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स्टॉप लॉस क्या होता है

स्टॉप लॉस क्या होता है
Trading Tips: बाजार की मौजूदा उतार-चढ़ाव के बीच ट्रेडर्स को मॉनीटरी रूझान पर निगाह बनाए रखना चाहिए ताकि अपने पैसों को डूबने से बचा सकें. (Image- Pixabay)

Trading Tips Share Market: अगर आप ऐसे करेंगे ट्रेडिंग, तो शेयर मार्केट में कभी नहीं डूबेगा आपका पैसा

Share Market में काफी उतार-चढ़ाव चल रहा है, ऐसे में जो आदमी इसमें अपना मेहनत का पैसा लगता है, उसे काफी हद तक सतर्क रहने की जरूरत होती.

By: ABP Live | Updated at : 24 Aug 2022 03:46 PM (IST)

Edited By: Sandeep

Trading Tips In Share Market : आज के दौर में शेयर बाजार (Share Market) में काफी उतार-चढ़ाव चल रहा है, ऐसे में जो आदमी इसमें अपना मेहनत का पैसा लगता है, उसे काफी हद तक सतर्क रहने की जरूरत होती. उसे शेयर मार्केट पर बारीक़ निगाह रखनी पड़ती है, ट्रेडर्स पर निगाह गड़ाए रखना होता है. जिससे आपका पैसा मार्केट में अच्छा बैकअप दे और डूबे नहीं. आपको ट्रेंडिंग करते समय कुछ बातो का ध्यान रखते है, तो आपका शेयर मार्केट में कभी नहीं डूबेगा. ये निम्न बातें है-

  • शेयरों की खरीद-फरोख्त से पहले आपको रिसर्च करना चाहिए. इससे आसानी होगी कि किस भाव पर आपको अपनी पोजिशन को स्क्वॉयर ऑफ करना है.
  • Share Market से पैसे बनाने के लिए आपको आंकलन करना चाहिए. बाजार के रूझानों की बजाय स्पष्ट संकेत मिलने पर ट्रेडिंग करें. फंडामेंटल रूप से मजबूत कंपनी में निवेश कपना बेहतर फैसला है.
  • बाजार को लेकर सटीक अनुमान से आप बेहतर मुनाफा कमा सकते हैं. फॉरेक्स ट्रेडर्स तकनीक का जमाना आ गया है जिससे ट्रेडर्स को रीयल टाइम में मार्केट डेटा मिल जाता है.
  • Share Market में ट्रेडि्ंग पिरामिड (Trading Pyramid) अप्रोच के साथ करें. शेयर मार्केट में आपको रिस्क के बारे स्टॉप लॉस क्या होता है में पहले ही सोचना होगा कि आप कितनी पूंजी गंवाने की क्षमता रखते हैं.
  • आपको ऐसा पैसा निवेश करना होगा जिसे आप अफोर्ड कर सकते हैं. रिस्क पिरामिड (Risk Pyramid) का मतलब है कि रिस्क के हिसाब से अपनी पूंजी को बांटकर ट्रेडिंग कर सके.
  • रिस्क मैनेज के लिए जरूरी है कि आप स्टॉप लॉस (Stop Loss) का इस्तेमाल करें और अपने प्रॉफिट को सुरक्षित करें.
  • स्टॉप लॉस का मतलब सौदा शुरू करने से पहले ऐसा प्राइस लेवल तय करना है जिसके नीचे आप रिस्क नहीं लेना चाहते हैं.
  • वहीं दूसरी तरफ टेक प्रॉफिट (Take Profit) एक लिमिट ऑर्डर है जिसका इस्तेमाल एक खास भाव पहुंचने पर मुनाफा कमाने के लिए किया जाता है.
  • अगर आप ट्रेडिंग करते हैं तो आपको एक स्ट्रेटजी के साथ मार्केट में एंट्री करनी होगी. इससे आप किस तरह से ट्रेड करते है.
  • जब आप स्ट्रेटजी के हिसाब से चलेंगे तो न सिर्फ आपका समय बचेगा बल्कि आप बड़े स्तर पर चीजों को देख-समझ सकेंगे.

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Published at : 24 Aug 2022 06:44 PM (IST) Tags: Share Market trading Share market Tips Trading Tips trading share price हिंदी समाचार, ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें abp News पर। सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट एबीपी न्यूज़ पर पढ़ें बॉलीवुड, खेल जगत, कोरोना Vaccine से जुड़ी ख़बरें। For more related stories, follow: Business News in Hindi

ट्रिगर प्राइस क्या होता है?

इसका मतलब यह है कि ट्रिगर प्राइस आपके दोनों ऑर्डर में से किसी एक को एक्टिवेट करने का काम करता है।
ट्रिगर प्राइस का इस्तेमाल स्टॉप लॉस ऑर्डर के लिए किया जाता है। अगर आपने Buy की पोजीशन क्रिएट की है तो उसमें आप स्टॉपलॉस लगाकर ट्रिगर प्राइस का यूज कर सकते हैं। अगर आपने सेल स्टॉप लॉस क्या होता है की पोजीशन क्रिएट की है तो उसमें भी आप स्टॉपलॉस लगाकर ट्रिगर प्राइस का यूज कर सकते हैं।

जब भी आप स्टॉप लॉस ऑर्डर प्लेस करते हैं तो आपको दो तरह के प्राइस एंटर करने पड़ते हैं: ट्रिगर प्राइस और लिमिट प्राइस। जब भी शेयर का मूल्य आपके द्वारा दर्ज किए गए ट्रिगर प्राइस तक पहुंच जाता है तो सिस्टम द्वारा आपका स्टॉप लॉसआर्डर एक्टिवेट हो जाता है और जब वह प्राइस आपके द्वारा दर्ज किए गए लिमिट प्राइस पर पहुंच जाता है तो आपका स्टॉपलॉस आर्डर एग्जीक्यूट हो जाता है।

जब तक स्टॉक का प्राइस आपके द्वारा स्टॉप लॉस क्या होता है दर्ज किए गए ट्रिगर प्राइस तक नहीं पहुंचता है तब तक आपका ऑर्डर सिर्फ आपके स्टॉक ब्रोकर तक ही रहता है। यह एक्सचेंज में नहीं भेजा जाता है और जैसे ही स्टॉक स्टॉप लॉस क्या होता है का प्राइस ट्रिगर प्राइस तक पहुंच जाता है आपका ऑर्डर एक्टिव ऑर्डर में आ जाता है और लिमिट प्राइस तक पहुंचते ही एग्जीक्यूट हो जाता है।

उदाहरण के तौर पर मान लीजिए आपने कोई शेयर 100 रुपए में खरीदा है और आप उसका स्टॉप लॉस ₹90 रखना चाहते हैं। स्टॉप लॉस का यहां मतलब यह है कि जब भी स्टॉक का प्राइस गिरने लगे और ₹90 से नीचे चला जाए तो आप उस स्टॉक को बेचना चाहेंगे तो ज्यादा नुकसान सहना नहीं जाएंगे और आप ₹10 के नुकसान के साथ ही मार्केट से एग्जिट करना पसंद करेंगे।

इस स्थिति में जब आप अपना स्टॉपलॉस आर्डर लगाने लगेंगे तो आपको ट्रिगर प्राइस दर्ज करने के लिए पूछा जाएगा। वह ट्रिगर प्राइस आपकी मर्जी का होगा आप जहां चाहे वहां ट्रिगर प्राइस रख सकते हैं। मान लीजिए अगर आप ट्रिगर प्राइस ₹95 रख देते हैं और लिमिट प्राइस ₹90 दर्ज कर देते हैं।

तो इस स्थिति में जब भी स्टॉक का प्राइस गिरने लगेगा और ₹95 पर आ जाएगा तो आपका स्टॉप लॉस ऑर्डर ऑटोमेटिकली एक्टिवेट हो जाएगा और जब यह गिरते-गिरते ₹90 को पार कर जाएगा तो आपका स्टॉप लॉस ऑर्डर एक्जिक्यूट हो जाएगा और आपके द्वारा खरीदा गया शेयर अपने आप ₹90 पर बिक जाएगा।

ट्रिगर प्राइस को शेयर को कम दाम पर खरीदने और ज्यादा दाम पर बेचने के लिए भी सेट किया जाता है।

स्टॉक मार्केट में बने रहना हो तो हमें हमेशा स्टॉप लॉस के साथ ही काम करना चाहिए और एक सीमित नुकसान के साथ मार्केट से निकल जाना चाहिए अगर मार्केट हमारी दिशा में ना चल रहा हो।

What is Target - Stop loss in share market | Stop Loss और Target क्या होता है ?

शेयर मार्केट (share market) में निवेश के लिए स्टॉपलॉस (Stop loss) और टारगेट (Target) काफी महत्वपूर्ण रहते हैं। शेयर मार्केट में आने से पहले आपको यह बात पता होनी चाहिए कि शेयर मार्केट में जितना फायदा हो सकता है उतना ही आपको नुकसान भी शेयर मार्केट में हो सकता है ।

अगर आपको पता नहीं है कि स्टॉपलॉस और टारगेट क्या होता है तो आपके लिए यह बात जानना बेहद जरूरी है । आइए इसका मतलब जानने की कोशिश करते हैं । किसी भी शेयर का स्टॉप लॉस वह मूल्य है जिससे ज्यादा आप को नुकसान नहीं हो सकता । आइए इसको एक उदाहरण से समझे है ।

मान लीजिए कि आपने किसी कंपनी का शेयर ₹100 में खरीदा है और उसका टारगेट प्राइस ₹150 रखा है और इसका स्टॉपलॉस प्राइस आपने ₹70 रखा है तो इसका मतलब यह है कि अगर यह शेर ₹70 के नीचे जाएगा तो आपकी पोजीशन वहां से कट कर दी जाएगी मतलब की आपको उससे ज्यादा लॉस नहीं हो सकता और ठीक वैसे ही आपने टारगेट प्राइस 130 रखा है इसका मतलब यह है कि अगर शेयर 130 की टारगेट प्राइस तक पहुंचता है तो आपका प्रॉफिट वहां से बुक हो जाएगा ।

अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी हो तो इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से शेयर करें ताकि उनको भी शेयर मार्केट की जानकारी मिल सके ।

What is Target - Stop loss in share market | Stop Loss और Target क्या होता है ?

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स्टॉप-लॉस ऑर्डर क्या होती है ? What is Stop Loss Order?

स्टॉप-लॉस ऑर्डर (Stop Loss Order) मतलब जब स्टॉक एक निश्चित कीमत पर पहुंच जाता है तो उसे खरीदने या बेचने के लिए एक ऑर्डर दिया जाता है जिसे स्टॉप-लॉस ऑर्डर कहते है । स्टॉप-लॉस एक सुरक्षा स्थिति पर निवेशक के नुकसान को सीमित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। उदाहरण के लिए, जिस कीमत पर आपने स्टॉक खरीदा था, उस कीमत से १०% कम के लिए स्टॉप-लॉस ऑर्डर (Stop Loss Order) सेट करना आपके नुकसान को १०% तक सीमित कर देगा।

मान लीजिए आपने अभी-अभी टाटा मोटर्स के शेयर्स ₹ ३०० प्रति शेयर पर खरीदा है। स्टॉक खरीदने के ठीक बाद, आप ₹ २७० के लिए स्टॉप-लॉस ऑर्डर दर्ज करते हैं। यदि स्टॉक ₹ २७० से नीचे आता है, तो आपके शेयर प्रचलित बाजार मूल्य पर बेचे जाएंगे।

स्टॉप-लिमिट ऑर्डर स्टॉप-लॉस ऑर्डर के (Stop Loss Order) समान हैं। हालाँकि, जैसा कि उनके नाम में कहा गया है, उस कीमत की एक सीमा है जिस पर वे निष्पादित करेंगे। स्टॉप-लिमिट ऑर्डर में निर्दिष्ट दो मूल्य हैं: स्टॉप प्राइस, जो ऑर्डर को सेल ऑर्डर में बदल देगा, और लिमिट प्राइस जहा आर्डर निष्पादित किया जायेगा । ऑर्डर बेचने के लिए मार्केट ऑर्डर के बजाय वो एक लिमिट ऑर्डर (Limit Order) बन जाता है जो केवल लिमिट प्राइस पर ही निष्पादित होगा।

स्टॉप-लॉस ऑर्डर के लाभ ( Advantages of the Stop-Loss Order)

स्टॉप-लॉस (Stop Loss) ऑर्डर का सबसे महत्वपूर्ण लाभ यह है कि इसे लागू करने के लिए कुछ भी खर्च नहीं होता है। शेयर मूल्य स्टॉप-लॉस मूल्य तक पहुंचने के बाद ही आपसे नियमित कमीशन लिया जाता है और स्टॉक को बेचा जाता है ।

स्टॉप-लॉस ऑर्डर (Stop Loss Order) का एक अतिरिक्त लाभ यह है कि यह निर्णय लेने को किसी भी भावनात्मक प्रभाव से मुक्त होने की अनुमति देता है। लोग स्टॉक के साथ “प्यार में पड़ जाते हैं”। उदाहरण के लिए, वे इस गलत धारणा को बनाए रख सकते हैं कि यदि वे स्टॉक को एक और मौका देते हैं, तो यह अपनी दिशा में जाएगा। वास्तव में, यह देरी केवल नुकसान का कारण बन सकती है।

इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप किस प्रकार के निवेशक हैं, आपको आसानी से यह पहचानने में सक्षम होना चाहिए कि आपके पास स्टॉक क्यों है। एक वैल्यू इन्वेस्टर का क्राइटेरिया ग्रोथ इन्वेस्टर के क्राइटेरिया से अलग होगा, जो एक एक्टिव ट्रेडर के क्राइटेरिया से अलग होगा। रणनीति कोई भी हो, रणनीति तभी काम करेगी जब आप रणनीति पर टिके रहेंगे। इसलिए, यदि आप एक कट्टर बाय-एंड-होल्ड निवेशक हैं, तो आपके लिए स्टॉप-लॉस ऑर्डर (Stop Loss Order) बेकार हैं।

अंत में, यदि आप को एक सफल निवेशक बनाना हैं, तो आपको अपनी रणनीति पर भरोसा होना चाहिए। इसका मतलब है कि अपनी योजना के साथ आगे बढ़ना है स्टॉप-लॉस ऑर्डर (Stop Loss Order) का लाभ यह है कि वे आपको ट्रैक पर बने रहने में मदद कर सकते हैं और आपके फैसले को भावनाओं से ढकने से रोक सकते हैं।

आपको यह महसूस करना महत्वपूर्ण है कि स्टॉप-लॉस ऑर्डर (Stop Loss Order) गारंटी नहीं देते हैं कि आप शेयर बाजार में पैसा कमाएंगे; आपको अभी भी बुद्धिमान निवेश निर्णय लेने होंगे। यदि आप ऐसा नहीं करते हैं, तो आप उतना ही पैसा खो देंगे जितना आप बिना स्टॉप-लॉस (Stop Loss) के खो देंगे।

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स्टॉप-लॉस ऑर्डर भी मुनाफे में लॉक करने का एक तरीका है ( Stop-Loss Orders Are Also a Way to Lock In Profits)

स्टॉप-लॉस ऑर्डर (Stop Loss Order) को पारंपरिक रूप से नुकसान को रोकने के तरीके स्टॉप लॉस क्या होता है के रूप में माना जाता है। हालांकि, इस टूल का एक अन्य उपयोग मुनाफे में लॉक करना है। इस मामले में, कभी-कभी स्टॉप-लॉस ऑर्डर को “ट्रेलिंग स्टॉप” कहा जाता है। यहां, स्टॉप-लॉस ऑर्डर मौजूदा बाजार मूल्य से नीचे प्रतिशत स्तर पर सेट किया गया है (उस कीमत पर नहीं जिस पर आपने इसे खरीदा है)। स्टॉप-लॉस की कीमत स्टॉक की कीमत में उतार-चढ़ाव के रूप में समायोजित होती है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यदि कोई स्टॉक ऊपर जाता है, तो आपको एक अवास्तविक लाभ होता है।

एक अनुगामी स्टॉप का उपयोग करने से आप मुनाफे को चलने दे सकते हैं, जबकि साथ ही, कम से कम कुछ वास्तविक पूंजीगत लाभ की गारंटी दे सकते हैं।

ऊपर से हमारे टाटा मोटर्स के उदाहरण के साथ जारी रखते हुए, मान लीजिए कि आपने मौजूदा कीमत से १०% कम के लिए एक पिछला स्टॉप ऑर्डर सेट किया है, और स्टॉक एक महीने के भीतर ₹ ३३० तक बढ़ जाता है। आपका पिछला-स्टॉप ऑर्डर तब ₹ २७० प्रति शेयर (₹ ३३० – (१०% x ₹ ३०० ) = ₹ २७० ) पर लॉक हो जाएगा। क्योंकि यह सबसे खराब कीमत है जो आपको प्राप्त होगी, भले ही स्टॉक में अप्रत्याशित गिरावट आई हो, आप लाल रंग में नहीं होंगे। बेशक, ध्यान रखें कि स्टॉप-लॉस ऑर्डर अभी भी एक मार्केट ऑर्डर (Market Order) है – यह केवल निष्क्रिय रहता है और ट्रिगर मूल्य तक पहुंचने पर ही सक्रिय होता है।

इसलिए, जिस कीमत पर आपकी बिक्री वास्तव में ट्रेड करती है, वह निर्दिष्ट ट्रिगर कीमत से थोड़ी भिन्न हो सकती है।

स्टॉप-लॉस ऑर्डर के नुकसान ( Disadvantages of Stop-Loss Orders)

स्टॉप-लॉस ऑर्डर (Stop Loss Order) का एक फायदा यह है कि आपको बार बार यह देखने की ज़रूरत नहीं है कि कोई स्टॉक रोजाना कैसा प्रदर्शन कर रहा है। यह सुविधा विशेष रूप से तब उपयोगी होती है जब आप छुट्टी पर होते हैं या ऐसी स्थिति में होते हैं जब आपको एक विस्तारित अवधि के लिए अपने स्टॉक को देखना मुश्किल हो जाता है।

मुख्य नुकसान यह है कि स्टॉक की कीमत में अल्पकालिक उतार-चढ़ाव के कारन स्टॉप प्राइस को सक्रिय कर देता है। स्टॉप-लॉस स्टॉक को दिन-प्रतिदिन उतार-चढ़ाव करने स्टॉप लॉस क्या होता है की अनुमति देता है, जबकि जितना संभव हो उतना नकारात्मक जोखिम को भी रोकता है। ऐसे स्टॉक पर ५% स्टॉप-लॉस ऑर्डर (Stop Loss Order) सेट करना जिसका एक सप्ताह में १०% या उससे अधिक उतार-चढ़ाव का हो रहा हो, ये सबसे अच्छी रणनीति नहीं हो सकती है। इसी वजह से आप अपने स्टॉप-लॉस ऑर्डर के निष्पादन से उत्पन्न कमीशन पर पैसे खो सकते है ।

जिस स्तर पर स्टॉप लगाया जाना चाहिए, उसके लिए कोई सख्त नियम नहीं हैं; यह पूरी तरह से आपकी व्यक्तिगत निवेश शैली पर निर्भर करता है। एक सक्रिय व्यापारी ५% स्तर का उपयोग कर सकता है, जबकि एक दीर्घकालिक निवेशक १५% या अधिक का चयन कर सकता है।

ध्यान रखने वाली एक और बात यह है कि, एक बार जब आप अपने स्टॉप प्राइस पर पहुंच जाते हैं, तो आपका स्टॉप ऑर्डर मार्केट ऑर्डर बन जाता है। तो, जिस कीमत पर आप बेचते हैं वह स्टॉप प्राइस से काफी अलग हो सकता है। यह तथ्य तेजी से बढ़ते बाजार में विशेष रूप से सच है जहां शेयर की कीमतें तेजी से बदल सकती हैं। स्टॉप-लॉस ऑर्डर (Stop Loss Order) के साथ एक और प्रतिबंध यह है कि कई ब्रोकर आपको ओटीसी बुलेटिन बोर्ड स्टॉक या पेनी स्टॉक जैसी कुछ प्रतिभूतियों पर स्टॉप ऑर्डर देने की अनुमति नहीं देते हैं।

स्टॉप-लिमिट ऑर्डर (Stop Loss Order) में और संभावित जोखिम हैं। ये आदेश मूल्य सीमा की गारंटी दे सकते हैं, लेकिन व्यापार निष्पादित नहीं किया जा सकता है। यदि स्टॉप-लिमिट ऑर्डर ट्रिगर होता है तो बाजार तेजी के दौरान निवेशकों को नुकसान पहुंचा सकता है , लेकिन सीमा मूल्य के माध्यम से बाजार मूल्य विस्फोट से पहले स्टॉप-लिमिट ऑर्डर नहीं भरा जाता है। यदि किसी कंपनी के बारे में बुरी खबर आती है और स्टॉप-लॉस मूल्य से सीमा मूल्य केवल ₹ १ या ₹ २ से भी कम है, तो शेयर की कीमत फिर से बढ़ने से पहले निवेशक को अनिश्चित अवधि के लिए स्टॉक रखना होगा ।

दोनों प्रकार के ऑर्डर्स को या तो दिन के रूप में दर्ज किया जा सकता है या फिर जब तक रद्द नहीं किया जा सकता।

तल – रेखा ( The Bottom Line)

स्टॉप-लॉस ऑर्डर एक सरल उपकरण है, फिर भी कई निवेशक इसका प्रभावी ढंग से उपयोग करने में विफल रहते हैं। लगभग सभी निवेश शैलियों को इस उपकरण से लाभ हो सकता है। एक बीमा पॉलिसी के रूप में स्टॉप-लॉस के बारे में सोचें।

जरुरी संपर्क (LINKS) इन शेयर मार्किट – NSE & BSE INDIA : IMPORTANT LINKS

Trading Tips: ट्रेडिंग करते समय इन पांच बातों का रखें स्टॉप लॉस क्या होता है ख्याल, नहीं डूबेगा शेयर मार्केट में पैसा

Trading Tips: किसी भी तरीके से आप फैसले लें, ट्रेडिंग करते समय कुछ चीजों का आपको हमेशा ख्याल रखना चाहिए.

Trading Tips: ट्रेडिंग करते समय इन पांच बातों का रखें ख्याल, नहीं डूबेगा शेयर मार्केट में पैसा

Trading Tips: बाजार की मौजूदा उतार-चढ़ाव के बीच ट्रेडर्स को मॉनीटरी रूझान पर निगाह बनाए रखना चाहिए ताकि अपने पैसों को डूबने से बचा सकें. (Image- Pixabay)

Trading Tips: बाजार की मौजूदा उतार-चढ़ाव के बीच ट्रेडर्स को मॉनीटरी रूझान पर निगाह बनाए रखना चाहिए ताकि अपने पैसों को डूबने से बचा सकें. चाहे आप मार्केट में ट्रेड करें या इंवेस्टमेंट, बाजार की इस उतार-चढ़ाव के बीच बेहतर फैसला लेना होता है ताकि रिस्क को घटा सकें और अपने रिटर्न को बढ़ा सकें. हालांकि किसी भी तरीके से आप फैसले लें, ट्रेडिंग करते समय कुछ चीजों का आपको हमेशा ख्याल रखना चाहिए.

अफोर्डेबल रिल्क

अगर सब कुछ आपकी रणनीति के मुताबिक ही रहा तो शेयरों की ट्रेडिंग से आप शानदार मुनाफा कमा सकते हैं लेकिन शेयर मार्केट में उतना ही रिस्क लेना चाहिए जितनी आपकी क्षमता हो. रिस्क का मतलब है कि आप कितनी पूंजी गंवाने की क्षमता रखते हैं. कभी भी ऐसे पैसे को निवेश करें जिसे आप गंवाना नहीं अफोर्ड कर सकते हैं. कोशिश करें कि शेयर मार्केट में ट्रेडि्ंग पिरामिड अप्रोच के साथ करें. रिस्क पिरामिड का मतलब है कि रिस्क के हिसाब से अपनी पूंजी को बांटकर ट्रेडिंग करना.

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‘स्टॉप लॉस’ और ‘टेक प्रॉफिट’ के साथ करें ट्रे़डिंग

ट्रेडिंग के दौरान भाव में उतार-चढ़ाव को लगातार ट्रैक करना लगभग असंभव है. चूकने पर भारी नुकसान भी हो सकता है और बंपर मुनाफा भी. हालांकि रिस्क मैनेज करने के लिए जरूरी है कि आप स्टॉप लॉस का इस्तेमाल करें स्टॉप लॉस क्या होता है और बाजार की विपरीत परिस्थितियों में अपने प्रॉफिट को सुरक्षित करें. स्टॉप लॉस का मतलब सौदा शुरू करने से पहले ऐसा प्राइस लेवल तय करना है जिसके नीचे आप रिस्क नहीं लेना स्टॉप लॉस क्या होता है चाहते हैं. वहीं दूसरी तरफ टेक प्रॉफिट एक लिमिट ऑर्डर है जिसका इस्तेमाल एक खास भाव पहुंचने पर मुनाफा कमाने के लिए किया जाता है.

तकनीकी का करें इस्तेमाल

ट्रेडिंग में संभवतः टाइम स्टॉप लॉस क्या होता है फैक्टर सबसे महत्वपूर्ण टूल है. बाजार को लेकर सटीक अनुमान से आप बेहतर मुनाफा कमा सकते हैं. काफी समय पहले फॉरेक्स ट्रेडर्स को स्टॉक एक्सचेंज ऑफिसों से फॉरेक्स मार्केट के उतार-चढ़ाव की जानकारी लेनी होती थी लेकिन अब तकनीक का जमाना आ गया है जिससे ट्रेडर्स को रीयल टाइम में मार्केट डेटा मिल जाता है.

अपना रिसर्च करें

शेयरों की खरीद-बिक्री से पहले रिसर्च स्टॉप लॉस क्या होता है जरूर करना चाहिए. इससे आपको यह तय करने में आसानी होगी कि किस भाव पर आपको अपनी पोजिशन को स्क्वॉयर ऑफ करना है. शेयर मार्केट से पैसे बनाने के लिए हमेशा किस्मत ही नहीं, एनालिसिस भी बहुत महत्पूर्ण भूमिका निभाती है. बाजार के रूझानों की बजाय स्पष्ट संकेत मिलने पर ही ट्रेडिंग करें. फंडामेंटल रूप से मजबूत कंपनी में निवेश कपना बेहतर फैसला है.

स्ट्रेटजी के साथ करें ट्रेडिंग

अगर आप शेयरों की खरीद-बिक्री यानी ट्रेडिंग करते हैं तो आपको एक स्ट्रेटजी के साथ मार्केट में प्रवेश करना चाहिए. इससे आपको यह स्पष्ट रूप से पता रहेगा कि आप किस तरह से ट्रेड करना चाहिए. जब आप स्ट्रेटजी के हिसाब से चलेंगे तो न सिर्फ आपका समय बचेगा बल्कि आप बड़े स्तर पर चीजों को देख-समझ सकेंगे जो समय, इकनॉमिक ट्रेंड और मार्केट एक्सपेक्ट्स के हिसाब से बदलती रहती हैं.
(Article: Marc Despallieres, Chief Strategy & Trading Officer at Vantage)

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