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क्रिप्टोकरेंसी क्या है और इसकी पूरी जानकारी

क्रिप्टोकरेंसी क्या है और इसकी पूरी जानकारी
RBI Digital Rupee: आरबीआई ने 1 दिसंबर को रिटेल डिजिटल रुपी का पहला पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है.

पर्सनल डेटा और 5 सर्वर में लगी थी सेंध

दिल्ली एम्स सर्वर हैकिंग मामले में एक नया खुलासा हुआ है। हैकिंग की जांच कर रहे अधिकारियो ने चीन की ओर इशारा किया है। बताया गया है कि एम्स के 5 सर्वर हैक किए गए थे। IFSO के मुताबिक, हैकिंग के दौरान पर्सनल डेटा भी लीक हुआ है। ये डेटा डार्क वेब के मेन डोमेन पर भी होने की संभावना है। इससे भारत के VVIP सहित लाखों मरीजों के सीक्रेट डेटा लीक होने की आशंका बढ़ गई है। हालांकि, अधिकारी इस बात से इनकार कर रहे हैं कि किसी भी डेटा से समझौता किया गया है।ये इंटरनेट सर्चिंग का ही हिस्सा है, लेकिन इसे सामान्य रूप से सर्च इंजन पर नहीं ढूंढा जा सकता। इस तरह की साइट को खोलने के लिए स्पेशल क्रिप्टोकरेंसी क्या है और इसकी पूरी जानकारी ब्राउजर की जरूरत होती है, जिसे टॉर कहते हैं। डार्क वेब की साइट को टॉर एन्क्रिप्शन टूल की मदद से छुपा दिया जाता है। ऐसे में कोई यूजर्स इन तक गलत तरीके से पहुंचता है तो उसका डेटा चोरी होने का खतरा हो जाता हैसाइबर एक्सपर्ट्स के मुताबिक चीन के दो रैनसमवेयर ग्रुप- सम्राट ड्रैगनफ्लाई और ब्रॉन्ज स्टारलाइट इस हमले के पीछे हो सकते हैं। हालांकि, अभी इसकी पुष्टि की जा रही है। दूसरा संदेह लाइफ नाम के एक ग्रुप पर है, जिसे वानारेन नामक रैंसमवेयर का नया वर्जन माना जा रहा है। जांच से यह भी पता चलता है कि हो सकता है कि हैकर्स ने बिक्री के लिए डेटा को डार्क वेब पर डालना शुरू कर दिया हो, क्योंकि उनकी मांगें पूरी नहीं हुई थीं।पिछले मंगलवार को एम्स दिल्ली का सर्वर हैक करने वालों ने 200 करोड़ रुपए की डिमांड की थी। हैकर्स ने पेमेंट क्रिप्टोकरेंसी में करने को कहा था। हालांकि, दिल्ली पुलिस ने किसी तरह की फिरौती मांगे जाने की बात से इनकार कर दिया था।

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एडिटोरियल

यह एडिटोरियल 16/11/2022 को ‘इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित “How we can further our efforts in curbing terror financing” लेख पर आधारित है। इसमें आतंकी वित्तपोषण और इससे संबद्ध चुनौतियों के बारे में चर्चा की गई है।

आज पूरी दुनिया में आतंकवाद क्रिप्टोकरेंसी क्या है और इसकी पूरी जानकारी का खतरा मंडरा रहा है। अस्पष्ट रूप एवं चरित्रों के विभिन्न आतंकवादी समूह, नए किस्म का साइबर आतंकवाद, बढ़ते ‘लोन वुल्फ’ हमले—ये सभी हिंसा के अशुभ खतरों को बढ़ा रहे हैं। भारत ने आतंकवाद का आघात झेला है और पिछले कुछ दशकों में कई बड़े शहरों में विवेकहीन हिंसक विस्फोटों में जान-माल की गंभीर हानि देखी है।

प्रौद्योगिकी और संचार में परिवर्तनों एवं प्रगति के साथ जैसे-जैसे दुनिया सिकुड़ती जा रही है, आतंकवादियों, हथियारों और धन का राष्ट्रीय सीमाओं के आर-पार जाना भी सरल होता जा रहा है। इस परिदृश्य में विभिन्न देशों के कानून प्रवर्तन प्राधिकारों के बीच अंतर्राष्ट्रीय सहयोग स्थापित करना ऐसी सीमा पार चुनौतियों का मुकाबला करने के लिये अनिवार्य हो गया है।

आतंकवाद का मुकाबला करने के लिये भारत की प्रमुख पहलें

  • 26/11 आतंकवादी हमले के बाद भारत ने आतंकवाद को लेकर एक बेहद गंभीर रुख अपनाया है। जनवरी 2009 में आतंकी अपराधों से निपटने के लिये क्रिप्टोकरेंसी क्या है और इसकी पूरी जानकारी राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (National Investigation Agency- NIA) की स्थापना की गई थी।
  • भारत में गैरकानूनी गतिविधियाँ(रोकथाम) संशोधन अधिनियम(Unlawful Activities (Prevention) Amendment Act- UAPA) प्राथमिक आतंकवाद विरोधी कानून है।
  • सुरक्षा से जुड़ी जानकारी जुटाने के लिये नेशनल इंटेलिजेंस ग्रिड (NATGRID) की स्थापना की गई है।
  • आतंकवादी हमलों पर त्वरित प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने के लिये राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड(National Security Guard- NSG) हेतु एक ऑपरेशनल हब का सृजन किया गया है ।

आतंकवाद का मुकाबला करने के लिये प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय पहलें

भारत में आतंकवाद से संबंधित प्रमुख चुनौतियाँ

  • आतंकवाद की कोई वैश्विक परिभाषा नहीं: आतंकवाद के संघटन के संदर्भ में इसकी कोई सार्वभौमिक रूप से स्वीकृत परिभाषा नहीं है, इसलिये किसी गतिविधि/कृत्य विशेष को आतंकवादी कृत्य के रूप में वर्गीकृत करना कठिन है, जो फिर आतंकवादियों को एक बढ़त प्रदान करती है और कुछ देशों को चुप रहने तथा वैश्विक संस्थाओं के पटल पर किसी भी कार्रवाई को वीटो करने का अवसर देती है।
  • आतंकवादका बढ़ता जाल: इंटरनेट एक अपेक्षाकृत अनियमित एवं अप्रतिबंधित स्थान प्रदान करता है जहाँ आतंकवादी वेबसाइटों और सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्मों की असीमित संख्या के माध्यम से अपना प्रचार-प्रसार कर सकते हैं। वे इनके इस्तेमाल से अपने संगठन में शामिल होने और उनकी गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिये हज़ारों संभावित नए रंगरूटों को लक्षित कर सकते हैं।
  • आतंकवाद का वित्तपोषण:अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और विश्व बैंक के अनुसार अपराधियों द्वारा प्रत्येक वर्ष अनुमानित रूप से दो से चार ट्रिलियन डॉलर की मनी-लौन्डरिंग की जाती है। आतंकवादियों द्वारा धन के लेनदेन को दान और वैकल्पिक प्रेषण प्रणालियों की आड़ में भी अंजाम दिया जाता है।
    • यह अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली को कलंकित करता है और प्रणाली की अखंडता में जनता के भरोसे का क्षरण करता है।
    • इसके अलावा, क्रिप्टोकरेंसी के विनियमन की कमी इसे आतंकवादियों के लिये अनुकूल ‘ब्रीडिंग ग्राउंड’ बना सकती है।
    • विश्व भर में खाद्य सुरक्षा को बाधित करने के लिये उष्णकटिबंधीय कृषि रोगजनकों या कीटों को भी एंटीक्रॉप एजेंटों के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

    आगे की राह

    • साइबर-रक्षा तंत्र का विकास: साइबर आतंकवाद से निपटने के लिये एक समग्र दृष्टिकोण आवश्यक है, चाहे वह साइबर सर्च अभियान के संचालन के संबंध में हो या साइबर हमलों के विरुद्ध प्रतिउपायों के दायरे का विस्तार करने के संबंध में हो।
      • साइबर सुरक्षा पर एक स्पष्ट सार्वजनिक रुख सरकार में नागरिकों के भरोसे को बढ़ावा देगा और इस प्रकार एक अधिक संलग्नकारी, स्थिर और सुरक्षित साइबर पारितंत्र को सक्षम करेगा।
      • आतंकवाद की एक सार्वभौमिक परिभाषा को स्वीकार करना और आतंकवाद के प्रायोजक राष्ट्रों पर वैश्विक प्रतिबंध लगाना शांतिपूर्ण विश्व व्यवस्था का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।
      • इसके साथ ही, त्वरित परीक्षण (speedy trials) करने के लिये भारत को अपनी राष्ट्रीय आपराधिक न्याय प्रणाली को उन्नत करने और आतंकवाद के विरुद्ध सख्त कानूनी प्रोटोकॉल लागू करने की भी आवश्यकता है।
      • भारत द्वारा दिल्ली में ‘नो मनी फॉर टेरर’ सम्मेलन की मेजबानी करना इस दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम होगा।
      • इसके साथ ही, आर्थिक और सामाजिक असमानताओं से निपटने के लिये नीतियों के निर्माण से असंतुष्ट युवाओं को आतंकवाद की ओर आकर्षित होने से रोकने में मदद मिलेगी।

      अभ्यास प्रश्न: प्रौद्योगिकीय प्रगति के साथ-साथ आतंकवाद के विकास पर चर्चा कीजिये। आतंकवाद के खतरे को रोकने के लिये अपनाए जा सकने वाले उपायों के सुझाव भी दीजिये।

      UPSC सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्ष के प्रश्न

      प्रिलिम्स

      प्र. 'हैंड-इन-हैंड 2007' एक संयुक्त आतंकवाद विरोधी सैन्य प्रशिक्षण भारतीय सेना के अधिकारियों और निम्नलिखित में से किस देश की सेना के अधिकारियों द्वारा आयोजित किया गया था? (2008)

      (A) चीन
      (B) जापान
      (C) रूस
      (D) अमेरिका

      उत्तर: (A)

      मेन्स

      प्र . आतंकवाद का अभिशाप राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये एक गंभीर चुनौती है। इस बढ़ते खतरे को रोकने के लिय आप क्या उपाय सुझाएंगे? आतंकवादी फंडिंग के प्रमुख स्रोत क्या हैं? (2017)

      Digital Rupee: आज से इन 4 शहरों में डिजिटल रुपये से कीजिए खरीदारी, कहां और कैसे कर सकेंगे इसका इस्‍तेमाल?

      Digital Rupee: डिजिटल रुपी की शुरुआत 1 दिसंबर 2022 से 4 शहरों मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु और भुवनेश्वर में हो रही है.

      Digital Rupee: आज से इन 4 शहरों में डिजिटल रुपये से कीजिए खरीदारी, कहां और कैसे कर सकेंगे इसका इस्‍तेमाल?

      RBI Digital Rupee: आरबीआई ने 1 दिसंबर को रिटेल डिजिटल रुपी का पहला पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है.

      RBI Digital Rupee: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने मंगलवार यानी 1 दिसंबर को रिटेल डिजिटल रुपी का पहला पायलट प्रोजेक्ट शुरू करने की घोषणा की है. इसकी शुरुआत 1 दिसंबर 2022 से 4 शहरों मुंबई, दिल्ली, बेंगलुरु और भुवनेश्वर में हो रही है. उसके बाद 9 अन्‍य शहरों में भी इसकी खरीद बिक्री की जा सकेगी. आरबीआई ने इससे पहले 1 नवंबर 2022 को क्रिप्टोकरेंसी क्या है और इसकी पूरी जानकारी क्रिप्टोकरेंसी क्या है और इसकी पूरी जानकारी थोक सेगमेंट में डिजिटल रुपी का पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया था. सवाल उठता है कि आखिर इसका इस्‍तेमाल कैसे किया जा सकेगा. इस बारे में रिजर्व बैंक ने अपनी वेबसाइट पर कुछ जानकारियां दी हैं.

      अगले फेज में ये 9 शहर

      अगले फेज में इसे 9 शहरों अहमदाबाद, गंगटोक, गुवाहाटी, हैदराबाद, इंदौर, कोच्चि, लखनऊ, पटना और शिमला में लॉन्‍च किया जाएगा. रिटेल डिजिटल रुपी के पहले पायलट प्रोजेक्ट में सरकारी और निजी क्षेत्र के चार बैंकों को शामिल किया गया है. इसमें एसबीआई, आईसीआईसीआई, यस बैंक और आईडीएफसी फर्स्ट बैंक के नाम शामिल हैं.

      ब्‍लॉकचेन टेक्‍नोलॉजी पर आधारित

      डिजिटल रूपी ब्‍लॉकचेन टेक्‍नोलॉजी पर आधारित होगा. इसका इस्‍तेमाल उसी तरह से होगा, जैसे क्रिप्टोकरेंसी का इस्तेमाल होता है. आरबीआई के अनुसार यह पेमेंट का माध्‍यम होगा, जो सभी नागरिक, बिजनेस, सरकार और अन्य के लिए एक लीगल टेंडर के तौर पर जारी किया जाएगा. इसकी वैल्यू सेफ स्टोर वाले लीगल टेंडर नोट (मौजूदा करेंसी) के बराबर ही होगी. देश में आरबीआई की डिजिटल करेंसी (E-Rupee) आने के बाद आपको अपने पास कैश रखने की जरूरत कम हो जाएगी. RBI द्वारा रेगुलेट किए जाने से यह सेफ होगा. CBDC देश का डिजिटल टोकन होगा.

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      क्‍या रोजमर्रा की चीजें भी खरीद सकेंगे

      डिजिटल रुपी के 2 फॉर्म हैं. पहला रिटेल (CBDC-R) और दूसरा होलसेल (CBDC-W) इस्‍तेमाल के लिए. रिटेल CBDC सभी कंज्‍यूमर यानी प्राइवेट सेक्‍टर, नॉन फाइनेंशियल कंज्‍यूमर्स और बिजनेस के लिए होगा. जबकि होलसेल CBDC सेलेक्‍टेड फाइनेंशियल इंस्‍टीट्यूशंस के लिए होगा. रिटेल CBDC रिटेल ट्रांजेक्‍शन का ही इलेक्‍ट्रॉनिक वर्जन है. इसका इस्तेमाल लोग रोजमर्रा के लेनदेन के लिए कर सकेंगे. जबकि CBDC-W का इस्‍तेमाल सरकारी सिक्योरिटीज की खरीद बिक्री के लिए होगा.

      कैसे कर सकेंगे इस्‍तेमाल

      E-Rupee को आप अपने मोबाइल वॉलेट में रख सकेंगे. इसके अलावा यूजर्स इसे बैंक मनी और कैश में आसानी से कन्वर्ट भी करा सकेंगे. आप किसी को भी पेमेंट करने के लिए इस डिजिटल रूपी का इस्तेमाल कर सकते हैं. CBDC इलेक्ट्रॉनिक रूप में अकाउंट में दिखेगा और करेंसी नोट से इसे बदला भी जा सकेगा. ठीक उसी तरह जैसे हम ऑनलाइन अपना बैंक अकाउंट बैलेंस चेक करते हैं या मोबाइल वॉलेट चेक करते है, उसी तरह E-Rupee को इस्तेमाल को इस्तेमाल कर सकेंगे. डिजिटल रुपी को UPI से भी जोड़े जाने की तैयारी है.

      क्‍या हैं इसके फायदे

      डिजिटल करेंसी आने से सरकार के साथ आम लोगों और बिजनेस के लिए लेनदेन की लागत में कमी आएगी. हालांकि, इस डिजिटल करेंसी के आने से देश की मौजूदा ट्रांजेक्‍शन सिस्‍टम में कोई बदलाव नहीं होगा. इससे लोग Paytm, PhonePe जैसे दूसरे अहम वॉलेट से लेन देन कर सकेंगे.

      भरोसेमंद और सुरक्षित है डिजिटल रुपी

      आरबीआई ने मंगलवार को कहा कि 1 दिसंबर को चुनिंदा जगहों पर इसका परीक्षण किया जाएगा. यह फिजिकल करंसी की तरह ही भरोसेमंद, सुरक्षित है. पायलट प्रोजेक्ट वास्तविक समय में डिजिटल रुपये के निर्माण, वितरण और रिटेल इस्‍तेमाल की पूरी प्रक्रिया की मजबूती का परीक्षण करेगा. इससे पहले 1 नवंबर से इसके थोक इस्तेमाल का पायलट परीक्षण शुरू हो चुका है. डिजिटल रूपी में करंसी नोट वाले सभी फीचर होंगे. लोग डिजिटल रूपी को कैश में बदल सकेंगे. क्रिप्टोकरंसी के उलट इसके मूल्य में कोई उतार-चढ़ाव नहीं आएगा.

      RBI रिटेल ‘Digital Rupee’ करेगा लॉन्च, जानें इसकी उपयोगिता

      भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने ‘1 दिसंबर 2022’ को रिटेल डिजिटल रुपी (Retail Digital Rupee) के लिए पहला पायलट प्रोजेक्ट लॉन्च करने की घोषणा कर दी है। RBI के मुताबिक, इसमें चरणबद्ध भागीदारी के लिए आठ बैंकों की पहचान कर ली गई है। बता दें, इसका इस्तेमाल लेन-देन के लिए किया जा सकेगा। इससे डिजिटल अर्थव्यवस्था को व्यापक रूप से बढ़ावा मिलेगा। बताना चाहेंगे कि इससे पहले होलसेल ट्रांजेक्शन के लिए इसे लॉन्च किया गया था।

      ये बैंक निभाएंगे भागीदारी

      पहले चरण की शुरुआत देशभर के चार शहरों में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, आईसीआईसीआई बैंक, यस बैंक और आईडीएफसी फर्स्ट बैंक सहित चार बैंकों से होगी। वहीं बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक और कोटक महिंद्रा बैंक सहित चार और बैंक बाद में इस पायलट प्रोजेक्ट में शामिल होंगे।

      देश में पहले चरण की शुरुआत इन चार शहरों से

      शुरू में मुंबई, नई दिल्ली, बेंगलुरु और भुवनेश्वर सहित चार शहरों को कवर किया जाएगा और बाद में अहमदाबाद, गंगटोक, गुवाहाटी, हैदराबाद, इंदौर, कोच्चि, लखनऊ, पटना और शिमला तक डिजिटल रुपी विस्तारित होगा। जरूरत के हिसाब से अधिक बैंकों, उपयोगकर्ताओं और स्थानों को शामिल करने के लिए पायलट प्रोजेक्ट का दायरा धीरे-धीरे बढ़ाया जा सकता है।

      डिजिटल रुपी पायलट प्रोजेक्ट एक क्लोज्ड यूजर ग्रुप (CUG) में चुनिंदा स्थानों को कवर करेगा जिसमें भाग लेने वाले ग्राहक और व्यापारी शामिल होंगे। डिजिटल रुपया एक डिजिटल टोकन के रूप में होगा जो कानूनी निविदा का प्रतिनिधित्व करता है।

      कैसे कर सकेंगे डिजिटल रुपी का लेन-देन ?

      उपयोगकर्ता भागीदारी निभाने वाले बैंकों द्वारा पेश किए गए और मोबाइल फोन पर संग्रहीत डिजिटल वॉलेट के माध्यम से डिजिटल रुपी के साथ लेन-देन करने में सक्षम होंगे। यह लेन-देन पर्सन टू पर्सन (P2P) और पर्सन टू मर्चेंट (P2M) दोनों से किए जा सकेंगे।

      व्यापारी स्थानों पर प्रदर्शित QR कोड का इस्तेमाल करके व्यापारियों को बड़ी ही आसानी से डिजिटल रुपी का भुगतान किया जा सकता है। डिजिटल रुपया विश्वास, सुरक्षा और निपटान की अंतिमता जैसी वर्चुअल नकदी की सुविधाएं प्रदान करेगा। इसे अन्य प्रकार के धन में परिवर्तित किए जाने के मामले में नकदी पर कोई ब्याज नहीं कमाया जा सकेगा, जैसे क्रिप्टोकरेंसी क्या है और इसकी पूरी जानकारी कि बैंकों में जमा पूंजी के रूप में। यह पायलट प्रोजेक्ट वास्तविक समय में डिजिटल रुपी के निर्माण, वितरण और खुदरा उपयोग की पूरी प्रक्रिया की मजबूती का परीक्षण करेगा। इससे मिली सीख के आधार पर भविष्य के पायलट प्रोजेक्टों में डिजिटल रुपी टोकन और आर्किटेक्चर की विभिन्न विशेषताओं और अनुप्रयोगों का परीक्षण किया जाएगा।

      क्या है डिजिटल रुपी ?

      जैसा कि आरबीआई (RBI) ने समझाया, ई-रुपी डिजिटल टोकन का ही एक रूप है जो कानूनी निविदा का प्रतिनिधित्व करता है। क्रिप्टोकरेंसी के विपरीत, डिजिटल रुपी कागज की मुद्रा और सिक्के के समान मूल्यवर्ग में जारी किया जाता है।

      कब रखा गया था डिजिटल रुपी लागू करने का प्रस्ताव ?

      याद हो, केन्‍द्रीय वित्‍त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में केंद्रीय बजट 2022-23 पेश करते हुए ब्लॉक चेन तथा अन्य प्रौद्योगिकियों का उपयोग करते हुए डिजिटल रुपी लागू करने का प्रस्ताव रखा था, जिसे भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा 1 दिसंबर 2022 से जारी किया जा रहा है।

      डिजिटल अर्थव्यवस्था को मिलेगा बढ़ावा

      वित्‍त मंत्री ने ‘डिजिटल रुपी’ को लेकर कहा था कि केन्द्रीय बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) डिजिटल अर्थव्यवस्था को व्यापक रूप से बढ़ावा देगी। डिजिटल करेंसी से और अधिक दक्ष और किफायती करेंसी प्रबंधन प्रणाली का निर्माण होगा।

      डिजिटल रुपी की विशेषताएं:

      1) सीबीडीसी (CBDC) केंद्रीय बैंकों द्वारा उनकी मौद्रिक नीति के अनुरूप जारी की गई एक संप्रभु मुद्रा है
      2) यह केंद्रीय बैंक की बैलेंस शीट पर एक लायबिलिटी के रूप में प्रकट होती है
      3) इसे भुगतान के माध्यम, कानूनी निविदा, उद्यम, और सरकारी एजेंसियां व सभी नागरिकों द्वारा मूल्य के सुरक्षित भंडार के रूप में स्वीकार किया जाना चाहिए
      4) सीबीडीसी वाणिज्यिक बैंक के पैसे और नकदी के लिए स्वतंत्र रूप से परिवर्तनीय है
      5) CBDC एक fungible legal tender है जिसके लिए धारकों के पास बैंक खाता होना जरूरी नहीं है
      6) CBDC से पैसा जारी करने और लेनदेन की लागत कम होने की उम्मीद है

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