बॉण्ड्स के प्रकार

रोहतगी ट्रस्ट का प्राप्ति एवं भुगतान खाता इस प्रकार है: 31 मार्च, 2018 को समाप्त वर्ष के लिए आय और व्यय खाता तैयार करें और निम्न समायोजनों के पश्चात इस तिथि को तुलन पत्र तैयार करें। - Accountancy (लेखाशास्त्र)
रोहतगी ट्रस्ट का प्राप्ति एवं भुगतान खाता इस प्रकार है:
31 मार्च, 2018 को वर्ष की
समाप्ति पर प्राप्ति एवं भुगतान खाता
31 मार्च, 2018 को समाप्त वर्ष के लिए आय और व्यय खाता तैयार करें और निम्न समायोजनों के पश्चात इस तिथि को तुलन पत्र तैयार करें। वर्ष 2018 के लिए अभी तक अप्राप्त चंदा 7,000 रु., रक्षा बॉण्ड्स पर 7,000 रू. ब्याज अप्राप्य है, 1,000 रु. का किराया बकाया है विक्रय किए गए विनियोग का पुस्तक मूल्य 80,000 रू. हैं 30,000 रू. के विनियोग अभी बाकी है। 2017 प्राप्त चंदे में 400 रु. आजीवन सदस्य से प्राप्त शामिल है। 01 जनवरी, 2018 को कुल फ़र्नीचर का मूल्य 12,000 रू. है। 2014 के लिए 2,000 रू. के वेतन का भुगतान किया गया है।
बॉन्ड क्या होता है
बॉन्ड क्या होता है। हेल्लो दोस्तों , स्वागत है आपका हमारी एक और नई पोस्ट के साथ , आज की इस पोस्ट में हम बात करने वाले है बॉन्ड क्या है ? ( What Is Bond ) , और यह कितने प्रकार के होते है ? ( Types of Bond ) तथा इसको कैसे ख़रीदा जाता है ? इन सब बातो को विस्तार से जानेंगे इस पोस्ट में तो आइये शुरू करते है BOND kya hota hai
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बॉन्ड क्या होता है
जिस प्रकार से आप शेयर बाजार में अपने पैसे निवेश करके शेयर खरीदते है ठीक उसी प्रकार आप किसी कंपनी या सरकार को पैसे उधार देकर बॉन्ड खरीदते है । अर्थार्त हम कह सकते है कि बॉन्ड एक प्रकार का ऋणपत्र होता है जिसमे निवेशक किसी कंपनी या सरकार को एक निश्चित समय के लिए पैसे उधार देता है । इसमें आपके द्वारा ख़रीदे गए बॉन्ड पर कितना प्रतिशत ब्याज मिलेगा यह पहले से ही निश्चित होता है या फिर इसमें एक तय फोर्मुले के आधार पर ब्याज दर में बदलाव भी हो सकता है ।
बाजार में निवेश करने के लिए निम्न प्रकार के बॉण्ड्स उपलब्ध हैं।
एक निवेशकर्ता को निवेश करने से पूर्व बॉण्ड्स के विभिन्न पहलुओं और विशेषताओं को अच्छी तरह से समझ लेना चाहिए। यह इसलिए है क्योंकि कुछ बॉण्ड्स तो ऐसे हैं जिनकी आय पूर्णतः कर मुक्त रहती है। कुछ ऐसे भी बॉण्ड्स हैं जिन पर ब्याज की राशि बहुत कम मिलती है जैसे लगभग 5.5 प्रतिशत प्रति वर्ष लेकिन उन बॉण्ड्स में निवेश करना पूंजीगत लाभ पर आयकर बचाने के लिए बहुत अच्छा रहता है।
इसलिए निवेशकर्ता का यह कर्त्तव्य है कि वह बॉण्ड् के विभिन्न पहलुओं से भली-भाँती परिचित हो जाए। सभी प्रकार के बॉण्ड्स सम्पत्ति कर से पूर्णतः कर-मुक्त हैं | बॉण्ड्स को उपहार में देने पर कोई उपहार कर या गिफ्ट कर भी नहीं लगता। कुछ इस प्रकार के बॉण्ड् हैं जिनमें निवेश करने से आयकर अधिनियम 1961 की धारा 80C के अन्तर्गत कटौती प्राप्त होती है। आईय कुछ विशेष प्रकार के बॉण्ड्स की जानकारी प्राप्त करें।
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रिजर्व बैंक के राहत पत्र ( RBI Relief Bonds )
1-3-2003 से रिजर्व बैंक ने इन बॉण्ड् को निकालना बन्द कर दिया है। पहले उच्च आय वाले कर दाताओं के लिए राहत पत्र में निवोश करना बहुत ही अच्छा रहता था। पूर्व में 10 प्रतिशत, 9 प्रतिशत, 8.5 प्रतिशत एवं 7 बॉण्ड्स के प्रकार प्रतिशत प्रतिवर्ष ब्याज वाले बॉण्ड् रिजर्व बैंक के द्वारा जारी किए गए थे। इन बॉण्ड की अवधि 5 वर्ष की रहती है। अभी भी जिन व्यक्तियों के पास पहले से क्रय किए हुए ऐसे बॉण्ड् मौजूद है।
उन्हें इन बॉण्ड्स से होने वाली ब्याज की आमदनी पर कोई भी बॉण्ड्स के प्रकार आयकर नहीं देना होता। यदि ऐसे बॉण्ड् को उनकी मियाद तिथि से पूर्व ही बिक्री कर दिया जाए तो उनसे होने वाले पूंजीगत लाभ के आकलन के लिए मूल्य मुद्रा स्फीति सूचकांक का लाभ प्राप्त नहीं होता। 1-10-1998 से ऐसे बॉण्ड् और अन्य किसी भी प्रकार के बॉण्ड् बॉण्ड्स के प्रकार के अनुदान पर कोई भी अनुदान कर या उपहार कर नहीं लगता।
रिजर्व बैंक के बचत बॉण्ड् ( RBI Saving bonds )
बॉन्ड क्या होता है रिजर्व बॉण्ड्स के प्रकार बैंक ने 1-6-2003 से दो प्रकार के नये बॉण्ड् जारी किए हैं। इन्हें 6.5 प्रतिशत बचत (करमुक्त) बॉण्ड् 2003 तथा 8 प्रतिशत बचत (कर योग्य) बॉण्ड् 2003 कहते हैं। 6.5 प्रतिशत बॉण्ड् की आय पूर्णतः करमुक्त है लेकिन 8 प्रतिशत बचत बॉण्ड् की ब्याज पर कोई करमुक्ति नहीं है। अब 6 72% बांड भी बंद को गए हैं। लेकिन 1-6-2007 से कर-योग्य बांड पर 10,000 रु से अधिक ब्याज होने पर उस पर 10% आयकर (+2% एंव 1% शिक्षा कर) की उद्गम स्थान पर कटौती होगी।
अनिवासी बॉण्ड् ( NRI BONDS )
समय-समय पर सरकार ने भारतीय स्टेट बैंक की मार्फत अनिवासी भारतीयों के लिए विशेष प्रकार के बॉण्ड्स जारी किए हैं जिन्हें साधारणतः अनिवासी बॉण्ड् या एन. आर. आई. बॉण्ड्स कहते हैं। इन बॉण्ड् पर साधारणतः पूर्ण आयकर मुक्ति प्राप्त होती है। किसी भी प्रकार का सम्पति कर इन बॉण्ड् पर नहीं लगता। इसी प्रकार उपहार कर से भी यह बॉण्ड मुक्त है। साधारणतः अमेरिकन डालर में ही यह बॉण्ड बिकते हैं। पाउन्ड सटर्लिंग, यूरो, और बॉण्ड्स के प्रकार जापानी येन में भी यह बॉण्ड् जारी किए गए हैं। विदेशों में रहने वाले अनिवासी भारतीयों में यह बॉण्ड् बहुत ही लोकप्रिय हुए थे।
सार्वजनिक क्षेत्र के करमुक्त बॉण्ड्स ( Public Sector Tax-free Bonds )
समय-समय पर कुछ सार्वजनिक प्रतिष्ठिानों ने भी करमुक्त बॉण्ड् जारी किए हैं जिनका ब्याज आयकर अधिनियम के अन्तर्गत पूर्णतः करमुक्त रहता है। बहुत अधिक आमदनी होने पर इस प्रकार के बॉण्ड्स में निवेश करना अच्छा रहता है।
निजी क्षेत्र के बॉण्ड् ( Private Sector Bonds )
निजी क्षेत्र के द्वारा भी समय-समय पर कुछ बॉण्ड् जारी किए हैं। इस प्रकार के बॉण्ड् पर साधारणतः 6 से 8 प्रतिशत प्रति वर्ष ब्याज प्राप्त हो सकता है।
Capital Gains Bonds (पूँजीगत लाभ बॉण्ड् )
बॉन्ड क्या होता है आयकर अधिनियम 1961 की धारा 54 ई बॉण्ड्स के प्रकार सी के अन्तर्गत कुछ बॉण्ड् पाँच प्रकार के सार्वजनिक प्रतिष्ठानों द्वारा समय-समय पर जारी किए जाते हैं। जिनमें निवेश करने से दीर्धकालीन पूँजीगता लाभ पर पूर्ण करमुक्ति प्राप्त हो सकती है। इन बॉण्ड् पर ब्याज की दर साधारणतः 5 से 5.5 प्रतिशत प्रतिवर्ष रहती है। इनकी अवधि साधारणतः 5 वर्ष की होती है किन्तु 3 वर्ष के पश्चात् इनका भुगतान प्राप्त किया जा सकता है।
पाँच प्रकार के सार्वजनिक संस्थान जैसेः नेबार्ड, नेशनल हाइवे ऑथारिटी ऑफ इंडिया, आर. ई. सी., सिडबी, एवं एन. एच. बी. द्वारा इस प्रकार के बॉण्ड् जारी किए हैं। इन बॉण्ड् पर मिलने वाले ब्याज पर उद्गम स्थान पर कटौती नहीं होती। यद्यपि बॉण्ड्स पर मिलने वाली ब्याज की रकम बहुत कम है फिर भी दीर्घकालीन पूँजीगत लाभ पर आयकर बचाने के लिए इन बॉण्ड् में निवेश अच्छा गिना जाता है।
कर निर्धारण वर्ष 2007-2008 से केवल नेशनल हाइवे ऑथोरिटी ऑफ़ इंडिया एंड R . E . C . LI . के 3 वर्षीय बांड्स में निवेश पर ही आयकर कटौती की धारा 54 e c प्राप्त होगी । इन बांड्स में निवेश की उचतम सिमा 50 लाख रुपया है ।
NOTE – विशेष जानने के लिए आप विकिपीडिया USE कर सकते है निचे लिंक दिया है
इस पोस्ट में आप ने जाना बांड क्या होता है । बांड कितने प्रकार का होता है । ए पोस्ट आपलोगो को अच्छी लगी तो अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करे , मिलते है अगले पोस्ट में ।
Wise Investment: आपके इंवेस्टमेंट में इस प्रकार लग जाती है सेंध, निवेश से पहले जाने किस रिटर्न पर लगता है कितना टैक्स
निवेश के रिटर्न पर टैक्स की गणना किए बगैर इंवेस्टमेंट करना बॉण्ड्स के प्रकार हमेशा घातक होता है। ऐसे में आपको रिटर्न पर लगने वाले टैक्स का गणित समझ लेना जरूरी है।
Sachin Chaturvedi @sachinbakul
Published on: January 11, 2016 9:25 IST
Wise Investment: आपके इंवेस्टमेंट में इस प्रकार लग जाती है सेंध, निवेश से पहले जाने किस रिटर्न पर लगता है बॉण्ड्स के प्रकार कितना टैक्स
नई दिल्ली। कार्तिक ने पहली जॉब लगने के साथ ही विभिन्न इंवेस्टमेंट इंस्ट्रूमेंट्स में निवेश करना शुरू कर दिया था। कभी फ्रेंड्स की सलाह पर कभी किसी मैगजीन या टीवी, इंटरनेट, जहां निवेश की सलाह मिलती, कार्तिक तुरंत अमल कर देता। लेकिन दो साल बाद जब कार्तिक बॉण्ड्स के प्रकार को वास्तव में पैसों की जरूरत पड़ी तो उसने अपने सभी निवेश के रिटर्न तलाशने शुरू कर दिए। कार्तिक को तब झटका लगा, जब उसे पता चला कि उसने जो 1 से 2 साल की एफडी में अपना ज्यादातर पैसा लगाया था। उसे इससे प्राप्त ब्याज पर टैक्स भरना होगा। कार्तिक का वास्तविक रिटर्न म्यूचुअल फंड और बॉण्ड के मुकाबले काफी कम था। कार्तिक की तरह ही हम भी अपने निवेश के रिटर्न पर टैक्स की गणना किए बगैर निवेश कर देते हैं। यही ध्यान में रखते हुए इंडियाटीवी पैसा की टीम आपको बताने जा रही है, उन निवेश उपकरणों की विस्तृत जानकारी, जहां आपको टैक्स भरना पड़ता है।
स्टॉक्स
आजकल लोगों का रुझान इक्विटी की ओर तेजी से बढ़ रहा है। यहां आपको यह जानना बेहद जरूरी है कि अब आप स्टॉक मार्केट में लंबे समय तक निवेश करते हैं तभी आपको रिटर्न का फायदा मिलता है। आयकर कानून के मुताबिक यदि आप लंबी अवधि के लिए निवेश करते हैं तो आपको लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर मिलने वाली छूट का फायदा मिलता है। वहीं छोटी अवधि के लिए कैपिटल गेन पर 15 फीसदी के हिसाब से टैक्स लगता है। हालांकि कंपनी आपको जो लाभांश देती है, वे कर मुक्त होते हैं।
सेविंग्स एकाउंट
अधिकतर लोग सेविंग अकाउंट को सुरक्षित रूप से बचत उपकरण के रूप में उपयोग करते हैं। यहां आपको जानना जरूरी है कि आपको सेविंग अकाउंट तभी तक फायदा दे सकता है, जब आपका ब्याज 10 हजार रुपए से कम है। इससे अधिक की राशि पर स्लैब रेट के मुताबिक टैक्स लगता है। इसके अलावा सेविंग्स इंटरेस्ट पर टीडीएस कटौती नहीं होती।
फिक्स्ड डिपॉडिट एवं रेकरिंग डिपॉजिट
फिक्स्ड डिपॉजिट को निवेश का सबसे सुरक्षित जरिया माना जाता है। लेकिन यहां जानना बेहद जरूरी है कि यहां आपको जो रिटर्न मिलता है उस पर आपको ब्याज देना होता है। यह टैक्स स्लैब रेट के अनुसार लगता है। वहीं अगर किसी फाइनेंशियल ईयर में ब्याज 10 हजार रुपए से ऊपर होता है तो 10 फीसदी टीडीएस कटता है। दूसरी ओर रेकरिंग डिपॉजिट की बात की जाए तो यहां अगर आपकी आरडी पर ब्याज 10 हजार रुपए से अधिक है तो यहां भी आपको स्लैब रेट के मुताबिक पूरा ब्याज अदा करना पड़ता है।
बॉण्ड्स और डिबेंचर्स
बॉण्ड्स दो प्रकार के होते हैं, पहले टैक्स फ्री बॉण्ड्स, इन पर ब्याज पूरी तर से कर मुक्त होता है। वहीं एक साल से ज्यादा रखने पर लंबी अवधि के कैपिटल गेन पर 10 फीसदी से टैक्स लगता है। छोटी अवधि के कैपिटल गेन पर मार्जिनल रेट पर टैक्स लगता है। दूसरी ओर सामान्य बॉन्ड्स और डिबेन्चर्स पर वार्षिक आधार पर 5000 रुपए से अधिक का ब्याज मिलता है, तो इस दशा में ब्याज की पूरी रकम टैक्सेबल होती है। वहीं लंबी अवधि के कैपिटल गेन पर 10 फीसदी से टैक्स लगता है, एक साल से ज्यादा रखने पर या छोटी अवधि के कैपिटल गेन पर मार्जिनल रेट पर टैक्स लगता है
म्युचुअल फंड्स
म्यूचुअल फंड भी इस समय निवेश का सबसे सुरक्षित जरिया माने जाते हैं। यहां टैक्स की बात करें तो, लंबी अवधि (एक साल से ज्यादा) के कैपिटल गेन कर मुक्त होती है। वहीं छोटी अवधि के कैपिटल गेन पर 15 फीसदी की दर से टैक्स लगता है। इसके अलावा इस पर मिलने वाले लाभांश कर मुक्त होते हैं। इसके अलावा आप निवेश के लिए डेट फंड का उपयोग कर सकते हैं। यहां लंबी अवधि के कैपिटल गेन (तीन साल से ज्यादा) इंडेक्सेसन के बाद 20 फीसदी की दर पर टैक्स लगता है। छोटी अवधि के कैपिटल गेन पर मार्जिनल रेट पर टैक्स लगता है।
गोल्ड और गोल्ड फंड्स
आजकल लोग गोल्ड फंड में भी निवेश करते हैं, यहां लंबी अवधि के कैपिटल गेन (तीन साल से बॉण्ड्स के प्रकार ज्यादा) इंडेक्सेसन के बाद 20 फीसदी की दर पर टैक्स लगता है। छोटी अवधि के कैपिटल गेन पर मार्जिनल रेट पर टैक्स लगता है। इसके अलावा यदि आप गोल्ड बूलियन और ऑरनामेंट्स में निवेश करते हैं तो लंबी अवधि के कैपिटल गेन (तीन साल से ज्यादा) इंडेक्सेसन के बाद 20 फीसदी की दर पर टैक्स लगता है। छोटी अवधि के कैपिटल गेन पर मार्जिनल रेट पर टैक्स लगता है। गोल्ड बॉण्ड्स की बात करें तो यहां लंबी अवधि के कैपिटल गेन पर 10 फीसदी कि दर से टैक्स लगता है। छोटी अवधि के कैपिटल गेन पर मार्जिनल रेट पर टैक्स लगता है।
इंश्योरेंस
यदि आपके पास एंडॉमेंट पॉलिसी है तो अगर सम एश्योर्ड का प्रीमियम किसी भी साल 10 फीसदी से ज्यादा होता है तो फाइनल प्रोसीड टैक्स फ्री होते हैं। लेकिन अगर कुल रसीद में किसी भी फाइनेंशियल ईयर में एक लाख रुपए पार कर लिए तो 32 फीसदी का टीडीएस कटेगा। निवेशकों को अपने रिटर्न्स कैल्कूलेट करने के साथ साथ प्रीमियम पर भुगतान किया जाने वाला सर्विस टैक्स भी देखना चाहिए। एंडॉमेंट योजनाओं के लिए 3.5 फीसदी की दर से पहले साल प्रीमियम लगेगा और 1.75 फीसदी की बॉण्ड्स के प्रकार दर से प्रीमियम के रिन्यूअल के समय पर देना होगा। वहीं यूलिप्स में सर्विस टैक्स 14 फीसदी है सब चार्जेस पर जैसे कि मोर्टेलिटी चार्ज, एएमसी फीस, स्विच फीस।
रियल एस्टेट
यहां लॉक किए गए दूसरे घर पर मिला रेंट स्लैब रेट के आधार पर कर योग्य होता है। वहीं रेंट पर प्रॉपर्टी टैक्स, रिपेयर कोस्ट, होम इंश्योरेंस आदि पर कटौती उपलब्ध है। लंबी अवधि के कैपिटल गेन (तीन साल से ज्यादा) इंडेक्सेसन बॉण्ड्स के प्रकार के बाद 20 फीसदी की दर पर टैक्स लगता है। छोटी अवधि के कैपिटल गेन पर मार्गिनल रेट पर टैक्स लगता है।
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