ब्रोकरेज का सार

आईपीओ लाने के दौरान पेटीएम के शेयर का इश्यू प्राइस 2150 रुपए निर्धारित किया गया था। लेकिन बेहद खराब प्रदर्शन करते हुए लिस्टिंग के दिन ही इसमें करीब 27 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई और सोमवार को दूसरे दिन इसका शेयर 40 फीसदी से ज्यादा टूट गया।
संकट में पेटीएम: ब्रोकरेज फर्म की रिपोर्ट में टारगेट प्राइस महज 1200 रुपये, लगातार गिर रही है शेयरों की कीमत
अब तक का सबसे बड़ा 18,300 करोड़ रुपये का आईपीओ ब्रोकरेज का सार लेकर उतरी पेटीएम की पैरेंट कंपनी वन97 कम्युनिकेशन के शेयरों में लिस्टिंग के दिन से शुरू हुई गिरावट अभी भी जारी है। फिलहाल इसके शेयर की कीमत इश्यू प्राइस से लगभग 40 फीसदी तक कम हो चुकी है।
डिजिटल भुगतान कंपनी पेटीएम 18 नवंबर को लिस्ट हुई थी। इसके बाद दूसरे कारोबारी दिन यानी सोमवार को भी इसके शेयरों में गिरावट दर्ज की गई। सोमवार को पेटीएम का शेयर 40 फीसदी से भी अधिक टूटते हुए 1271.25 रुपए के साथ निचले स्तर पर चला गया।
ब्रोकरेज फर्म 'मैक्वायरी' ने सोमवार के पेटीएम पर अपनी दूसरी रिपोर्ट प्रकाशित की। इस रिपोर्ट में भी फर्म ने पहली की तरह ही टारगेट 1200 बरकरार रखा और 'अंडरपरफॉर्म' (कमजोर प्रदर्शन) रेटिंग दी। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पेटीएम की वैल्युएशन काफी महंगी है।
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अब तक का सबसे बड़ा 18,300 करोड़ रुपये का आईपीओ लेकर उतरी पेटीएम की पैरेंट कंपनी वन97 कम्युनिकेशन ब्रोकरेज का सार के शेयरों में लिस्टिंग के दिन से शुरू हुई गिरावट अभी भी जारी है। फिलहाल इसके शेयर की कीमत इश्यू प्राइस से लगभग 40 फीसदी तक कम हो चुकी है।
डिजिटल भुगतान कंपनी पेटीएम 18 नवंबर को लिस्ट हुई थी। इसके बाद दूसरे कारोबारी दिन यानी सोमवार को भी इसके शेयरों में गिरावट दर्ज की गई। सोमवार को पेटीएम का शेयर 40 फीसदी से भी अधिक टूटते हुए 1271.25 रुपए के साथ निचले स्तर पर चला गया।
ब्रोकरेज फर्म 'मैक्वायरी' ने सोमवार के पेटीएम पर ब्रोकरेज का सार अपनी दूसरी रिपोर्ट प्रकाशित की। इस रिपोर्ट में भी फर्म ने पहली की तरह ही टारगेट 1200 बरकरार रखा और 'अंडरपरफॉर्म' (कमजोर प्रदर्शन) रेटिंग दी। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पेटीएम की वैल्युएशन काफी महंगी है।
शेयरों में भारी गिरावट के चलते इसके फाउंडर विजय शेखर शर्मा की संपत्ति में भी कमी आई है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, लिस्टिंग के बाद सिर्फ दो दिनों में विजय शेखर की नेटवर्थ करीब छह हजार करोड़ रुपये कम हो गई है। कंपनी का बाजार पूंजीकरण भी काफी कम हुआ है।