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अमरीका में बढ़ रहा है संयुक्त परिवारों का रुझान

सप्ताह पूर्व एक रविवार की शाम शोभना राम अपनी रसोई में जूठे बर्तन डिशवाशर में डाल रही थी। तभी अचानक उसका 85 वर्षीय ससुर डिनर टेबल से उठा और एक हाथ में छड़ी और दूसरे में खाली रुझान सूचक प्लेट लेकर उसकी ओर चल पड़ा। अचानक आंख के कोने में से उसे महसूस हुआ कि वह लड़खड़ा गया है और संतुलन खो बैठा है। जब उसने पूरी तरह उधर नजर घुमा कर देखा तो उसकी छड़ी दूर जा गिरी थी और उसका सिर रसोई के काऊंटर की ग्रेनाइट की स्लैब से टकरा गया था।
उसने फटाफट 911 नम्बर पर फोन मिलाया और सोचा कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। उसने खुद को भाग्यशाली माना कि उसने और उसके पति ने 2016 में बहुत समझदारी से काम लेते हुए पुराना छोटा-सा मकान बेच कर यह बड़े आकार वाला मकान खरीदा था जहां वे 6 लोग यानी दोनों पति-पत्नी, उनके 2 किशोर बच्चे और बूढ़े माता-पिता के अलावा परिवार का कुत्ता भी आसानी से रह सकता है।

इस परिवार का यह फैसला अमरीकियों में इस बढ़ते बदलाव का सूचक है कि वे नए ढंग से जीने का विकल्प चुन रहे हैं।
दो अर्थशास्त्रियों ने 2002 में अपने एक अध्ययन में खुलासा किया था कि 19वीं शताब्दी के अंत में किस तरह वृद्ध विधवाएं अपने बच्चों में से किसी एक के साथ रहा करती थीं लेकिन 1940 आते-आते यह व्यवस्था चरमरानी शुरू हो गई। तब तक अपनी किसी संतान के साथ रहने वाली विधवाओं की संख्या घटकर 60 प्रतिशत तक आ चुकी थी। 1990 की जनगणना के अनुसार अमरीका में अपने किसी बाल-बच्चे के साथ रहने वाली बूढ़ी विधवाओं की संख्या मात्र 20 प्रतिशत ही रह गई थी। क्या 1940 में अमरीकियों का अपनी बूढ़ी माताओं के प्रति प्रेम समाप्त हो गया था? नहीं, ऐसा बिल्कुल नहीं हुआ था बल्कि उन्हीं दिनों सोशल सिक्योरिटी के लिए अभी-अभी ‘न्यू डील’ कानून लागू हुआ था और अब बुजुर्गों को वित्तीय रूप में अपने परिवारों पर निर्भर नहीं रहना पड़ रहा था।

यूनिवर्सिटी आफ कैलिफोर्नियां की अर्थशास्त्री कैथलीन मैक्गेरी ने बताया : ‘‘इस कानून से वृद्ध लोगों की आय बढ़ गई थी और उन्होंने स्वतंत्र रूप में रहने का विकल्प चुन लिया था। जब उनमें वित्तीय सामथ्र्य आ गया तो उन्होंने इस पैसे से निजी जीवन की प्राइवेसी खरीद ली।’’

लेकिन लगभग एक दशक पूर्व जनसंख्या विशेषज्ञों ने यह नोट किया कि एक ही छत के नीचे विभिन्न पीढ़ियों के लोगों का एक साथ रहने का रुझान बढ़ रहा है। एक बार फिर इस अभियान के लिए आर्थिक कारण ही जिम्मेदार थे और सबसे बड़ा कारण था आर्थिक मंदी। जनसंख्या ब्यूरो की रिपोर्ट में बताया गया कि 2007 से लेकर 2010 के बीच संयुक्त परिवारों की संख्या 11 प्रतिशत से भी अधिक बढ़ गई है। इस वृद्धि के लिए मुख्य तौर पर यह घटनाक्रम जिम्मेदार था कि युवा लोगों ने अपने अभिभावकों या अन्य रिश्तेदारों के साथ रहना शुरू कर दिया था। 1980 के वर्षों में 12 प्रतिशत की ऐतिहासिक गिरावट छूने के बाद अमरीका में संयुक्त परिवारों का आंकड़ा 2014 में फिर से 19 प्रतिशत तक पहुंच गया।

आर्थिक मंदी से पूर्व 2006 में 85 वर्ष या इससे अधिक आयु के लोगों में से केवल 20 प्रतिशत ही संयुक्त परिवारों में रहते थे। लेकिन 2014 में यह अनुपात 24 प्रतिशत तक पहुंच गया था। आखिर कई दशकों से चले आ रहे रुझान को उलटी दिशा में कौन सी बात घुमा रही है?

इसकी व्याख्या के लिए हम अनेक कारणों की ओर इशारा कर सकते हैं। इनमें से एक तो है मकानों की बढ़ती कीमतें। अन्य कारण हैं सेवानिवृत्ति के समय तक पर्याप्त मात्रा में बचत न हो पाना तथा लम्बे समय तक देखभाल की बढ़ती लागत, लेकिन शोधकर्ताओं और विशेषज्ञों की दलील है कि संयुक्त परिवारों के बढ़ते रुझान के लिए अमरीका की जनसंख्या का बदलता स्वरूप जिम्मेदार है।

पाऊला स्पैन

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स्कोर के माध्यम से अवसरों को प्राथमिकता दें

अत्यधिक प्रतिस्पर्धी बाजार में, यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि अपने बिक्री लक्ष्य तक पहुँचने के लिए आप अच्छे अवसरों पर समय लगाएँ. अवसरों को हासिल करने के लिए आपको उन्हें पहचानना होगा और उन्हें प्राथमिकता देनी होगी. Dynamics 365 Sales Insights की पूर्वानुमानित अवसर स्कोरिंग सुविधा एक स्कोरिंग मॉडल प्रदान करती है ताकि आप पाइपलाइन में मौजूद अवसरों के लिए स्कोर उत्पन्न कर सकें. आउट-ऑफ-द-बॉक्स मॉडल स्कोर को प्रभावित करने वाले शीर्ष कारकों का चुनाव करता है. एक व्यवस्थापक मॉडल को अनुकूलित करके स्कोर को प्रभावित करने वाले शीर्ष कारकों को देख सकता है और संशोधित कर सकता है. अधिक जानने के लिए, पूर्वानुमानित अवसर कॉन्फ़िगर करें देखें.

यह मॉडल अवसरों और संबंधित निकायों, जैसे संपर्क और खाता, से संकेतों के आधार पर अवसरों के लिए 0 से 100 के बीच का स्कोर प्रदान करता है. इन स्कोर्स का उपयोग करके, आप उन अवसरों को पहचानकर उन्हें प्राथमिकता दे सकते हैं जिन्हें हासिल करने की अधिक संभावना है.

उदाहरण के लिए, मान लीजिए कि आपके पास अपनी पाइपलाइन में दो अवसर हैं - अवसर A और अवसर B. अवसर स्कोरिंग मॉडल अवसर A के लिए 75 और अवसर B के लिए 55 का स्कोर लागू करता है. स्कोर को देखकर, रुझान सूचक आप अनुमान लगा सकते हैं कि अवसर A की हासिल की गई डील में परिवर्तित होने की अधिक संभावना है और आप इसके साथ सहभागिता कर सकते हैं. साथ ही, स्कोर को प्रभावित करने वाले मुख्य कारणों को देखते हुए आप आगे विश्लेषण कर सकते हैं कि अवसर B का स्कोर कम क्यों है और यह निर्णय ले सकते हैं कि इस स्कोर को बेहतर कैसे बनाया जाए.

अपने संगठन में पूर्वानुमानित अवसर स्कोरिंग सक्षम करने के लिए अपने सिस्टम व्यवस्थापक से संपर्क करें. और जानकारी: पूर्वानुमानित अवसर स्कोरिंग कॉन्फ़िगर करें

अलग-अलग दृश्यों में अवसर स्कोरिंग को समझें

आपके संगठन में पूर्वानुमानित अवसर स्कोरिंग सक्षम होने पर, आपके लिए मेरे खुले अवसर के स्कोर सिस्टम दृश्य उपलब्ध होता है. यह दृश्य अवसर स्कोर, अवसर ग्रेड और अवसर स्कोर रुझान सहित विभिन्न पैरामीटर्स के साथ अवसरों की सूची प्रदान करता है. इन पैरामीटर्स का विश्लेषण करके, आप अवसरों को हासिल की गई डील्स में परिवर्तित करने के लिए उन्हें पहचानकर प्राथमिकता दे सकते हैं.

निम्न स्क्रीन एक विशिष्ट दृश्य प्रदर्शित करती है जिसमें वे स्तंभ हैं जिनका उपयोग अवसरों का विश्लेषण करके उन्हें प्राथमिकता देने के लिए किया जा सकता है.

मेरा खुला अवसर स्कोर दृश्य

क्रमांकित स्तंभ हैं:

अवसर स्कोर. वह मान निर्दिष्ट करता है जो 1 से 100 के स्केल पर अवसर की एक डील में परिवर्तित होने की संभावना दर्शाता है. 100 के स्कोर वाले अवसर की एक हासिल की गई डील में परिवर्तित करने की अधिकतम संभावना होती है.

मॉडल प्रत्येक 24 घंटे के लिए स्कोर की गणना करता है, इसलिए,नया अवसर के लिए स्कोर दिखाने में अनुप्रयोग को 24 घंटे लग सकते हैं.

अवसर स्कोर रुझान. उस दिशा के बारे में संकेत देता है, जिसमें अवसर का रुझान है, जैसे सुधार कर रहा है (ऊपर तीर), कम हो रहा है (नीचे तीर), स्थिर है (दायाँ तीर), या पर्याप्त जानकारी नहीं. ये रुझान वर्तमान अवसर स्कोर रुझान सूचक के साथ पिछले स्कोर की तुलना करके प्रदर्शित किए जाते हैं. उदाहरण के लिए, एक अवसर का स्कोर 65 था और वर्तमान स्कोर घटकर 45 हो गया है. अवसर स्कोर रुझान स्तंभ में एक नीचे तीर प्रदर्शित किया जाता है जो यह निर्दिष्ट करता है कि अवसर कर्षण खो रहा है और स्कोर में सुधार के लिए आपकी ओर से कुछ कार्रवाई करने की आवश्यकता है.

अवसर ग्रेड. यह एक श्रेणी या गुणवत्ता का स्तर निर्दिष्ट करता है जो उत्पन्न स्कोर के आधार पर किसी अवसर को प्रदान किया जाता है. उच्च श्रेणी रुझान सूचक वाले अवसरों में जीत के सौदों में रुपांतरित होने की संभावना अधिक होती है. किसी अवसर की श्रेणी को क्रमशः हरे, बैंगनी, पीले और लाल रंग के साथ ए, बी, सी और डी में वर्गीकृत किया गया है, जहां श्रेणी ए (हरे) लीड की अवसरों में रुपान्तरित होने की सर्वाधिक संभावनाएं होती हैं, जिसके बाद श्रेणी बी (बैंगनी), श्रेणी सी (पीला) और श्रेणी डी (लाल) की. सिस्टम व्यवस्थापक एक श्रेणी के लिए अवसर स्कोर सीमाएँ परिभाषित कर सकता है, जो संगठनात्मक आवश्यकताओं पर निर्भर होते हैं.

अवसर स्कोरिंग विज़ेट को समझें

प्रपत्रों में, अवसर स्कोर विज़ेट उन शीर्ष सकारात्मक और नकारात्मक कारणों को प्रदर्शित करता है, जो स्कोर को प्रभावित करते हैं. ये कारण अवसर के एट्रिब्यूट्स और संबंधित निकायों के एट्रिब्यूट्स से उत्पन्न होते हैं. ये कारण आपको अवसर का विश्लेषण और उस पर कार्य करने में मदद करते हैं, ताकि उसके स्कोर को सुधारा जा सके और अवसर को एक संभावित डील में रूपांतरित किया जा सके. निम्नलिखित छवि एक विशिष्ट अवसर स्कोर विज़ेट दिखाती है.

Press Information Bureau

Prakash Javadekar: Union minister of Environment, Forest, & Climate Change; Information & Broadcasting; Heavy Industries & Public Enterprises There is always a debate of how much freedom press enjoys in a country. But, In India, the only time when the. Continue Reading →

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प्रेस की आजादी का सूचक-भाग- II

भारत को प्रेस की आजादी के इंडेक्‍स लॉक, स्‍टॉक और बैरल को क्‍यों खारिज करना चाहिए ए. सूर्यप्रकाश: विशेषज्ञ– डेमोक्रेसी स्‍टडीज भारत, जिसके संविधान की प्रस्तावना में धर्मनिरपेक्षता अंतर्निहित है और जिसका कोई राष्‍ट्रीय धर्म नहीं है, और जो समतावाद. Continue Reading →

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THE PRESS FREEDOM INDEX – PART II

WHY INDIA SHOULD REJECT THE PRESS FREEDOM INDEX LOCK, STOCK AND BARREL A.SURYA PRAKASH :Specialist-Democracy Studies How can India, which has secularism embedded in the preamble of its constitution and which has no state religion, and which elects its head. Continue Reading →

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प्रेस की आजादी का रुझान सूचक सूचक-भाग- I

क्‍या भारत बर्किना फासो के नक्‍शे कदम पर है ! ए. सूर्यप्रकाश : विशेषज्ञ– डेमोक्रेसी स्‍टडीज पेरिस स्थित गैर सरकारी संगठन, रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (आरएसएफ), दुनिया के विभिन्न देशों में पत्रकारों को उपलब्ध स्वतंत्रता की स्थिति का अनुमान लगाने के. Continue Reading →

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THE PRESS FREEDOM INDEX – PART I

BURKINA FASO WAY AHEAD OF INDIA! A.SURYA PRAKASH :Specialist-Democracy Studies The Paris-based NGO, Reporters Without Borders (RSF), has come out with its latest Press Freedom Index to judge the degree of freedom available to journalists in different countries of the world. This. Continue Reading →

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शिक्षित नारी ही समृद्ध भारत की कुंजी है

सौभाग्य से विश्व के वृहद्तम शिक्षा तंत्रों में से एक का परिवारिक सदस्य होने के नाते मुझे सम्पूर्ण देश की शिक्षण संस्थाओं के दीक्षांत समारोहों में जाने का अवसर मिलता रहता है। एक रुझान स्पष्ट रूप से सामने आता है. Continue Reading →

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An educated woman is the key to a prosperous India

It is my great fortune that I am a member of one of the largest education systems in the world and, since I am a part of that family, I get the opportunity to attend convocation ceremonies of several educational. Continue Reading →

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महिलाएं ही एक स्वस्थ और प्रगतिशील राष्ट्र की नींव हैं

21वीं सदी में भारत की गाथा अभूतपूर्व विकास और नवाचार को बयां करती है। स्‍वास्‍थ्‍य क्षेत्र में तो हमने बेहद चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में पोलियो का सफाया कर दिया है। यही नहीं, हमें वैश्विक लक्ष्य की तय समय सीमा से पहले. Continue Reading →

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Women are the foundation of a healthy and progressive nation

The story of India in the 21st century has been one of extraordinary growth and innovation. In the health scape, we have eliminated polio under incredibly challenging circumstances, and have been validated for maternal and neonatal tetanus elimination before the. Continue Reading →

भारत में टूरिस्टों के बीच लोकप्रिय बने हुए हैं ये शहर, अब लंबी अवधि के लिए आ रहे हैं इंटरनेशनल पर्यटक

यात्रा प्रतिबंधों पर लगातार ढिलाई के बाद अब अंतरराष्‍ट्रीय ट्रैवलर्स भारत में लंबी अवधि के लिए आना चाह रहे हैं. इसके साथ ही नए ठिकानों को भी तलाश रहे हैं. इस बात की जानकारी एयरबीएनबी रुझान सूचक द्वारा हाल में जारी डाटा में दी गई है.

Published: August 25, 2022 2:20 PM IST

भारत में टूरिस्टों के बीच लोकप्रिय बने हुए हैं ये शहर, अब लंबी अवधि के लिए आ रहे हैं इंटरनेशनल पर्यटक

यात्रा प्रतिबंधों पर लगातार ढिलाई के बाद अब अंतरराष्‍ट्रीय ट्रैवलर्स भारत में लंबी अवधि के लिए आना चाह रहे हैं. इसके साथ ही नए ठिकानों को भी तलाश रहे हैं. इस बात की जानकारी एयरबीएनबी द्वारा हाल में जारी डाटा में दी गई है. जिसमें कहा गया है कि इंटरनेशनल पर्यटक अब भारत में नये पर्यटक ठिकानों को देखना चाहते हैं और यहां ज्यादा वक्त तक रुकना चाहते हैं. इससे साफ संकेत जाहिर होता है कि पर्यटक उद्योग अब पटरी पर आ रहे हैं और इसकी रफ्तार बढ़ रही है. जिस कारण टूरिज्म से जुड़े हुए लोगों के सामने ज्यादा आर्थिक अवसर भी पैदा हो रहे हैं.

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भारत द्वारा यात्राओं पर लगे तमाम प्रतिबंधों को हटाने की घोषणा के बाद से अंतरराष्‍ट्रीय यात्रियों की उत्‍साही प्रतिक्रियाएं दिखने को मिल रही हैं. अंतरराष्‍ट्रीय पर्यटकों द्वारा भारत में एयरबीएनबी स्‍टे को सर्च करने के मामले 2021 की तुलना में 2022 में 60 फीसदी बढ़ोतरी आई है. जो इस बात का सूचक है पर्यटन उद्योग आर्थिक रिकवरी को प्रेरित और प्रोत्‍साहित कर रहा है. गौरतलब है कि भारत लिव एनीवेयर रिमोट-वर्क रुझान का लाभ उठाने के लिहाज से काफी फायदेमंद स्थिति में है और डिजिटल रुझान सूचक नोमैड्स की संख्‍या बढ़ने के साथ ही एयरबीएनबी पर लॉन्‍ग-टर्म स्‍टे को लेकर सर्च में तेजी आयी है. एयरबीएनबी सर्वे के अनुसार, 87 प्रतिशत भारतीय सफर करते हुए या अपने मूल निवास स्‍थान से कहीं दूर रहकर काम करने की तैयारी में जुटे हैं. रिवेंज ट्रैवल पूरे जोर-शोर से जारी है और यात्री शहरों के अलावा पर्वतीय स्‍थलों तथा समुद्रतटों को भी पसंद कर रहे हैं. भारत में नई दिल्‍ली, बेंगलुरु, रुझान सूचक मुंबई, हैदराबाद और चेन्‍नई जैसे महानगर घरेलू एवं अंतरराष्‍ट्रीय दोनों श्रेणियों के पर्यटकों के बीच लोकप्रिय बने हुए हैं.

ट्रैवलर्स गोवा, केरल, पांडिचेरी रुझान सूचक के लोकप्रिय बीच डेस्टिनेशंस के अलावा हिमाचल प्रदेश और उत्‍तराखंड जैसे हिल स्‍टेशनों को भी पसंद कर रहे हैं. भारत में ट्रैवल संबंधी सर्च के मामले में कनाडा, संयुक्‍त अरब अमीरात, ब्रिटेन, जर्मनी और आस्‍ट्रेलिया के अंतरराष्‍ट्रीय ट्रैवलर्स सबसे आगे हैं.

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