बन गया है और नीति प्रतिक्रियाओं की मांग करता है (बीआईएस, 2018)। फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने यह भी देखा है कि क्रिप्टोकरेंसी का उपयोग मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण के लिए किया जा रहा है। दुरुपयोग को रोकने और विनियमित वित्तीय संस्थानों के साथ इंटरकनेक्शन को सख्ती से सीमित करने के लिए एक विश्व स्तर पर समन्वित दृष्टिकोण आवश्यक है।"
अदालत के संदर्भ के लिए, याचिकाकर्ता हाल के दिनों में वर्चुअल करेंसी, क्रिप्टो ट्रेडिंग और एक्सचेंज प्लेटफॉर्म से संबंधित विभिन्न घोटालों के बारे में भी बात करता है। यह कहते हुए कि क्रिप्टोकरेंसी प्रकृति में अत्यधिक अस्थिर हैं और विभिन्न न्यायालयों में स्थापित क्रिप्टोकरेंसी के लिए एक्सचेंज प्लेटफॉर्म की कानूनी स्थिति स्पष्ट नहीं है, याचिकाकर्ता उसी को बढ़ावा देने वाले विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाने की मांग करता है।