समाप्ति से पहले वायदा कारोबार बंद करना

फिर से खुल सकती है ग्वार-गम मिलें!
जोधपुर.जिंस बाजार नियामक, वायदा कारोबार आयोग (एफएमसी) ने ग्वार सीड व ग्वारगम को वायदा कारोबार में सूचीबद्ध करने का निर्णय टाल दिया है। इसकी परामर्श समिति की मंगलवार को हुई बैठक में ग्वारसीड को वायदा कारोबार में फिर से सूचीबद्ध करने या नहीं करने पर सदस्यों में चर्चा जरूर हुई, लेकिन समाप्ति से पहले वायदा कारोबार बंद करना कोई अंतिम निर्णय नहीं हो सका।
इस समय ग्वार की नई फसल आने वाली है। इससे जोधपुर शहर की बंद पड़ी ग्वार मिल व गम फैक्ट्रियों के फिर से शुरू होने की उम्मीद बढ़ गई है। जिन लोगों की नौकरियां चली गई थी, उनको फिर से रोजगार मिल सकेगा।
गौरतलब है कि कुछ माह पूर्व वायदा कारोबार की सूची में शामिल रहने के दौरान ग्वारगम के भावों में जबर्दस्त तेजी आई थी। इससे सटोरिए व तेजड़िए तो मालामाल हो गए लेकिन व्यापारियों व उद्यमियों के लिए कारोबार चलाना मुश्किल हो गया था। ग्वारगम की सबसे बड़ी मंडी जोधपुर में ग्वार दाल व गम बनाने की अधिकांश फैक्ट्रियां व मिलें बंद हो गई थीं।
ग्वारगम इंडस्ट्री के इतिहास में खासकर जोधपुर में ऐसा पहली बार हुआ। नतीजतन ग्वारगम इंडस्ट्री से जुड़े हजारों लोगों की नौकरियां चली गई थी। बाद में एफएमसी ने ग्वार सीड व ग्वारगम को वायदा समाप्ति से पहले वायदा कारोबार बंद करना कारोबार से बाहर कर दिया था। इसके बाद दोनों के भावों में अक्टूबर तक चालीस फीसदी तक की गिरावट आई है।
राजस्थान ग्वार दाल मैन्युफैक्चर्स एसोसिएशन सचिव अशोक तातेड़ ने बताया कि ग्वारगम पर सटोरियों की निगाह पड़ते ही सारा परिदृश्य ही बदल गया। सटोरियों व तेजड़ियों ने पिछले साल फसल आते ही निचले भावों में खरीद कर स्टॉक कर लिया। फिर तेजी का दौर आया। सटोरियों ने जमकर पैसा बनाया लेकिन ग्वार मिलों व गम फैक्ट्रियों को आसमानी कीमतों पर इसे खरीदकर इससे प्रॉडक्ट बनाना लगभग नामुमकिन हो गया।
अगर इतने महंगे दामों में ग्वार खरीदकर इससे गम या पाउडर भी बनाया जा रहा था तो उसकी लागत इतनी पड़ती कि इसके खरीदार मिलना ही बंद हो गए। किसान भी फसल बेच चुके थे। उत्पादक यूनिट्स ने कुछ माह तो अपने पास रखे स्टॉक से काम चलाया, पर जब यह भी समाप्त हो गया तो उनके पास मिलों व फैक्ट्रियों को बंद करने के अलावा कोई चारा नहीं था। फरवरी-मार्च आते-आते जहां ग्वार के दाम आसमान पर पहुंच चुके थे वहीं अधिकांश फैक्ट्रियां बंद हो चुकी थीं।
मरुधरा इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष एसके शर्मा के अनुसार फिलहाल ग्वारसीड व ग्वारगम वायदा कारोबार से बाहर है। किसानों को आशा है कि उन्हें फसल की कीमत मांग के अनुसार मिलेगी। मंडी व्यापारी भी अब सटोरियों का हस्तक्षेप न होने से राहत महसूस कर रहे हैं। सबसे बड़ी राहत उद्योगपतियों के लिए है जिन्होंने करोड़ों रुपए के निवेश से उद्योग लगाए थे और यूनिट्स बंद होने से निराश बैठे थे। इन्हें अब फिर से भरपूर रॉ मैटीरियल वाजिब दामों में मिल सकेगा।
जोधपुर में ग्वार दाल की लगभग 45-50 मिलें व गम बनाने की लगभग 25-30 फैक्ट्रियां हैं। ग्वार की अधिकतर खरीद ग्वार दाल मिलें करती थीं। भाव मांग व पूर्ति के सिद्धांत पर चलते थे। इन मिलों में ग्वार से ग्वार दाल रिफाइंड बनाई जाती जिसे गम भी कहते हैं। यहीं पर चूरी व कोरमा भी निकलता था। गम की खरीद गम पाउडर फैक्ट्रियों में की जाती तथा यहां इससे गम पाउडर बनाया जाता था। जोधपुर में रोजाना 1 हजार टन से भी अधिक गम व गम पाउडर का उत्पादन होता था। ग्वार मिलों व गम फैक्ट्रियों को लगभग 10 माह तक के लिए रॉ मैटीरियल उपलब्ध रहता था।
नए नियम स्वीकार नही, बोलेे व्यापारी
अखिल भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के बैनर तले रविवार को व्यापारियों ने प्रदेश उपाध्यक्ष अरविंद गांधी के नेतृत्व में रेलवे प्रांगण से मशाल जुलूस निकाल केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। जुलूस दवा पंजीकरण, तिहरा जीएसटी, वायदा कारोबार तथा आनलाइन ट्रेडिंग के खिलाफ निकाला गया था। जुलूस के उपरांत शहीद पार्क में एक बैठक भी हुई।
जुलूस रेलवे बलिया के प्रांगण से प्रारंभ होकर स्टेशन चौक, विजय सिनेमा, लोहा पट्टी, खुदरा बाजार घूमने के पश्चात शहीद पार्क पहुंचकर समाप्त हुआ। बैठक को संबोधित करते हुए प्रदेश उपाध्यक्ष अरविंद गांधी ने कहा कि प्रस्तावित एवं पंजीकरण एवं नवीनीकरण शुल्क जो 10 गुना है, स्वीकार्य नहीं है। पहले तीन हजार शुल्क लगता था। अब 30 हजार
कर दिया गया है। पूरे देश में सात लाख समाप्ति से पहले वायदा कारोबार बंद करना दवा व्यापारी है। उनके परिवार को मिलाकर करोड़ों लोग इस बढ़ोत्तरी से प्रभावित होंगे। 12 फरवरी को केंद्र सरकार अध्यादेश ला रही है। उसे अपने फैसले पर पुन:विचार करना चाहिए। हम
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय, राज्य सरकार को इस संबंध में जल्द समाप्ति से पहले वायदा कारोबार बंद करना ज्ञापन भी देंगे। मंडल प्रभारी प्रदीप गुप्त ने कहा कि आन लाइन ट्रेडिंग व वायदा कारोबार से परंपरागत व्यापार नष्ट हो रहा है और कृत्रिम महंगाई बढ़ रही है। सरकार को
इस कारोबार को बंद करा देना चाहिए। जिलाध्यक्ष प्रयाग चौहान ने कहा तिहरा जीएसटी का केंद्र सरकार जब तक प्रारूप सार्वजनिक नहीं करती तब तक स्वीकार नहीं किया जाएगा। व्यापारियों में समाप्ति से पहले वायदा कारोबार बंद करना अरविंद गुप्त, विनोद वर्मा, इलेक्ट्रानिक, मनोज राय, सुनील गुप्त, अरमान, अजीत गुप्त आदि रहे।
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अखिल भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के बैनर तले रविवार को व्यापारियों ने प्रदेश उपाध्यक्ष अरविंद गांधी के नेतृत्व में रेलवे प्रांगण से मशाल जुलूस निकाल केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। जुलूस दवा पंजीकरण, तिहरा जीएसटी, वायदा कारोबार तथा आनलाइन ट्रेडिंग के खिलाफ निकाला गया था। जुलूस के उपरांत शहीद पार्क में एक बैठक भी हुई।
जुलूस रेलवे बलिया के प्रांगण से प्रारंभ होकर स्टेशन चौक, विजय सिनेमा, लोहा पट्टी, खुदरा बाजार घूमने के पश्चात शहीद पार्क पहुंचकर समाप्त हुआ। बैठक को संबोधित करते हुए प्रदेश उपाध्यक्ष अरविंद गांधी ने कहा कि प्रस्तावित एवं पंजीकरण एवं नवीनीकरण शुल्क जो 10 गुना है, स्वीकार्य नहीं है। पहले तीन हजार शुल्क लगता था। अब 30 हजार
कर दिया गया है। पूरे देश में सात लाख दवा व्यापारी है। उनके परिवार को मिलाकर करोड़ों लोग इस बढ़ोत्तरी से प्रभावित होंगे। 12 फरवरी को केंद्र सरकार अध्यादेश ला रही है। उसे अपने फैसले पर पुन:विचार करना चाहिए। हम
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय, राज्य सरकार को इस संबंध में जल्द ज्ञापन भी देंगे। मंडल प्रभारी प्रदीप गुप्त ने कहा कि आन लाइन ट्रेडिंग व वायदा कारोबार से परंपरागत व्यापार नष्ट हो रहा है और कृत्रिम महंगाई बढ़ रही है। सरकार को
इस कारोबार को बंद करा देना चाहिए। जिलाध्यक्ष प्रयाग चौहान ने कहा तिहरा जीएसटी का केंद्र सरकार जब तक प्रारूप सार्वजनिक नहीं करती तब तक स्वीकार नहीं किया जाएगा। व्यापारियों में अरविंद गुप्त, विनोद वर्मा, इलेक्ट्रानिक, मनोज राय, सुनील गुप्त, अरमान, अजीत गुप्त आदि रहे।
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एक ब्याज दर वायदा अनुबंध एक वायदा अनुबंध है, जो एक अंतर्निहित वित्तीय साधन पर आधारित होता है जो ब्याज का भुगतान करता है। इसका उपयोग ब्याज दरों में प्रतिकूल परिवर्तनों से बचाव के लिए किया जाता है। ऐसा अनुबंध अवधारणात्मक रूप से एक वायदा अनुबंध के समान है, सिवाय इसके कि यह एक एक्सचेंज पर कारोबार किया जाता है, जिसका अर्थ है कि यह एक मानक राशि और अवधि के लिए है। एक वायदा अनुबंध का मानक आकार $ 1 मिलियन है, इसलिए एक विशिष्ट ऋण या निवेश राशि के लिए हेज बनाने के लिए कई अनुबंधों को खरीदने की आवश्यकता हो सकती है। वायदा अनुबंधों के लिए मूल्य निर्धारण 100 के आधारभूत आंकड़े से शुरू होता है, और अनुबंध में निहित ब्याज दर के आधार पर गिरावट आती है।
उदाहरण के लिए, यदि किसी वायदा अनुबंध में निहित ब्याज दर 5.00% है, तो उस अनुबंध की कीमत 95.00 समाप्ति से पहले वायदा कारोबार बंद करना होगी। वायदा अनुबंध पर लाभ या हानि की गणना निम्नानुसार की जाती है:
अनुमानित अनुबंध राशि × अनुबंध अवधि/360 दिन × (समाप्ति से पहले वायदा कारोबार बंद करना अंतिम मूल्य - प्रारंभिक मूल्य)
ब्याज दर वायदा में अधिकांश व्यापार यूरोडॉलर (संयुक्त राज्य अमेरिका के बाहर आयोजित अमेरिकी डॉलर) में होता है, और शिकागो मर्केंटाइल एक्सचेंज पर कारोबार किया जाता है।
हेजिंग सही नहीं है, क्योंकि एक अनुबंध की अनुमानित राशि समाप्ति से पहले वायदा कारोबार बंद करना उस फंडिंग की वास्तविक राशि से भिन्न हो सकती है जिसे एक कंपनी हेज करना चाहती है, जिसके परिणामस्वरूप या तो ओवर- या अंडर-हेजिंग की मामूली राशि होती है। उदाहरण के लिए, $ 15.4 मिलियन की स्थिति को हेजिंग करने के लिए 15 या 16 $ 1 मिलियन अनुबंधों की खरीद की आवश्यकता होगी। हेज के लिए आवश्यक समयावधि और फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट में बताए गए वास्तविक बचाव अवधि के बीच अंतर भी हो सकता है। उदाहरण के लिए, यदि बचाव के लिए सात महीने का जोखिम है, तो एक कोषाध्यक्ष लगातार दो तीन महीने के अनुबंध प्राप्त कर सकता है, और सातवें महीने को अनहेज करने का चुनाव कर सकता है।
जब खरीदार एक वायदा अनुबंध खरीदता है, तो अनुबंध की शर्तों के तहत प्रदर्शन सुनिश्चित करने के लिए न्यूनतम राशि शुरू में एक मार्जिन खाते में पोस्ट की जानी चाहिए। यदि समय समाप्ति से पहले वायदा कारोबार बंद करना के साथ अनुबंध के बाजार मूल्य में गिरावट आती है (मार्जिन खातों को बाजार बंद होने की कीमत के आधार पर दैनिक रूप से संशोधित किया जाता है) तो अतिरिक्त नकदी (मार्जिन कॉल) के साथ मार्जिन खाते को निधि देना आवश्यक हो सकता है। यदि खरीदार अनुबंध में गिरावट की स्थिति में अतिरिक्त धन प्रदान नहीं कर सकता है, तो वायदा एक्सचेंज अनुबंध को उसकी सामान्य समाप्ति तिथि से पहले बंद कर देता है। इसके विपरीत, यदि अनुबंध का बाजार मूल्य बढ़ता है, तो शुद्ध लाभ खरीदार के मार्जिन खाते में जमा किया जाता है। अनुबंध के अंतिम दिन, एक्सचेंज बाजार के लिए अनुबंध को चिह्नित करता है और खरीदार और विक्रेता के खातों का निपटान करता है। इस प्रकार, एक अनुबंध के जीवन में खरीदारों और विक्रेताओं के बीच स्थानांतरण अनिवार्य रूप से एक शून्य-राशि का खेल है, जहां एक पक्ष दूसरे की कीमत पर सीधे लाभान्वित होता है।
बांड वायदा अनुबंध में प्रवेश करना भी संभव है, जिसका उपयोग ब्याज दर जोखिम को हेज करने के लिए किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, एक व्यवसाय जिसने धन उधार लिया है, वह बांड वायदा अनुबंध बेचकर बढ़ती ब्याज दरों के खिलाफ बचाव कर सकता है। फिर, यदि ब्याज दरें वास्तव में बढ़ती हैं, तो अनुबंध पर परिणामी लाभ उधारकर्ता द्वारा भुगतान की जाने वाली उच्च ब्याज दर की भरपाई करेगा। इसके विपरीत, यदि ब्याज दरें बाद में गिरती हैं, तो उधारकर्ता को अनुबंध पर नुकसान का अनुभव होगा, जो अब भुगतान की जा रही कम ब्याज दर की भरपाई करेगा। इस प्रकार, अनुबंध का शुद्ध प्रभाव यह है कि उधारकर्ता अनुबंध की अवधि के दौरान प्रारंभिक ब्याज दर को लॉक कर देता है।
जब एक खरीदा गया वायदा अनुबंध समाप्त हो जाता है, तो यह एक वायदा समाप्ति से पहले वायदा कारोबार बंद करना अनुबंध को बेचकर इसे निपटाने के लिए प्रथागत होता है जिसकी डिलीवरी की तारीख समान होती है। इसके विपरीत, यदि मूल अनुबंध किसी प्रतिपक्ष को बेचा गया था, तो विक्रेता समान डिलीवरी तिथि वाले वायदा अनुबंध को खरीदकर अनुबंध का निपटान कर सकता है।
डॉलर के मुकाबले रुपया 75 से नीचे फिसला, 20 पैसे गिरकर 75.01 पर बंद
कारोबार के दौरान डॉलर सूचकांक 0.11 प्रतिशत बढ़कर 93.45 पर पहुंचा
Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: August 03, 2020 16:30 IST
Photo:GOOGLE
Rupee Vs Dollar
नई दिल्ली। सोमवार के कारोबार में डॉलर के मुकाबले रुपये में कमजोरी देखने को मिली है। हफ्ते के पहले कारोबारी सत्र में रुपया घरेलू शेयर बाजारों में गिरावट और अमेरिकी मुद्रा के मजबूत होने से 75 के स्तर के पार पहुंच गया। सोमवार को अंतर बैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 20 पैसे लुढ़ककर 75.01 प्रति डॉलर पर बंद हुआ। अंतर बैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में कारोबार की शुरुआत में रुपया गिरावट के साथ 74.91 रुपये प्रति डालर पर खुला। कारोबार के दौरान रुपया 15 पैसे के दायरे में रहा इस दौरान रुपये ने डॉलर समाप्ति से पहले वायदा कारोबार बंद करना के मुकाबले 74.88 का उच्चतम स्तर और 75.03 का दिन का निचला स्तर छुआ। कारोबार के अंत में रुपया 75.01 रुपये प्रति डालर पर बंद हो गया। पिछले कारोबारी सत्र के बंद भाव की तुलना में यह 20 पैसे नीचे रहा। इससे पहले शुक्रवार को कारोबार की समाप्ति पर डालर- रुपये की विनिमय दर 74.81 रुपये प्रति डालर रही थी।
इस बीच छह प्रमुख मुद्राओं के समक्ष डॉलर की मजबूती आंकने वाला डॉलर सूचकांक 0.11 प्रतिशत बढ़कर 93.45 पर पहुंच गया। विदेशी मु्द्रा कारोबारियों का कहना है कि विदेशी मुद्रा की निकासी, मजबूत होते डॉलर, घरेलू शेयर बाजार में गिरावट और कोविड- 19 के बढ़ते मामलों से रुपये में गिरावट रही। वैश्विक कच्चे तेल का बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड तेल वायदा भाव 0.64 प्रतिशत गिरकर 43.24 डालर प्रति बैरल रहा। इस बीच, विश्व में कोविड- 19 संक्रमित लोगों की संख्या 1.80 करोड़ के पार निकल गई है जबकि भारत में यह संख्या 18 लाख तक पहुंच चुकी है।