अपने विदेशी मुद्रा बाजार को जानें

जानकार कहते हैं कि समीक्षाधीन सप्ताह में रुपये की गिरावट को थामने के लिए RBI ने डॉलर की बिक्री की. यह भी मुद्रा भंडार के घटने के पीछे मुख्य वजह रही.
Pakistan Economic Crisis: श्रीलंका के रास्ते पर पाकिस्तान की इकोनामी, खाली हो रहा विदेशी मुद्रा भंडार; जानें एक्सपर्ट की राय
आर्थिक बदहाली झेल रहे पाकिस्तान में पेट्रोल और डीजल की कीमतें आसमान छू रही हैं और लोग एक लीटर ईंधन के लिए 248 और 263 रुपये का भुगतान कर रहे हैं। बता दें पाकिस्तान 250 अरब अमेरिकी डालर से अधिक के कर्ज का सामना कर रहा है।
इस्लामाबाद, एजेंसियां। आर्थिक तंगी झेल रहे पाकिस्तान के लिए स्वतंत्र शासन के 75 साल काफी उथल-पुथल भरे और अशांत रहे हैं। सैन्य शासन और नागरिक सरकारों के बीच झूलता हुआ देश आज तक अपने किसी भी प्रधानमंत्री के पूरे पांच साल के कार्यकाल को देखने में विफल रहा है। इस राजनीतिक रस्साकशी ने राज्य के लिए विभिन्न आंतरिक चुनौतियों को जन्म दिया है, जो अपने गठन के समय एक उज्ज्वल भविष्य के लिए बहुत आश्वस्त और आत्मविश्वासी था। विशेष रूप से, पाकिस्तान की अस्थिरता के इतिहास में पिछले कुछ वर्षों में असाधारण रूप से गड़बड़ी हुई है, जिससे गंभीर आर्थिक अनिश्चितता पैदा हुई है। घटते विदेशी मुद्रा भंडार और बढ़ती मुद्रास्फीति के साथ, इस्लामिक गणराज्य अब आर्थिक पतन के कगार पर है। इस साल जून में पाकिस्तान में मुद्रास्फीति बढ़कर 21.3 प्रतिशत हो गई।
विदेशी मुद्रा भंडार में आई 2 अरब डॉलर की कमी, जानें क्या है वजह
कोटक सिक्योरिटीज में डिप्टी वाइस प्रेसिडेंट (टेक्निकल रिसर्च) अनिंद्य बनर्जी ने कहा, "जहां डॉलर की कीमतों में तेज बढ़त दर्ज की गई. वहीं, अन्य मुद्राएं कमोबेश अपने पिछले स्तर पर यथावत रहीं. चूंकि विदेशी मुद्रा भंडार का अंतिम वैलुएशन डॉलर में होता है. लिहाजा, अन्य प्रमुख अपने विदेशी मुद्रा बाजार को जानें मुद्राओं की कीमत घटने से कुल एसेट में कमी आई."
इससे पिछले सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 1.36 अरब डॉलर बढ़कर 420.05 अरब डॉलर हो गया था. समीक्षाधीन सप्ताह में विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां (FCA) 2.03 अरब डॉलर घटकर 390.19 अरब डॉलर रह गईं.
विदेशी मुद्रा भंडार में FCA का हिस्सा सबसे बड़ा होता है. FCA को डॉलर में व्यक्त किया जाता है. मुद्रा भंडार में यूरो, पौंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी मुद्राओं की कीमत बढ़ने/घटने का इस पर असर पड़ता है.
Foreign Exchange Reserves: देश का विदेशी मुद्रा भंडार 897 मिलियन डॉलर घटा, FCA में गिरावट
Foreign exchange reserves fall देश का विदेशी मुद्रा भंडार घट अपने विदेशी मुद्रा बाजार को जानें गया है। आरबीआई के मुताबिक पांच अगस्त को समाप्त सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 89.7 करोड़ डॉलर घट गया। इसके साथ भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 572.978 अरब डॉलर हो गया।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। देश का विदेशी मुद्रा भंडार घट गया है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के अनुसार, पांच अगस्त को समाप्त सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 89.7 करोड़ डॉलर घटकर 572.978 अरब डॉलर रह गया। बता दें कि 29 जुलाई को समाप्त पिछले सप्ताह में भंडार 2.अपने विदेशी मुद्रा बाजार को जानें 315 बिलियन अमेरिकी डॉलर बढ़ा था। जुलाई को समाप्त पिछले सप्ताह में भंडार में भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार 573.875 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया था।
समीक्षाधीन सप्ताह में विदेशी मुद्रा असेट्स (एफसीए) घटा
आपको बता दें कि अपने विदेशी मुद्रा बाजार को जानें 5 अगस्त को समाप्त सप्ताह में भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट दर्ज की गई है। आंकड़ों के मुताबिक, समीक्षाधीन सप्ताह में विदेशी मुद्रा असेट्स (एफसीए) घटा है। विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियां (Foreign Currency Assets) विदेशी मुद्रा भंडार का बड़ा घटक होता है। आंकड़ों के मुताबिक इस अवधि में एफसीए 1.611 अरब डॉलर घटकर 509.646 अरब डॉलर हो गया है।
सोने का भंडार 671 मिलियन अमेरिकी डॉलर बढ़ा
डॉलर के कमजोर होने से एफसीए में विदेशी मुद्रा भंडार में रखे गए यूरो, पाउंड और येन जैसी गैर-अमेरिकी यूनिट्स की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई है। हालांकि, 5 अगस्त को समाप्त सप्ताह में सोने का भंडार 671 मिलियन अमेरिकी डॉलर बढ़कर 40.313 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है।
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के साथ विशेष आहरण अधिकार (Special Drawing Rights-SDR) 46 मिलियन अमेरिकी डॉलर बढ़कर 18.031 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया। आईएमएफ के साथ देश की आरक्षित स्थिति समीक्षाधीन सप्ताह में 30 लाख अमेरिकी डॉलर घटकर 4.987 अरब अमेरिकी डॉलर रह गई।
2013 के टैपर-टैंट्रम की तरह विदेशी मुद्रा भंडार खाली कर रहा भारत, रिजर्व बैंक धड़ल्ले से बेच रहा डॉलर
नई दिल्ली : घरेलू शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों की बिकवाली से रुपये में आई कमजोरी को थामने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) विदेशी मुद्रा भंडार को तेजी से खाली कर रहा है. वह लगातार डॉलर को बेचने में जुटा है. मीडिया की रिपोर्ट्स में बताया जा रहा है कि आरबीआई रुपये की गिरावट को थामने के लिए जिस प्रकार से डॉलर की बिक्री कर रहा है, उसने 2013 के टैपर-टैंट्रम की याद दिला दी है. वर्ष 2013 में भी रुपये की गिरावट को थामने के लिए आरबीआई ने विदेशी मुद्रा भंडार का इस्तेमाल करते हुए डॉलर की धड़ल्ले से बिक्री की थी.
2013 में भी आरबीआई ने धड़ल्ले से बेची थी डॉलर
बता दें कि रुपये की जोरदार गिरावट को थामने के लिए आरबीआई ने वर्ष 2013 के दौरान भी विदेशी मुद्रा भंडार से डॉलर की बिक्री की थी. मीडिया की रिपोर्ट में बताया गया है कि आरबीआई ने जून से सितंबर 2013 के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार से करीब 13 अरब डॉलर की बिक्री कर दी थी. उस समय मई 2013 में अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने इस बात के संकेत दिए थे कि वह अपने बॉन्ड खरीद कार्यक्रम को बंद करेगा, जो अपने विदेशी मुद्रा बाजार को जानें वैश्विक आर्थिक मंदी के कारण वैश्विक स्टॉक और बॉन्ड्स में अचानक बिकवाली का दौर शुरू हो गया था. इसका मतलब यह था कि अमेरिका का केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व धन की आपूर्ति बंद कर देगा. जब फेडरल रिजर्व बॉन्ड खरीद कार्यक्रम को बंद करने वाला बयान दिया था, तब यह माना गया था कि अमेरिका का केंद्रीय बैंक ब्याज दरों में बढ़ोतरी करेगा. इसका नतीजा यह निकला कि निवेशकों ने उभरती अर्थव्यवस्थाओं से दूरी बना ली. उन्होंने शेयर बाजारों से रातोंरात अपना पैसा निकल लिया. अर्थशास्त्रियों ने निवेशकों की इस गतिविधि को टैपर-टैंट्रम नाम दिया था.
अभी कितनी बेस मनी
आरबीआई की शुद्ध विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों के माध्यम से 4 नवंबर से बेस मनी में 32,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि के साथ, पिछले चार हफ्तों में केंद्रीय बैंक द्वारा विदेशी मुद्रा एब्जॉर्प्शन 8 अरब डॉलर से अधिक होने का अनुमान है. इस साल 21 अक्टूबर से 11 नवंबर के बीच रिजर्व मनी या बेस मनी में कुल फॉरेन एक्सचेंज एसेट्स को जोड़ने पर 67,000 करोड़ रुपये की रकम हुई. बेस मनी, केंद्रीय बैंक के विदेशी मुद्रा भंडार के 90% से अधिक को दर्शाती है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि आने वाले महीनों में विनिमय दर पर दबाव कम होने की उम्मीद है क्योंकि वैश्विक कच्चे तेल और कमोडिटी की कीमतें गिरावट की ओर बढ़ रही हैं. जनवरी 2022 से कुछ दिन पहले तक अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में लगभग 10% की गिरावट दर्ज की गई थी. लेकिन विदेशी निवेशकों द्वारा मजबूत आर्थिक विकास की उम्मीदों पर भारतीय संपत्ति में खरीदारी शुरू करने के संकेतों के बीच हाल के हफ्तों में रुपये ने अपने कुछ नुकसानों की भरपाई कर ली है. घरेलू शेयर बाजार में कमजोरी के रुख और विदेशों में डॉलर के मजबूत होने से अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में गुरुवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 38 पैसे की गिरावट के साथ 81.64 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था.