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यातायात दक्षता में सुधार

यातायात दक्षता में सुधार

कुशल परिवहन व्यवस्था (इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम: ITS) की व्याख्या : भारत जैसे विकासशील देशों में ITS के परिनियोजन में आने वाली चुनौतियां

कुशल परिवहन व्यवस्था (ITS) के अंतर्गत अत्याधुनिक सूचना और दूरसंचार प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके परिवहन सम्बन्धी समाधान प्रदान किया जाता है। यह स्थलीय परिवहन के लिए संवेदन (सेंसिंग), विश्लेषण, नियंत्रण और संचार प्रौद्योगिकियों को लागू करता है। यह लोगों, सड़कों और वाहनों की एक एकीकृत प्रणाली है जिसे सड़क सुरक्षा, दक्षता और सुविधा में सुधार हेतु महत्वपूर्ण योगदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसके यातायात दक्षता में सुधार साथ ही यातायात संकुलन में कमी करके यातायात को बेहतर तरीके से सुव्यवस्थित किया जाना है जिससे पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा।

तीव्र जनसंख्या वृद्धि और बढ़ती आर्थिक गतिविधियों से प्रेरित भारत में तेजी से बढ़ती वाहनों की संख्या ने शहरी क्षेत्रों में यातायात प्रबंधन पर एक महत्वपूर्ण दबाव उत्पन्न किया है। इस यातायात दक्षता में सुधार प्रकार, निम्नलिखित चुनौतियों के समाधान हेतु ITS के परिनियोजन की आवश्यकता है:

  • सभी उपयोगकर्ताओं के लिए सड़क सुरक्षा और बचाव में सुधार करना। उदाहरण के लिए यातायात और घटना प्रबंधन के लिए सूचना प्रदान करने हेतु CCTV का उपयोग कर वीडियो यातायात प्रबंधन।
  • बढ़ते संकुलन (अधिक भीड़) का समाधान, जो यात्रा की समयावधि और उद्योग लागत दोनों में वृद्धि कर रहा है। उदाहरण के लिए बसों हेतु ट्रैफिक सिग्नल की प्राथमिकता होती है और आटोमेटिक वेहिकल ट्रैकिंग सिस्टम के द्वारा पारगमन (ट्रांजिट) संबंधी कार्यक्रमों के लिए डेटा विश्लेषण किया जाता है।
  • यात्रियों और एजेंसियों को वास्तविक समय (रियल टाइम) में सूचना यातायात दक्षता में सुधार उपलब्ध कराना, यह बेहतर यात्रा नियोजन और यातायात प्रबंधन में सहायता करता है,कार्य के घंटों और ऊर्जा की बचत करता है और इस प्रकार एक टिकाऊ समाधान प्रस्तुत करता है।
  • सार्वजनिक परिवहन के प्रति आकर्षण में वृद्धि करना।
  • यातायात के पर्यावरणीय प्रभावों को कम करना।
  • माल ढुलाई प्रणाली (फ्रेट लॉजिस्टिक्स सिस्टम) की प्रतिस्पर्धात्मकता और प्रदर्शन में सुधार करना।

भारत जैसे विकासशील देशों में ITS के परिनियोजन में आने वाली चुनौतियां निम्नलिखित हैं:

  • प्रौद्योगिकी: सेंसर, डिटेक्टर और संचार युक्ति जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को विकसित किए जाने की आवश्यकता है। एक व्यापक डेटा संग्रहण प्रणाली विकसित करना भी एक चुनौतीपूर्ण कार्य होगा।
  • भारतीय यातायात प्रणाली का प्रारूप तैयार करना – एक विश्वसनीय ITS निर्मित करने के लिए यातायात प्रणाली की उचित समझ होना आवश्यक है।
  • आपूर्ति श्रृंखला: वस्तुओं और सेवाओं के प्रभावी, कुशल और सुरक्षित आवागमन के लिए यातायात दक्षता में सुधार परिवहन क्षेत्र से संबंधित विभिन्न शाखाओं की निर्बाध अंतर क्रियाशीलता।
  • ऊर्जा और वहनीयता: ईंधन कुशल परिवहन नीतियों और प्रणालियों को बढ़ावा देने के लिए इसे ऊर्जा क्षेत्र के साथ संयुक्त रूप से कार्य करना चाहिए।
  • मानव पूंजी विकास: एक ऐसा कार्यबल जो मौजूदा और उभरती प्रौद्योगिकियों को विकसित, प्रबंधित और सुरक्षित यातायात दक्षता में सुधार रूप से कार्यान्वित कर सकता है।
  • मानक: भारत के शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों पर लागू होने वाले ITS मानक स्थापित करना।
  • वाहनों की विविधता (हेटरोजेनिटी) का प्रबंधन: एक ITS डिजाइन करना जिसके अंतर्गत विविध प्रकार के वाहनों की संख्या सम्मिलित हों।
  • सहभागिता: अकादमिक जगत, उद्योग और सरकारी एजेंसियों के मध्य सक्रिय अंतःक्रिया की प्रक्रिया स्थापित करना।
  • विनियमन: यातायात से संबंधित नियमों और विनियमों की स्थापना करना जो ITS के कार्यान्वयन में सहायक सिद्ध होंगे।

यद्यपि भारत द्वारा यातायात को व्यवस्थित करने के लिए यातायात दक्षता में सुधार एक कुशल परिवहन प्रणाली में प्रवेश हेतु पहले ही सशक्त प्रयास किया जा चुका है। तथापि मुख्यधारा के यातायात प्रबंधन में उन्नत प्रौद्योगिकी और अवधारणाओं का अधिक व्यापक एवं तत्काल एकीकरण समय की मांग है। इसके लिए यातायात प्रणाली हेतु अधिक सक्रिय, प्राप्त करने योग्य, लघु और दीर्घकालिक प्रदर्शन लक्ष्यों को स्थापित करने की आवश्यकता है।

छात्र, गृहिणी व नौकरी पेशा लोग सुधार रहे चौराहों का बेतरतीब यातायात

छात्र, गृहिणी व नौकरी पेशा लोग सुधार रहे चौराहों का बेतरतीब यातायात

इंदौर. शहर के बदहाल ट्रैफिक व्यवस्था से तो हर कोई वाकिफ है। रात के समय तो प्रमुख चौराहों की स्थिति काफी बुरी हो जाती है। ऐसे में पुलिस की पहल पर छात्र, गृहिणी व नौकरी पेशा लोग आगे आए हैं। रोजाना रोटेशन व्यवस्था के तहत चार चौराहों पर यातायात व्यवस्था संभाल रहे हैं।
ट्रैफिक पुलिस ने पिछले दिनों नई पहल करते हुए 100 ट्रैफिक वार्डन तैयार किए। बकायदा इन्हें प्रशिक्षण भी दिया गया। इनकी सेवाएं विजय नगर इलाके में ली जा रही हैं। डीएसपी ट्रैफिक उमाकांत चौधरी ने बताया कि ट्रैफिक पुलिस के पास बल की कमी है। ऐसे में प्रमुख चौराहों पर ट्रैफिक संभालने में परेशानी आती है। कई चौराहे तो इतने बड़े हैं कि एक-दो पुलिसकर्मी भी काफी नहीं रहते। इसी को यातायात दक्षता में सुधार देखते हुए लोगो को ट्रैफिक जाम से मुक्ति दिलाने के लिए ट्रैफिक वार्डन तैयार किए। अभी विजय नगर इलाके के 100 लोगों को ट्रैफिक वार्डन बनाया हैं। इनमें अधिकतर छात्र, गृहिणियां, नौकरी पेशा, एनजीओ से जुड़े लोग शामिल हैं। यह अच्छी बात है कि इस तरह से शहर हित के लिए लोग खुद आगे बढक़र मदद के लिए सामने आए। विजय नगर इलाके के सत्यसांई, सयाजी, रसोमा व विजय नगर चौराह पर ये लोग ट्रैफिक व्यवस्था संभालते हैं। चौधरी ने बताया कि ये फिलहाल ट्रायल व्यवस्था है। हालांकि इस व्यवस्था से ट्रैफिक में काफी सुधार देखने को मिल रहा है। इसी तरह हर इलाके के लोगों को ट्रैफिक वार्डन बनाकर वहां के प्रमुख चौराहों पर मदद ली जाएगी।
शाम संभालते हैं व्यवस्था
रोजाना रोटेशन व्यवस्था के तहत 20 लोग ड्यूटी पर आते हैं। शाम 5 से रात 9 बजे तक ये लोग इन चौराहों पर रहते हैं। इनके साथ ट्रैफिक पुलिसकर्मी भी रहते हैं। ट्रैफिक जाम ना हो इसका तो यह लोग ध्यान रखते ही हैं साथ ही लोगों को यातायात नियमों का पालन करने के लिए भी जागरुक करते हैं।

सिविल सेवा मुख्य परीक्षा विषयवार अध्ययन/रोबोटिक्स और नैनो टेक्नोलॉजी

‘वैश्विक कृत्रिम बुद्धिमत्ता शिखर सम्मेलन’का आयोजन ऑल इंडिया काउंसिल फॉर रोबोटिक्स एंड ऑटोमेशन (AICRA) द्वारा किया जाता है। AICRA एक प्रमुख वैश्विक और गैर-लाभकारी संगठन है, जिसका उद्देश्य व्यावसायिक लाभ प्राप्त करने वाले संस्थानों को उच्च गुणवत्ता के सृजन हेतु उत्प्रेरित करके रोबोटिक्स, ऑटोमेशन तथा अन्य नई तकनीकों में कौशल विकास को बढ़ावा देना है। AICRA सीधे तौर पर या भागीदारी के माध्यम से संस्थानों को गुणवत्ता आश्वासन, सूचना प्रणाली तथा ट्रेन द ट्रेनर (Train The Trainer- TTT) अकादमियों जैसी तकनीकी सहायता प्रणाली प्रदान करता है।

  • इंटरनेट ऑफ़ थिंग्स (IOT) इंटरनेट के माध्यम से सुलभ भौतिक वस्तुओं का एक तंत्र होता है।

IOT में 'थिंग्स' हार्ट मॉनीटर वाला एक व्यक्ति यातायात दक्षता में सुधार या अंतर्निहित सेंसर वाला ऑटोमोबाइल हो सकता है, यानी वैसे ऑब्जेक्ट जिन्हें आईपी एड्रेस (IP address) सौंपा गया है और मैन्युअल सहायता (manual assistance) या हस्तक्षेप के बिना नेटवर्क पर डेटा एकत्र तथा स्थानांतरित करने की क्षमता रखते हैं। वस्तुओं में एम्बेडेड तकनीक (embedded technology) जोकि हार्डवेयर और सॉफ़्टवेयर का संयोजन होती है,आंतरिक अथवा बाह्य स्थितियों में मदद करती है, जो लिये गए निर्णयों को प्रभावित करती है। इंटरनेट ऑफ़ थिंग्स का लक्ष्य उन उपकरणों को प्राप्त करना है जो वास्तविक समय में स्वयं रिपोर्टिंग करते हैं, दक्षता में सुधार करते हैं और मानव हस्तक्षेप के आधार पर एक प्रणाली की तुलना में यातायात दक्षता में सुधार महत्त्वपूर्ण जानकारी को सामने लाते हैं। इंटरनेट ऑफ़ थिंग्स के उपयोग: स्वास्थ्य देखभाल : चिकित्सा के क्षेत्र में एक कनेक्टेड डिवाइस न केवल अस्पताल के अंदर बल्कि बाहरी रोगियों की निगरानी करने में भी चिकित्सकों की मदद कर सकती है। कंप्यूटर्स रोगियों का सटीक उपचार करने तथा सही परिणामों के विषय में डेटा का मूल्यांकन कर चिकित्सकों की सहायता कर सकते हैं। व्यवसाय: किसी स्टोर के अंदर उपभोक्ता के व्यवहार को ट्रैक करके, एक खुदरा विक्रेता उसी के अनुरूप उत्पाद अनुशंसाएँ कर सकता है जो समग्र रूप से उसकी बिक्री में वृद्धि करेंगी। शहरी नियोजन: IOT प्रौद्योगिकी, बुनियादी ढाँचे वाले भवनों को ऊर्जा संरक्षण और उनकी स्थायित्व में सुधार के कार्य को आसान बना सकती है।


वर्तमान में कई कंपनियों द्वारा विकसित किया जा रहा हाइपर लूप ज़मीनी यातायात का एक नया रूप है, जिसमें कम दबाव वाले ट्यूबों के भीतर हवा में तैरती हुई बोगी में 700 मील प्रति घंटे की रफ़्तार से यात्रा करने वाले यात्रियों को देखा जा सकेगा। इस विचार की कल्पना सबसे पहले स्पेस एक्स के इलोन मस्क द्वारा की गई थी। इसे “यातायात के पाँचवें माध्यम” के रूप में जाना जाता है और न केवल इसकी तीव्र गति होगी बल्कि यह शून्य-उत्सर्जन के साथ-साथ पर्यावरण के अनुकूल भी होगा। इसके लिये कम ऊर्जा की आवश्यकता होगी और खराब मौसम के साथ-साथ टक्कर से बचने के लिये इसमें प्रतिरक्षा प्रणाली भी होगी। इसे कॉनकॉर्ड, रेल गन तथा एयर हॉकी टेबल के मिश्रण के रूप में माना जाता है। हाइपर लूप यातायात दक्षता में सुधार चुंबकीय ढंग से हवा में तैरते हुए बहुत तीव्र गति से संचालित होता है। ये कैप्सूल यात्रियों को ट्यूब या सुरंगों के माध्यम से ले जाते हैं, जिनमें से अधिकांश वायु को घर्षण कम करने यातायात दक्षता में सुधार के लिये हटा दिया जाता है जिससे दबाव कम हो जाता है।

‘इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्ट सिस्टम'(Intelligent Transport System) क्या है?

केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने डासना, गाजियाबाद में ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे (Eastern Peripheral Expressway) पर भारत का पहला “इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्ट सिस्टम” (Intelligent Transport System) लॉन्च किया।

मुख्य बिंदु

  • इस प्रणाली को ट्रैफिक को कम करने और यात्रियों की सुरक्षा बढ़ाने के लिए विकसित किया गया था।
  • इस अवसर पर, मंत्री ने कहा कि, भारत को अपनी सड़क इंजीनियरिंग में सुधार करने की आवश्यकता है, क्योंकि हर साल भारत में 5 लाख दुर्घटनाओं में लगभग 1.5 लाख लोग मारे जाते हैं।

एक्सप्रेसवे पर इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्ट सिस्टम ( Intelligent Transport System – ITS )

  • ITS एक क्रांतिकारी अत्याधुनिक तकनीक है। यह कुशल बुनियादी ढांचे के उपयोग को बढ़ावा देकर, ट्रैफिक की समस्याओं को कम करके, ट्रैफिक के बारे में पूर्व सूचना प्रदान क करके, यात्रा के समय को कम करके और यात्रियों की सुरक्षा और आराम को बढ़ाकर यातायात दक्षता हासिल करेगा।
  • यह प्रणाली किसी भी दुर्घटना का पता लगा सकती है और यह सुनिश्चित करने के लिए अलर्ट प्राप्त कर सकती है कि एम्बुलेंस 10-15 मिनट के भीतर दुर्घटना स्थल पर पहुंच जाए।

मेरठ और मुज़फ्फरनगर में हाईवे प्रोजेक्ट

इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री ने उत्तर प्रदेश के मेरठ और मुजफ्फरनगर में 240 किलोमीटर लंबी राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं की आधारशिला भी रखी। इस परियोजना की कुल अनुमानित लागत 9,119 करोड़ रुपये है। मंत्री के अनुसार, इन परियोजनाओं से किसानों के लिए अपनी फसल को बाजार तक ले जाना आसान हो जाएगा, और इस तरह उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।

Eastern Peripheral Expressway (EPE)

कुंडली-गाजियाबाद-पलवल एक्सप्रेसवे को “ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे ” कहा जाता है। यह 135 किमी लंबा, 6-लेन चौड़ा एक्सप्रेसवे है जो हरियाणा और उत्तर प्रदेश से होकर गुजरता है। यह सोनीपत के कुंडली में वेस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे से शुरू होता है और उत्तर प्रदेश में बागपत, गाजियाबाद और नोएडा और हरियाणा के फरीदाबाद जिले से होकर गुजरता है। यह अंत में पलवल में धोलागढ़ के पास वेस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे से जुड़ता है। मार्च 2006 में, ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे को नेशनल एक्सप्रेसवे 2 (NE-2) के रूप में घोषित किया गया था।

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