विदेशी मुद्रा संकेत

रुपये पर है आरबीआई का ध्यान
रुपये के लगातार कमजोर होने के मुद्द पर दास ने कहा कि भारतीय रुपये का मूल्यह्रास भारतीय अर्थव्यवस्था के व्यापक आर्थिक बुनियादी ढांचे में कमजोरी के बजाय अमेरिकी डॉलर में मजबूती के चलते है.शुक्रवार को रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 46 पैसे बढ़कर 78.94 पर पहुंच गया. आरबीआई गवर्नर ने यह भी कहा कि वे सतर्क हैं और भारतीय रुपये की स्थिरता बनाए रखने पर फोकस्ड हैं. आरबीआई (RBI)की तरफ से मार्केट में हस्तक्षेप से जारी अस्थिरता को कंट्रोल करने और रुपये की व्यवस्थित आवाजाही सुनिश्चित करने में मदद मिली है.
मुद्रा का दबाव: डॉलर के मुकाबले रुपये का अवमूल्यन
दुनिया के अन्य प्रमुख मुद्राओं के साथ रुपया एक फिर से एक नए दबाव का सामना कर रहा है। फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दर में भारी - भरकम 75 आधार अंकों की ताजा वृद्धि और अमेरिकी केंद्रीय बैंक द्वारा अपना ध्यान पूरी तरह से मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने पर केंद्रित रखने के स्पष्ट संदेश के मद्देनजर डॉलर में मजबूती जारी है। सप्ताह के अंत में एक नए रिकॉर्ड स्तर पर लुढ़क कर बंद होने से पहले, भारतीय मुद्रा शुक्रवार को दिन – भर के व्यापार (इंट्राडे ट्रेड) के दौरान पहली बार डॉलर के मुकाबले 81 अंक के पार जाकर कमजोर हुई। अस्थिरता को कम करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक के हस्तक्षेप से रुपये में गिरावट की रफ्तार को नरम किया गया। लेकिन 16 सितंबर से 12 महीनों में इस तरह के हस्तक्षेपों का कुल नतीजा यह हुआ कि भारतीय रिजर्व बैंक के विदेशी मुद्रा भंडार के आपातकालीन कोष में लगभग 94 बिलियन डॉलर की कमी आई और यह कोष अब घटकर 545.65 बिलियन डॉलर का रह गया है। डॉलर के मुकाबले अकेले रुपये में ही गिरावट नहीं होने का तथ्य अपने कारोबार के सुचारू संचालन के लिए कच्चे माल या सेवाओं के आयात पर निर्भर रहने वाली भारतीय कंपनियों के लिए थोड़ा सा भी सुकून भरा नहीं हो सकता है। ये कंपनियां एक ऐसे समय में बढ़ती लागत की समस्या से जूझ रहीं हैं, जब महामारी के बाद की स्थिति में घरेलू मांग का एक टिकाऊ स्तर पर पहुंचना अभी भी बाकी है। आयात का बढ़ता खर्च भी पहले से ही लगातार बढ़ती मुद्रास्फीति से घिरी अर्थव्यवस्था पर मुद्रास्फीति के दबाव में और इजाफा करेगा तथा चढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने के मौद्रिक नीति निर्माताओं के प्रयासों को और अधिक जटिल बनाएगा।
2013 के टैपर-टैंट्रम की तरह विदेशी मुद्रा भंडार खाली कर रहा भारत, रिजर्व बैंक धड़ल्ले से बेच रहा डॉलर
नई दिल्ली : घरेलू शेयर बाजार में विदेशी निवेशकों की बिकवाली से रुपये में आई कमजोरी को थामने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) विदेशी मुद्रा भंडार को तेजी से खाली कर रहा है. वह लगातार डॉलर को बेचने में जुटा है. मीडिया की रिपोर्ट्स में बताया जा रहा है कि आरबीआई रुपये की गिरावट को थामने के लिए जिस प्रकार से डॉलर की बिक्री कर रहा है, उसने 2013 के टैपर-टैंट्रम की याद दिला दी है. वर्ष 2013 में भी रुपये की गिरावट को थामने के लिए आरबीआई ने विदेशी मुद्रा भंडार का इस्तेमाल करते हुए डॉलर की धड़ल्ले से बिक्री की थी.
2013 में भी आरबीआई ने धड़ल्ले से बेची थी डॉलर
बता दें कि रुपये की जोरदार विदेशी मुद्रा संकेत गिरावट को थामने के लिए आरबीआई ने वर्ष 2013 के दौरान भी विदेशी मुद्रा भंडार से डॉलर की बिक्री की थी. मीडिया की रिपोर्ट में बताया गया है कि आरबीआई ने जून से सितंबर 2013 के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार से करीब 13 अरब डॉलर की बिक्री कर दी थी. उस समय मई 2013 में अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने इस बात के संकेत दिए थे कि वह अपने बॉन्ड खरीद कार्यक्रम को बंद करेगा, जो वैश्विक आर्थिक मंदी के कारण वैश्विक स्टॉक और बॉन्ड्स में अचानक बिकवाली का दौर शुरू हो गया था. इसका मतलब यह था कि अमेरिका का केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व धन की आपूर्ति बंद कर देगा. जब फेडरल रिजर्व बॉन्ड खरीद कार्यक्रम को बंद करने वाला बयान दिया था, तब यह माना गया था कि अमेरिका का केंद्रीय बैंक ब्याज दरों में बढ़ोतरी करेगा. इसका नतीजा यह निकला कि निवेशकों ने उभरती अर्थव्यवस्थाओं से दूरी बना ली. उन्होंने शेयर बाजारों से रातोंरात अपना पैसा निकल लिया. अर्थशास्त्रियों ने निवेशकों की इस गतिविधि को टैपर-टैंट्रम नाम दिया था.
Forex Reserves: देश के विदेशी मुद्रा विदेशी मुद्रा संकेत भंडार में फिर आई गिरावट, जानें 7 दिनों में कितना बदला खजाना
- पीटीआई
- Last Updated : September 02, 2022, 20:57 IST
हाइलाइट्स
विदेशी मुद्रा भंडार 6.687 अरब डॉलर घटकर 564.053 अरब डॉलर पर.
गोल्ड रिजर्व का मूल्य 70.4 करोड़ डॉलर घटकर 39.914 अरब डॉलर पर.
FCA 5.779 अरब डॉलर घटकर 501.216 अरब डॉलर रह गई.
नई दिल्ली. देश के विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves/Forex Reserves) में फिर गिरावट आई है. 19 अगस्त, 2022 को खत्म हुए सप्ताह में यह 6.687 अरब डॉलर घटकर 564.053 अरब डॉलर रह गया. भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई (RBI) की ओर से शुक्रवार को जारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है.
रिजर्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक, इससे पहले 12 अगस्त को खत्म हुए सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 2.23 अरब डॉलर घटकर 570.74 अरब डॉलर रहा था. 5 अगस्त को खत्म हुए सप्ताह में यह 89.7 करोड़ डॉलर घटकर 572.97 अरब डॉलर रहा था. इससे पहले 29 जुलाई को खत्म हुए सप्ताह के दौरान, विदेशी मुद्रा भंडार 2.315 अरब डॉलर बढ़कर 573.875 अरब डॉलर रहा था.
विदेशी मुद्रा भंडार में हुई तेज गिरावट, अभी तक 1 ट्रिलियन डॉलर का नुकसान
विदेशी मुद्रा भंडार में रिकॉर्ड गिरावट हुई है। (प्रतीकात्मक तस्वीर)
विदेशी मुद्रा भंडार में तेज गति से गिरावट हो रही है। भंडार में यह आए दिन नए रिकॉर्ड स्तर पर गिरावट जारी है। अभी तक विदेशी मुद्रा भंडार 1 ट्रिलियन डॉलर घट चुका है। इस साल करीब 1 ट्रिलियन डॉलर या 7.8 फीसदी घटकर 12 ट्रिलियन डॉलर हो गया है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, यह 2003 के बाद सबसे तेज गिरावट है।
विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट की वजह, भारत के सेंट्रल बैंक की ओर से रुपये के गिरावट को बचाने के लिए उठाए गए कदम हैं। वहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मंदी की आशंका भी गिरावट की वजह है। मंदी का एक कारण डॉलर यूरो और येन जैसी मुद्राओं मुद्राओं के मुकाबले दो दशक के हाई लेवल पर पहुंच चुका है।
RBI Monetary policy: विदेशी मुद्रा भंडार में भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा देश, जानें आरबीआई गवर्नर ने विदेशी मुद्रा संकेत FDI पर क्या कहा
RBI Monetary policy: मौद्रिक समीक्षा नीति की घोषणा के दौरान शुक्रवार को गवर्नर ने कहा कि 29 जुलाई 2022 को भारत का विदेशी मुद्रा भंडार $573.9 अरब पर रहा.
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांता दास.
RBI Monetary policy: आरबीआई गवर्नर शक्तिकांता दास (RBI Governor Shaktikanta Das) ने कहा कि देश का विदेशी मुद्रा भंडार वैश्विक स्तर पर चौथा सबसे बड़ा है. उन्होंने कहा कि यह भंडार भारत को आर्थिक ग्लोबल उठा-पटक से बचाने को लेकर आश्वस्त करता है. मौद्रिक समीक्षा नीति की घोषणा के दौरान शुक्रवार को गवर्नर ने कहा कि 29 जुलाई 2022 को भारत का विदेशी मुद्रा भंडार (India’s foreign exchange reserves) $573.9 अरब पर रहा. बता दें पिछले चार हफ्ते से विदेशी मुद्रा भंडार में कमी दर्ज की गई है. इससे पहले 22 जुलाई तक के सप्ताह में, विदेशी मुद्रा भंडार और 200.152 बिलियन कम हो गया था.