व्यवहार में ट्रेडिंग रणनीति लागू करने के नियम

नौसिखिए रिटेल निवेशक मार्केट में मचा रहे धूम, बुल की सवारी करें लेकिन संभल के: वीके विजय कुमार
नए निवेशकों का बाजार में कूदना घर बैठकर ट्रेडिंग करना अब ग्लोबल ट्रेंड बन चुका है.
VK VIJAYAKUMAR, Chief Investment Strategist at Geojit Financial Services.
भारत व्यवहार में ट्रेडिंग रणनीति लागू करने के नियम में वित्त वर्ष 2021 में 1.47 करोड़ नए डीमैट एकाउंट खुले हैं। नए निवेशकों का बाजार में कूदना घर बैठकर ट्रेडिंग करना अब ग्लोबल ट्रेंड बन चुका है। इस बात को ध्यान में रखें कि शेटर बाजार अक्सर दोनों तरफ यानी ऊपर या नीचे रिएक्ट करता है।
बियर फेज खासकर बाजार में किसी व्यवहार में ट्रेडिंग रणनीति लागू करने के नियम क्रैश की स्थिति में जब निवेश पेनिक व्यवहार में ट्रेडिंग रणनीति लागू करने के नियम में आकर बिकवाली करते हैं, स्टॉक्स की कीमतें व्यवहार में ट्रेडिंग रणनीति लागू करने के नियम उनकी फेयर वैल्यू के काफी नीचे चली जाती हैं। इसी तरह बुल रन में निवेशकों का अति उत्साह स्टॉक प्राइसेज को अवास्तविक स्तर तक पहुंचा देता है। हालांकि बाजार का यही व्यवहार निवेशकों के लिए मौके भी बनाता है। वारेन वफे को अक्सर ये कहते हुए कोट किया जाता है कि डर के माहौल में खरीदारी करें और अंधाधुंध खरीदारी के दोर में सतर्क रहें (greedy when others are fearful and fearful when others are greedy)। लेकिन ये निवेश रणनीति लागू करना इतना आसान नहीं है। क्योंकि बाजार के अर्श और गर्त (पीक और बॉटम) को पहचानना काफी मुश्किल है।
इस समय सबसे बेतर रणनीति ये होगी कि लॉन्गटर्म एवरेज वैल्यूएशन के सापेक्ष मार्केट वैल्यूशन को रखा जाए। आइए हम वैल्यूशन के तीन पॉपुलर पैरामीटरों पर एक नजर डालते हैं। ये हैं मार्केट कैप टू जीडीपी रेश्यो, पीई मल्टिपल और प्राइस टू बुक वैल्यू। भारत में लॉन्ग टर्म मार्केट टू जीडीपी रेश्यो 77 फीसदी के आसपास है। वहीं, लॉन्ग टर्म पीई मल्टिपल 16 के आसपास है जबकि प्राइस टू बुक वैल्यू 3.23 पर है।
इस समय ये तीनों पैरामीटर कहां हैं इस पर नजर डालें तो मार्केट कैप टू जीडीपी रेश्यो (Market cap to GDP)110 फीसदी पर है। वन ईयर फारवर्ड पीई (one-year forward PE) 21के आसपास है। वहीं, प्राइस टू बुक (price to book) 4.44 पर है। ये तीनों ही पैरामीटर अब लाल सिगनल दिखा रहे हैं।
हालांकि इनके खिलाफ बुल्स के अपने तर्क हैं लेकिन इस व्यवहार में ट्रेडिंग रणनीति लागू करने के नियम बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि बाजार में वैल्यूएशन काफी महंगे हो गए हैं। अब निवेशकों को सतर्क हो जाना चाहिए। वर्तमान स्थिति में आंशिक मुनाफा वसूली एक अच्छी रणनीति है।
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दलाल स्ट्रीट के नए खिलाड़ी
दलाल और वॉल स्ट्रीट दोनों के नए खिलाड़ी हाल ही में बाजार में कदम रखने वाले नोसिखिए निवेशक हैं। कोरोना ब्रेकआउट के बाद बड़ी मात्रा में लोगों ने शेयर बाजार में नई-नई शुरुआत की है। इनकी हाइपर रिटेल ट्रेडिंग एक्टिविटी से मार्केट ट्रेंड पर अच्छा खासा प्रभाव डाल रही है। उदाहरण के लिए मई 2021 में FPIs ने 6,000 करोड़ रुपए की बिकवाली की जबकि इसी अवधि में DIIs ने सिर्फ 2,000 करोड़ रुपए की खऱीदारी की है। इस स्थिति में बाजार में गिरावट होनी चाहिए थी लेकिन इसके उल्टे बाजार में इस अवधि में 7.5 फीसदी की बढ़ोत्तरी आई है और इसका व्यवहार में ट्रेडिंग रणनीति लागू करने के नियम श्रेय रिटेल निवेशकों को ही जाता है।
भारत में वित्त वर्ष 2021 में 1.47 करोड़ नए डीमैट एकाउंट खुले हैं। नए निवेशकों का बाजार में कूदना घर बैठकर ट्रेडिंग करना अब ग्लोबल ट्रेंड बन चुका है। समावेशी ग्रोथ के लिए बाजार में रिटेल निवेशकों की हिस्सेदारी बढ़ना अच्छा संकेत है। लेकिन दुर्भाग्य से अधिकांश रिटेल निवेशक लापरवाही बिना अच्छी स्टडी के ट्रेडिंग कर रहे हैं जिसके चलते वे सिस्टेमेटिक तरीके से निवेश करके वेल्थ क्रिएशन करने के स्थान पर अपने पैसे गवां रहे हैं।
निवेशकों को सलाह है कि वे कुत्ते-बिल्ली के दौड़ में न फंसे। हाल का सबसे बुरा ट्रेंड ये है कि लो- ग्रेड स्टॉक्स यानी जिनको शेयर बाजार के कैट्स एंड डॉग्स कहा जाता है उनमें काफी तेजी आई है। किसी भी गिरावट की स्थिति व्यवहार में ट्रेडिंग रणनीति लागू करने के नियम में सबसे पहले इन्ही कुत्तों बिल्लियों की पिटाई होगी या कहें तो सबसे पहले इन्हीं का कत्ले आम होगा। ये स्थिति अब कभी भी आ सकती है। इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए निवेशकों को अब सतर्क हो जाना चाहिए। इस समय हम बहुत ही तगड़े बुल मार्केट में हैं। ये बात भी ध्यान में रखना चाहिए की बुल्स को अपनी दौड़ में कई दीवारें पार करनी होती हैं। बाजार में अभी हमें और तेजी देखने को मिल सकती है। निवेशकों को सलाह है कि वे बुल्स की सवारी तो करें लेकिन लो- ग्रेड स्टॉक्स से दूर रहें।