ब्रोकर शुल्क

ब्रोकर(Broker) एक वित्तीय माध्यम बिचौलिया अथवा एजेंट होता है जिसके माध्यम से हम शेयर मार्केट में शेयर को खरीद बेच कर पाते हैं। ब्रोकर हमें विभिन्न वित्तीय साधनों जैसे Stocks Futures तथा derivative की खरीद बेच में मदद करता है।
ब्रोकर शुल्क
स्टॉक्सकार्ट SMC फाइनेंसियल सर्विसेज का हिस्सा है। स्टॉक्सकार्ट एक डिस्काउंट ब्रोकर है। इस ब्रोकर के ट्रेडिंग प्लेटफार्म और ब्रोकरेज शुल्क के कारन भारत मे ज्यादा तेजी से लोकप्रिय होता जा रहा है। इसकी शुरवात १९९४ मे हुई थी। इसके पहले स्टॉक्सकार्ट फुल टाइम सेवा देता था लेकिन जैसे सभी जानते है भारत मे फुल टाइम के बजाये डिस्काउंट ब्रोकर ही ज्यादा चलते है ब्रोकर शुल्क तो उन्होंने अपनी डिस्काउंट ब्रोकरेज सेवा शुरू की। इसके आलावा इनकी कुछ ब्रोकर शुल्क ऐसी खास सेवाएं है जो इस ब्रोकर को अन्य से अलग बताती चलिए जानते है इसके बारे मे
स्टॉक्सकार्ट की उत्पाद और सेवाएं :
- इक्विटी निवेश
- कमोडिटी निवेश
- मुद्रा निवेश
- डीमैट खाता
- म्यूच्यूअल फण्ड निवेश
- रिसर्च और सलाह
स्टॉक्सकार्ट स्टॉक ब्रोकर के फायदे :
ब्रोकिंग चार्जेस क्या होते हैं?
वे शुल्क जो ब्रोकर द्वारा अपनी सुविधाओं के एवज में लिया जाता है उसे ब्रोकिंग चार्जेस कहते हैं सभी ब्रोकरो के चार्ज एक से नहीं होते हैं यह इस पर भी निर्भर करते हैं कि किस प्रकार के ट्रांजैक्शन हमारे द्वारा किए जाते हैं यह शुल्क ब्रोकर द्वारा समय समय पर घटाया या बढ़ाया भी जा सकता है।
भारत में ब्रोकर द्वारा बता दो प्रकार के प्लान प्रदान किए जाते ब्रोकर शुल्क हैं
- Monthly Unlimited trading plan इसके अंतर्गत निवेशकों अथवा शेयरधारकों को एक निश्चित मासिक राशि शुल्क के रूप में ब्रोकर(Broker) को प्रदान की जाती है इसके तहत वे एक माह में असीमित stocks तथा securities की खरीद बेच कर सकते हैं।
- Flat per trade brokerage इसके अंतर्गत निवेशकों अथवा शेयरधारकों को प्रति सौदा के हिसाब से ब्रोकर को शुल्क चुकाना पड़ता है।
ट्रेडिंग हेतु ब्रोकरेज चार्ज की गणना किस प्रकार की जाती है?
ब्रोकर(Broker) शुल्क या ब्रोकरेज की गणना शेयर की खरीद बेच पर कुल कीमत के आधार पर एक निश्चित प्रतिशत के रूप में तय की जाती है यह मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है
- Intraday Trading जब किसी व्यक्ति द्वारा शेयर की खरीद तथा बेच एक ही दिन में की जाती है उस स्थिति में व्यक्ति द्वारा किए गए सौदे पर Intraday Trading शुल्क चुकाया जाता है।
जैसे किसी व्यक्ति द्वारा शेयर को खरीद कर उसी दिन ट्रेडिंग सेशन की समाप्ति के पूर्व शेयर को बेच दिया जाता है एसएसबी में ब्रोकर(Broker) शुल्क की गणना इंट्राडे ट्रेडिंग के अंतर्गत की जाती है इस स्थिति के लिए बेचे गाए और खरीदे गाए शेयर की संख्या समान होना आवश्यक है। इस प्रकार के सौदे पर ब्रोकर द्वारा लगाया गया intraday Trading शुल्क 0.01% से 0.05% के मध्य खरीद बेच किए गए शेयर की संख्या पर आधारित होता है। Intraday ब्रोकिंग ब्रोकर शुल्क शुल्क की गणना के लिए शेयर की बाजार कीमत को शेयर की संख्या तथा इंट्राडे शुल्क प्रतिशत के साथ गुणा कर की जाती है
शेयर मार्केट में ट्रेडिंग शुल्क के अलावा अन्य कौन-कौन से शुल्क होते हैं?
- Transaction Charges शेयर मार्केट(Share Market) में शेयर की खरीद ब्रोकर शुल्क बेच के दौरान स्टॉक एक्सचेंज द्वारा शुल्क लिया जाता है जिसे ट्रांजैक्शन चार्जेस कहा जाता है यह ट्रांजैक्शन चार्ज मुख्य रूप से नेशनल स्टॉक एक्सचेंज एनएसई तथा मुंबई स्टॉक एक्सचेंज बीएसई द्वारा लिए जाते हैं।
- Security Transaction charges यह शुल्क सौदे (trade) में उपयुक्त securities की कीमत के आधार पर लगाया जाता है।
- Commodity transaction charges यह शुल्क स्टॉक ब्रोकर शुल्क एक्सचेंज में commodity derivative के सौदे (trade) पर लगाया जाता है।
- Stamp ब्रोकर शुल्क duty (स्टांप शुल्क) यह शुल्क राज्य सरकार द्वारा securities इसकी trading पर लगाया जाता है।
- GST (goods and service tax)वस्तु एवम सेवा कर यह शुल्क केंद्र सरकार द्वारा ट्रांजैक्शन चार्जेस तथा ब्रोकिंग शुल्क पर लगाया जाता है। वर्तमान में यह 18% है।
- SEBI turnover charges यह शुल्क बाजार नियामक संस्था सेबी द्वारा सभी प्रकार के वित्तीय लेन देन जैसे stocks तथा सभी securities (debt को छोड़कर आदि पर लगाया जाता है।
- DP( Depository Participants)
ऐसे ब्रोकरों से दूर रहें, जो ज्यादा उधारी का लालच दें
इन दिनों ब्रोकरेज कंपनियां उन खुदरा निवेशकों को लुभाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रही हैं, जो हाल में बड़ी तादाद में बाजार में उतर रहे हैं। ये कंपनियां ऐसे खुदरा निवेशकों को लुभाने के लिए उन्हें गिफ्ट वाउचर के साथ शून्य या काफी कम शुल्क लेकर खाता खोलने की पेशकश कर रही हैं। वे सालाना रखरखाव शुल्क पर भी भारी छूट देने या एक पाई भी नहीं लेने का वादा कर रही हैं। इतना ही नहीं, नए ग्राहक जोडऩे में मदद करने पर भी ब्रोकरेज कंपनियां निवेशकों को गिफ्ट वाउचर दे रही हैं। लेकिन इन लुभावनी बातों के झांसे में न आकर निवेशकों को एकाग्रचित्त होकर उस ब्रोकर का चयन करना चाहिए, जिसके पास रकम एवं शेयर लंबे समय तक सुरक्षित रह पाएंगे।
ऐसी ब्रोकरेज कंपनियों से तो दूर ही रहें, जो निवेशकों को शेयर पर दांव लगाने के लिए अधिक रकम उधार देने (लीवरेज या मार्जिन ट्रेडिंग) की पेशकश करती हैं। देश की सबसे बड़ी ब्रोकरेज कंपनी जीरोधा के संस्थापक एवं मुख्य कार्याधिकारी नितिन कामत कहते हैं, 'ऐसी ब्रोकरेज कंपनियां ग्राहकों को लुभाने के लिए जोखिम प्रबंधन के नियमों को ताक पर रखती हैं और अधिक जोखिम लेती हैं।' अगर कोई ब्रोकरेज कंपनी शेयर पर दांव लगाने के लिए चार से पांच गुना तक उधार रकम मुहैया करने की ब्रोकर शुल्क पेशकश करती है तो इसमें कोई बुराई नहीं है, लेकिन उन कंपनियों से जरूर दूर रहना चाहिए जो 20 गुना तक उधार देने का दावा करती हैं। कामत निवेशकों को उन ब्रोकरेज कंपनियों से भी कन्नी ब्रोकर शुल्क काटने की सलाह देते हैं, जिनके बहीखाते पर कर्ज का बोझ अधिक है। ऐसी कंपनियों के बारे में जानकारी मामूली शुल्क देकर कंपनी मामलों के मंत्रालय से प्राप्त की जा सकती है।
प्रॉपर्टी ब्रोकर और ब्रोकरेज फर्म के बीच मुख्य अंतर
एक विशाल संपत्ति बाजार में, कभी-कभी संपत्ति ब्रोकर, रियल एस्टेट एजेंट या रियल्टी सलाहकार के बिना एक संपत्ति खरीदने या बेचने के लिए संभव नहीं हो सकता है, जो आपको उसी के साथ मदद करता है। इस मामले में, क्या आपको अपने लिए काम करने के लिए एक व्यक्तिगत एजेंट या ब्रोकरेज फर्म को चुनना चाहिए? हम कुछ उत्तरों को खोजने की कोशिश करते हैं, जो प्रत्येक ऑफ़र के लाभों को देखते हैं।
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