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किसी एक शेयर या किसी एक सेक्टर पर निवेश करना

किसी एक शेयर या किसी एक सेक्टर पर निवेश करना

उफान पर बाजार तो अच्छे शेयरों को बनाएं यार

चढ़ता शेयर बाजार किसे पसंद नहीं। निवेशकों को तो वही सबसे ज्यादा भाता है। भारतीय शेयर बाजार इस समय इतनी तेजी से और इतनी ऊंचाई पर दौड़ रहे हैं, जितनी तेजी और ऊंचाई पहले कभी नहीं देखी गई। उनकी वजह से सूचकांक लगातार नए रिकॉर्ड बना रहे हैं, जिसे देखकर कई नए निवेशक पैसा कमाने की फिराक में बाजार में कूद पड़े हैं।

स्टॉकएज और ईलर्नमार्केट्स के सह-संस्थापक विवेक बजाज कहते हैं, 'महामारी के दौरान कई नए भारतीय खुदरा निवेशक ट्रेडर और निवेशक बनकर शेयर बाजारों में कूद पड़े। इनमें से ज्यादातर युवा हैं और आय के नए जरिये की तलाश में शेयर बाजार को आजमाने की उनकी कोशिश की वजह से देश के निवेश की तस्वीर बहुत जगमगाने लगी।'

मगर शेयरों में निवेश बच्चों का खेल नहीं है और दांव गलत पड़ जाए तो ऐसा घाटा होने का खतरा रहता है, जितना आप सोच भी नहीं सकते। मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज में इक्विटी डेरिवेटिव्स ऐंड टेक्निकल, ब्रोकिंग ऐंड डिस्ट्रिब्यूशन के उपाध्यक्ष चंदन तापडिय़ा कहते हैं, 'बाजार में उतार-चढ़ाव तो होना ही है, इसलिए निवेशकों और ट्रेडरों को अधिक उतार-चढ़ाव के दौरान होने वाले खतरे के प्रति सतर्कता बरतनी चाहिए। ट्रेडरों को सावधान रहना होगा और नौसिखिये ट्रेडरों को तो ज्यादा सावधानी बरतनी होगी।' अगर आप बाजार में नए हैं और सीधे शेयरों में पैसा लगाने जा रहे हैं तो ट्रेडिंग करते समय आपको कुछ सावधानी तो बरतनी ही होगी। उनमें से कुछ नीचे बताई जा रही हैं।

आजकल बाजार सरपट भाग रहा है और ऐसे माहौल में संदिग्ध प्रवर्तकों तथा खराब कॉरपोरेट प्रशासन वाली कई घटिया कंपनियां भी बहती गंगा में हाथ धोने चली आती हैं। कई नए निवेशक बाजार से जल्द मुनाफा कमाने के चक्कर में ऐसी कंपनियों के झांसे में आ जाते हैं और उनमें रकम लगा देते हैं। इसमें बहुत जोखिम है। इसलिए अच्छी कंपनियों पर ही दांव खेलेंगे तो बेहतर होगा। बजाज की सलाह है, 'चढ़ते बाजार में बुनियादी नियम यही है कि धीरे-धीरे बेहतर गुणवत्ता वाले शेयरों की तरफ बढ़ते रहना चाहिए। जब बाजार चढ़ रहा होता है तो अक्सर छोटे निवेशक कंपनी की वित्तीय स्थिति को अनदेखा कर देते हैं।'


चवन्नी शेयरों से दूर रहें

खराब शेयरों से तो दूरी बनानी ही है, चवन्नी शेयरों की ओर भी रुख नहीं करना है। अक्सर आपके दोस्त, रिश्तेदार या निवेश करने वाले समूह टिप के नाम पर ऐसे शेयरों में पैसा लगाने की सलाह देते होंगे मगर आपको उससे तौबा करना चाहिए। बजाज बताते हैं, 'कुछ चवन्नी शेयर बहुत आकर्षक बताए जाते हैं क्योंकि उनमें मूल्य-आय (पी/ई) अनुपात कम होता है। मगर इसमें झांसा हो सकता है। आम तौर पर पी/ई अनुपात कम होने का मतलब है कि उस शेयर में निवेशकों को भरोसा नहीं है। इसलिए कम पी/ई अनुपात के जाल में बिल्कुल न फंसें।'


स्टॉप लॉस का रखें ध्यान

अनुभवी ट्रेडर नियम पर आधारित स्टॉप-लॉस का पूरा ध्यान रखते हैं। कारेाबार शुरू करने के बाद आपको स्टॉप-लॉस ऑर्डर भी देना ही चाहिए। कभीकभार शेयर इतनी तेजी से लुढ़कता है कि निवेशकों विशेषकर अनुभवहीन निवेशक को कुछ करने का वक्त ही नहीं मिलता। स्टॉप-लॉस ऐसी सूरत में आपको बड़े घाटे से बचा सकता है।

जब कोई दांव आपके पैसे डुबा रहा हो तब भावनाओं को हावी होने देना और स्टॉप लॉस को अनदेखा करना बड़ी मुसीबत को दावत देने के बराबर होता है। आशिका वेल्थ के सह-संस्थापक और ग्लोबल ऐसेट क्लास के मुख्य रणनीतिकार अमित जैन कहते हैं, 'जब बाजार अब तक के सबसे ऊंचे स्तर पर बैठे हों तो सख्त स्टॉप-लॉस के साथ कारोबार करना और भी जरूरी हो जाता है। अगर बाजार का रुख पलट गया तो शेयरों के भाव किसी एक शेयर या किसी एक सेक्टर पर निवेश करना एक झटके में औंधे हो सकते हैं और स्टॉप-लॉस का इंतजाम नहीं किया गया तो आपके पोर्टफोलियो को बड़ी चपत लग सकती है।'


बीच-बीच में मुनाफा वसूलें

चढ़ते बाजार में ज्यादातर शेयर पोर्टफोलियो अच्छी बढ़त हासिल कर लेते हैं। इसलिए बीच-बीच में मुनाफावसूली जरूरी है क्योंकि बाजार कभी एक दिशा में नहीं दौड़ते और वक्त-वक्त पर उनमें गिरावट आती रहती है। जैन समझाते हैं, 'जब भी कोई निवेशक के पास रखे शेयर का भाव उसके लक्ष्य तक पहुंच जाता है तो उसे शेयर बेचकर मुनाफा कमा लेना चाहिए। 'अच्छा' शेयर या 'खराब' शेयर जैसा कुछ नहीं होता। शेयर अच्छा या बुरा इस बात से बनता है कि आपने उसे किस वक्त खरीदा और किस वक्त बेचा है। टाटा स्टील के शेयर को ही लीजिए। मार्च, 2020 में उसका भाव 300 रुपये था, जिस पर उसे खरीद ही लेना चाहिए था। मगर आज इसका भाव 1,300 रुपये पर है और कंपनी की हैसियत के लिहाज से यह ठीक भाव है। अगर आज कोई यह शेयर खरीदता है तो उसके लिए जोखिम ज्यादा हो सकता है।'

तापडिय़ा सेक्टर बदलते रहने की सलाह देते हैं। वह कहते हैं, 'मुनाफावसूली तो इस खेल का हिस्सा है। जब भी कोई शेयर धीमा पड़ जाता है या ऊंचे भाव पर ठहर जाता है तो उसे बेचकर किसी दूसरे सेक्टर का शेयर पकडऩा सही होता है। यहां 'चर्न बनाम होल्ड' का सिद्घांत काम करता है, जिसमें अपने पोर्टफोलियो से ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाने और तेजडिय़ा बाजार का फायदा उठाने का सबसे अच्छा तरीका यही है कि मुनाफावसूली करो और सेक्टर बदलते रहो।'


जरूरत से ज्यादा ट्रेड नहीं

जब बाजार हिचकोले खाने लगते हैं और कई दांव गलत पड़ जाते हैं। मगर उसी वक्त बाजार में लोग कई तरह के कायदे और सिद्घांत भी समझाने लगते हैं। जरूरत से ज्यादा दलीलें दी जाने लगती हैं। ऐसे में अगर आपके पास कारोबार का शेयरों पर दांव लगाने की दुरुस्त व्यवस्था नहीं है तो आप जरूरत या हैसियत से ज्यादा ट्रेडिंग के शिकार हो सकते हैं। आपको पता होना चाहिए कि आप कितने शेयर सौदे संभाल सकते हैं। अगर आप जरूरत से ज्यादा ट्रेड करते हैं तो आपका खर्च भी ज्यादा होगा।


कर्ज लेकर निवेश नहीं

अगर आपके पास पैसा नहीं है किसी एक शेयर या किसी एक सेक्टर पर निवेश करना तो कर्ज लेकर निवेश कभी मत करें। अगर आपकी रकम बाजार में डूब गई तो आप पर दोहरी मार पड़ेगी क्योंकि आपको कर्ज भी चुकाना है। जैन कहते हैं, 'निवेशकों को सोच समझकर दांव खेलने चाहिए और कर्ज लेकर निवेश कभी नहीं करना चाहिए। जो निवेशक बहुत जोखिम नहीं उठाना चाहते वे सोने में अपना निवेश बढ़ा सकते हैं ताकि वैश्विक बाजारों में उतार-चढ़ाव आने पर उनका पैसा महफूज रहे।'


पहले पूरी तैयारी करें

पूंजी बाजार बहुत पेचीदा होते हैं और किसी खास शेयर में निवेश करने से पहले उसकी अच्छी-खासी पड़ताल बहुत जरूरी होती है। कोशिश कीजिए कि आप आर्थिक तथा नीतिगत माहौल से अच्छी तरह वाकिफ रहें और उसके बाद सही सेक्टर तथा सही शेयरों का चयन करें। ऐसा करेंगे तो बतौर निवेशक कामयाब होने से आपको कोई नहीं रोक सकता।

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Stock Market में P/E Ratio क्या है? शेयर खरीदने से पहले इसे जरूर जानें।

Stock Market में P/E Ratio क्या है?

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अच्छा शेयर कैसे चुनें? इसमें मैंने आपको बताया था किसी एक शेयर या किसी एक सेक्टर पर निवेश करना कि अच्छे शेयर चुनने से पहले किन-किन बातों पर ध्यान देना आवश्यक है।

यदि आपको स्टॉक मार्केट में सफल निवेशक बनना है तो आपको कई बातों पर ध्यान देना होगा। आप चाहे लंबी अवधि के लिए स्टॉक मार्केट में निवेश करते हैं या फिर Intraday Trading करते हैं।

हर परिस्थिति में अच्छी स्टॉक को चुनना आवश्यक है। आज मैं आपको एक ट्रिक बता रहा हूं जिसके द्वारा आप एक सेकंड में मालूम कर सकते हैं कि यह शेयर खरीदना चाहिए या नहीं।

दोस्तों एक अच्छा शेयर का चुनाव के जितने भी तरीके हैं हम सभी अपनाते हैं। शेयर को सेलेक्ट कर लेते हैं। जब उसे खरीदे लगते हैं तो मन में कई तरह की आशंका उत्पन्न होने लगती है। यह शेयर महंगा तो नहीं है। इसे लेने के बाद इसका दाम नीचे तो नहीं गिर जाएगा।

यदि आपके भी मन में भी यह आशंकाएं उत्पन्न हो रही है कि जो शेयर हम खरीदने जा रहे हैं वह सस्ता है या महंगा। यह कैसे पता करें। तो आपके लिए बड़ा ही अच्छा नॉलेज शेयर कर रहा हूं जिसका नाम है P/E Ratio.

P/E Ratio का मतलब क्या है?

P/E Ratio का अर्थ Price Earning Ratio है।

साधारण भाषा में इसका मतलब यह होता है कि हमें कितने रुपए लगाने पर कितने रुपए मिलेगा।

उदाहरण द्वारा इसे समझते हैं। रिलायंस कंपनी के 1 शेयर का दाम अभी ₹ 2000 हैं। इस कंपनी ने पिछले 1 साल में ₹ 200 लाभ दिया है। यदि मुझे इसका P/E Ratio निकालना है तो 2000 ÷ 200 = 10 निकलेगा।

इस P/E Ratio का मतलब यह हुआ कि आपको ₹ 1 कमाने के लिए रिलायंस कंपनी में किसी एक शेयर या किसी एक सेक्टर पर निवेश करना किसी एक शेयर या किसी एक सेक्टर पर निवेश करना ₹10 लगाना पड़ेगा। या दूसरे भाषा में ₹ 2000 केेेेेेे निवेश पर हमें ₹ 200 प्राप्त होगा।

इस प्रकार P/E Ratio उसे कहते हैं जिसे प्रति शेयर बाजार मूल्य में उसके द्वारा दी गई आय के द्वारा भाग देने पर जो प्राप्त होता है वही P/E Ratio है।

शेयर खरीदने हेतु P/E Ratio क्या होने चाहिए

अब आपके मन में यह सवाल उठता होगा कि शेयर खरीदने वक्त हमें कितना P/E Ratio का शेयर खरीदना चाहिए और कितना P/E Ratio शेयर नहीं खरीदना चाहिए।

आमतौर पर वित्तीय सलाहकार कहते हैं कि जिसका P/E Ratio 30 से ज्यादा है उसे हमें नहीं खरीदना चाहिए। क्योंकि यदि मुझे ₹30 लगाकर सालाना ₹1 प्राप्त हो यहां तक तो ठीक माना जा सकता है। पर उससे ज्यादा लगाकर यदि मुझे ₹1 प्राप्त हो तो यह कभी भी ठीक नहीं माना किसी एक शेयर या किसी एक सेक्टर पर निवेश करना जा सकता।

वैसे जैसे जैसे कंपनी मुनाफा कमाता रहता है उसका P/E Ratio बढ़ता रहता है। इसलिए आप कंपनी के पिछले कुछ सालों का मुनाफा देख सकते हैं। यह जरूरी नहीं कि P/E Ratio ज्यादा होने से उस शेयर में निवेश ना करें।

क्या केवल P/E Ratio द्वारा ही अच्छे शेयर का चुनाव सही है?

यदि आप सोच रहे हैं कि मुझे P/E Ratio निकालना आ गया किसी एक शेयर या किसी एक सेक्टर पर निवेश करना और इसे देखकर मैं अच्छे से शेेेयर खरीद कर एक सफल निवेशक बन जाऊंगा तो यह आप गलत सोच रहे हैं। कई बार हम भ्रम में भी आ जाते हैंं। गलत P/E Ratio दौरा भी हम गलत शेयर खरीद कर नुकसान उठा लेते हैं।

कई ऐसे भी कंपनी होती हैं जिसकी P/E Ratio में काफी उतार-चढ़ाव होता रहता है। यानी किसी वर्ष यह बहुत ज्यादा बढ़ जाता है और किसी बात बहुत कम हो जाता हैै।

उदाहरण रियल स्टेट कंपनी का लेते हैं। किसी वर्ष 50 घर भी नहीं बिकता तो किसी वर्ष 500 घर बिक जाता है। जिस वर्ष इस कंपनी का 500 घर बिका है उस वर्ष का P/E Ratio 20 मान लेते हैं। हम यह सोच कर शेयर खरीद लेते हैं कि P/E Ratio उसका कम है।

अगले वर्ष 50 घर भी नहीं बिका और वह हमें नुकसान उठाना पड़ जाता है। इसलिए आप केवल P/E Ratio पर निर्भर ना रहे।

P/E Ratio और क्या बताता है?

P/E Ratio द्वारा किसी कंपनी के शेयर सस्ते या महंगे का अनुमान लगा सकते हैंं। इसके अलावा आप यह भी अनुमान लगा सकते हैं कि वर्तमान में शेयर बाजार महंगा है या सस्ता हैै।

मेरा कहने का अर्थ यह है कि कई बार नये निवेशक सोचते हैं कि जब बाजार सस्ता होगा तब निवेश की शुरुआत करूंगा। यह पता कैसे चलेगा कि मार्केट अभी सस्ता है या महंगा है। उसके लिए आप मार्केट का P/E Ratio देख सकते हैं।

भारतीय बाजार में मुख्य रूप से दो जगह शेयर की खरीद बिक्री की जाती है। एक सेंसेक्स और दूसरा है निफ्टी। सेंसेक्स 30 कंपनी का प्रतिनिधित्व करती है और निफ्टी भारत के 50 कंपनी का प्रतिनिधित्व करती है।

सेंसेक्स और निफ्टी यह बताती है कि अभी भारतीय बाजार का क्या हाल है। यदि आप नये निवेशक हैं या शेयर मार्केट में निवेश करने की सोच रहे हैं तो सेंसेक्स और निफ्टी का P/E Ratio जाकर जरूर देख लें। आपको पता लग जाएगा कि अभी भारतीय शेयर बाजार सस्ता है या महंगा है।

सस्ता है तो फिर आप निवेश की शुरुआत कर दीजिए और यदि महंगा है तो कुछ समय इंतजार कर सकते हैं। वैसे एकमुश्त निवेश में यह देखा जाता है। जब आप एसआईपी शुरू करने की सोच रहे हैं तो आप कभी भी शुरू कर सकते हैं।

P/E Ratio बदलता रहता है

P/E Ratio हमेशा बदलता रहता है। यह नहीं कि आपने एक बार जो P/E Ratio देख लिया वह हमेशा के लिए रहेगा। मान लीजिए किसी कंपनी का P/E Ratio अभी 25 है।

कुछ दिनों बाद कंपनी ने अच्छा मुनाफा कमाया और उसके शेयर का दाम बढ़ गया। क्योंकि सभी लोग उसके शेयर को खरीदने लगे। हम उस कंपनी का P/E Ratio बढ़ जाएगा।

इसलिए आप जिस वक्त शेयर खरीदते हैं उस वक्त उस शेयर का भी P/E Ratio देख ले।

जाते जाते एक बात आपको बता कर जा रहा हूं शेयर बाजार जितना ही लाभदायक है उतना ही नुकसानदायक। इसमें हम 1 दिन में लाखों कमा भी सकते हैं और लाखों गंवा भी सकते हैं।

आप तभी इसमें निवेश करने की सोचे जब आप लाखों कमाने और गंवाने के लिए तैयार हो। किसी के भी कहने पर कहीं भी निवेश ना करें। सोच समझ कर फैसला ले। आपके मेहनत की कमाई पर पहला अधिकार आपका ही है।

किसी के कहने पर किसी एक शेयर या किसी एक सेक्टर पर निवेश करना किसी भी शेयर में निवेश ना करें। निवेश से पहले विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले। आप चाहे कितने बड़े खिलाड़ी हो लेकिन कर्ज लेकर कभी भी स्टॉक मार्केट में निवेश ना करें इससे आप ज्यादा कठिनाई में पड़ सकते हैं।

मल्टीबेगर शेयर के अलावा Penny Stocks जिसका मूल्य ₹10 से कम है आप चाहे तो उसमे निवेश कर सकते हैं। इलेक्ट्रिक वाहन शेयर जो मार्केट में बिल्कुल नया है उसमें भी निवेश कर सकते हैं। लेकिन निवेश करने से पहले अच्छी तरह रिसर्च जरूर कर ले।

सेक्टर-आधारित और थीम-आधारित फंड क्या होते हैं और कौन से फंड में पैसा लगाएं?

सेक्‍टोरल फंड का मतलब ऐसे फंडों से है, जो ऐसे शेयरों में निवेश करते हैं, जो विशेष उद्योग समूह या सेक्‍टर (जैसे फार्मा, बैंकिंग) के भाग होते हैं.

  • Paurav Joshi
  • Updated On - October 20, 2021 / 11:47 AM IST

सेक्टर-आधारित और थीम-आधारित फंड क्या होते हैं और कौन से फंड में पैसा लगाएं?

धारणा यह है कि किसी परिसंपत्ति की कोई भी अत्यधिक कीमत अंततः लंबी अवधि में सामान्य हो जाएगी. इसलिए यह कमजोर इच्छा शक्ति वाले निवेशकों के लिए सही विकल्प नहीं है

कुछ वर्ष पहले की तुलना में निवेश की दुनिया में आजकल सेक्टोरल या थीम आधारित प्रोडक्‍ट्स काफी लोकप्रिय होते जा रहे हैं. सेक्टर-आधारित और थीम-आधारित फंड निवेशकों के लिए उपलब्ध एक तरह के इक्विटी म्यूचुअल फंड हैं. ये वैसी स्कीम हैं जो किसी खास थीम या सेक्टर में निवेश करती हैं. ये स्कीम या तो बहुत अच्छे रिटर्न दे सकती हैं या सालों तक नुकसान में रहती हैं. आइए सबसे पहले हम यह समझते हैं कि वे हैं क्या.

क्या होते हैं ये फंड

सेक्टर फंड के मामले में, किसी विशेष उद्योग या क्षेत्र से संबंधित शेयरों में निवेश किया जाता है. थीम-आधारित फंड विभिन्न क्षेत्रों या उद्योगों में निवेश कर सकते हैं लेकिन ऐसे उद्योग अक्सर किसी कॉमन थीम से जुड़े होते हैं.

सेक्‍टोरल फंड

सेक्‍टोरल फंड का मतलब ऐसे फंडों से है जो ऐसे शेयरों में निवेश करते हैं जो विशेष उद्योग समूह या सेक्‍टर (जैसे फार्मा, बैंकिंग, इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर आदि) के भाग होते हैं. सेक्टर-आधारित इक्विटी फंड किसी विशेष उद्योग में ग्रोथ का फायदा उठाने की कोशिश करते हैं. सेक्टर-आधारित मार्केट पैटर्न अनूठे होते हैं और सही सेक्टर में निवेश से रिटर्न मिल सकता है जो मार्केट रिटर्न की तुलना में बहुत ज़्यादा होता है. अगर निवेशक सही समय पर बाज़ार में एंट्री लेता है तो किसी सेक्टर में निवेश ज़्यादा रिटर्न दे सकता है. सेक्टर-आधारित रिटर्न आम तौर पर साइकिलिकल होते हैं. सेक्टर-आधारित को जोखिम भरा भी माना जाता है क्योंकि रिस्क विभिन्न सेक्टरों में डाइवर्सिफाई नहीं किया जाता है. सही समय पर एंट्री और एग्ज़िट की जानकारी रखने वाले अनुभवी निवेशकों की सलाह के अनुसार इसमें इंवेस्ट करना चाहिए.

थीम-आधारित फंड

थीम-आधारित फंड में सेमी-डायवर्सिफाइड पोर्टफोलियो होता है. ये फंड कई सेक्टरों में निवेश करते हैं जो एक कॉमन थीम से जुड़े होते हैं, जैसे की हाउसिंग, टुरिजम, मेक इन इंडिया इत्यादी. अब हाउसिंग थीमेटिक फंड उन कंपनी में इंवेस्ट करता है जो हाउसिंग थीम का हिस्सा है. इस थीम में सिमेंट कंपनी, पेइंट कंपनी, हाउसिंग फाइनांस कंपनी, स्टील कंपनी और वो सारी कंपनीज आएगी जो हाउसिंग थीम का हिस्सा है. चाहे ये कंपनी अलग अलग सेकटर की क्यों न हो. लेकिन उसकी थीम एक होगी. हाउसिंग थीमेटिक फंड इस सेकटर की सारी कंपनीज का एनालिसिस करेगा और उसमें से जो कंपनी उसे अच्छी लगती है उसमें इंवेस्ट करेगा. यानी वो हाउसिंग थीमेटीक फंड का कुछ हिस्सा सिमेन्ट कंपनी, कुछ हिस्सा पेइंट कंपनी इंवेस्ट करेंगे. इस प्रकार का इंवेस्टमेंट रिस्की होता है यानी अगर हाउसिंग की थीम चल गइ तो आपको फायदा होगा वरना नुकसान. इसलिए थीमेटीक इंवेस्टमेंट एक हाइ रिस्क और हाइ रिवोर्ड इंवेस्टमेंट होता है.

थीम-आधारित म्यूचुअल फंड लंबी अवधि में अच्छा किसी एक शेयर या किसी एक सेक्टर पर निवेश करना रिटर्न देने के लिए जाने जाते हैं. वे बाजार में उभरते रुझानों को पहचान कर उनमें निवेश करने की रणनीति बनाते हैं. इसलिए, जिन निवेशकों को फायदेमंद रुझानों की पहचान करने का अनुभव है, वे दीर्घकालिक निवेश के लिए थीम-आधारित फंड पर भरोसा कर सकते हैं.

सर्टिफाइड फाइनांसियल प्लानर बिरजु आाचार्य बताते हैं की ये हाइ रिस्क, हाइ रिटर्न फंड होते हैं. जैसे हम इक्विटी मार्केट के लिए ये कहते हैं की इसमें कमसे कम 3 से 5 साल के लिए निवेश करना चाहिए जबकी थीमटीक और सेक्टोरियल फंड में 5 से 7 साल के लिए निवेश करना चाहिए. जैसे फार्मा सेक्टर ने 2010 में और 2020 में अच्छा रिटर्न दिया और अब रियल एस्टेट और ओटो सेकटर अच्छे लग रहे हैं. आचार्य आगे बताते हैं की सेक्टोरियल और थीमेटिक फंड इकोनोमी के साथ जुडे हुए फंड हैं. भविष्य में कौन सा सेकटर अच्छा पर्फोर्म करेगा उसका किसी को पता नहीं. क्योंकी हर एक सेकटर की एक सायकल है.

शेयर बाजार में गिरावट के बीच उठाएं लाभ, ऐसे करें निवेश होगा फायदा

Investment tips for share bazaar: कोरोना महामारी के पिछले दो वर्षों में बाजार के नए निवेशकों ने जमकर निवेश किया। हालांकि, यह ऐसा दौर था जिसमें हर किसी को फायदा हुआ। इसके बावजूद काफी सारे लोग इसका फायदा उठाने में चूक गए। वर्तमान में बाजार से लगभग उसी दौर में पहुंच गया है ऐसे में निवेशक का पूरा गणित हम आज आपको बताने जा रहे हैं जिसकी मदद से आप निवेश कर लाभ कमा सकते हैं।

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Investment tips: अगर आप शेयर बाजार में निवेश कर रहे हैं तो आपको निवेश की पद्धति बदलने की जरूरत हैं। इसका मतलब है कि डर और लालच से दूर रहिए। दरअसल, जब भी बाजार तेजी में होता है और निवेशक फायदा कमाते हैं तो उस समय में उस फायदे को भुनाने की बजाय और ज्यादा लालच में आ जाते हैं। परिणाम यह होता है कि बाद में यही लालच उनके फायदे को डूबा देता है। दूसरी ओर जब बाजार में भारी गिरावट आती है तो निवेशक अपने निवेश को डर के कारण घाटे में बेच देते हैं। हालांकि, यही वह समय होता है जब निवेशक के जरिए आप अपने पोर्टफोलियो को मजबूत कर सकते हैं और किसी एक शेयर या किसी एक सेक्टर पर निवेश करना बढ़ा सकते हैं। पर भारत में खुदरा निवेश ठीक कर के उलट काम करते हैं। वह बाजार की तेजी में खरीदारी करते हैं और गिरावट में बेच देते हैं अगर आप एक सफल निवेशक बनना चाहते हैं तो आपको यह रवैया बदलना होगा इसका मतलब है कि गिरावट में खरीदारी करें और तेजी में बचें।

वर्ष 2020 में जब कोरोना की पहली लहराई और भारत में बड़े पैमाने पर प्रतिबंध शुरू हुआ तो मुंबई स्टॉक एक्सचेंज का सेंसेक्स फरवरी 2020 में 4723 से गिरकर मार्च 2020 में 26000 के करीब पहुंच गया। इसका फायदा नए निवेशकों के रूप में लोगों ने उठाया। हालांकि, उस समय अगर किसी नौसिखिया ने भी बाजार में पैसा लगाया होता तो वह आज 100 फ़ीसदी के मुनाफे पर होता। लेकिन लालच ने ज्यादातर निवेशकों को इस फायदे पर पानी फेर दिया यही वह समय होता है जहां पर आपको चतुराई दिखाने की जरूरत होती है।

एक सफल निवेशक कभी भी भेड़ चाल नहीं चलता यानी जब किसी एक ही दिशा में सब लोग जा रहे हो तो आप उसकी नकल न करें। इसके बजाय आप अपने विवेक और अध्ययन से ठीक उस दिशा में निवेश करें। जहां, पर शेयर या सेक्टर या बाजार आपको सही किसी एक शेयर या किसी एक सेक्टर पर निवेश करना लगता है। ऐसा दो हजार अट्ठारह में हो चुका है बाजार की तेजी में उस समय लोगों ने एक ही दिशा में निवेश किया और बाद में भारी मंदी ने सभी को चपेट में ले।

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