विदेशी मुद्रा सफलता की कहानियां

ऑप्शन खरीदार

ऑप्शन खरीदार
report this ad

जुगत प्रीमियम कमाने या मुनाफे की

ऑप्शन राइटर बाज़ार के बेहद मंजे हुए खिलाड़ी होते हैं। वे ऐसे ही स्ट्राइक मूल्य के ऑप्शन बेचने की जुगत में लगे रहते हैं जिनमें उनको मिला हुआ प्रीमियम हाथ से निकल जाने की गुंजाइश ही न रहे। वे बहुत ज्यादा लालच नहीं करते, लेकिन ज्यादा से ज्यादा ऑप्शन बेचकर अपनी प्रीमियम आय बढ़ाने में लगे रहते हैं। दूसरी तरफ ऑप्शन खरीदनेवाले हैं, जिनमें से अधिकांश रिटेल ट्रेडर हैं और ज्यादा लालच में फंसकर अपना प्रीमियम गंवाते रहते हैं। सोचते हैं कि क्या हुआ, प्रीमियम ही तो गया है। लेकिन इस चक्कर में धीरे-धीरे अपनी सारी जमापूंजी गंवा बैठते हैं। दिलचस्प बात है कि अपने ऑप्शन खरीदार यहां बाज़ार में ऑप्शन राइटर को ‘खानेवाला’ और ऑप्शन खरीदार को ‘लगानेवाला’ बोला जाता है।

आइए, देखते हैं कि यह प्रीमियम कैसे बढ़ता या घटता है। मोटी बात है सौदे की एक्सपायरी में बचे दिन। जितने ज्यादा दिन बचे होंगे, उसी अनुपात में ऑप्शन का प्रीमियम ज्यादा होगा। हम पहले पढ़ चुके हैं कि इसे ही ऑप्शन का समय मूल्य कहते हैं। जाहिर कि समय जितना ज्यादा होगा, संबंधित आस्ति का मूल्य उतना ही ज्यादा बदल सकता है तो लाभ या हानि का अवसर बढ़ सकते हैं। चूंकि ऑप्शन राइटर या विक्रेता ज्यादा दिनों तक रिस्क ले रहा है तो वह ज्यादा प्रीमियम लेगा।

दूसरा कारक जो ऑप्शन के भाव को प्रभावित करता है, वो है स्ट्राइक मूल्य और संबंधित आस्ति के बाजार मूल्य का अंतर। यहां हम निफ्टी ऑप्शंस की बात कर रहे हैं तो संबंधित आस्ति की जगह निफ्टी ही लिखेगे। मान लीजिए कि निफ्टी 10,000 पर बंद हुआ है और हम 11,000 स्ट्राइक मूल्य का कॉल ऑप्शन खरीद रहे हैं। वो अभी 1000 अंक दूर है जहां तक निफ्टी के पहुंचने की प्रायिकता कम है तो उसका प्रीमियम अपेक्षाकृत कम होगा। वहीं, अगर हम 10,200 स्ट्राइक मूल्य का कॉल ऑप्शन खरीदें तो अंतर कम होने की वजह से इसका प्रीमियम ज्यादा होगा। आज, 4 जून की एक्सपायरी वाले 11,000 स्ट्राइक मूल्य के निफ्टी कॉल ऑप्शन का भाव कल 0.40 रुपए था, जबकि 10,200 स्ट्राइक मूल्य वाले निफ्टी कॉल ऑप्शन का भाव 18.10 रुपए था। लेकिन 9700 स्ट्राइक प्राइस वाले कॉल ऑप्शन का भाव 385 रुपए था.

ऑप्शन के प्रीमियम में पूंजी की लागत या रिस्क-फ्री ब्याज की दर भी बहुत मायने रखती है। यह दर अगर कम होती है तो ऑप्शन राइटर को नुकसान होता है और चूंकि उसका नुकसान ऑप्शन खरीदनेवाले का फायदा होता है तो ब्याज दर का घटना रिटेल ट्रेडरों के लिए अच्छा होता है। रिजर्व बैंक जब भी ब्याज दर घटाता है तो उसके असर से ऑप्शन का प्रीमियम घट जाता है। हालांकि ऑप्शन राइटर बराबर ज्यादा प्रीमियम लेने की जुगत में लगा रहता है। लेकिन बाज़ार का दबाव उसे एक सीमा से ज्यादा प्रीमियम लेने की इजाजत नहीं देता। वह बाज़ार द्वारा निर्धारित स्ट्राइक मूल्यों की रेंज में से चुनाव कर सकते हैं और वे भाव या प्रीमियम भी वही ले सकते हैं जो बाजार में बोला जा रहा है।

ऑप्शन के प्रीमियम या भाव को प्रभावित करनेवाला चौथा प्रमुख कारक है वोलैटिलिटी। इसमें दैनिक वोलैटिलिटी, सालाना वोलैटिलिटी और इम्प्लायड वोलैटिलिटी के पेंच हम पहले ही समझने की कोशिश कर चुके हैं। बाज़ार में जितनी ज्यादा चंचलता, निफ्टी में जितनी ज्यादा ऊंच-नीच, उसके ऑप्शन का भाव उतना ही ज्यादा होगा। निफ्टी ज्यादा गिरे, तब भी ऑप्शन का भाव ज्यादा होगा और निफ्टी ज्यादा उठे तब भी उसके ऑप्शन का भाव ज्यादा ही होगा। ऑप्शन खरीदनेवाले को ज्यादा भाव देना होगा तो उसके बेचनेवाले या ऑप्शन राइटर को ज्यादा प्रीमियम मिलना लाजिमी है क्योंकि ज्यादा वोलैटिलिटी की वजह से वह ज्यादा रिस्क ले रहा है।

वैसे, शेयर बाज़ार में रिस्क तो वो ही नहीं, बल्कि निवेशक, हर तरह के ट्रेडर और सटोरिये भी ले रहे हैं। रिस्क लेने लायक है या नहीं, इसे भी मापने का उपाय आ चुका है। इसे जेनसन्स उपाय या जेनसन्स अल्फा भी कहते हैं। इसका एक फॉर्मूला है जो बताता है कि जितना रिस्क आप ले रहे हैं, उसके अनुपात में रिटर्न मिल भी रहा है या नहीं। ऑप्शन राइटर अक्सर यह उपाय अपनाते हैं। चूंकि वे बड़े चालाक व घाघ होते है, इसलिए रिटर्न कम या न मिलने की आशंका ज्यादा होने पर वे सौदा ही नहीं करते। चलते-चलते आपको जेनसन्स अल्फा का फॉर्मूला भी बता देते हैं। यह है:

Jensen’s Alpha = R(i) – [R(f) + B x ]

इसमें R(i) = निवेश पोर्टफोलियो पर मिला वास्तविक रिटर्न, R(m) = बाज़ार के संबंधित सूचकांक पर मिला रिटर्न, R(f) = दिए गए समय में रिस्क-फ्री रिटर्न की दर, B = बाज़ार के सूचकांक के सापेक्ष निवेश पोर्टफोलियो का बीटा। यह फॉर्मूला कैपिटल ऐसेट प्राइसिंग मॉडल (सीएपीएम) पर आधारित है, जिसे हम कभी व्यावहारिक स्तर पर समझने की कोशिश करेंगे। आज के लिए बस इतना।

कल शुक्रवार को देखेंगे कि हमने पिछले शुक्रवार के भावों पर ऑप्शन की विभिन्न रणनीतियों में जो सांकेतिक निवेश किया था, उसका क्या हश्र हुआ? उन्होंने कितना घाटा या फायदा कराया और उनमें चूक हुई है तो कैसे उन्हें सुधारा जा सकता था?

Call And Put Option क्या होते है ? और इसमे ट्रेडिंग कैसे करे यहाँ जाने पूरी जानकारी

शेयर बाजार मे निवेश करने वाले और रोजाना ट्रेडिंग करने वाले ऐसे 2 प्रकार के लोग होते है। रोजाना ट्रेडिंग करने ले लिए भी काफी सारे विकल्प मौजूद है ऑप्शन ट्रेडिंग ट्रेडिंग भी ऐसा ही एक विकल्प है जिसमे कॉल और पुट ऑप्शन ट्रेडिंग की जा सकती है। ऑप्शन ट्रेडिंग करने के लिए आपके पास शेयर बाजार का काफी सारा ज्ञान अनुभव जरुरी है हलाकि इसी समय अगर आप इस विकल्प को अच्छी तरह से सिख ले तो ट्रेडिंग करना आसान हो जाता है।

शेयर बाजार मे ट्रेडिंग करने के तरीके :(Ways To Invest In Share Market)

1 कॅश : (Cash)

  • शेयर बाजार मे आप सीधे कॅश के जरिये शेयर खरीद सकते है जिसके लिए आपको पूरी शेयर राशि का भुगतान करना पड़ता है। (इसे आप इक्विटी शेयर निवेश ट्रेडिंग कह सकते है)
  • इस विकल्पर के जरिये आप सिर्फ आपके पास मौजूद कॅश के जितने ही शेयर खरीद सकते है निवेश कर सकते है।

2 फीचर :(Feature Trading)

  • फीचर ट्रेडिंग डेरिवेटिव ट्रेडिंग का एक प्रकार है।
  • इस ट्रेडिंग विकल्प मे निवेशक आने वाले तारीख मे निवेश के लिए समझौता करता है।
  • फीचर ट्रेडिंग के लिए निवेश करते समय निवेशक को कुल निवेश से सिर्फ कुछ राशि का ही भुगतान करना होता है।

3 ऑप्शन :(Option Trading)

  • ऑप्शन ट्रेडिंग मे आपको ट्रेड करने के लिए 2 विकल्प मिलते है जिसके जरिये आप ट्रेडिंग कर सकते है।
  • यह विकल्प आम शेयर बाजार से काफी अलग होता है शेयर बाजार मे शेयर की कीमत ऊपर जाने पर आपको मुनाफा होता है।
  • लेकिन ऑप्शन ट्रेडिंग मे आप शेयर की कीमत ऑप्शन खरीदार ऊपर या निचे जाने पर भी पैसे कमा सकते है।
  • अगर किसी शेयर के निचे जाने पर आप पैसे लगते है और शेयर निचे चला जाता है तो आपको मुनाफा होगा।

कॉल और पुट ऑप्शन क्या है ?(What Is Call And Put Option)

कॉल और पुट ऑप्शन ट्रेडिंग पहली बार समझने मे काफी कठिन लगती है लेकिन एक बार इसके बारे मे जानने के बाद यह काफी आसान हो जाता है।

1 कॉल ऑप्शन क्या है ?(What Is Call Option)

  • ऑप्शन ट्रेडिंग मे शेयर बाजार पर रिसर्च करके आपको ऐसा लगता है की एक चुना हुआ शेयर ऊपर जाने वाला है।
  • ऐसे समय आप उसको कॉल ऑप्शन के जरिये खरीद सकते है और इसमे शेयर ऊपर जाने पर सीधा लाभ होता है।
  • उदहारण के तौर पर आपने रिलायंस के शेयर पर रिसर्च करके यह जान लिया है की शेयर की कीमत ऊपर जाने वाली है और आपने कॉल ऑप्शन चुन लिया है तो शेयर ऊपर जाने से मुनाफा होगा।
  • मतलब रिलायंस शेयर की कीमत अभी 100 रुपये है तव कॉल ऑप्शन आप 150 पर खरीद सकते है मतलब आने वाले समय मे शेयर की कीमत 100 से 150 तक जाएगी जिसके आपको मुनाफा होगा।

2 पुट ऑप्शन क्या होता है ?(What Is Put Option)

  • पुट ऑप्शन मार्किट के ख़राब समय मे चुना जाता है जब बाजार और शेयर गिर रहे होते है।
  • अगर किसी एक शेयर की कीमत इस समय 100 रुपये है और आप इसका पुट ऑप्शन 70 रुपये मे खरीदते है
  • ऐसे समय शेयर निचे 70 रुपये पर पहुंचने पर निवेशक को मुनाफा होगा।
  • पुट ऑप्शन निवेशक मंदी या फिर गिरावट के समय एक बिमा जैसे इस्तेमाल कर सकते है।

कैसे करे कॉल और पुट ऑप्शन मे ट्रेडिंग :(How To Trade In Call And Put Option)

  • कॉल और पुट ऑप्शन मे ट्रेडिंग करने के लिए शेयर्स की महीने की सीरीज होती है इस महीने की सीरीज की एक्सपाइरी हर महीने के अंतिम गुरवार को होती है।
  • यह महीने की सीरीज 3 महीने तक की होती है।
  • आप शेयर बाजार मे शेयर के आलावा करेंसी और इंडेक्स मे भी ऑप्शन ट्रेडिंग कर सकते है।
  • कॉल और पुट ऑप्शन ट्रेडिंग करते समय आपको अलग अलग विकल्पों का इस्तेमाल करना होता है इस विकल्पों को जानकारी आप आसानी से इसमे ट्रेडिंग शुरू कर सकते। है।

1 लॉट साइज़ :(Lot Size)

  • जब आप ऑप्शन ट्रेडिंग मे ट्रेडिंग करते है तब आपको शेयर के एक लॉट को खरदीना पड़ता है।
  • शेयर के कीमत के अनुसार उसकी लॉट साइज़ कीमत कम ज्यादा होती है।
  • कॉल और पुट दोनों ऑप्शन मे ट्रेड करते समय आपको लॉट मे शेयर खरीदने होते है।

2 स्ट्राइक कीमत :(Strike Price)

  • ऑप्शन ट्रेडिंग करते समय आप जिस चुने हुए कीमत पर कॉल और पुट ऑप्शन खरीदते है उसे स्ट्राइक प्राइस कहा जाता है।
  • शेयर के अब के कीमत मे और बेचे या फिर ख़रीदे जाने वाले अंतर होता है।

3 प्रीमियम :(Premium)

  • कॉल और पुट ऑप्शन खरीदते समय आपको एक स्ट्राइक कीमत चुननी होती है जिस स्ट्राइक प्राइस पर आपको शेयर लॉट मिलता है उसे प्रीमियम कहा जाता है।
  • ऑप्शन ट्रेडिंग करते समय स्ट्राइक प्राइस शेयर के कीमत के जितनी पास होगी उतना प्रीमियम ज्यादा होता (हलाकि इससे रिस्क भी कम होती है )

4 एक्सपाइरी डेट :(Expiary Date)

  • जब आप कॉल और पुट ऑप्शन खरीदते है तब उनके लिए एक तय तारीख होती है।
  • इसका मतलब इस तय तारीख पर आपको आपके कॉन्ट्रैक्ट को पूरा करना है।
  • अगर आप इस तय तारीख पर कॉन्ट्रैक्ट पूरा नहीं करते है तो ब्रोकर आपके सौदे को काट कर जो प्रॉफिट लॉस होगा आपको सौप देगा।

5 मंथली सीरीज :(Monthly Series)

  • जब आप ऑप्शन ट्रेडिंग करते है तो वो शेयर लॉट पहले से तय समय एक्सपाइरी डेट पर आते है।
  • इस महीने लिए गए शेयर लॉट कॉन्ट्रैक्ट को आपको महीने के आखिरी गुरवार को पूरा करना होता है।
  • मंथली सीरीज महीने के शुरवात से चालू होकर आखिरी गुरवार तक होती है।
  • ऑप्शन ट्रेडिंग मे ट्रेडिंग करने के लिए आप चालू महीने से 3 महीने की सीरीज पर ट्रेड कर सकते है।
  • सीरीज को खरीदते समय उस महीने के साथ आपको शेयर लॉट दिया जाता है।

ऑप्शन ट्रेडिंग के फायदे :(Benifits OF Option Trading)

  • कॉल और पुट ऑप्शन मे आप खरीददार है या बेचने वाले इसके ऊपर फायदे निर्भर करते है।
  • कॉल और पुट ऑप्शन खरीदार को नुकसान के समय सिर्फ प्रीमियम राशि डूबने पर नुकसान होता है।
  • वही शेयर तय कीमत के ऊपर जाने पर ज्यादा लाभ हो सकता है।
  • इसी समय पुट ऑप्शन मे आपको मुनाफा सिमित है लेकिन नुकसान की सम्भावन ज्यादा होती है।
  • ऑप्शन ट्रेडिंग मे आप गिरते शेयर बाजार पर भी अच्छा मुनाफा कमा सकते है।
  • ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए आपको लीवरेज मिलता है जिसमे आपको कम पैसे पर ज्यादा शेयर लेने का विकल्प मिलता है।

क्या करना चाहिए निवेश ?(Should You Invest)

  • कॉल और पुट ऑप्शन ट्रेडिंग आप कम पैसे लगाकर ज्यादा मुनाफा कमा सकते है हलाकि इसी समय काफी ज्यादा नुकसान भी हो सकता है।
  • साधारण निवेशक जो की कम पैसो पर ट्रेडिंग कर रहे है उनके लिए यह विकल्प अच्छा नहीं है क्यों एक ट्रेड से ही इसमे बोहोत ज्यादा नुकसान हो सकता है जिसमे निवेशक अपनी सारी पूंजी गवा सकता है।
  • शेयर बाजार मे काफी हलचल होने के समय इससे लाभ से ज्यादा नुकसान होन की सम्भावन ज्यादा होती है।
  • हलाकि ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए जरुरी ज्ञान और अनुभव के साथ निवेश राशि होने पर निवेश किया जा सकता है।
  • ट्रेडिंग करते समय खुद का अलग रिसर्च होना जरुरी किसी दूसरे के कहने पर निवेश ना करे।

report this ad

धनतेरस पर JDA की सौगात, खरीदारों की पसंद पर भूखंड खरीदने के लिए दिया जाएगा प्राइम लोकेशन का ऑप्शन

जयपुर में जेडीए की योजनाओं में लोगों का कोई खास रुझान देखने को नहीं मिल रहा था. इसको लेकर जेडीए अब ऑनलाइन पोर्टलों पर अपने खरीदारों को प्राइम लोकेशन का ऑप्शन भी उपलब्ध करवा रहा है.

जयपुर. जेडीए की योजनाओं में लोगों के घटते रुझान को देखते हुए जेडीए ऑनलाइन पोर्टल पर खरीदारों को प्राइम लोकेशन का ऑप्शन उपलब्ध करा रहा है. अब खरीदारों ऑप्शन खरीदार की पसंद पर जेडीए भूखंड बेचेगा. दीपावली के उपलक्ष में धनतेरस को जेडीए मुख्यालय पर मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना की गई. इस दौरान जेडीए सचिव ने ये जानकारी दी. साथ ही जयपुर शहर के विकास की कामना की.

हाल ही में जेडीए ने 12 आवासीय योजना लॉन्च की. लेकिन, आम जनता का इसमें रुझान देखने को नहीं मिल रहा है. ऐसे में जेडीए मार्केट फीडबैक के आधार पर पोर्टल पर खरीदारों को मौजूदा योजना में आवेदन के साथ ही, प्राइम लोकेशन का ऑप्शन भी दे रहा है. शुक्रवार को दीपावली के उपलक्ष्य में धनतेरस पर जेडीए मुख्यालय पर मां लक्ष्मी की पूजा अर्चना की गई.

इस दौरान जेडीए सचिव अर्चना सिंह ने शहरवासियों ऑप्शन खरीदार को दीपावली की शुभकामनाएं देते हुए जानकारी दी कि अब तक जेडीए ने जितनी भी आवासीय और व्यवसायिक योजनाएं लांच की हैं, उनमें लोगों की रूचि नहीं होने की वजह जानने के बाद अब रणनीति बदली गई है. इसके तहत जेडीए अपने ऑनलाइन पोर्टल पर खरीदारों को प्राइम लोकेशन जैसा ऑप्शन दे रहा है.

बता दें कि इससे लोग शहर में अपनी मनपसंद जगह पर जेडीए की योजनाओं में भूखंड, दुकान, फार्म हाउस खरीद सकेंगे. माना जा रहा है कि जेडीए ने ये नया प्रयोग प्रॉपर्टी बाजार के विशेषज्ञों की सलाह पर शुरू किया है, जिससे लोगों का जेडीए की योजनाओं में रुझान बढ़े और जेडीए को राजस्व की प्राप्ति हो.

दुनिया के ज्यादातर सफल ट्रेडर करते है ऑप्शन ट्रेडिंग, आप भी जाने इसके बारे में

ऑप्शन ट्रेडिंग हमें किसी भी मार्केट कंडीशन में कम जोखिम के साथ ज्यादा लाभ करने की अनुमति देता है. ऑप्शन ट्रेडिंग, स्टॉक ट्रेडिंग के मुकाबले थोड़ा अलग है पर इसें सही तरह से समझा जाए तो ऑप्शन सबसे अच्छा तरीका है ट्रे करने का.

ऐसे समझे ऑप्शन ट्रेडिंग को

जैसे बैंक से पैसे निकालने या जमा करने के लिए हमें बैंक में खाता खुलवाना होता है, वैसे ही अगर आप स्टॉक मार्केट में ट्रेंडिग करना चाहते है तो आपको किसी ब्रोकर के पास ट्रेडिंग खाता खोलना होगा. इसके लिए आपको एक डीमैट खाता और ट्रेडिंग खाता खोलना होगा तभी आप ऑप्शन ट्रेडिंग कर पाएंगे.

ट्रेडिंग खाता खोलते समय रखे इन बातों का ध्यान

  • हमें लंबे समय तक ट्रेड करना है इसलिए ऐसा स्टॉक ब्रोकर चुने, जिसकी ब्रोकरेज चार्जेज कम हो और अन्य चार्जेज भी कम हो, क्योंकि अगर शुल्क ज़्यादा हुये तो इससे आपका मुनाफा घट सकता है.
  • ऐसा स्टॉक ब्रोकर चुने, जिसका ट्रेडिंग पोर्टल और एप बहुत ही सिम्पल हो, और जिसमें टेक्निकल गड़बड़ी कम हो. क्योंकि कभी-कभी कुछ स्टॉक ब्रोकर के पोर्टल और एप में टेक्निकल गड़बड़ी हो जाती है जिससे ट्रेडर्स को काफी नुकसान उठाना पड़ सकता है.

ऑप्शन ट्रेडिंग के बेसिक्स को अच्छी तरह से समझें

  • ऑप्शन क्या होते है?
  • ऑप्शन कितने तरह के होते है?
  • ऑप्शन कैसे काम करते ऑप्शन खरीदार ऑप्शन खरीदार है?
    बिना ऑप्शन के बेसिक्स को समझे आप ऑप्शन ट्रेडर नहीं बन सकते है क्योंकि ऑप्शन बेसिक्स हमारे नींव की तरह काम करते है. जब आप कोई स्टॉक खरीदते हैं, तो आप केवल यह तय करते हैं कि आपको कितने शेयर चाहिए और आपका ब्रोकर मौजूदा बाजार मूल्य या आपके द्वारा निर्धारित सीमा मूल्य पर ऑर्डर भरता है लेकिन ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए ज़रूरी होती है सिर्फ एक सही स्ट्रेटेजी की समझे. इसके लिए नीचे आपको समझाया जायेगा कि ऑप्शन ट्रेडिंग कैसे करते हैं.

ऑप्शन खरीददार और ऑप्शन सेलर

  • ऑप्शन खरीददार :- ऑप्शन खरीददार बहुत कम पैसो के साथ ट्रेडिंग शुरुआत कर सकते है क्योंकि ऑप्शन खरीददार को सिर्फ ऑप्शन प्रीमियम देना होता है लेकिन ऑप्शन खरीददार की लाभ कमाने की प्रवृति ऑप्शन सैलर के मुकाबले बहुत कम होती है.
  • ऑप्शन सेलर :- ऑप्शन सेलर बनने के लिए आपको अपने अकाउंट में मार्जिन रखना होता है और इसी कारण एक ऑप्शन ऑप्शन खरीदार सेलर को ज़्यादा पैसो की जरुरत होती है. जबसे सेबी ने नया मार्जिन नियम लागू किया है तब से ऑप्शन सेलिंग के लिए मार्जिन की ज़रुरत कई गुना तक बढ़ गई है लेकिन फिर भी एक ऑप्शन सेलर के लाभ कमाने की प्रवृति ऑप्शन खरीददार से ज्यादा होती है. आपने जो भी ऑप्शन ट्रेडिग के केपिटल रखा है उस हिसाब से आप देख सकते है कि आप ऑप्शन खरीददार बनना चाहते है या ऑप्शन सेलर
  • कॉल ऑप्शन :- यह एक अनुबंध है जो आपको एक निश्चित समय के अंदर ही एक पूर्व निर्धारित मूल्य पर स्टॉक खरीदने का अधिकार देता है, लेकिन दायित्व नहीं.
  • पुट ऑप्शन :- एक पुट ऑप्शन आपको अनुबंध समाप्त होने से पहले एक निश्चित कीमत पर शेयर बेचने का अधिकार देता है, लेकिन दायित्व नहीं.
    आप किस दिशा में क्या ऑप्शन खरीदेंगे या बेचेंगे?
    अगर आपको लगता है कि स्टॉक की कीमत बढ़ेगी: कॉल ऑप्शन खरीदें या पुट ऑप्शन बेचें.
    अगर आपको लगता है कि स्टॉक की कीमत स्थिर रहेगी: कॉल ऑप्शन बेचें और पुट ऑप्शन भी बेचें.
    अगर आपको लगता है कि स्टॉक की कीमत नीचे जाएगी: पुट ऑप्शन खरीदें या कॉल ऑप्शन बेचें.ऑप्शन खरीदार

एक्स्चेंज द्वारा तय सही स्ट्राइक प्राइस का चयन करें

ऑप्शन में ट्रेडिंग करते समय हमें बहुत सावधानी के साथ स्ट्राइक प्राइस का चयन करना होता है क्योंकि किसी भी स्टॉक या इंडेक्स की स्ट्राइक प्राइस एक्स्चेंज द्वारा तय की जाती है और एक ऑप्शन ट्रेडर सिर्फ उन्ही स्ट्राइक प्राइस पर ट्रेड कर सकता है जो एक्स्चेंज द्वारा तय की गई है.
उदाहरण के लिए, यदि आप मानते हैं कि किसी कंपनी का शेयर मूल्य वर्तमान में ऑप्शन खरीदार ₹2000 पर ट्रेड कर रहा है, और भविष्य की किसी तारीख तक ₹2050 तक बढ़ जाएगा, आप ₹2050 से कम स्ट्राइक मूल्य के साथ एक कॉल ऑप्शन खरीद सकते है. फिर जैसे-जैसे कंपनी का शेयर मूल्य ₹2050 के नजदीक जाता जाएगा, आपका लाभ बढ़ता जायेगा. इसी तरह अगर कंपनी का शेयर मूल्य उस भविष्य की तारीख तक ₹2000 से जैसे-जैसे कम होगा, आपका मुनफा कम होता चला जायेगा लेकिन ऑप्शन खरीदते हुए आपका अधिकतम नुकसान आपने जो प्रीमियम दिया है सिर्फ वही होगा.

इसी तरह, अगर आपको लगता है कि किसी कंपनी का शेयर मूल्य वर्तमान में ₹500 रु पर ट्रेड कर रहा है, और भविष्य की किसी तारीख तक ₹450 तक घट जाएगा, तब आप ₹450 से कम स्ट्राइक मूल्य के साथ एक पुट ऑप्शन खरीद सकते है.

फिर जैसे-जैसे कंपनी का शेयर मूल्य ₹450 के नजदीक जाता जायेगा, आपका लाभ बढ़ता जायेगा. इसी तरह अगर कंपनी का शेयर मूल्य उस भविष्य की तारीख तक ₹500 से जैसे-जैसे बढ़ेगा, आपका मुनाफा कम होता चला जायेगा. इस में भी ऑप्शन खरीदते हुये आपका अधिकतम नुकसान आपका प्रिमियम है.

ऑप्शन ट्रेडिंग की समय सीमा निर्धारित करें

  • ऑप्शन में सबसे अहम रोल एक्सपायरी का होता है. ऑप्शन एक्सपायरी एक तिथि होती है जहां पर ऑप्शन कॉन्ट्रेक्ट एक भविष्य की तारिख पर शून्य हो जाते है. प्रत्येक ऑप्शन की समाप्ति अवधि तक उस भविष्य तारीख के अंतिम दिन तक उस ट्रेड में बने रह सकते है. ऑप्शन कॉन्ट्रेक्ट के लिए तीन एक्सपायरी होती है-
  • नियर मंथ (1महीना)
  • मिडिल मंथ (2महीना)
  • फार मंथ (3 महीना)
  • उदाहरण के लिए, अभी निफ्टी 15000 पर ट्रेड कर रहा है और आप निफ्टी में ट्रेड करना चाहते है तो आप साप्ताहिक एक्सपायरी या महीने की एक्सपायरी को लेकर ट्रेड कर सकते है.यदि आपको लगता है निफ्टी इस महीने के अंत तक 15500 तक या उससे ज्यादा तक पहुंच जायेगा, तब 15500 कॉल ऑप्शन महीने की जो आखिरी एक्सपायरी है उस पर खरीदते है.

समाप्ति तिथियां साप्ताहिक से लेकर महीनों तक हो सकती हैं. लेकिन साप्ताहिक ऑप्शन सबसे अधिक जोखिम वाले होते हैं और अनुभवी ऑप्शन ट्रेडर्स ज्यादातर इन्ही में ट्रेड करते हैं.

लंबी अवधि के ट्रेडर्स के लिए, मासिक तिथियां बेहतर होती हैं. लंबी एक्सपायरी स्टॉक को आगे बढ़ने के लिए अधिक समय देती है जो एक ऑप्शन खरीदार को मुनाफा कमाने का अवसर प्रदान करती है.

आइए जानते हैं फ्यूचर और ऑप्शन ट्रेडिंग क्या है?

What is Option and Future Trading in Hindi

फ्यूचर और ऑप्शन ट्रेडिंग क्या है? | What is Option and Future Trading in Hindi :

दुनिया भर के शेयर बाजारों में वस्तुओं की कीमतों में उतार-चढ़ाव की वजह से शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है। चाहे वह कोई स्टॉक हो, कृषि से संबंधित उत्पाद हो, पेट्रोल की कीमतों में उछाल आना और गिरावट होना आदि ये सब एक आम बात मानी जाती है। कीमत अस्थिरता के वजह से मांग और आपूर्ति में असंतुलन की स्थिति, जंग, राजनीतिक घटनाक्रम जैसी चीजें शामिल होती है। कीमतों में अस्थिरता के कारण सबसे बड़ी समस्या निवेशकों के सामने होती है। ऐसे में फ्यूचर और ऑप्शन ट्रेडिंग के माध्यम से बाजार में उतार-चढ़ाव के जोखिम को कम किया जा सकता है।

फ्यूचर ट्रेडिंग क्या है? (What is Future Trading in Hindi?)

फ्यूचर ट्रेडिंग (Future Trading) एक पहले से निर्धारित समय पर एक निश्चित मूल्य पर किसी भी परिसंपत्ति (Assets ) को खरीदने या बेचने के लिए अनुबंध करना होता है। यदि कोई फ्यूचर कांट्रैक्ट खरीदता है तो इसका मतलब है कि वह किसी निश्चित समय पर उस वस्तु की कीमत पर भुगतान करने का वादा कर रहा है। यदि आप फ्यूचर कांट्रैक्ट को बेचते हैं तो खरीदार को किसी विशेष समय पर एक निश्चित कीमत पर परिसंपत्ति का हस्तांतरण करने का वादा करते हैं।

उदाहरण के लिए मान लीजिए आप X कंपनी के 100 शेयर को ₹100 प्रति शेयर की कीमत से फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट (future contract) के लिए एक निश्चित तिथि निर्धारित करते हैं। कुछ समय बाद आपको पता चलता है कि फ्यूचर कांट्रैक्ट खत्म होने से पहले कंपनी X के शेयर के भाव ₹110 तक बढ़ गए हैं। लेकिन आपके लिए शेयर का भाव अब भी ₹100 प्रति शेयर रहेगा। फलस्वरुप आपको शेयर पर कुल ₹1000 का मुनाफा होगा। हालांकि शेयर के भाव गिर भी सकते हैं। यदि शेयर के भाव गिरकर ₹90 प्रति शेयर हो जाते हैं तो आपको 100 शेयर पर ₹1000 का नुकसान झेलना पड़ेगा। अतः हम कह सकते हैं कि फ्यूचर कांट्रैक्ट से एक क्रेता तभी मुनाफा कमा पाता है जब उसे इस बात की संभावना नजर आएगी शेयर के भाव बढ़ने वाले हैं। शेयर की कीमत नीचे जाने पर विक्रेता को फायदा होता है।

ऑप्शन ट्रेडिंग क्या है (What is Option Trading in Hindi?) –

ऑप्शन ट्रेडिंग (Option Trading) के अंतर्गत साधन (assets) के धारक को पूर्व निर्धारित मूल्य पर किसी परिसंपत्ति को खरीदने या बेचने का अधिकार प्राप्त होता है। बीमा के रूप में प्रयोग किए जाने वाले ऑप्शन को सीमित समय के लिए खरीदने या बेचने के अधिकार प्रदान करके किसी निश्चित समय पर निश्चित मूल्य पर होता है। इससे वस्तु के मूल्य में उतार-चढ़ाव के जोखिम से सुरक्षा मिलती है। ऑप्शन प्रमुख रूप से दो प्रकार के होते हैं –

रेटिंग: 4.79
अधिकतम अंक: 5
न्यूनतम अंक: 1
मतदाताओं की संख्या: 292
उत्तर छोड़ दें

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा| अपेक्षित स्थानों को रेखांकित कर दिया गया है *