शेयर बाज़ार क्या है एवं क्यों आवश्यक है

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शेयर बाजार में शुरुआती निवेशक के तौर पर कैसे बनाएं अपना पोर्टफोलियो
मुंबई- पैसा चीजों को चालू करने का एक साधन है। यही वजह है कि कंपनियां शेयर बाजार में लिस्ट होकर शेयर बाज़ार क्या है एवं क्यों आवश्यक है फंड जुटाती हैं और फिर उन्हें बदले में लाभांश और मुनाफा मिलता है। बाजार में निवेश करना एक ऐसे व्यवसाय में विश्वास करना है जो आपको लगता है कि बढ़ेगा और कुछ नहीं तो आपके पैसे को सुरक्षित रखेगा। शेयर बाजार में शुरुआती निवेशक के तौर अपना पोर्टफोलियो कैसे बनाएं इस बारे में विस्तार से जानकारी दे रहें हैं एंजेल वन लिमिटेड के इक्विटी स्ट्रैटेजिस्ट-डीवीपी ज्योति रॉय।
निवेश की बुनियादी बातें: जैसा कि बढ़ते बाजार पूंजीकरण से स्पष्ट है, शेयर बाजार शेयर बाज़ार क्या है एवं क्यों आवश्यक है में निवेश करना इन दिनों एक चलन बन गया है। लेकिन निवेश किसी निवेशक की सतर्क पसंद, उपभोग व्यय और बचत होने के नाते एक अवसर लागत है। इस तथ्य को यहां समझना जरूरी है कि निवेश की एक अवसर लागत होती है और यह हमेशा ही अच्छी नहीं होती है, जैसा कि शार्क (निवेशकों की श्रेणी) की तरफ से चित्रित किया जाता है। पैसे के प्रति सचेत रहना पहला कदम है जो एक स्मार्ट निवेशक अपने शेयर बाजार की यात्रा शुरू करने की दिशा में उठा सकता है।
सेबी के नए मार्जिन नियम आज से लागू, यहां जानिए अपने हर सवाल का जवाब
सेबी मार्जिन के दो तरह के नियमों को लागू करना चाहता है. पहला नियम कैश मार्केट में अपफ्रंट मार्जिन से संबंधित है.
मैं मार्जिन को पूरी तरह से नहीं समझता, क्या मुझे इसके बारे में विस्तार से बता सकते हैं?
मार्जिन का मतलब उस रकम से है, जो आपके ट्रेडिंग अकाउंट में होती है. सामान्य रूप से निवेशक को अपने ट्रेडिंग अकाउंट में जमा रकम से शेयर खरीदने की इजाजत होनी चाहिए. लेकिन, व्यवहार में मामला थोड़ा अलग है. कई ब्रोकिंग कंपनियां अपने क्लाइंट को शेयर खरीदने के लिए रकम उधार देती हैं. इसे लिवरेज या मार्जिन ट्रेडिंग कहते हैं. इंट्राडे ट्रेडिंग में यह ज्यादा देखने को मिलता है.
क्या होता है शेयर बाजार में अपर ओर लोअर सर्किट, निवेशकों के लिये क्या हैं इसके मायने
TV9 Bharatvarsh | Edited By: सौरभ शर्मा
Updated on: Jan 09, 2022 | 8:00 AM
इसी हफ्ते जी लर्न का शेयर बाजार की सुखियों में तब शामिल हुआ था जब स्टॉक में अपर सर्किट लगा था. लगभग हर दिन शेयर बाजार से जुड़ी खबरों में ऐसे शेयर (stock) सबसे ऊपर दिखते हैं जिनपर सर्किट लगा हो. ऐसे शेयर बाज़ार क्या है एवं क्यों आवश्यक है में सवाल उठता है कि सर्किट (Circuit limit in Stock) आखिर होता क्या है और इसका निवेशकों के निवेश शेयर बाज़ार क्या है एवं क्यों आवश्यक है और उनकी रणनीति पर क्या असर देखने को मिलता है.
क्या होता है सर्किट
सर्किट समझने के पहले स्टॉक मार्केट के बेसिक को समझना आवश्यक है. स्टॉक मार्केट में स्टॉक का कारोबार होता है स्टॉक की मांग और आपूर्ति के आधार पर कारोबार के समय में इनकी कीमतों में लगातार उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है. इसमें तेज गिरावट और तेज उछाल दिखना एक सामान्य प्रक्रिया है. इन स्टॉक्स के प्रदर्शन के आधार पर ही इंडेक्स में भी उतार-चढ़ाव दर्ज होता है, क्योंकि इस कारोबार में निवेशकों की रकम सीधे तौर पर जुड़ी होती है ऐसें में कारोबार की मूल सोच यानि प्राइस डिस्कवरी और निवेशकों के हित दोनो में संतुलन जरूरी होता है. एडेल वाइस के मुताबिक सर्किट कारोबार के दौरान किसी भी वजह से कीमतों में आये तेज उतार चढ़ाव से निवेशकों, कारोबारियों और यहां तक कि पूरे सिस्टम को बचाये रखने में मदद करता है. सर्किट किसी कारोबारी दिन स्टॉक के कारोबर की अधिकतम और न्यूनतम सीमा होती है. किसी भी तरफ इस सीमा को तोड़ने पर उस स्टॉक में कारोबार एक सीमित अवधि के लिये रुक जाता है.
क्यों लगता है सर्किट
सर्किट लगने की कई अहम वजह होती है. सरकार या नियामक की कार्रवाई, नीतियों में सकारात्मक या नकारात्मक कार्रवाई, कंपनियों के अपने प्रदर्शन, बड़े सौदे, अधिग्रहण यहां तक कि बाजार में स्टॉक्स की सीमित सप्लाई, अफवाहें, अनुमान औऱ कभी कभी प्रमोटर्स की तरफ से जानवूझकर पैदा किया गया उछाल या गिरावट. इतने सारे कारण होने की वजह से ही सर्किट लगाये जातें है जिससे कारोबार रुकने के दौरान सही तस्वीर सामने आ सके और निवेशकों के बीच बेवजह उत्साह या शेयर बाज़ार क्या है एवं क्यों आवश्यक है डर को नियंत्रित किया जा सके
सर्किट ट्रिगर होने का मतलब साफ होता है कि उस स्टॉक, इंडेक्स या पूरे बाजार में कुछ अप्रत्याशित हुआ है. अगर किसी स्टॉक में लगातार सर्किट लगते हैं तो एंजेल वन सलाह देता है कि शेयर बाज़ार क्या है एवं क्यों आवश्यक है नये निवेशक ऐसे स्टॉक से दूर रहें. क्योंकि बार बार सर्किट लगने का मतलब है कि उस स्टॉक में प्राइस मूवमेंट बाजार के अनुमानों से कहीं ज्यादा हो रहा है. वहीं अगर आप किसी स्टॉक में हैं और उसके सर्किट लगा है तो तुरंत अपने निवेश की समीक्षा करें. क्योंकि ऐसा देखने को मिला है कि किसी खबर या अनुमान की वजह से स्टॉक में सर्किट लगता है लेकिन कंपनी द्वारा खंडन करने पर स्टॉक में उतनी और कभी कभी उससे ज्यादा गिरावट भी दर्ज होती है.
Business News: शेयर बाजार की जबरदस्त तेजी से लें सबक, समझें ये तेजी क्यों है और आपको क्या करना चाहिए
कॉन्सेप्ट फोटो (फोटोः सोशल मीडिया)
Business News: हाल के हफ़्तों में शेयर बाजार (share bazar) शेयर बाज़ार क्या है एवं क्यों आवश्यक है में जबरदस्त तेजी देखने को मिली है। इन मामलों के विशेषज्ञ कहते हैं, जब बाजार तेज रफ्तार (share bazar me taji) में बढ़ रहा हो तो सोच-समझकर बाजार में निवेश करना चाहिए। हालांकि, शेयर बाजार निवेश जोखिमों के अधीन होता है। कई ऐसे नए निवेशक हैं जो जल्दबाजी में फैसले लेते हैं और शेयर बाजार में निवेश संबंधी गलत फैसले ले लेते हैं, इसका खामियाजा उन्हें नुकसान से चुकाना पड़ता है। तो आज हम ऐसे निवेशकों के लिए ही कुछ शेयर बाज़ार क्या है एवं क्यों आवश्यक है शेयर बाज़ार क्या है एवं क्यों आवश्यक है जरूरी एक्सपर्ट टिप्स लेकर आए हैं।
शेयर बाजार से क्या लें सबक
जिमीत मोदी कहते हैं, 'अब आप मार्च 2020 के शेयर बाजार के निचले आंकड़ों को देखें। और ठीक उसके बाद की शानदार तेजी को देखें। हम बाजार से यहीं कई सबक सीख सकते हैं।' मोदी कहते हैं, यह समझने की जरूरत है कि शेयर बाजार में आ रही तेजी कुछ निवेशकों की वजह से नहीं है। बल्कि यह विदेशी संस्थागत निवेशक की वजह से है। भारतीय पूंजी बाजार में सितंबर महीने में विदेशी संस्थागत निवेशक अपना भरोसा दिखा चुके हैं। उन्होंने साल 2021 में किसी एक महीने में सर्वाधिक अगर सबसे ज्यादा निवेश किया है तो वह सितंबर महीने में।
विशेषज्ञ कहते हैं, इसके साथ ही भारतीय शेयर बाजार में सितंबर महीने में म्युचुअल फंड सिप (Mutual Fund SIP) के जरिए निवेश किए जाने वाले रकम का आंकड़ा 10,000 करोड़ रुपए को पार कर गया है। यह पहली बार देखने को मिल रहा है। देश में महंगाई दर में कमी आने के बाद पूंजी बाजार में निवेशकों का भरोसा बढ़ा है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) का अनुमान है कि आने वाले दिनों शेयर बाज़ार क्या है एवं क्यों आवश्यक है में महंगाई दर में कमी आ सकती है।
अर्थव्यवस्था के संकेत
सैमको वेंचर्स के सीईओ (CEO Samco Ventures) कहते हैं, बाजार में कई हाई फ्रीक्वेंसी इकोनॉमिक इंडिकेटर्स में तेजी देखने को मिल रही है। इसमें पावर कंजप्शन, ई वे बिल, रेल माल भाड़ा जैसी कई चीजें प्रमुख हैं। मोदी आगे कुछ ऐसी बात बता रहे हैं जो अमूमन लोगों के मन में चलता है। कहते हैं, लोग यह कह सकते हैं कि शेयर बाजार की तेजी मार्केट में मौजूद तरलता की वजह से है। कुछ लोग यह भी कहते हैं कि लोगों का जल्द अमीर बनने का लालच इसके पीछे वजह है। जबकि, सच्चाई यह है कि शेयर बाजार के फंडामेंटल को देखे बिना निवेशकों ने पिछले एक-डेढ़ साल में शेयर बाजार से शानदार कमाई की है।
मोदी कहते हैं, हालांकि निवेशकों को इस मौके पर सावधान रहने की भी जरूरत है। वैश्विक बाजार के स्वभाव के हिसाब से नए निवेशकों को इस समय खास सावधानी बरतने की आवश्यकता है। बीते एक महीने में निफ़्टी 50 (nifty50) में 5 फ़ीसदी की तेजी देखी गई है। जबकि एसएंडपी (s&p 500) इंडेक्स दो प्रतिशत गिरा है। भारतीय शेयर बाज़ार क्या है एवं क्यों आवश्यक है शेयर बाजार सिर्फ स्टैंडर्ड एंड पुअर 500 के साथ ही तालमेल से नहीं चलता, बल्कि अन्य ग्लोबल सूचकांक में भी पिछले एक महीने में 3-7 प्रतिशत तक कमजोरी आई है। ये सलाह उन निवेशकों के लिए जो बाजार की ऊंचाई को देखते हुए पैसे लगाने को बेताब हैं। विशेषज्ञ का कहना है कि शेयर बाजार की यह तेजी विदेशी संस्थागत निवेशकों की वजह से है, इसलिए नए निवेशक जरा संभलकर बाजार में निवेश करें, उतावलापन उन्हें झटका भी दे सकता है।
Highlights
- निवेशकों को एक और नए लॉकडाउन की चिंता सताने लगी है
- नया वैरिएंट मिलने से दुनिया भर के शेयर बाजार औंधे मुंह जा गिरे
- ब्रिटेन और जापान जैसे देश पहले ही यात्रा संबंधी प्रतिबंध लगा चुके हैं
ओमीक्रोन की दस्तक से भारत सहित दुनिया भर के बाजारों में माहौल है। शुक्रवार को दुनिया भर के बाजारों में तेज गिरावट देखने को मिली। वहीं सोमवार को भी बाजारों में कोरोना के नए और घातक वेरिएंट के डर दिखाई दिया। भारत में भी आज शुरुआती घंटों में बाजार में बिकवाली देखने को मिली। कई देश अपने यहां ट्रैवल बैन लगा चुके हैं। निवेशकों को एक और नए लॉकडाउन की चिंता सताने लगी है।
शुक्रवार को दक्षिण अफ्रीका में कोरोना वायरस का नया वैरिएंट मिलने से दुनिया भर के शेयर बाजार औंधे मुंह जा गिरे थे। दुनियाभर के देशों के लॉकडाउन के डर से शुक्रवार को भारतीय शेयर बाजारों के लिये ब्लैक फ्राइडे साबित हुआ था। सेंसेक्स 1687 अंकों की गिरावट के साथ 57,107 और निफ्टी 510 अंकों की गिरावट के साथ 17,026 पर बंद हुआ था।
डेल्टा से भी घातक है ओमीक्रोन
2020 की शुरुआत से लेकर अब तक कोरोना संकट दुनिया भर की कई अर्थव्यवस्थाओं की चूलें हिला चुका है। अप्रैल और मई में भारत में बड़ी तबाही मचाने के बाद जहां खौफ का लोगों को थोड़ी राहत मिली ही थी कि अब कोरोना नए रूप में सामने आ चुका है। कोरोना के नए वेरिएंट ओमीक्रोन से दुनिया भर में दहशत है। इसे पिछले डेल्टा वेरिएंट से 6 गुना ज्यादा घातक माना जा रहा है।
ब्रिटेन और जापान जैसे देश पहले ही यात्रा संबंधी प्रतिबंध लगा चुके हैं जिसके साथ लॉकडाउन का नया दौर शुरू होने की आशंका बढ़ गयी है। जापान ने तो अपने यहां अगले आदेश तक सभी विदेशी नागरिकों की एंट्री पर रोक लगाने की घोषणा कर दी है। जापान से पहले सिंगापुर ने भी ओमिक्रॉन को ध्यान में रखते हुए कड़ी पाबंदियों की घोषणा की है। सिंगापुर ने ओमीक्रोन के खतरे के मद्देनजर एहतियातन कदम उठाते हुए टीकाकरण करा चुके करत, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (यूईए) के यात्रियों को पृथक-वास से दी जाने वाली छूट (वीटीएल) को फिलहाल स्थगित कर दिया है। इजराइल ने विदेशी लोगों के प्रवेश पर पाबंदी लगाने का निर्णय लिया है। वहीं मोरक्को ने कहा है कि वह सोमवार से अगले दो सप्ताह तक आनेवाली सभी उड़ानों को निलंबित करेगा। हांगकांग से यूरोप और उत्तरी अमेरिका तक कई जगहों के वैज्ञानिकों ने इस स्वरूप की मौजूदगी की पहचान की है।
बंदिशों के डर से शेयरों की पिटाई
कोरोना वायरस के नए वैरिएंट मिलने की वजह से एयरलाइंस, होटल्स, ट्रैवल शेयर बाज़ार क्या है एवं क्यों आवश्यक है पोर्टल और मल्टीप्लेक्स जैसी कंपनियों के स्टॉक्स में गिरावट देखी जा रही है। इन कंपनियों में निवेशित निवेशकों को लगता है कोरोना के नए वैरिएंट का प्रकोप बढ़ा तो कई देशों में फिर से लॉकडाउन लग सकता है और भारत भी इससे अछूता नहीं रह सकता है जिसका सबसे बुरा असर एयरलाइंस होटल्स, ट्रैवल पोर्टल और मल्टीप्लेक्स स्टॉक्स पर पड़ेगा जो कोरोना के दोनों लहर में लगाये गये लॉकडाउन के सकंट से अबतक नहीं उबर पाये हैं। भारत ने 15 दिसंबर से 14 देशों को छोड़कर इंटरनेशनल फ्लाइट्स की इजाजत दे दी थी। लेकिन शनिवार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना के नए वैरिएंट को लेकर बैठक की थी, जिसमें उन्होंने इस फैसले की समीक्षा करने को कहा था।
कोरोना की वजह से भारत सहित दुनिया भर की सरकारों के बजट गड़बड़ा गए हैं। राहत पैकेज की घोषणा के चलते सरकारों के राजकोषीय घाटे आसमान छू रहे हैं। बीते साल और इस साल आई आपदा के दो दौर में कई सरकारों के खजाने खाली हो गए हैं। राज्यों की सरकारें कर्ज के ढेर पर बैठी हैं। ऐसे में यदि कोरोना की तीसरी लहर हाहाकार मचाती है तो राज्यों को कल्याणकारी योजनाओं के लिए धन कहां से मिलेगा? इसे लेकर भी निवेशकों के बीच चिंता है।