निवेशकों के लिए अवसर

निवेशकों के निवेशकों के लिए अवसर लिए अवसर! बायोटेक फर्म आ रही है आईपीओ, दिवंगत झुनझुनवाला की भी कंपनी में हिस्सेदारी
सिक्योरिटीज एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) को सौंपे गए ड्राफ्ट पेपर्स के अनुसार, आईपीओ में 20.93 मिलियन शेयरों की शुद्ध पेशकश-बिक्री या इसके प्रमोटर हेलिक्स इन्वेस्टमेंट होल्डिंग्स पीटीई लिमिटेड के पास पूरी 20 प्रतिशत हिस्सेदारी है। यह समर्थित है। क्वाड्रिया कैपिटल फंड एल.पी. आपको बता दें कि क्वाड्रिया कैपिटल एशिया में हेल्थ फोकस्ड प्राइवेट इक्विटी फंड है। क्वाड्रिया कैपिटल ने 2016 में कॉनकॉर्ड में 20 फीसदी हिस्सेदारी के लिए 475.30 करोड़ रुपये का निवेश किया था। कोटक महिंद्रा कैपिटल, सिटीग्रुप ग्लोबल मार्केट्स इंडिया और जेफरीज इंडिया इस इश्यू के लीड मैनेजर हैं।
पिछले वित्त वर्ष में कंपनी ने एक साल पहले के 616.94 करोड़ रुपये के मुकाबले 712.93 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया था। वहीं, शुद्ध लाभ पिछले वर्ष के 234.89 करोड़ रुपये के मुकाबले 175 करोड़ रुपये रहा शेयर बाजार के बड़े बुल मार्केट राकेश झुनझुनवाला का रविवार को निधन हो गया। अब झुनझुनवाला समर्थित कॉनकॉर्ड बायोटेक लिमिटेड ने प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश के माध्यम से धन जुटाने के लिए सेबी को एक मसौदा पत्र सौंपा है।
पिछले वित्त वर्ष में कंपनी ने एक साल पहले के 616.94 करोड़ रुपये के मुकाबले 712.93 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया था। वहीं, शुद्ध लाभ पिछले साल के 234.89 करोड़ रुपये के मुकाबले 174.93 करोड़ रुपये रहा। इस अवधि के लिए इसकी कुल उधारी 60.59 करोड़ रुपये थी। दिवंगत निवेशक राकेश झुनझुनवाला की बात करें तो उन्होंने अपनी निवेश शाखा रेयर एंटरप्राइजेज के जरिए कंपनी में 24 फीसदी से ज्यादा हिस्सेदारी रखी है।
ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023 को लेकर निवेशकों में दिख रहा उत्साह
योगी सरकार ने फरवरी में होने वाले ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023 (जीआईएस-23) में दस लाख करोड़ के निवेश का लक्ष्य रखा है। सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि इसमें से 1.25 लाख करोड़ के एमओयू हो चुके हैं। इन एमओयू के जरिए 5.5 लाख से ज्यादा रोजगार के अवसर पैदा होने की संभावना है।
लखनऊ : योगी सरकार ने फरवरी में होने वाले ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023 (जीआईएस-23) में दस लाख करोड़ के निवेश का लक्ष्य रखा है। अभी जीआईएस-23 को दो माह से ज्यादा का वक्त बचा है और सरकार द्वारा शुरू किए गए पोर्टल निवेश सारथी के माध्यम से उसे 30 नवंबर तक 1.68 लाख करोड़ से ज्यादा के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हो चुके हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि इसमें से 1.25 लाख करोड़ के एमओयू हो चुके हैं। इन एमओयू के जरिए 5.5 लाख से ज्यादा रोजगार के अवसर पैदा होने की संभावना है। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की देश को 5 ट्रिलियन डॉलर वाली अर्थव्यवस्था बनाने की मंशा के अनुरूप उत्तर प्रदेश को वन ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य तय किया गया है। इस लक्ष्य की पूर्ति के लिए 10 से 12 फरवरी के मध्य उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन किया जा रहा है।
निवेश सारथी डैशबोर्ड के अनुसार, पोटर्ल के जरिए निवेशकों के साथ कुल 148 एमओयू अब तक साइन किए जा चुके हैं। इन 148 एमओयू के जरिए सरकार को कुल 125,885 लाख करोड़ के प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। इन एमओयू के जरिए होने वाले निवेश से उत्तर प्रदेश में 5,63,496 नौकरियों के सृजन की संभावना है। इन एमओयू से इतर, पोर्टल के जरिए अब भी 315 निवेश के प्रस्ताव ऐसे हैं जो अभी एमओयू की प्रक्रिया में आगे बढ़ रहे हैं। अगर इनके साथ भी एमओयू होता है तो उत्तर प्रदेश में भारी संख्या में युवाओं के लिए नौकरी के अवसर सामने आएंगे।
प्रदेश सरकार की ओर से निवेश सारथी के नाम से एक पोर्टल की शुरुआत की गई है। इस पोर्टल के जरिए ही निवेशक प्रदेश में निवेश का अपना इंटेंट दाखिल कर रहे हैं और यहां संबंधित विभाग से जुड़े नोडल अधिकारी उन्हें व्यापार और निवेश से जुड़ी सभी जानकारियां उपलब्ध करा रहे हैं। नोडल अधिकारी इंटेंट फाइल करने वाले निवेशकों का फॉलो-अप भी कर रहे हैं। उन्हें एमओयू तक ले जाने का प्रयास किया जा रहा है। सरकार की इस बदली हुई एप्रोच का ही नतीजा है कि आधिकारिक रूप से लॉन्च होने से पहले ही इस पोर्टल पर सरकार को सवा लाख करोड़ से ज्यादा के निवेश प्रस्ताव मिल गए थे। उम्मीद की जा रही है कि सरकार ने जो लक्ष्य तय किए हैं, ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट-23 की शुरुआत तक सरकार उसके काफी करीब पहुंच जाएगी।
निवेश सारथी के साथ ही एक अन्य पोर्टल निवेश मित्र भी महत्वपूर्ण भूमिका में होगा। यह पोर्टल निवेशकों के इंसेटिव्स को ऑनलाइन ही प्रोसेस कर देगा। निवेशकों को इंसेटिव्स के लिए दफ्तरों के चक्कर नहीं लगाने होंगे। इसके लिए सरकार ने पोर्टल पर ऑनलाइन इंसेंटिव्स मैनेजमेंट सिस्टम (ओआईएमएस) की शुरुआत की है। इसके जरिए इंसेंटिव्स की प्रक्रिया, स्वीकृति एवं भुगतान किया जाएगा। पोर्टल को इस तरह विकसित किया गया है कि यह स्वतः व्यापार की प्रवृत्ति को समझकर संबंधित विभाग की नीति के तहत मिलने वाले इंसेंटिव्स को अप्लाई करने का अवसर देगा। पोर्टल यह भी सुनिश्चित करेगा कि संबंधित विभाग में इंसेंटिव की प्रक्रिया का ऑनलाइन निस्तारण हो और प्रत्येक स्तर पर निवेशक इसके स्टेटस को ट्रैक कर सकें।
Investment Strategy: क्या मिडकैप और स्मॉलकैप में पैसे लगाने का सही है समय, मौजूदा बाजार में निवेश के लिए चुनें बेस्ट स्ट्रैटेजी
Equity Investment: एक्सपर्ट का कहना है कि निवेशकों को अच्छी क्वालिटी वाले बिजनेस पर फोकस करना चाहिए, जिनके पास मजबूत बैलेंस शीट और मजबूत कैश फ्लो है. घाटे में चल रहीं न्यू एज बिजनेस वाली कंपनियों से दूर रहें.
Investment Strategy: हालिया रिकवरी के बाद भी महंगाई, ब्याज दरें, राजकोषीय घाटे जैसी चुनौतियां बाजार में बनी हुई हैं. (File)
Equity Investment Strategy in Current Market: हाल के दिनों में बाजार में निचले स्तरों से कुछ रिकवरी देखने को मिली है. लेकिन महंगाई, ब्याज दरें, राजकोषीय घाटे जैसी चुनौतियां बाजार में बनी हुई हैं, जिसकी वजह से उतार चढ़ाव बना हुआ है. कमोडिटी की कीमतों में नरमी एक बेहतर संकेत है, लेकिन अभी भी मंदी की आशंका के चलते जोखिम बना हुआ है. ऐसे में निवेशकों के सामने कई सवाल हैं. जैसे बाजार इस साल के अंत तक कहां होगा. मौजूदा रिकवरी के बाद निवेशकों को किस सेक्टर में निवेश करना चाहिए. मिडकैप और स्मालकैप में हालिया करेक्शन के बाद क्या निवेश के अवसर बने हैं. इन सारी बातों का जवाब देने के लिए हमने यहां PGIM India Mutual Fund के हेड-इक्विटी, अनिरुद्ध नाहा से बात की है.
1. हाल के दिनों में बाजार निचले स्तरों से उबरा है. 2022 के अंत तक आप बाजार को किस लेवल पर देख रहे हैं? क्या हमें एक बॉटम मिल गया है या निवेशकों को अभी सतर्क रहने में ही समझदारी है?
विकसित देशों और भारत के आउटलुक में कुछ अंतर दिख रहे हैं. महंगाई अब एक कॉमन थीम बन गया है. वहीं मंदी की आशंका भारत के लिए बहुत ज्यादा परेशान करने वाली नहीं लगती, जितनी कि अमेरिका और यूरोप के मामले में हो सकती है. भले ही महंगाई, ब्याज दरें, फिस्कल डेफिसिट की चुनौतियां हैं, कॉरपोरेट इंडिया को अपने डिमांड आउटलुक, ऑर्डर बुक और मार्जिन की स्थिरता में मजबूती दिख रही है. कमोडिटी की कीमतों में गिरावट मार्जिन के मोर्चे पर राहत देने वाली है. मार्केट कैप के मामले में कंफर्टेबल वैल्युएशन पर होने के चलते भारतीय बाजार आगे अच्छा प्रदर्शन जारी रख सकते हैं. हालांकि कोई बड़ी ग्लोबल मैक्रो चुनौती बाजार के लिए रिस्क बन सगकती है.
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2. भारत में महंगाई में नरमी के शुरुआती संकेत दिख रहे हैं, लेकिन अमेरिका में अभी तक यह पीक पर नहीं पहुंचा है. इस डाइवर्जेंस का घरेलू शेयर बाजार के लिए क्या मायने है?
भारत की बात करें तो महंगाई में नरमी है. कमोडिटी की कीमतों के घटने से महंगाई पर काबू पाने में मदद मिलनी चाहिए. कमोडिटी की कम कीमतों का असर अमेरिका में निवेशकों के लिए अवसर भी दिखना शुरू हो जाना चाहिए. उनकी बॉन्ड यील्ड आने वाले समय में महंगाई में नरमी को दिखाती है. अगर अमेरिकी इनफ्लेशन रेट में बढ़ोतरी जारी रहती है, तो ब्याज दरों में भी बढ़ोतरी जारी रहेगी. इसके चलते एफआईआई भारतीय इक्विटी की बिक्री जारी रख सकते हैं.
3. मौजूदा उतार-चढ़ाव के दौर में बाजार से सबसे ज्यादा मुनाफा पाने के लिए स्ट्रैटेजी क्या होनी चाहिए?
हमारी सलाह है कि निवेशकों को अच्छी क्वालिटी वाले बिजनेस पर फोकस करना चाहिए, जिनके पास मजबूत बैलेंस शीट और मजबूत कैश फ्लो है. रेट हाइक साइकिल और टाइट लिक्विडिटी के दौर में बाजारों को वैल्युएशन का सपोर्ट करने के लिए कैया फ्लो के महत्व का एहसास होगा. बाजार में अपसाइड आने पर इन क्वालिटी बिजनेस में भी उछाल आना चाहिए. घाटे में चल रहीं न्यू एज तकनीकी / प्लेटफॉर्म-आधारित कंपनियों से दूर रहना चाहिए. वैल्यूएशन को लेकर सतर्क रहें और बेहतर वैल्यू वाली कंपनियों में निवेश करें.
4. ब्रॉडर मार्केट में तेज करेक्शन के बाद क्या निवेशकों को मिड और स्मॉल-कैप पर ध्यान देना चाहिए?
मिडकैप और स्मॉलकैप में बाजार के अनुमान के मुताबिक करेक्शन हुआ है. कई मिड और स्मॉल कैप के लिए ग्रोथ का अनुमान अगले 3 से 5 सालों में मजबूत बना हुआ है, क्योंकि वैल्यूएशन काफी वाजिब स्तर पर है. ये अगले 3 से 5 सालों में अच्छा रिटर्न देने की क्षमता रखते हैं. PGIM इंडिया मिडकैप अपॉर्च्युनिटीज फंड का 7 साल का ट्रैक रिकॉर्ड बेहतर रहा है.
5. आप किन सेक्टर पर अंडरवेट और किन पर ओवरवेट हैं?
हम अगले 3 से 5 सालों में भारत पर बेहद पॉजिटिव हैं. खासतौर से डोमेस्टिक थीम पर बेहद पॉजिटिव नजरिया है. लेकिन उन थ्थीम पर सतर्क रुख है, जिनका ग्लोबल लिंक है. कॉरपोरेट, एसएमई और एमएसएमई इंडिया में साफ सुथरी बैलेंस शीट और मजबूत कैपेसिटी यूटिलाइजेशन को देखते हुए, इंडस्ट्रियल, कैपिटल गुड्स और सीमेंट सेक्टर पर पॉजिटिव हैं. ऑटो और ऑटो एंसिलरी भी बेहतर दिख रहे हैं. इनमें अगले 3 से 5 सालों में इसमें मजबूत ग्रोथ देखने को मिलेगा, वह भी बिना बहुत अधिक बाधाओं निवेशकों के लिए अवसर के. महंगाई के चलते कमोडिटी पर अंडरवेट बने हुए हैं; वैल्यूएशन के नजरिए से कंज्यूमर सेक्टर पर भी हम अंडरवेट हैं.
6. जून तिमाही के नतीजों और अब तक कॉरपोरेट कमेंट्री से आप आगे के लिए क्या देख रहे हैं?
अब तक कंपनियों के परिणाम उत्साह बढ़ाने वाले रहे हैं. डिमांड और लोन ग्रोथ मजबूत बनी हुई है. कुछ इंडस्ट्री में मार्जिन का दबाव मौजूद है, लेकिन यह भी धीरे-धीरे कम होना शुरू हो जाना चाहिए. इंजीनियरिंग कंपनियों की ऑर्डर बुक मजबूत बनी हुई है. कॉरपोरेट कमेंट्री भी सकारात्मक बनी हुई है. आईटी सहित अधिकांश सेक्टर में अभी कोई बड़ा जोखिम नहीं दिख रहा है. कच्चे माल की महंगाई के चलते मार्जिन पर कुछ दबाव को छोड़कर, कॉर्पोरेट इंडिया पर आम तौर पर किसी भी प्रमुख वैश्विक चुनौतियों का प्रभाव नहीं पड़ा है.
ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023 को लेकर निवेशकों में दिख रहा उत्साह
योगी सरकार ने फरवरी में होने वाले ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023 (जीआईएस-23) में दस लाख करोड़ के निवेश का लक्ष्य रखा है। सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि इसमें से 1.25 लाख करोड़ के एमओयू हो चुके हैं। इन एमओयू के जरिए 5.5 लाख से ज्यादा रोजगार के अवसर पैदा होने की संभावना है।
लखनऊ : योगी सरकार ने फरवरी में होने वाले ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट 2023 (जीआईएस-23) में दस लाख करोड़ के निवेश का लक्ष्य रखा है। अभी जीआईएस-23 को दो माह से ज्यादा का वक्त बचा है और सरकार द्वारा शुरू किए गए पोर्टल निवेश सारथी के माध्यम से उसे 30 नवंबर तक 1.68 लाख करोड़ से ज्यादा के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हो चुके हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि इसमें से 1.25 लाख करोड़ के एमओयू हो चुके हैं। इन एमओयू के जरिए 5.5 लाख से ज्यादा रोजगार के अवसर पैदा होने की संभावना है। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की देश को 5 ट्रिलियन डॉलर वाली अर्थव्यवस्था बनाने की मंशा के अनुरूप उत्तर प्रदेश को वन ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य तय किया गया है। इस लक्ष्य की पूर्ति के लिए 10 से 12 फरवरी के मध्य उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन किया जा रहा है।
निवेश सारथी डैशबोर्ड के अनुसार, पोटर्ल के जरिए निवेशकों के साथ कुल 148 एमओयू अब तक साइन किए जा चुके हैं। इन 148 एमओयू के जरिए सरकार को कुल 125,885 लाख करोड़ के प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। इन एमओयू के जरिए होने वाले निवेश से उत्तर प्रदेश में 5,63,496 नौकरियों के सृजन की संभावना है। इन एमओयू से इतर, पोर्टल के जरिए अब भी 315 निवेश के प्रस्ताव ऐसे हैं जो अभी एमओयू की प्रक्रिया में आगे बढ़ रहे हैं। अगर इनके साथ भी एमओयू होता है तो उत्तर प्रदेश में भारी संख्या में युवाओं के लिए नौकरी के अवसर सामने आएंगे।
प्रदेश सरकार की ओर से निवेश सारथी के नाम से एक पोर्टल की शुरुआत की गई है। इस पोर्टल के जरिए ही निवेशक प्रदेश में निवेश का अपना इंटेंट दाखिल कर रहे हैं और यहां संबंधित विभाग से जुड़े नोडल अधिकारी उन्हें व्यापार और निवेश से जुड़ी सभी जानकारियां उपलब्ध करा रहे हैं। नोडल अधिकारी इंटेंट फाइल करने वाले निवेशकों का फॉलो-अप भी कर रहे हैं। उन्हें एमओयू तक ले जाने का प्रयास किया जा रहा है। सरकार की इस बदली हुई एप्रोच का ही नतीजा है कि आधिकारिक रूप से लॉन्च होने से पहले ही इस पोर्टल पर सरकार को सवा लाख करोड़ से ज्यादा के निवेश प्रस्ताव मिल गए थे। उम्मीद की जा रही है कि सरकार ने जो लक्ष्य तय किए हैं, ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट-23 की शुरुआत तक सरकार उसके काफी करीब पहुंच जाएगी।
निवेश सारथी के साथ ही एक अन्य पोर्टल निवेश मित्र भी महत्वपूर्ण भूमिका में होगा। यह पोर्टल निवेशकों के इंसेटिव्स को ऑनलाइन ही प्रोसेस कर देगा। निवेशकों को इंसेटिव्स के लिए दफ्तरों के चक्कर नहीं लगाने होंगे। इसके लिए सरकार ने पोर्टल पर ऑनलाइन इंसेंटिव्स मैनेजमेंट सिस्टम (ओआईएमएस) की शुरुआत की है। इसके जरिए इंसेंटिव्स की प्रक्रिया, स्वीकृति एवं भुगतान किया जाएगा। पोर्टल को इस तरह विकसित किया गया है कि यह स्वतः व्यापार की प्रवृत्ति को समझकर संबंधित विभाग की नीति के तहत मिलने वाले इंसेंटिव्स को अप्लाई करने का अवसर देगा। पोर्टल यह भी सुनिश्चित करेगा कि संबंधित विभाग में इंसेंटिव की प्रक्रिया का ऑनलाइन निस्तारण हो और प्रत्येक स्तर पर निवेशक इसके स्टेटस को ट्रैक कर सकें।