शेयर मार्केट में निवेश क्यो करना चाहिए

शेयर बाजार में पैसे लगाना क्यों जरूरी है?
अगर आप इक्विटी इन्वेस्टमेंट नहीं करते हैं तो आप एक बेहतर तरीके से वेल्थ क्रिएशन का मौका गंवा रहे हैं। शेयर बाजार को जुआ समझकर उसकी अनदेखी करने से भी कोई फायदा नहीं होगा। इससे वेल्थ क्रिएशन का शानदार मौका हाथ से निकल जाता है।
स्टॉक मार्केट।
तीसरा, स्टॉक चुनने का कोई आसान तरीका नहीं है। इससे कई पहलू जुड़े होते हैं। आपको पता नहीं होता कि आगे चलकर इनमें से कौन इंपॉर्टेंट बन जाएगा और किन फैक्टर्स का बिल्कुल भी असर नहीं होगा। जिन लोगों ने स्टॉक ऐनालिसिस में पूरी जिंदगी खपा दी है, उन्हें पता होता है कि किसी सफल स्टॉक में क्या होना चाहिए। वे किसी कंपनी से जुड़े खतरे को भांप सकते हैं, लेकिन पक्के तौर पर वे भी किसी शेयर के मल्टीबैगर होने का डंका नहीं पीट सकते क्योंकि वे इस बारे में स्योर नहीं होते। उन्हें पता होता है कि किसी शेयर को चुनने में गलती हो सकती है। इसलिए वे विनम्र होते हैं और चुप रहते हैं। इसलिए आपको जो भी टिप मुफ्त में मिल रही हो, उसे इग्नोर करिए।
चौथा, कौन सा शेयर खरीदना चाहिए? यह फैसला मुश्किल होता है। स्टॉक एक्सचेंजों पर हजारों शेयर लिस्टेड हैं। किसी को नहीं पता होता कि इनमें से कौन सा मल्टीबैगर साबित होगा और उसमें कितना वक्त लगेगा। निवेशक स्टॉक चुनने का अपना स्टाइल डिवेलप करते हैं। आप कोई शेयर क्यों खरीद रहे हैं, इसे लिखिए। इसके बाद उसके परफॉर्मेंस को ट्रैक करिए। इससे पता चलेगा कि आपने जो सोचकर शेयर खरीदा था, वह सोच सही साबित हुई या नहीं। एक ट्रेडर प्राइस टारगेट तय करता है। शॉर्ट टर्म इन्वेस्टर के साथ समयसीमा की पाबंदी होती है, लेकिन वैल्यू इन्वेस्टर हमेशा मार्जिन ऑफ सेफ्टी पर ध्यान देता है।
पांचवां, इन्फॉर्मेशन और ऐनालिसिस में एक आम निवेशक के हाथ बंधे होते हैं। ब्रोकरेज हाउस इसके लिए खास लोगों को हायर करता है। वह डेटाबेस तैयार करता है। रिसर्च पर पैसे खर्च करता है। वह स्टॉक्स को ट्रैक करता है और रिपोर्ट्स बेचता है। एक आम निवेशक सार्वजनिक सूचनाओं के आधार पर किसी शेयर का विश्लेषण कर सकता है। गंभीरता से स्टॉक रिसर्च करने वाले अक्सर दूसरों के साथ मिलकर काम करते हैं। वे रिसर्च की लागत मिलकर उठाते हैं। स्टॉक्स पर चर्चा करते हैं। आप ऑनलाइन चैट फोरम और टीवी प्रोग्राम को रिसर्च मानने की भूल न करें। शेयर बाजार से पैसा बनाने के लिए आपको गंभीरता से रिसर्च करने के लिए तैयार रहना चाहिए।
छठा, बाजार से पैसा एक शेयर से नहीं बनाया जा सकता। बिजनस की दुनिया में भी हर शख्स जेफ बेजोस या बिल गेट्स नहीं हो सकता। ऐसे बहुत कम लोग हैं, जो एक कंपनी या बिजनस पर अपना सबकुछ न्योछावर कर सकते हों। हम कई शेयरों में निवेश करते हैं और यही ठीक भी है। इस बात का ध्यान रखिए कि आप एक पोर्टफोलियो तैयार कर रहे हैं। आप इस पर ध्यान दीजिए कि किस कंपनी में कितना पैसा लगाना है। अगर आप बहुत अधिक शेयरों में मामूली रकम लगाते हैं तो आप अमीर नहीं बन सकते। याद रखिए कि आज दुनिया के सर्वाधिक अमीर लोगों की लिस्ट में आपको कई इक्विटी इन्वेस्टर मिलेंगे।
Eye Opener: शेयर बाजार में क्यों लगाना चाहिए पैसा? ये 7 कारण खोल देंगे आपकी आंखें!
बाजार में बिकवाली, डाउनटर्न, क्रैश से सबको डर लगता है. ये हर बाजार चक्र का हिस्सा हैं.
एक्सपर्ट कहते हैं कि इक्विटी में लगा पैसा किसी दूसरे एसेट में लगे पैसे की तुलना में तेजी से बढ़ता है. लेकिन आमतौर पर वे . अधिक पढ़ें
- News18Hindi
- Last Updated : October 10, 2022, 16:16 IST
हाइलाइट्स
व्यक्ति को निवेशक बनना चाहिए न कि केवल बचतकर्ता (Saver).
निवेशक के तौर पर आपके एसेट की कीमत भी महंगाई के साथ-साथ बढ़ती है.
बढ़ती जनसंख्या के दौर में बेहतर काम करने वाली कंपनियां मूल्यवान हो जाती है.
नई दिल्ली. निवेश करने वाले अधिकतर लोग मानते हैं कि लगातार बढ़ती महंगाई दर को मात देने के लिए निवेश का सबसे अच्छा साधन इक्विटी (शेयर मार्केट) है. एक्सपर्ट कहते हैं कि इक्विटी में लगा पैसा किसी दूसरे एसेट में लगे पैसे की तुलना में तेजी से बढ़ता है. एक्सपर्ट्स इक्विटी के पुराने रिटर्न को देखते हुए ऐसा कहते हैं, लेकिन अधिकतर लोग इस बात पर आंखें मूंदकर भरोसा कर लेते हैं. वे यह नहीं पूछते कि इस बात की क्या गारंटी है कि यदि इतिहास में अच्छा रिटर्न दिया है तो भविष्य में भी अच्छा रिटर्न मिलेगा ही?
यह सवाल पूछना जरूरी इसलिए है ताकि आपको इसका जवाब मालूम हो. इस प्रश्न का उत्तर जानकर आप यकीनन एक अच्छे निवेशक बन जाएंगे और आपकी वेल्थ के बढ़ने के चांस भी बढ़ जाएंगे.
हम स्टॉक मार्केट की बात कर रहे हैं तो यहां इसका मतलब ब्रॉड मार्केट इंडेक्स से समझा जाए. इंडेक्स कुछ स्टॉक्स की एक बास्केट की तरह हैं, जो ओवरऑल शेयर मार्केट का प्रतिनिधित्व करते हैं. कह सकते हैं कि इनकी चाल से पूरे बाजार की चाल समझी जा सकती है. तो हम आपको बता रहे हैं मूल सवाल के जवाब, जिसे लोग अक्सर पूछते नहीं है.
7 जवाब कर देंगे आपको “लाजवाब”
मुद्रास्फीति या महंगाई
जैसे-जैसे चीजों की कीमतें बढ़ती हैं, वैसे-वैसे उन चीजों को बनाने वाली कंपनियों के रेवेन्यू और प्रॉफिट शेयर मार्केट में निवेश क्यो करना चाहिए भी बढ़ता है. इसके साथ ही कंपनी के स्टॉक की वेल्यू भी बढ़ती है. इसे यूं भी समझा जा सकता है कि स्टॉक इंडेक्स के स्तर के ऊपर जाना एक तरह से इन्फ्लेशनरी ग्रोथ ही है. महंगाई भी एक कारण है कि व्यक्ति को निवेशक बनना चाहिए न कि केवल बचतकर्ता (Saver). एक निवेशक के तौर पर आपके एसेट की कीमत भी मुद्रास्फीति के साथ-साथ बढ़ती है, परंतु एक बचतकर्ता का पैसा बढ़ता नहीं है.
जनसंख्या वृद्धि
बढ़ती जनसंख्या का मतलब आमतौर पर कंपनियों के लिए एक बड़ा योग्य बाजार होता है. और जो कंपनियां अपने बड़े और बढ़ते बाजार को सफलतापूर्वक सामान बेचती हैं, समय के साथ वे और अधिक मूल्यवान हो जाती हैं.
टेक्नोलॉजी का बढ़ता दायरा
आंकड़ों के आधार पर भी कहें तो जितने ज्यादा लोग होंगे, उतने ही अधिक जीनियस और अविष्कार करने वाले सामने आएंगे. जैसे कि वैश्विक जनसंख्या बढ़ रही है, वैसे-वैसे इन्सान की तरक्की और अविष्कारों की गति भी तेज हो रही है. और इसी के आधार पर कंपनियों का प्रॉफिट भी लगातार अच्छा हो रहा है, क्योंकि टेक्नोलॉजी के बिना इतनी बड़ी जनसंख्या को हर पक्ष से मैनेज करना मुश्किल है.
स्टॉक की नेचुरल सिलेक्शन
एक इंडेक्स में आमतौर पर बाजार की बड़ी और बेहतरीन कंपनियां शुमार होती हैं. यदि कोई कंपनी क्वालिफिकेशन क्राइटेरिया में फेल होती है तो उसे इंडेक्स से बाहर करके किसी दूसरी बेहतरीन कंपनी को इंडेक्स में शामिल कर लिया जाता है. ऐसे में निवेशक को विशेष तौर पर स्टॉक चुनने की कोई टेंशन नहीं रहती, क्योंकि यह एक नेचुलर सिलेक्शन है, जो हमेशा आउटपरफॉर्म करता है.
लम्बे समय में जोखिम भी देते हैं लाभ
यदि आप शार्ट टर्म के लिए बाजार में पैसा डालते हैं तो आपको नुकसान होने की संभावना रहती है, लेकिन यदि आप लम्बी अवधि के लिए फाइनेंशियल मार्केट में पैसा लगा रहे हैं तो आपको फायदा ही होगा. चूंकि शार्ट टर्म में जोखिम होता है तो लॉन्ग टर्म में आपको उस जोखिम के बदले में प्रीमियम मिलता है. इसे बाजार की भाषा में रिक्स प्रीमियम कहा जाता है.
सेंट्रल बैंक की भूमिका
जब इकॉनमी में जरूरी से अधिक महंगाई पैदा होती है तो रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ब्याज दरों में इजाफा करके इसे शांत करने की कोशिश करता है, जिससे कि मुद्रास्फीति नियंत्रण में आ जाती है. इसके उलट, जब अर्थव्यवस्था लड़खड़ाती है तो केंद्रीय बैंक ब्याज दरों को कम कर देता है, जिससे लोग ज्यादा खर्च करते हैं और आर्थिक गतिविधियां बढ़ती हैं. मतलब, अर्थव्यवस्था को सुचारी रूप से चलाने के लिए केंद्रीय बैंक लगातार निगरानी करता है.
नीचे जाने के बाद बाजार ऊपर क्यों आता है?
बाजार में बिकवाली, डाउनटर्न, क्रैश से सबको डर लगता है. ये हर बाजार चक्र का हिस्सा हैं. आते हैं और गुजर जाते हैं. ये सदा के लिए टिकाऊ नहीं हो सकते. लेकिन क्यों? इसके कुछ कारण है-
जितना लम्बा टिकेंगे, जीतने के चांस उतने ज्यादा!
भारतीय इक्विटी मार्केट का इतिहास कहता है कि इसने लगभग 16 फीसदी का सालाना कम्पाउंडेड एवरेज रिटर्न दिया है. बाजार में समय कैसे निवेशक को फायदा पहुंचाता है, उसे एक डेटा से समझना चाहिए. पिछले 33 वर्षों के सेसेंक्स के आंकड़े बयान करते हैं कि 15 फीसदी सालाना रिटर्न पाने के लिए यदि आप 1-2 साल तक टिकते हैं तो आपके चांस 50 फीसदी होते हैं. यदि आप 7 साल के लिए निवेश में बने रहते हैं तो सालाना आधार शेयर मार्केट में निवेश क्यो करना चाहिए पर 15 फीसदी रिटर्न पाने के चांस बढ़कर 66 फीसदी हो जाते हैं. इसी तरह 15 साल तक टिके रहने की स्थिति में चांस 70 फीसदी बन जाते हैं.
(Disclaimer: यह खबर केवल जानकारी के उद्देश्य से प्रकाशिक की गई है. यदि आप किसी भी शेयर में पैसा लगाना चाहते हैं तो पहले सर्टिफाइड इनवेस्टमेंट एडवायजर से परामर्श कर लें. आपके किसी भी तरह के लाभ या हानि के लिए News18 जिम्मेदार नहीं होगा.)
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शेयर बाजार में पैसे कमाने के 7 गोल्डेन टिप्स, देखते-देखते बन जाएंगे मालामाल
how to make money from stock market: शेयर बाजार एक ऐसी जगह है, जहां निवेशकों को लगता है कि रातोंरात कमाई की जा सकती है. कई बार ऐसा होता है कि कुछ घंटे में ही शेयर से मोटा मुनाफा हो जाता है. बावजूद इसके यह ध्यान रखना चाहिए कि इक्विटी में ट्रेडिंग हमेशा से आसान नहीं है. बाजार में आपको अनुशासन और धैर्य की जरूरत पड़ती है. मार्केट में निवेश से पहले अच्छी तरह रिसर्च कर लेनी चाहिए. आइए जानते हैं 7 ऐसे गोल्डेन टिप्स, जिनका अगर ध्यान रखा जाए तो शेयर बाजार से जमकर कमाई की जा सकती है.
शेयर बाजार में निवेश करने के लिए क्या करना होता है? 8 बुनियादी सवालों के जवाब
Share Market Guide: शेयर खरीदने के लिए क्या करना होगा, किस कंपनी का शेयर खरीदे?
महंगाई (Inflation) बढ़ रही है और रुपये (Rupee) का मूल्य घट रहा है. यानी सिर्फ पैसा बचाने से काम नहीं चलेगा, पैसा बढ़ाना भी पड़ेगा. ऐसे में शेयर बाजार (Share Market) में निवेश अच्छा विकल्प हो सकता है. लेकिन शेयर मार्केट (Stock Market) में पहली बार निवेश करने वालों के लिए क्या जानना जरूरी है? शेयर बाजार में निवेश करने के लिए क्या करना होता है?
कब कर सकते हैं? किस शेयर में पैसा लगाएं? ये सारी बातें यहां हम आपको बता रहे हैं.
शेयर बाजार में निवेश करने के लिए क्या करना होता है? 8 बुनियादी सवालों के जवाब
1. शेयर क्या है?
किसी कंपनी को चलाने के लिए पूंजी यानी कैपिटल की जरूरत पड़ती है. अब कंपनी को चलाने के लिए मालिक बाजार से पैसा उठाना चाहता है तो वह कैपिटल को हिस्सों में बांट देता है यही हिस्से कहलाते हैं शेयर. जैसे किसी कंपनी की कैपिटल 100 रुपये है. अब कंपनी इसे 100 हिस्सों में बांट दें तो वे 100 हिस्से शेयर्स कहलाएंगे और एक शेयर एक रुपये का होगा. अब इसी कैपिटल को दो या 5 हिस्सों में भी बांटा जा सकता है. यानी कंपनी की एक यूनिट एक शेयर के बराबर होती है.
अब आप किसी कंपनी का हिस्सा बनना चाहते हैं तो उसके शेयर खरीद सकते हैं. इन्हीं शेयर्स की जब आप खरीदी बिक्री करने जिस बाजार में जाएंगे उसे कहते हैं शेयर बाजार.
2. शेयर खरीदने के लिए क्या करना होगा?
शेयर बाजार में पांव रखने से पहले आपको चाहिए डिमैट अकाउंट. जैसे बैंक में बचत, एफडी में निवेश के लिए बैंक अकाउंट चाहिए वैसे ही शेयर मार्केट में निवेश के लिए डिमैट अकाउंट होना जरूरी है. डीमैट के जरिए ही शेयर्स को खरीदा-बेचा जाता है, होल्ड किया जाता है. यह एक तरह से शेयर्स का डिजिटल अकाउंट है.
3. डीमैट अकाउंट क्या है
डीमैट अकाउंट मतलब- डीमटेरियलाइज्ड यानी किसी भी फिजिकल चीज का डिजिटलाइज होना. डिमैट अकाउंट आप चंद सैकेंड में खोल सकते हैं. आधार कार्ड, पैन कार्ड जैसी केवाईसी डॉक्यूमेंट लगती हैं. इसके लिए ब्रोकर की जरूरत होती है. अब ब्रोकर कोई व्यक्ति भी हो सकता है और कंपनी भी. ब्रोकर की वेबसाइट या एप पर जाकर डिमैट अकाउंट आसानी से खोला जा सकता है. अगर आप नेटबैंकिंग करते हैं तो आपके बैंक की वेबसाइट या एप पर भी डिमैट अकाउंट खोल सकते हैं. आमतौर पर इसकी लिए कोई फीस नहीं देनी होती लेकिन यह कंपनी पर निर्भर करता है कि वे डिमैट के लिए कितना वसूलना चाहते हैं.
4. किस कंपनी का शेयर खरीदें?
जवाब है किसी अच्छी कंपनी है, क्योंकि अच्छी कंपनी के शेयर्स अच्छा रिटर्न देते हैं. अच्छी कंपनी मतलब जिसका प्रॉफिट, प्रोडक्ट, भविष्य अच्छा हो. शेयर मार्केट की भाषा में इसे कंपनी के फंडामेंटल्स यानी बुनियादी बातें कहते हैं, कंपनी के फंडामेंटल्स अच्छे हैं तो कंपनी का भविष्य अच्छा माना जाता है. इसके लिए आपको कंपनी की सालाना बैलेंस शीट पर नजर रखनी होती है. यानी कंपनी कितना कमा रही है, कितना कर्ज है, कितना मुनाफा हो रहा है? कंपनी के शेयर्स ने पहले शेयर मार्केट में निवेश क्यो करना चाहिए कैसा प्रदर्शन किया है. ये सब देखना होता है. कई बार खबरें भी कंपनी के शेयर्स को प्रभावित करती हैं. जैसे कि जब दुनिया के सबसे अमीर आदमी ईलॉन मस्क ने ट्विटर को खरीदने का ऐलान किया तो निवेशकों में ट्विटर के शेयर्स को खरीदने की होड़ लग गई. लेकिन निवेशक केवल कंपनी के फंडामेंटल्स पर ध्यान दें तो भी काम बन सकता है. सबसे पहले ऐसे शेयर में निवेश करें जो सुरक्षित हैं. यानी उन बड़ी कंपनियों के शेयर्स खरीदें जो दशकों पुरानी हैं, प्रॉफिट में रहती है और आगे भी रहेंगी. इससे आप नुकसान में नहीं रहेंगे. जब इसमें निवेश कर लें तो शेयर्स को स्टडी करना सीखें, कंपनी की बैलेंस शीट पढ़ना सीखें.
5. प्राइमरी मार्केट और सेकेंडरी मार्केट क्या है?
जब आप कोई शेयर सीधे कंपनी से खरीदते हैं जैसे की आईपीओ के जरिए.. यह प्राइमरी मार्केट है. यानी कंपनियां जो शेयर्स बाजार में इश्यू करती है. लेकिन जब सीधे कंपनी से खरीदे हुए शेयर्स को आप अन्य खरीदारों में बेचने जाते हैं तो वो सेकेंड्री मार्केट है. यानी इश्यू किए हुए शेयर्स की जब खरीद बिक्री होती है.
6. ट्रेडिंग या निवेश?
एक्सपर्ट कहते हैं कि 5 साल, 10 साल या उससे भी ज्यादा समय के लिए निवेश करने वाले फायदे में रहते हैं. यानी लॉन्ग टर्म इंवेस्टमेंट. अब शेयर बाजार को गहनता से समझने वाले और रिस्क उठा सकने वाले ही शॉर्ट टर्म या हर रोज शेयर बाजार में निवेश कर सकते हैं. कितना और कितने समय के लिए निवेश? अब सबसे पहले आप ये तय करें कि निवेश कितना करना है और कितने समय के लिए. फिर तय करें कि आप निवेश करना क्यों चाहते हैं यानी कि आपका उद्देश्य क्या है. जैसे, शिक्षा, शादी या घर खरीदने जैसे गोल्स. इसी अनुसार आप आगे बढ़ते हैं और तभी आप फैसला ले पाएंगे कि आपको किस शेयर में निवेश करना है. शेयर मार्केट में शुरुआत धीमी रखें.
7. शेयर बाजार नहीं समझते हैं तो कैसे निवेश करें?
अगर आपके पास इन सब के लिए समय नहीं है या समझ नहीं है तो ऐसी स्थिति में आप किसी फाइनेंशियल एक्सपर्ट से ही सलाह लें, एक्सपर्ट को बताएं कि आप कितना खर्च करना चाहते हैं और कितने समय के लिए. आपका निवेश का उद्दश्य क्या है और आप निवेश से कितने रिटर्न की अपेक्षा रखते हैं. एक उपाय म्यूचुअल फंड भी हैं. जिसमें कुछ एक्सपर्ट आपके जैसे कई निवशकों के पैसे को कहां लगाना है ये तय करते हैं.
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बाजार की उथल-पुथल को समझते हैं और बाजार की हलचल की समझ रखते हैं तो आप डिस्काउंट ब्रोकर का चुनाव कर सकते हैं.
Share Market Investment: शेयर बाजार इन दिनों गुलजार है, निवेशकों की बहार है. मार्केट की मदमस्त चाल से निवेशक मालामाल हो रहे हैं. ऐसे में अगर आप भी स्टॉक मार्केट में निवेश करना चाहते हैं तो यह आपके लिए एंट्री का अच्छा मौका है.
अब सवाल उठता है कि शेयर मार्केट में ब्रोकर के जरिए निवेश करना चाहिए या खुद भी इन्वेस्टमेंट कर सकते हैं. अगर खुद निवेश करते हैं तो ऑनलाइन या ऑफलाइन, कैसे निवेश करना चाहिए. निवेश के दौरान पावर ऑफ अटॉर्नी का क्या महत्व है. इन शेयर मार्केट में निवेश क्यो करना चाहिए तमाम बातों के बारे में चर्चा कर रहे हैं Zerodha के सह-संस्थापक निखिल कामथ.
कैसे करें निवेश (How to Invest in Share Market)
ऑनलाइन निवेशक खुद ट्रेडिंग कर सकता है. जबकि, ऑफलाइन में ब्रोकर की सेवाएं लेनी पड़ेंगी. ऑफलाइन ट्रेडिंग में विशेष रूप से दलालों को निर्देश देते हैं. दलाल ब्रोकिंग एजेंसी पर निर्भरता बनाते हैं. ऑनलाइन खाते से ये निर्भरता खत्म हो जाती है.
डिस्काउंट ब्रोकर (Broker in Share Market)
डिस्काउंट ब्रोकर आपके आदेशानुसार सिर्फ शेयरों की खरीद-फरोख्त करते हैं. आपको निवेश या ट्रेडिंग की सलाह नहीं देते. ईमेल पर इलेक्ट्रोनिक कॉन्ट्रैक्ट नोट मिलता है.
डिस्काउंट ब्रोकर कब चुनें
बाजार की उथल-पुथल को समझते हैं और बाजार की हलचल की समझ रखते हैं तो आप डिस्काउंट ब्रोकर का चुनाव कर सकते हैं
फुल सर्विस ब्रोकर (Full Service broker in share market)
फुल सर्विस ब्रोकर आपको निवेश आइडिया भी देते हैं. ये निवेश या ट्रेडिंग की सलाह देते हैं और IPO भरने की सुविधा-सलाह भी देते हैं. बाजार से जुड़ी खबरों के बारे में निवेशकों को बताना इनकी ड्यूटी होती है.
आपको बाजार की उथल-पुथल की समझ नहीं है और बाजार की हलचल नहीं समझ पाते हैं तो फुल सर्विस ब्रोकर का चुनाव बेहतर होता है.
ब्रोकिंग चार्जेज (Broking Brokerage Charges)
अक्सर ब्रोकर्स अपना ब्रोकिंग चार्ज फिक्स रखते हैं. चार्जेज कारोबार के वॉल्यूम और फ्रीक्वेंसी पर भी निर्भर करते हैं. इसलिए ब्रोकर को चुनने से पहले उसके चार्जेज के बारे में अच्छी तरह से पता कर लें.
ब्रोकर को चुनने से पहले शेयर मार्केट में निवेश क्यो करना चाहिए उसके बारे में जान लें. बाजार में उसकी छवि कैसे, ये भी देख लें. ब्रोकर की सेवाओं, सुविधाओं से संतुष्ट होने पर ही उसकी सर्विस लें.
पावर ऑफ अटॉर्नी (Power of Attorney)
पावर ऑफ अटॉर्नी एक लीगल डॉक्युमेंट होता है. दूसरे व्यक्ति को अकाउंट ऑपरेट करने का अधिकार मिलता है. पावर ऑफ अटॉर्नी के दिशा-निर्देशों के मुताबिक अधिकार होता है.
शेयर मार्केट में इन्वेस्टमेंट के दौरान कई बार पावर ऑफ अटॉर्नी की जरूरत होती है. आप शेयर बेच रहे हैं या शेयर्स को प्लेज करना है, वहां पावर ऑफ अटॉर्नी की शेयर मार्केट में निवेश क्यो करना चाहिए जरूरत होती है. ऑनलाइन इन्वेंस्टमेंट के लिए पॉवर ऑफ अटॉर्नी की जरूरत होती है. ऑफलाइन इन्वेस्टेमेंट में इंस्ट्रक्शन स्लिप भेजनी पड़ती थी. ऑनलाइन ब्रोकिंग में ऑफलाइन मेथड प्रभावी नहीं होता है.