क्रिप्टो करेंसी

डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है?

डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है?
Digital currency kya hai

डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है?

OKX एक सेशेल्स स्थित क्रिप्टोकरेंसी सेंट्रलाइज्ड एक्सचेंज (CEX) और वॉलेट प्लेटफॉर्म है जो दुनिया भर में लाखों ग्राहकों को सेवा प्रदान करता है। यह एक्सचेंज बेसिक ट्रेडिंग ऑफर करता है डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है? जिसमें शामिल हैं- स्पॉट और सरल ऑप्शंस, और मार्जिन, फ्यूचर्स, परपेचुअल स्वैप और स्वैप सहित डेरिवेटिव। अन्य उत्पादों में शामिल हैं: ट्रेडिंग बॉट, ब्लॉक ट्रेडिंग, OKX Earn (सेविंग्स, स्टेबलकॉइन, DeFi, स्टेकिंग, ETH 2.0 और अन्य), क्रिप्टो ऋण और Jumpstart, एक्सचेंज का लॉन्चपैड।

OKX वॉलेट "वेब 3 के लिए पोर्टल" होने का दावा करता है, जो क्रिप्टो हॉट वॉलेट, डिसेंट्रलाइज्ड एक्सचेंज (DEX), NFT मार्केटप्लेस और डिसेंट्रलाइज्ड एप्लिकेशन (DApps) की पेशकश करता है। वॉलेट 30 से अधिक नेटवर्क को डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है? सपोर्ट करता है, जिसमें Bitcoin, Ethereum, BNB Chain, Solana, Polygon, Avalanche, Fantom और अन्य जैसे प्रमुख ब्लॉकचेन शामिल हैं।

OKX का अपना नेटिव ब्लॉकचेन — OKX चेन और नेटिव टोकन — OKB भी है, जो बिल्डर्स और प्रोजेक्ट्स को OKX ओरेकल एवं अन्य जैसे बुनियादी ढांचे का उपयोग करने के लिए DApp और डेवलपर्स को काम में लाने की सुविधा देता है।

जनवरी 2022 में, OKEx को एक नई ब्रांडिंग और रोडमैप के साथ OKX के रूप में रीब्रांड किया गया।

OKX के संस्थापक कौन हैं?

OKX (पूर्व में OKEx) OK Group के स्वामित्व वाले OKCoin की सहायक कंपनी है।

इस कंपनी की स्थापना मिंगसिंग "स्टार" जू (Xu) ने 2013 में चीन में की थी। जू एक चीनी उद्यमी हैं। उन्होंने यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी बीजिंग से एप्लाइड फिजिक्स में बैचलर्स डिग्री हासिल की है। स्टार जू OK Group के सीईओ हैं।

OKX के वर्तमान सीईओ जे हाओ हैं।

OKX कब लॉन्च हुआ?

यह एक्सचेंज, जिसे पहले OKEX के नाम से जाना जाता था, 2017 में लॉन्च किया गया था।

OKX कहां स्थित है?

इस कंपनी का मुख्यालय सेशेल्स में है।

OKX प्रतिबंधित देश

यह प्रोजेक्ट 200 से अधिक देशों में समर्थित है। हालांकि, यूनाइटेड स्टेट्स के निवासियों के पास प्लेटफॉर्म की सेवाओं तक एक्सेस नहीं है।

OKX पर कौन से कॉइन सपोर्टेड हैं?

यह एक्सचेंज 350 से अधिक क्रिप्टोकरेंसी को सूचीबद्ध करता है और 500 से अधिक ट्रेडिंग पेयर्स को सपोर्ट करता है। यह प्लेटफॉर्म प्रमुख टोकनों को सूचीबद्ध करता है जिनमें शामिल हैं: BTC, ETH, OKB, AAVE, SOL, MATIC, XRP, DOGE, SHIB, और DOT.

OKX फीस कितनी है?

फीस संरचना मार्केट टेकर और मेकर मॉडल पर आधारित है। इस प्लेटफॉर्म पर ट्रेडिंग फीस 0.10% से शुरू डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है? होती है और ट्रेडिंग वॉल्यूम बढ़ने पर घट जाती है। नियमित यूजर्स के लिए, फीस OKX इकोसिस्टम में OKB (मूल मुद्रा) की संख्या पर निर्भर करती है, जबकि एडवांस यूजर्स के लिए, फीस उनके 30-दिन के ट्रेडिंग वॉल्यूम पर आधारित होती है।

क्या OKX पर लीवरेज या मार्जिन ट्रेडिंग उपयोग करना संभव है?

OKX 10X तक लीवरेज के साथ मार्जिन ट्रेडिंग ऑफर करता है। डेरिवेटिव के लिए, OKX 125X तक लीवरेज के साथ फ्यूचर ट्रेडिंग और परपेचुअल स्वैप भी ऑफर करता है। ट्रेडर्स क्रिप्टो ऑप्शंस के माध्यम से भी लीवरेज ले सकते हैं, जिसमें BTC, ETH और अन्य शामिल हैं।

Digital Rupee Explained: कैसे काम करेगी भारत की पहली वर्चुअल करेंसी?

Digital Rupee Explained: कैसे काम करेगी भारत की पहली वर्चुअल करेंसी?

वित्त मंत्री Nirmala Sitharaman ने वित्त वर्ष 2022-23 के Budget भाषण में Digital Rupee को लेकर एक बड़ा ऐलान किया है. वित्त मंत्री के मुताबिक, Digital Rupee को Reserve Bank of India (RBI) की तरफ से जारी किया जाएगा. आपको बता दें, वित्त मंत्री Nirmala Sitharaman ने अपने Budget भाषण के दौरान कहा, कि “वित्त वर्ष 2022-23 की शुरुआत में RBI की डिजिटल करेंसी को लॉन्च किया जाएगा और यह डिजिटल इकोनॉमी के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कदम साबित होगा, जिससे भारत की अर्थव्यवस्था को एक बूस्ट प्राप्त होगा”.

Digital Rupee ब्लॉकचेन समेत अन्य टेक्नोलॉजी पर आधारित डिजिटल करेंसी होगी. वैसे तो, हम सब डिजिटल या वर्चुअल करेंसी को Bitcoin, Dogecoin के रूप में जानते हैं, लेकिन इन डिजिटल करेंसी को RBI की तरफ से कोई मान्यता प्राप्त नहीं है.

आपकी जानकारी के लिए बता दें, कि Digital Rupee पहली वर्चुअल करेंसी होगी, जिसे RBI की ओर से जारी किया जाएगा और Central Bank Digital Currency (CBDC) इसे रेगुलेट करेगी. आइए जानते हैं, कि आखिर Digital Rupee कैसे काम करेगी, और यह बाकी प्राइवेट डिजिटल करेंसी से कैसे अलग होगी?

क्या है CBDC और कौन करेगा लॉन्च

आपको बता दें, कि आगामी वित्त वर्ष में CBDC को लॉन्च करेगी. CBDC एक लीगल टेंडर है, जिसे सेंट्रल बैंक एक डिजिटल रूप में जारी करती है. यह कागज में जारी एक फिएट मुद्रा के समान है और किसी भी अन्य फिएट मुद्रा के साथ लेनदेन करने योग्य है. वहीं, अगर लीगल टेंडर को समझा जाए तो, हम लीगल टेंडर को भारतीय मुद्रा के रूप में समझ सकते हैं, जिसे लेने से कोई मना नहीं कर सकता. इसी प्रकार Digital Rupee एक लीगल टेंडर है, जिसे RBI जारी करेगी. यह अन्य प्राइवेट डिजिटल करेंसी के जैसी नहीं है. साथ ही आपको बता दें, कि CBDC को नोट के साथ बदला भी जा सकेगा.

क्या होती है Cryptocurrency

Cryptocurrency एक ऐसी करेंसी है, जिसे हम महसूस या देख नहीं सकते, यानी यह डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है? एक डिजिटल या वर्चुअल करेंसी है जिसे ऑनलाइन वॉलेट में ही रखा जा सकता है. लेकिन इसे भारत समेत कई अन्य देशों में मान्यता प्राप्त नहीं है. Digital Rupee जारी करने के बाद निश्चित तौर पर सरकार का अगला कदम दूसरी अन्य प्रकार की डिजिटल करेंसी पर रोक लगाना ही होगा. Digital Rupee भी एक वर्चुअल करेंसी की तरह ही काम करेगी और इसे देश में लेनदेन के लिए कानूनी तौर पर मान्यता प्राप्त होगी.

क्या है ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी

ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी में डाटा ब्लॉक्स मौजूद होते हैं, इन ब्लॉक्स में करेंसी को डिजिटली रूप में रखा जाता है. यह सारे ब्लॉक्स आपस में एक-दूसरे के साथ जुड़े हुए होते हैं. जिससे डेटा की एक लंबी चेन बन जाती है, जिसे ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी कहा जाता है. आपकी जानकारी के लिए बता दें, कि इन डाटा ब्लॉक्स में सारी लेन-देन की जानकारी डिजिटल रूप में सुरक्षित रहती है, और साथ ही प्रत्येक ब्लॉक एंक्रिप्शन के द्वारा सुरक्षित होते हैं.

आपको बता दें, कि ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी डिसेंट्रलाइज्ड करेंसी होती है. अगर इसे आसान भाषा में समझा जाए, तो करेंसी की कीमत को कम या ज्यादा नहीं किया जा सकता. ऐसे में Digital Rupee में मुनाफे की गुंजाइश ज्यादा मानी जा रही है.

Digital Rupee बाकी वर्चुअल करेंसी की तुलना में कैसे है अलग?

Digital Rupee बाकी वर्चुअल करेंसी से अलग होगी, क्योंकि Digital Rupee को RBI जारी करेगी और यह करेंसी CBDC के तहत काम करेगी. बता दें, कि CBDC को सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त है. ऐसे में Digital Rupee में निवेश करना बाकी वर्चुअल करेंसी की तुलना में ज्यादा सुरक्षित माना जा रहा है.

कितने तरह की होती हैं डिजिटल करेंसी ?

वर्तमान में बाज़ार में कई तरह की डिजिटल करेंसी मौजूद है. लेकिन मुख्यतः डिजिटल करेंसी दो तरह की होती है. पहली रिटेल डिजिटल करेंसी, जिसे आम लोग और कंपनियों के लिए जारी किया जाता है. दूसरी होलसेल डिजिटल करेंसी, जिसका इस्तेमाल वित्तीय संस्थानों द्वारा किया जाता है.

भारत सरकार द्वारा Digital Rupee को लेकर एक बड़ा कदम उठाया जा रहा है. इसकी पूरी प्रक्रिया होने में अभी समय लगेगा. RBI, भले ही इसे जारी करने के लिए तैयार है, लेकिन यह तब तक संभव नहीं है, जब तक संसद में क्रिप्टो कानून पारित नहीं हो जाता. भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम के तहत, मुद्रा को लेकर जो मौजूदा प्रावधान हैं, वह भौतिक मुद्रा रूप को ध्यान में रखते हुए बनाए गए हैं. जिसके परिणामस्वरूप सिक्का अधिनियम, विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम और इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट में भी संशोधन की आवश्यकता होगी.

भास्कर एक्सप्लेनर: फूट गया बिटकॉइन का बुलबुला! क्या क्रिप्टो में निवेश करने का यही सही समय है? जानिए कैसे काम करती है क्रिप्टो करेंसी

अमेरिका, यूके के बाद चीन ने क्रिप्टो करेंसी के खिलाफ कदम उठाना शुरू किया, तो बिटकॉइन का बुलबुला ही फूट गया। अप्रैल में 50 लाख रुपए तक पहुंचा बिटकॉइन पिछले दो दिन में 25 लाख के आसपास रह गया है। क्रिप्टो की अन्य करेंसी भी इस दौरान ढह गई। निवेशकों को दो महीने में 50% तक का नुकसान हुआ है।

भारत में क्रिप्टो करेंसी कानूनी तौर पर मान्य नहीं है। इसके बाद भी इसका लेन-देन हो रहा है। इस पर किसी तरह की पाबंदी नहीं है। क्रिप्टो एक्सचेंज इसे एक एसेट क्लास के तौर पर मान्यता देने की मांग कर रहे हैं। ताकि निवेशकों के लिए एक और साधन मिल सके। डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है? भारत में क्रिप्टो करेंसी का 1000-1500 करोड़ रुपए का डेली टर्नओवर है। भले ही स्टॉक एक्सचेंज के 2 लाख करोड़ रुपए के डेली वॉल्यूम के मुकाबले यह 1% से भी कम है, इसमें 1 करोड़ से अधिक भारतीय ट्रेड और इन्वेस्ट कर रहे हैं। इसके बाद भी ज्यादातर लोगों के लिए क्रिप्टो करेंसी के बारे में जानना और उसे समझना एक मुश्किल काम है।

हमने उनोकॉइन के सह-संस्थापक और सीईओ सात्विक विश्वनाथ से बात की, ताकि आपको क्रिप्टो डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है? कॉइन को लेकर हो रहे डेवलपमेंट्स के बारे में जानकारी दी जा सके…

आखिर यह क्रिप्टो करेंसी है क्या?

  • यह आपके रुपए, डॉलर, येन या पाउंड जैसी ही करेंसी है। पर यह डिजिटल यानी वर्चुअल है। क्रिप्टोग्राफी के सिद्धांत पर काम करती ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी से ही यह वर्चुअल करेंसी बनी है। इसी वजह से इसे क्रिप्टोकरेंसी कहते हैं।
  • जब आप रुपए, डॉलर, येन या पाउंड की बात करते हैं तो उस पर उसे जारी करने वाले देश के केंद्रीय बैंक का नियंत्रण होता है। यह करेंसी कितनी और कब छपेगी, वह यह देश की आर्थिक परिस्थिति को देखकर तय करते हैं। पर क्रिप्टोकरेंसी पर किसी का कंट्रोल नहीं है, यह पूरी तरह से डिसेंट्रलाइज्ड व्यवस्था है। कोई भी सरकार या कंपनी इस पर नियंत्रण नहीं कर सकती। इसी वजह से इसमें अस्थिरता भी है। यह डिस्ट्रिब्यूटेड सिस्टम पर काम करती है, जिसे न तो कोई हैक कर सकता है और न ही किसी तरह की छेड़छाड़।

क्या यह निवेश के लिए सुरक्षित और पारदर्शी प्लेटफॉर्म है?

  • हां। ब्लॉकचेन सबसे सुरक्षित और सबसे पारदर्शी फाइनेंशियल टेक्नोलॉजी है। लोकप्रिय क्रिप्टो करेंसी बिटकॉइन 2008 की आर्थिक मंदी के बाद तेजी से आगे बढ़ी। तब से अब तक एक सिक्के की कीमत में 90 लाख प्रतिशत की उछाल है।
  • पर इसके साथ दिक्कत यह है कि यह बेहद अस्थिर है। अचानक ऊपर जाती है और धड़ाम से गिर भी जाती है। इस वजह से रिस्क बहुत है। 12 साल में इसने बहुत उतार-चढ़ाव देखा है। करीब 400 बार तो इसके खत्म होने की घोषणा तक हो गई होगी। इस समय भी ऐसा ही माहौल है। दुनियाभर में ज्यादातर सरकारें क्रिप्टो करेंसी को स्वीकार करने में हिचक रही हैं। इससे पहले दिसंबर 2020 में भी सभी क्रिप्टो करेंसी रसातल में पहुंच गई थी। अब एनालिस्ट कह रहे हैं कि बिटकॉइन फिर उठेगी।

दुनियाभर में क्रिप्टो करेंसी को किस तरह लिया जा रहा है?

  • इसे लेकर देशों का रिस्पॉन्स एक-सा नहीं है। मसलन, भारत और चीन जैसे देश इसका विरोध करते हैं। भारत में तो रिजर्व बैंक ने इस पर बैन लगा रखा था। पर अमेरिका समेत कई देश इसके अनुकूल स्कीम बना रहे हैं। सेंट्रल अमेरिका के अल सल्वाडोर की कांग्रेस ने 8 जून 2021 को बिटकॉइन कानून पास किया और यह छोटा देश अब बिटकॉइन को लीगल टेंडर बनाने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है।
  • अब तक अल सल्वाडोर में अमेरिकी डॉलर से ही लेन-देन होते थे। पर अब वहां डिजिटल करेंसी में भी लेन-देन हो सकेंगे। उसकी देखा-देखी, कई दक्षिण अमेरिकी और अफ्रीकी देश भी बिटकॉइन को लीगल स्टेटस देने पर विचार कर रहे हैं।
  • दक्षिण कोरिया जैसे बड़े देश भी क्रिप्टो करेंसी और एक्सचेंज को रेगुलेट करने के लिए कानूनी स्ट्रक्चर बनाने पर काम कर रहे हैं। दूसरी ओर क्रिप्टो फ्रेंडली मियामी, यूएस ने हाल ही में क्रिप्टो एनक्लेव का आयोजन किया। पूरी दुनिया में बिटकॉइन जैसी क्रिप्टो करेंसी को अपनाने के प्रयास हो रहे हैं। कुछ देशों ने बिटकॉइन या अन्य क्रिप्टो करेंसी पर आधारित म्यूचुअल फंड भी लॉन्च किए हैं।

भारत में बिटकॉइन का लीगल स्टेटस क्या है?

  • इस समय क्रिप्टो को रुपए या डॉलर जैसे लीगल मुद्रा का स्टेटस हासिल नहीं है। पर भारत में क्रिप्टो करेंसी को खरीदना और बेचना प्रतिबंधित नहीं है। रिजर्व बैंक ने 2018 में सर्कुलर जारी कर क्रिप्टो करेंसी पर पूरी तरह से बैन लगा दिया था। पर मार्च 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रिजर्व बैंक यह साबित नहीं कर पाया कि क्रिप्टो लेनदेन की वजह से आर्थिक नुकसान हो रहा है। इसका दबाव बना और रिजर्व बैंक ने नया सर्कुलर जारी किया। बैंकों को ग्राहकों को क्रिप्टो लेनदेन की अनुमति देने को कहा।
  • भारत सरकार ने संकेत दिए हैं कि वह क्रिप्टो करेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल 2021 संसद में पेश करने वाली है। यह प्राइवेट क्रिप्टो करेंसी पर बैन लगाएगा और सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) के तौर पर विकल्प देने का रास्ता खोलेगा। भारत में क्रिप्टो बिजनेस एनालिस्ट कहते हैं कि भले ही इस समय भारत में क्रिप्टो को लेकर विरोध हो रहा है, पर जल्द ही हालात बदलेंगे। भारत सरकार को भी देर-सवेर क्रिप्टो करेंसी टेक्नोलॉजी को स्वीकार करना होगा।

RBI का नया नोटिफिकेशन इस पर क्या कहता है?

  • रिजर्व बैंक के नए सर्कुलर में बैंकों से कहा गया है कि डिजिटल करेंसी से जुड़े लेन-देन पर रोक न लगाएं। क्रिप्टो एनालिस्ट कहते हैं कि इंडस्ट्री को रेगुलेशन की जरूरत है और रिजर्व बैंक का सर्कुलर इस दिशा में अहम कदम है।
  • रिजर्व बैंक ने क्रिप्टो करेंसी डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है? का लेन-देन करने वालों के लिए अपने कस्टमर को जानिए (KYC), मनी लॉन्डरिंग रोकने (AML), आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले अकाउंट्स पर नजर रखने के प्रावधानों पर जोर दिया है। इसके साथ ही विदेश से आने वाले धन डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है? पर फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट (FEMA) के तहत निर्धारित प्रावधानों पर नजर रखी जा रही है।
  • क्रिप्टो इन्वेस्टर कम्यूनिटी इन कदमों से उत्साहित है। उसे लग रहा है कि अल सल्वाडोर की तरह उचित रेगुलेशन भी सरकार ला सकती है।

भारत में क्रिप्टो करेंसी में इन्वेस्टमेंट कैसे कर सकते हैं?

  • पहले यह समझना होगा कि बिटकॉइन सबसे लोकप्रिय क्रिप्टो करेंसी है। पर उसकी तरह और भी कई क्रिप्टो करेंसी हैं, जिनका लेनदेन ऑनलाइन प्लेटफॉर्म और एक्सचेंज पर किया जा सकता है।
  • अगर आप क्रिप्टो में इन्वेस्ट करने का सोच रहे हैं तो आपको क्रिप्टो वॉलेट खोलना पड़ेगा। यह वैसा ही है, जैसा आप स्टॉक ट्रेडिंग करने के लिए डीमैट अकाउंट खोलते हैं। उनोकॉइन, वजीरएक्स जैसे प्लेटफॉर्म पर कोई भी क्रिप्टो वॉलेट खोल सकता है। इसके लिए KYC समेत अन्य औपचारिकताओं को पूरा करना होगा। इसके बाद आपको क्रिप्टो में इन्वेस्ट करने के लिए अपने बैंक से पैसा डिपॉजिट करना होगा। यह सरल और आसान प्रक्रिया है।
  • भारत में कुछ प्लेटफॉर्म ऐसे हैं जो 100 रुपए से वॉलेट खोलने की अनुमति देते हैं। वहीं, कुछ क्रिप्टो वॉलेट फ्री ट्रेडिंग की अनुमति देते हैं, तो कुछ इसके लिए कम से कम 100 रुपए मेंटेनेंस चार्ज वसूल सकते हैं। यह क्रिप्टो एक्सचेंज पर निर्भर करता है।
  • बिटकॉइन की हालिया गिरावट से पहले ब्लूमबर्ग इंटेलिजेंस की रिसर्च रिपोर्ट ने कहा था कि इस क्रिप्टो करेंसी का टेक्निकल आउटलुक मजबूत है। 2021 में इसकी कीमत 4 लाख डॉलर तक पहुंच सकती है।

जनवरी से अब तक भारत की प्रमुख क्रिप्टो करेंसी ने किस तरह रिटर्न दिया?

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क्या है ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी? क्यों माना जाता है इस सुरक्षित?कैसे काम करती है ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी?ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी क्या है हिंदी?

ब्लॉकचैन का उपयोग किस लिए किया जाता है? कैसे काम करती है ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी? आइए जानते हैं

भारत की वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण जी ने अपने बजट भाषण में देश में डिजिटल करेंसी लाने की बात कही है. आरबीआई (भारतीय रिजर्व बैंक) की यह डिजिटल करेंसी ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर आधारित होगी.भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कहना है कि इससे डिजिटल इकॉनमी पर काफी बल पड़ेगा.अब जब देश के बड़े बड़े नेता ब्लॉकचेन की बात कर रहे हैं तो अब जानते है कि क्या है ब्लॉक्चेन टेक्नोलॉजी?

क्या है ब्लॉकचेन?

सिर्फ डिजिटल करेंसी ही नहीं बल्कि किसी और अन्य करेंसी को भी डिजिटल कर उसका रिकॉर्ड रखा जा सकता है. ‘ब्लॉकचेन टेक्‍नोलॉजी’ पर जो भी ट्रांजेक्शन होता है, वो हमेशा के लिए दर्ज हो जाता है और सभी कंप्यूटर पर दिखाई देता है जो चेन से जुड़े हुए हैं. यानी कि आपका कोई भी ट्रांजैक्शन जो ब्लॉकचेन पर होता है, तो उसका रिकॉर्ड हमेशा के लिए कंप्यूटर पर दर्ज हो जाता है.यही कारण है कि इसे डिस्‍ट्रीब्‍यूटेड लेजर टेक्‍नोलॉजी कहा गया.

आसानी से इसे ऐसे समझा जा सकता है -

हिसाब किताब रखने वाली बही खाता की बुक तो आपने देखी ही होगी जिसमें सब हिसाब नोट होता है, तो इसे एक वाक्य में कहे तो इस तरह से कहेंगे कि ब्लॉकचेन भी एक डिजिटल सार्वजनिक बही खाता है और इसी डिजिटल बही खाते के जरिए ही क्रिप्टो करेंसी का संचालन होता है. सभी प्रकार लेनदेन को एक सार्वजनिक बही खाते में रिकॉर्ड तथा आवंटित किया जाता है. ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी की सबसे बड़ी खूबी यह है कि इसे कभी बदला नहीं जा सकता अगर इसमें कोई लेनदेन सेव हो गया तो उसमे अब बदलाव नहीं होगा और न ही मिटेगा.

क्यों हैकिंग नहीं हो सकती ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी में?

हैकिंग नहीं की जा सकती है ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी में क्योंकि ये डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी पर आधारित है. ये इतना सिक्योर है कि इसकी खासियत की वजह से एक विश्वसनीय थर्ड पार्टी जैसे-बैंक आदि की जरूरत नहीं होती है उस समय पर जिस समय क्रिप्टो करेंसी का लेन-देन किया जाता है. आने वाले समय में भारत में ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी आ सकती है क्योंकि भारत की वित्तमंत्री निर्मला सीताराम ने कहा है कि ब्लॉकचेन एक टेक्नोलॉजी है जिसका फायदा वित्तीय क्षेत्र में आने वाले कुछ सालो में देखने को मिल सकता है. इससे वित्तीय पारदर्शिता तो बढ़ती है और लेन-देन में होने वाली वाले धोखे से भी छुटकारा मिलेगा.

क्यों ‘ब्लॉकचेन’ टेक्नोलॉजी को माना जाता है सुरक्षित?

क्यू माना जाता है इस ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी को इतना सुरक्षित क्योंकि ये डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी पर आधारित है.यही कारण है कि इसमें हैकिंग मुमकिन नहीं है,सभी प्रकार लेनदेन को एक सार्वजनिक बही खाते में रिकॉर्ड तथा आवंटित किया जाता है. Blockchain technology की सबसे बड़ी खूबी यह है कि इसे कभी बदला नहीं जा सकता अगर इसमें कोई लेनदेन सेव हो गया तो उसमे अब बदलाव नहीं होगा और न ही मिटेगा.भारत की वित्तमंत्री निर्मला सीताराम ने कहा है कि ब्लॉकचेन एक टेक्नोलॉजी है जिसका फायदा वित्तीय क्षेत्र में आने वाले कुछ सालो में देखने को मिल सकता है. इससे वित्तीय पारदर्शिता तो बढ़ती है और लेन-देन में होने वाली वाले धोखे से भी छुटकारा मिलेगा.

•जन हित में जारी - हमारा उद्देश्य आपको क्रिप्टो के बारे में जानकारी देने का था। हम किसी भी प्रकार से इस में निवेश करने के लिए बाध्य नहीं करते है अगर आप क्रिप्टो में निवेश करते है तो आप की जिम्मेदारी होगी. निवेश से पहले रिसर्च जरूर करें.

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डिजिटल करेंसी क्या होती है आइए इसे समझते हैं ।
digital currency in india बहुत जल्द आने वाली है भारत की डिजिटल करेंसी ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर आधारित होगी।
भारतीय करेंसी को सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी ( सी बी डी सी ) का नाम दिया जाएगा। सीबीडीसी करेंसी को भारतीय रिजर्व बैंक ( R B I ) द्वारा जारी किया जाएगा । इस करेंसी को आरबीआई द्वारा रेगुलेट किया जाएगा । वर्ष 2022-23 में लॉन्च कर दी जाएगी ।

1. डिजिटल करेंसी किसे कहते हैं।

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डिजिटल करेंसी ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर आधारित एक आभासी करेंसी होती है। यह करेंसी डिजिटल रूप में मौजूद होती है। डिजिटल करेंसी , इलेक्ट्रॉनिक मुद्रा , ई – कैश , इंटरनेट मनी आदि सभी आभासी धन जैसी संपत्ति है जो कंप्यूटर सिस्टम पर विशेष रूप से इंटरनेट पर संग्रहीत तथा प्रतिबंधित और विनिमय की जाती है ।
आइए कुछ उदाहरण से समझते हैं जैसे वर्तमान में क्रिप्टो करेंसी ( Bitcoin ) ( डिसेंट्रलाइज्ड टेक्नोलॉजी क्या है? ethereum ) , NFT जैसी आदि विद्यमान है जो कि ब्लॉक चैन टेक्नोलॉजी पर आधारित है इसको कोई रेगुलेट नहीं करता है । जबकि भारत में लांच होने वाली भारतीय डिजिटल करेंसी को भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा रेगुलेट किया जाएगा । डिजिटल करेंसी को इंटरनेट पर एक वितरित डेटाबेस , किसी कंपनी या बैंक के स्वामित्व वाले एक केंद्रीकृत इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर डेटाबेस , डिजिटल फाइलों के अंदर संग्रहित किया जा सकता है ।भारत में आरबीआई ने डिजिटल करेंसी लांच करने की घोषणा की है जो कि जल्द ही लांच कर दी जाएगी ।जिसका ( CBDC ) डिजिटल रुपैया नाम दिया जाएगा। digital currency in india

2. भारतीय डिजिटल करेंसी ।

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भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा डिजिटल करेंसी वर्ष 2022-23 लाई जाएगी । 1 February के बजट में केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने डिजिटल करेंसी को लेकर बहुत बड़ी घोषणा की है । इसमें कहा गया है की भारत की जल्द ही डिजिटल करेंसी लांच की जाएगी । केंद्रीय वित्त मंत्री ने संसद में बजट घोषणा पत्र में स्पष्ट रूप से कह दिया है कि इसी साल भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा डिजिटल करेंसी को लांच कर दी जाएगी । जो कि ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर आधारित होगी । डिजिटल करेंसी का पूरा नाम सेंट्रल बैंक डिजिटल करंसी है। इसे सरकारी की मान्यता होगी । यह सेंट्रल बैंक की बैलेंस शीट में शामिल होगी । digital currency in india

3. डिजिटल करेंसी और क्रिप्टो करेंसी में अंतर।

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डिजिटल करेंसी सरकारी मान्यता प्राप्त करेंसी होती है इससे उस देश का केंद्रीय बैंक जारी करता है। जबकि क्रिप्टोकरंसी पर किसी सरकार का अधिकार नहीं होता है । digital currency in india
Bitcoin , ethereum जैसी क्रिप्टो करेंसी डिसेंट्रलाइज्ड हैं । इसे पर किसी सरकार , संस्था या किसी व्यक्ति का स्वामित्व नहीं होता है भारत मैं मार्च से शुरू होने वाले फाइनेंसियल वर्ष से क्रिप्टो करेंसी कमाई पर 30% टैक्स वसूल करेगी भारत सरकार । भारत में अब कागज नोट से पेमेंट करने की जरूरत नहीं पड़ेगी आप डिजिटल करेंसी से भी पेमेंट कर सकेंगे । digital currency in india

4.ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी कैसे काम करती है ।

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ब्लॉकचेन को आसान शब्दों में समझा जाए , ब्लॉकचेन एक तरह से सूचनाओं को रिकॉर्ड करने की एक प्रणाली है जिसमें सिस्टम में सेव डाटा को बदलना , डिलीट करना , हैक करना या धोखा देना मुश्किल और असंभव हो जाता है । ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी अनिवार्य रूप से लेनदेन का एक डिजिटल खाता बुक है जिसे ब्लॉकचेन पर कंप्यूटर सिस्टम के पूरे नेटवर्क में डुप्लीकेट और वितरित किया जाता है । ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी से होने वाले लेनदेन रिकॉर्ड अनेकों कंप्यूटर में सेव हो जाते हैं । जिससे बदलना नामुमकिन है । इससे डेटा और अधिक सुरक्षित हो जाता है । ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी डाटा सिक्योरिटी पर काम करती है जिससे हर ब्लाक इंक्रिप्टेड होते हैं और एक दूसरे से इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर सिस्टम से जुड़े होते हैं यह एक तरह से एक्सचेंज प्रोसेस में काम करती है ।

5. डिजिटल करेंसी से सुविधा ।

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यह अन्य करेंसी की तुलना में कम खर्चीली होती है। इसका ट्रांजैक्शन तेज गति से होता है । इसके मुकाबले प्रिंटिंग करेंसी नोटों पर लेन-देन और प्रिंटिंग का खर्च अधिक आता है । डिजिटल करेंसी के लिए किसी व्यक्ति को बैंक अकाउंट की जरूरत नहीं होती है । डिजिटल करेंसी को मैनेज करना आसान होगा । इसे आरबीआई द्वारा मैनेज किया जाएगा ।

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6. खासियते ।

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इसकी खासियत यह होती है इसे देश की सोवरेन करेंसी मैं बदला जा सकता है । इसे हम डिजिटल रुपैया कह सकते हैं डिजिटल करेंसी दो प्रकार की होती है रिटेल और होलसेल करेंसी । रिटेल करेंसी का इस्तेमाल आम लोग और कंपनियां करती है । होलसेल डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल वित्तीय संस्थाओं के जरिए किया जाता है । digital currency in india

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